झल्ले दी झल्लियां गल्लाँ
रालोदाई चीयर लीडर
ओये झल्लेया हुन ते मजा ही आ गया ओये हसाडे सोणे सुप्रीमो अजित सिंह चौधर की चौधराहट फिर से चहक उठी है|ओये किसान स्वाभिमान रैली में देश के वड्डे वड्डे नेताओं के साथ भर भर के किसान +मजदूर+मुसलमान इकट्ठे हो गए और वड्डे चौधरी चरण सिंह की स्मृति में १२ तुगलक रोड में स्मारक बनवाने को अपने अपने लट्ठ में अपने खर्चे से तेल पिलाने को तैयार हो गए हैं|ओये मानता है न कि हसाडे नलके का पानी अभी उतरा नहीं है अब तो हसाड़ी सियासी खेती फिर से फलेगी और फूलेगी
झल्ला
ओ मेरे भोले चौधरी आप जी के रालोदाई जमावड़ा, किसानों की समस्यायों से जुड़ने के बजाय, अपनी कोठी+सांसदी+रोटी की समस्याएं ही रोता रहा
आप लोगों ने सियासी चौधराहट की लड़ाई को किसान स्वाभिमान रैली के कांधों पर रखने का स्वांग रचा है जबकि किसान पहले ही कंधे उचका कर आप लोगों को झटक चूका है |इस विशाल रैली में भी कोने कोने से आये नेताओं ने किसानों की समस्यायों से खुद को जोड़ने के बजाय किसानों को अपनी कोठी+सांसदी+रोटी की समस्यायों से ही जोड़ते दिखाई दिए |झल्लेविचारनुसार अगर आप लोगों ने सत्ता सुख की घड़ी में किसानों के हितों के साथ जुड़ाव रखा होता तो आज यह सियासी सूखे के दुःख की घड़ी नहीं देखनी पढ़ती|
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