प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी की धरोहर पर पोर्टेल राष्ट्र को समर्पित किया
प्रधानमंत्री डॉ मनमोहन सिंह ने आज महात्मा गांधी की धरोहरों से संबंधित पांच लाख प्रमाणित पृष्ठों वाला एक पोर्टेल राष्ट्र को समर्पित किया।डॉ मन मोहन सिंह ने अपने संबोधन में कहा कि गांधी विरासत पोर्टल इलेक्ट्रानिक प्लेटफार्म पर पूरी दुनिया में गांधीजी को सुलभ बनाने के उद्देश्य से प्रौद्योगिकी-चालित पहल है। यह महात्मा गांधी के जीवन एवं कार्य और विचारों पर सर्वाधिक प्रमाणिक खुले स्रोत संग्रहालय में से एक बनाने की आकांक्षा के साथ तैयार किया गया है। मुझे विश्वास है कि यह आने वाली पीढ़ियों, खासतौर से दुनियाभर के युवाओं के लिए बहुमूल्य स्रोत होगा। उन्होंने कहा कि यह स्व-प्रमाणित सत्य है कि ज्ञान समावेशी प्रक्रिया होनी चाहिए जहां सीखने के लिए बाधाएं व्यवस्थित रूप से खुल जाती हैं। सिर्फ विचारों के मुक्त प्रवाह के लिए प्रतिबद्ध समाज ही ज्ञान के युग का नेतृत्व करने की उम्मीद कर सकता है। हमारी सरकार ने इस दिशा में अनेक कदम उठाए हैं। राष्ट्रीय पांडुलिपि मिशन, भारतीय डिजिटल पुस्तकालय, टैगोर पर वैरियोरम और गांधी विरासत पोर्टल सभी इस सफर में महत्वपूर्ण मील के पत्थर हैं।
इस पोर्टेल में महात्मा गांधी की आकृति युक्त और गैर-आकृति युक्त धरोहरों को दर्शाया गया है। इस पोर्टेल में महात्मा गांधी के लेखन को तीन भाषाओं [१]अंग्रेजी[२] हिन्दी और [३]गुजराती में वर्गीकृत किया गया है। इसमें अंग्रेजी के 100 खंड+ हिन्दी के 97 + गुजराती के 82 खंड हैं। इन खंडों में महात्मा गांधी के [अ]हिंद स्वराज[आ]दक्षिण अफ्रीका में सत्याग्रह[इ] आत्मकथा अथवा सत्य के साथ मेरे प्रयोगों की कहानी[ई] यर्वदा मंदिर से और अनासक्ति योग के रूप में उनका [उ]गीता का अनुवाद शामिल है।
पोर्टेल समर्पण समारोह में संस्कृति मंत्री श्रीमती चंद्रेश कुमारी कटोच, संचार एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्री कपिल सिब्बल, प्रधानमंत्री के नवाचार सलाहकार डॉ. सैम पित्रौदा, नारायण देसाई, श्री कार्तिकेय साराभाई और संस्कृति सचिव श्री रविन्द्र सिंह भी उपस्थित थे।
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