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Category: Politics

भाजपा ने मध्य प्रदेश के डा. शरद जैन को आर्थिक गतिविधि प्रकोष्ठ का प्रभारी बनाया

भाजपा ने आर्थिक गतिविधि प्रकोष्ठ का प्रभार डॉ.शरद जैन को सौंपा है| भाजपा के राष्ट्रीय कार्यालय प्रभारी पूर्व सांसद ॐ प्रकाश कोहली[खुखरायन]ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी करके बताया है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राज नाथ सिंह ने मध्यप्रदेश केडर के डा. शरद जैन को आर्थिक गतिविधि प्रकोष्ठ का प्रभारी न्युक्त किया है|

“आप” पार्टी ने ११ विधान सभाओं के लिए नई छवि के प्रत्याशियों की लिस्ट जारी करके स्थापित पार्टियों को चुनौती दी

आम आदमी पार्टी [आप]ने दिल्ली की 11 विधानसभाओं के लिए उम्मीदवार घोषित कर दिए हैं. करीब एक महीने से चल रही प्रक्रिया के बाद जारी इस सूची में सेना के पूर्व अधिकारी,+ पत्रकार,+ वकील,+ इंजीनियर,+ खिलाड़ी और सामाजिक कार्यकर्ताओं आदि के नाम शामिल हैं. मनीष सिसोदिया को पटपड़गंज के लिए फायनल किया गया | ९७ उम्मीदवारों में से सलेक्ट किये गए ११ प्रत्याशियों की सूची निम्न हैः
[ 1.] बिजवासन- कर्नल देवेंद्र सहरावत
[2.] ग्रेटर कैलाश- सौरभ भारद्वाज
[३]. कोंडली(सु.)-मनोज कुमार
[4.] मालवीय नगर- सोमनाथ भारती
[५]. मटियाला- गुलाब सिंह यादव
[6.] नजफगढ़- मुकेश कुमार डागर
[७]. पटपड़गंज- मनीष सिसोदिया
[8.] आर.के.पुरम- शाजिया इल्मी
[9.] सदर बाजार- सोमदत्त शर्मा
[१०]. सीमापुरी(सु.)- संतोष कोली
[११]. त्रिलोकपुरी(सु.)- राजू घींगान
उम्मीदवारों की औसत उम्र 37 साल बताई गई है.|पार्टी द्वारा जारी प्रेस रिलीज के अनुसार इन ११ सीटों के लिए कुल 97 आवेदन प्राप्त हुए थे. आवेदकों में से अधिकतर अन्ना के जनलोकपाल आंदोलन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते रहे हैं. आवेदनकर्ताओं के साथ पहले चरण में स्क्रीनिंग कमेटी ने लंबी बातचीत करके हर विधानसभा से कुछ लोगों के नाम शॉर्टलिस्ट किए. शॉर्टलिस्ट में शामिल नामों पर जनता की राय ली गई तथा सक्रिय कार्यकर्ताओं की राय जानने के लिए प्रेफरेंशियल वोटिंग कराई गई. वोटिंग के दौरान कार्यकर्ताओं को राइट टू रिजेक्ट का भी अवसर दिया गया. इसके बाद पार्टी की राजनीतिक मामलों की समिति ने विभिन्न स्रोतों से एकत्र जानकारी और राय के आधार पर उम्मीदवारों के नाम पर अंतिम निर्णय लिया|.
पार्टी का मानना है किपार्टी की पूर्व घोषणा के अनुसार की गई इस चयन प्रक्रिया के माध्यम से वर्तमान भारतीय राजनीति की दो बड़ी परंपराओं को चुनौती दी गई है|. एक तरफ अब लोगों के पास अपराधी, भ्रष्ट और चरित्रहीन लोगों की जगह साफ-सुथरी छवि वाले, देशभक्त और त्याग की राजनीति करने वाले लोगों को विधानसभा में भेजने का विकल्प होगा. दूसरी तरफ करोड़ो रुपए देकर हाईकमान की मर्जी से टिकट बेचने की परंपरा को भी आम आदमी पार्टी ने चुनौती दे दी है.
भारतीय राजनीति में यह पहली बार हो रहा है कि कोई राजनीतिक दल अपने प्रत्याशियों का नाम, जनता से रायशुमारी और कार्यकर्ताओं की पसंदगी जानने के बाद इतनी पारदर्शिता से तय कर रहा है. आम आदमी पार्टी ने बाकायदा घोषणा कर आम लोगों को आवेदन के लिए प्रेरित किया. किसी भी आवेदनकर्ता के खिलाफ अगर मामूली झगड़े तक का आरोप था, तो उसे भी सार्वजनिक किया गया. इससे आम लोगों ने आवेदकों के बारे में ऐसी-ऐसी जानकारियां उपलब्ध कराईं जिनके आधार पर निर्णय लेना आसान हो सका.
घोषित उम्मीदवारों का संक्षिप्त परिचय
1. कर्नल देवेंद्र सहरावत (बिजवासन) ने सेना से रिटायर होने के बाद किसानों की जमीनों के मुआवजे के लिए संघर्ष शुरू किया. पत्र-पत्रिकाओं में नियमित रूप से लेखन करके किसानों की आवाज को आगे ले जाने का प्रयास करते रहे हैं.
2. सौरभ भारद्वाज (ग्रेटर कैलाश) पेशे से इंजीनियर हैं और बड़ी कंपनियों में काम कर रहे थे. 2005 में एक गरीब बच्ची के साथ बलात्कार की घटना हुई और उन्होंने उस बच्ची को इंसाफ दिलाने के लिए अपने स्तर से लड़ाई शुरू की. इस दौरान उन्हें समझ में आया कि ऐसे मामलों में पीड़ितों को इंसाफ दिलाने के लिए कानून की भी पूरी जानकारी होनी चाहिए. इसके बाद सौरभ ने कानून की पढ़ाई की और जरूरत पड़ने पर गरीबों को हरसंभव कानूनी सहायता देते हैं. नेत्रहीनों, गरीब विद्यार्थियों, बाढ़ पीड़ितों, वृद्धों आदि की मदद के लिए आवाज उठाते रहे हैं.
3. मनोज कुमार (कोंडली) मनोज कुमार की छवि इलाके के लोगों के सुख-दुख में काम आने वाले सामाजिक कार्यकर्ता की है. क्षेत्र की समस्याओं को लेकर लगातार संघर्ष करते रहे हैं. अंतरराष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग संगठन से जुड़े रहे हैं. जनलोकपाल आंदोलन और उसके बाद के सभी आंदोलनों-प्रदर्शनों में इन्होंने भूमिका निभाई है.
4. सोमनाथ भारती (मालवीय नगर) ने आईआईटी से एमएससी करने के बाद कानून की पढ़ाई की और वकालत करने लगे. सामाजिक मुद्दों को वकालत के जरिए उठाते हैं. दिल्ली गैंगरेप के बाद हुए जनआंदोलन में दिल्ली पुलिस ने निर्दोष युवकों को फंसाने की कोशिश की. सोमनाथ भारती ने उन युवकों के लिए कानूनी लड़ाई लड़ी और उनके प्रयासों से निर्दोष युवकों को इंसाफ मिल सका. जनलोकपाल आंदोलन में सक्रिय रहे हैं और IIT alumni के अध्यक्ष एवं सचिव रहे हैं.
5. गुलाब सिंह यादव (मटियाला) स्कूल के समय से ही खेलों में सक्रिय रहे हैं और दिल्ली प्रदेश की जूनियर हॉकी टीम के सदस्य रहे हैं. इनकी टीम 1992 की नेहरू कप हॉकी टूर्नामेंट की विजेता भी रही है. आज भी यह अपनी मिठाई की दुकान चलाते हैं और शेष समय मटियाला-नजफगढ़ क्षेत्र में युवाओं के बीच खेल प्रतियोगिताएं आयोजित कराते हैं. अन्नाजी के जनलोकपाल आंदोलन में शुरुआत से सक्रिय रहे हैं.
6. मुकेश कुमार डागर (नजफगढ़) पेशे से सॉफ्टवेयर इंजीनियर हैं. बतौर RTI एक्टिविस्ट क्षेत्र में शिक्षा व्यवस्था की खस्ताहाल स्थिति को दुरुस्त करने के लिए अपने स्तर पर भरपूर प्रयास कर रहे हैं. आरटीआई के जरिए सूचनाएं हासिल करके उन्होंने स्कूल के कर्मचारियों का कच्चा चिठ्ठा खोला. आखिरकार मलिकपुर विद्यालय से एक प्रिंसिपल, एक वाईस-प्रिंसिपल तथा भ्रष्ट अध्यापक का तबादला हुआ. आरटीआई आवेदनों के माध्यम से सरकार प्रशासन पर दबाव बनाकर उन्होंने अपने गांव में महिला पंचायत घर तथा पार्क के विकास के लिए करीब चार करोड़ की राशि पास करवाने में कामयाबी पाई.
7. मनीष सिसोदिया (पटपड़गंज) जनलोकपाल आंदोलन के जाने-माने नाम हैं. पेशे से पत्रकार रहे मनीष ने ज़ी न्यूज और ऑल इंडिया रेडियो में लंबे समय तक कार्य किया. उसके बाद सूचना का अधिकार कानून बनाने के लिए चले आंदोलन में सक्रिय रूप से शामिल हो गए. उसके बाद जनलोकपाल आंदोलन की नींव रखने वाली टीम में अहम सहयोगी की भूमिका निभाई. भ्रष्ट मंत्रियों के खिलाफ जांच के लिए एसआईटी बनाने की मांग को लेकर जंतर-मंतर पर 10 दिनों का अनशन किया. भ्रष्टाचार के खिलाफ संघर्ष में उन्हें अन्नाजी के साथ जेल भी भेजा गया था.
8. शाजिया इल्मी (आर.के पुरम) पेशे से पत्रकार हैं. 15 साल पत्रकारिता के दौरान ज़ी न्यूज़, स्टार न्यूज़, टाइम्स ऑफ़ इंडिया में पत्रकारिता कर चुकी हैं. भ्रष्टाचार के खिलाफ छिड़े संघर्ष में शुरू से जुड़ी रहीं. इन्होंने जनलोकपाल आन्दोलन में काफी सक्रिय भूमिका निभाई है. महिलाओं और पर्यावरण के मुद्दों पर इन्होंने सराहनीय कार्य किया है. आम आदमी पार्टी में शुरू से सक्रिय रहीं हैं.
9. सोमदत्त शर्मा (सदर बाजार) छात्रसंघ में सक्रिय रहे और दो बार खालसा कॉलेज में छात्रसंघ का चुनाव जीत चुके हैं. क्रिकेट के खिलाड़ी हैं. बतौर शास्त्रीनगर स्पोर्ट्स क्लब के अध्यक्ष, खेलकूद प्रतियोगिताओं का आयोजन कराते रहे हैं. निःशुल्क मेडिकल चेकअप कैंप और गरीब बच्चों को पढ़ाई में आर्थिक रूप से मदद देते हैं. जनलोकपाल आन्दोलन और आम आदमी पार्टी में निरंतर सक्रिय रहे हैं.
10. संतोष कोली (सीमापुरी) दिल्ली में भ्रष्टाचार के खिलाफ लंबे समय से लड़ाई लड़ती रही हैं. राशन की कालाबाजारी के खिलाफ लड़ाई के दौरान इन पर कई बार जानलेवा हमले भी हुए. गरीबों को मिलने वाले राशन, स्कूलों में गरीब बच्चों के एडमिशन और ऐसे ही अन्य योजनाओं के मामले में सूचना के अधिकार के प्रयोग से इन्होंने क्षेत्र में कई आंदोलन चलाए हैं. आरटीआई आंदोलन और जनलोकपाल आंदोलन में बेहद सक्रिय रही हैं.
11. राजू घींगान (त्रिलोकपुरी) अपने क्षेत्र में युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हैं. बॉडी बिल्डिंग में करियर बनाने के इच्छुक युवाओं को मुफ्त फिटनेस ट्रेनिंग देते रहे हैं. आरडब्ल्यू में सक्रिय हैं और वाल्मिकी समाज की कई संस्थाओं में जिम्मेदारी भरे दायित्व निभाते रहे हैं. इन्होंने सीआईएसएफ में नौकरी करते हुए देश को अपनी सेवाएं दी हैं.

कांग्रेस नेत्री रीता बहुगुणा जोशी ने भाजपा के अमित शाह को उ प्र के लिए एक फुका हुआ कारतूस बताया

कांग्रेस ने भाजपा के अमित शाह को एक फुका हुआ कारतूस बताते हुए शाह को भाजपा के लिए हानि कारक बताया | भाजपा ने बेशक राम बाण के रूप में अमित शाह को उत्तर प्रदेश में डेपुटेशन [प्रतिन्युक्ति]पर भेज कर २०१४ के चुनावो का बिगुल बजा दिया है लेकिन कांग्रेस का कहना है कि अमित शाह भाजपा के लिए ही नुक्सान दायक साबित होंगे|भाजपा चौथे स्थान पर थी और अभी भी इससे ऊपर नही उठ सकेगी| कांग्रेस की उ.प्र. में ६४ वर्षीय अनुभवी नेत्री और इलाहाबाद की पूर्व मेयर और केन्द्रीय वित्त मंत्री[ अब स्वर्गीय हेमवती नंदन बहुगुणा की पुत्री श्रीमती रीता बहुगुणा जोशी आज इलाहाबाद में लाई जा रही स्वर्गीय वी सी शुक्ला की अस्थियों के प्रति श्रधान्जली अर्पित करने जा रही थी | रास्ते में उनसे बातचीत के दौरान जब भाजपा के उत्तर प्रदेश में नए चेहरे अमित शाह के प्रभाव के विषय में पूछा गया तो उन्होंने सटीक और सधे हुए शब्दों में अपनी प्रतिक्रया व्यक्त करते हुए बताया कि उत्तर प्रदेश की मिटटी में भी सियासत है यहाँ का पान वाला भी राजनीती समझता है इसीलिए अमित शाह का कोई प्रभाव नही पडेगा|गुजरात के ठीक विपरीत उ. प्र की जनता सम्प्रादाईक सौहार्द से जीना चाहती है|बहजपा का अयोध्या मंदिर के निर्माण का पर्दा फाश हो चुका है|यह मुद्दा उनकी पार्टी के एजेंडा में तो है लेकिन जब सरकार बनाने की बात आती है तो सरकार के एजेंडा से यह मुद्दा गायब हो जाता है|इसके अलावा अमित शाह का पूरा कैरियर अपराधों से भरा हुआ है और अभी भी ये जमानत पर आये हुए हैं|उ प्र की जनता अपराधियों को कभी स्वीकार नहीकरेगी|इसीलिए अमित शाह के आने से भाजपा को ही नुक्सान होगा|
उ प्र में बिजली के लिए चलाये जा रहे आन्दोलनों के प्रति श्रीमती रीता ने बताया कि बिजल के मुद्दे पर प्रदेश भर में आन्दोलन चलाया जा रहा है गवर्नर महोदय को एक ज्ञापन भी दिया है|इस ज्ञापन के उत्तर कि प्रतीक्षा है उसके पश्चात आगे की कार्यवाही की जायेगी|
[फाइल फोटो]

फ़ूड सिक्यूरिटी बिल के लिए भाजपा ने संसद के मानसून सत्र को जल्द बुला कर व्यापक बहस की मांग को दोहराया

भाजपा ने आज खाद्य सुरक्षा यौजना पर अपना रुख साफ़ करते हुए इस महत्वपूर्ण बिल पर बहस के लिए संसद के मानसून सत्र को शीघ्र बुलाये जाने की मांग की है| पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रीमति निर्मला सीतारमण ने प्रेस स्टेटमेंट जारी की है जिसमे फ़ूड सिक्यूरिटी बिल पर बहस और अन्य राजनितिक दलों की राय जानने को आवश्यक बताया गया है|. भाजपा ने समान्य ऑर्डिनेंस की भांति इसे भी पास किये जाने पर आपत्ति दर्ज़ कराई है| इसी बीच वित्त मंत्री ने फ़ूड सिक्यूरिटी बिल को स्तगित किये जाने की सूचना दी है और संसद में बहस के लिए हामी भर दी है| यही लोक तंत्र का तकाजा भी है|

मुलायम सिंह यादव ने भी बिना बहस कराये खाद्य सुरक्षा अध्यादेश लाये जाने के विरोध में ताल ठोंकी : सरकार से समर्थन वापिसी की धमकी

केंद्र सरकार की महत्वकांक्षी खाद्य सुरक्षा अध्यादेश के विरोध में अब सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव ने भी ताल ठोंक दी है|एन सी पी के अध्यक्ष और कृषि मंत्री शरद पवार के बाद अब मुलायम सिंह का विरोध सरकर के लिए जोखिम पैदा कर सकता है|
मुलायम सिंह ने एलानिया कह दिया है कि सरकार इस महत्वपूर्ण मुद्दे पर बेक डोर से अध्यादेश लाने का प्रयास नहीं करें वरना सपा किसी भी सीमा तक जा सकती है| गौरतलब है कि सपा ने सरकार को बाहर से समर्थन दिया हुआ है| और सपा के विड्रावल से सरकर खतरे में आ सकती है |उत्तर प्रदेश के मंत्री और सपा के प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने अपनी पार्टी का रुख साफ़ करते हुए बताया कि यह महत्वपूर्ण मुद्दा है और १०० करोड़ लोगों से जुडा हुआ है| इसीलिए इसे हडबडी में लाने के बजाये इस पर व्यापक बहस होनी चाहिए मानसून सत्र में इसके व्यवहारिक पक्ष को सामने लाना चाहिए| सपा पार्टी का मानना है कि चुनावों में राजनीतिक लाभ पाने के लिए ही हडबडी में बिल को लाया जा रहा है जिसका भरपूर विरोध किया जाएगा|
इससे पूर्व सी पी आई+एन सी पी +भाजपा+जे डी यू बहस की मांग करती आ रही हैं लेकिन केंद्र सरकार खाद्य सुरक्षा यौजना को गेम चेंजर के रूप में देख रही है और बकौल संसदीय कार्य मंत्री कमल नाथ सरकार भी किसी हद तक जा सकती है|

अप्रवासन नीति पर सहमती हासिल करने के लिए बराक ओबामा दबाब काम आ रहा है: सीनेट बहस के लिए सहमत

अमेरिका में अप्रवासन नीति पर राष्ट्रपति बराक ओबामा की मेहनत रंग लाने लगी है सीनेट ने इस पर बहस के लिए सहमती प्रदान कर दी है यदि ओबामा की रणनीति से दबाब लगातार बनता रहा तो ११ मिलियन अवैद्ध आप्रवासियों के फायदे वाले इस प्रस्ताव से रिपब्लिकन्स को ४ जुलाई तक बचने का कोई रास्ता नही बचेगा|ओबामा का कहना है कि यदि अब इस बिल को मंजूरी नही दी गई तो समझा जाएगा कि विरोधी देश के टूटे[BROKEN ] अप्रवासन कानून के साथ ही जीना चाहते हैं|
राष्ट्रपति ने आज एक कदम आगे जा कर कहा कि अमेरिका स्वयम में अप्रवासियों का राष्ट्र है| अन्य विभागों या संस्थानों के समान व्हाईट हाउस में भी विश्व भर से आया ऐसा ही स्टाफ है | प्रत्येक स्टाफर की प्रग्रती की कहानी है जो प्रेरणा दायक है| अब इनके द्वारा अपने अप्रवासन काल में की गई प्रग्रती कहानी प्रकाशित कराई जा रही है | इटली+भारत+पाकिस्तान+पोलैंड +अर्जेंटीना+मेक्सिको आदि के मूल निवासी अमेरिका में मात्र १०-२० डालर्स लेकर अमेरिका में आये और यहाँ उन्होंने राष्ट्र की प्रग्रती में महत्वपूर्ण योगदान दिया और अपनी पीढ़ियों के लिए सुनहरा भविष्य बनाया|आज ये सभी सच्चे अमेरिकी हैं| यही कारण है कि टूटी अप्रवासन नीति को फिर से आर्किटेक्ट किया जाना जरुरी है|
अप्रवासन कानून में खामियों के मध्य नजर गैर कानूनीअप्रवासियों की मौजूदगी से देश की अर्थ व्यवस्था के साथ सुरक्षा व्यवस्था पर भी प्रश्न चिन्ह बताया जा रहा हैं| इस सबसे बचाव के लिए सामान्य ज्ञान वाला व्यवहारिक कानून बनाना मौजूदा समय की उचित मांग है| इसी परिपेक्ष्य में ओबामा ने देश के नेताओं और लेबर ग्रुपों को एड्रेस करते हुए ४ जुलाई तक व्यवहारिक अप्रवासन कानून बनाने के लिए आगे आने का अहवाह्न किया है|
बेशक रिपब्लिकन्स ने फिलहाल इस पर बहस के लिए हामी भर दी है लेकिन इसे कानून का दर्जा देने की राह इतनी आसान नही है| अनेको रिप्लिकंस इसे लॉन्ग टर्म के लिए क्रिटिकल मान रहे हैं और इसमें अनेकों संशोधन की मांग कर रहे हैं|

नरेन्द्र मोदी की ताजपोशी में सपा और रालोद उ. प्र. में अपने फायदे देखने लग गए हैं

भाजपा ने २०१४ में लोक सभा के चुनावों की वैतरणी पर करने के लिए नरेन्द्र मोदी को खिवैय्या बना दिया है | मोदी के हाथों से यह पतवार खींचने की कौशिश में बेशक वरिष्ठ नेता लाल कृषण अडवाणी असफल हो चुके हैं मगर उत्तर प्रदेश में समाज वादी पार्टी और रालोद इसमें अपना अपना फायदा देखने लगे हैं|
नरेन्द्र मोदी के विश्वस्त अमित शाह को उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी गई है |अमित शाह ने प्रदेश में अपनी कार्यवाही भी शुरू कर दी है |यहाँ की भाजपा इकाई के उत्साह में कुछ वृद्धि भी दिखने लगी है लेकिन इसके ठीक उलट सपा और रालोद अपना फायदा बता रहे हैं|
सपा के प्रवक्ता और मंत्री राजेंदर चौधरी का कहना है कि मोदी की ताजपोशी भाजपा का अपना अंदरूनी मामला है|इसके असर के विषय में उनका कहना है कि मोदी के आने से भाजपा को उक्सान ही होगा इससे सपा पार्टी पर कोई असर नहीं पड़ने वाला | पार्टी अपना काम कर रही है और यह दिखने भी लगा है|पार्टी अपने काम के बल पर लोक सभा के चुनाव जीतेगी|
केंद्र में यूं पी ऐ के सहयोगी रालोद के प्रदेश अध्यक्ष मुन्ना सिंह चौहान का कहना है कि २००९ में भी मोदी ने उत्तर प्रदेश में प्रचार किया था मगर भाजपा और सिकुड़ गई थी इसका लाभ यूं पी ऐ को मिला था|मोदी के प्रदेश में आने से यूं पी ऐ फिर मजबूत होगा और पहले से अधिक ही सीटें जीतेंगे|
गौरतलब है कि प्रदेश में वोटों का ध्रुवीकरण होता आया है|सपा और रालोद का मुख्य वोट बैंक मुस्लिम वोट रहे हैं |भाजपा के लिए अयोध्या आन्दोलन लाभकारी रहा है|

गुरुद्वारा रकाब गंज साहब परिसर में १९८४ सिख कत्लेआम यादगार की नीव का पत्थर लगा ही दिया

तमाम रुकावटों को धत्ता बताते हुए आज सुबह पांच सिंह साहबान की सरपरस्ती में एतिहासिक गुरुद्वारा रकाब गंज साहब परिसर में १९८४ सिख कत्लेआम यादगार की नीव का पत्थर लगा दिया गया| राजनीतिक+सामाजिक+ धार्मिक नेताओं ने बड़ी संख्या में सिख इतिहास के इस नए अध्याय की रचना के गवाह बनने का गौरव प्राप्त किया| दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के सौजन्य से आज एतिहासिक गुरुद्वारा रकाब गंज साहब परिसर में १९८४ में हुए जनसंहार के शहीदों की याद में स्मारक की नीव का पत्थर रखा गया |सिख कत्ले आम यादगार का नीव पत्थर ज्ञानी त्रिलोचन सिंह [जत्थे दार तख्त केशगड़साहब]द्वारा अरदास के उपरांत रखा गया|पत्थर का अनावरण ज्ञानी गुरबचन सिंह[जत्थे दार अकाल तख्त साहब]ने किया |इस अवसर पर प्रमुख धार्मिक विद्वान् ज्ञानी बलवंत सिंह [जत्थेदार तख्त श्री दमदमा साहब]+ज्ञानी मल सिंह[ मुख्य ग्रंथी श्री दरबार साहब]ज्ञानी गुरमुख सिंह[श्री अकाल तख्त साहब]बाबा बचन सिंह[कारसेवा वाले]बाबा लखा सिंह [नानक सर वाले]महंत अमृतपाल सिंह[गुरुद्वार टिकाना साहब]+ आदि उपस्थित थे |इस अवसर पर एस ऐ डी [अकाली दल]के अध्यक्ष और पंजाब के उप मुख्य मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने कांग्रेस सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि केंद्र और दिल्ली राज्य की सरकारों ने लगातार सिखों को न्याय देने से इंकार किया है|इसीलिए दोषी सज्जन कुमार +जगदीश टायटलर को खुला छोड़ा हुआ है|जब न्याय नही मिला तो पंथ के पास केवल इस मेमोरियल के निर्माण का ही विकल्प बचा है|उन्होंने बताया कि १९८४ के जनसंहार में ४००० निर्दोष सिखों का कत्ल हुआ था| ४००० लोगों की आत्माओं को शांति प्रदान करने और काले अध्याय को जिन्दा रखने के लिए जब इस मेमोरियल को बनाने का निर्णय लिया गया तब दिल्ली सरकर इसगैर कानूनी बता रही है|गुरुद्वारा अध्यक्ष मंजीत सिंह ने कहा कि कौमे वोही जिन्दा रहती हैं जो अपने इतिहास को याद रखती हैं इसीलिए यह मेमोरियल हमें हमारे विरुद्ध अन्याय का याद दिला कर हमें ज़िंदा रखेगा|महा सचिव मनजिंदर सिंह सिरसा ने सपोर्ट के लिए सबको धन्यवाद दिया|

 गुरुद्वारा रकाब गंज साहब परिसर में १९८४ सिख कत्लेआम यादगार की नीव का पत्थर लगा ही दिया

गुरुद्वारा रकाब गंज साहब परिसर में १९८४ सिख कत्लेआम यादगार की नीव का पत्थर लगा ही दिया


इनके अलावा पंजाब के उप मुख्य मंत्री सुखबीर सिंह बादल+अवतार सिंह+ सांसद सुख देव सिंह ढींडसा + हर सिमरन कौर बादल +मंजीत सिंह[दिल्ली कमेटी अध्यक्ष]+मनजिंदर सिंह सिरसा[महासचिव]रविंदर सिंह खुराना+तन्वन्त सिंह+हरमीत सिंह कालका+भाजपा के अध्यक्ष राज नाथ सिंह+ श्री मति सुषमा स्वराज+ सांसद नरेश गुजराल+विजय गोयल+अवतार सिंह हित+ओंकार सिंह थापर+कुलदीप सिंह भोगल+भूपिंदर सिंह आनंद+गुरमिंदर सिंह+जतिंदर सिंह शंठी +जसबीर सिंह जस्सी+कप्तान इन्द्रप्रीत सिंह+अमरजीत सिंह पप्पू+समर दीप सिंह+चमन सिंह+गुरलाड सिंह+ एम् पी एस चड्डा+परम जित सिंह चंडोक+मोंटी+ बलवंत सिंह रामूवालिया+त्रिलोचन सिंह आदि ने भी इस एतिहासिक घटना में हाजरी भरी|
इस अवसर पर गुरुद्वारा परिसर में भाई लखी शाह वंजारा हाल में गुरु अर्जुन देव के शहीदी दिवस पर कीर्तन समागम भी हुआ|इसमें कीर्तनी +ढाडी जत्थों +कवियों ने गुरुवाणी के अमृत की वर्षा करके सबको निहाल किया| अवतार सिंह प्रधान ने कहा कि कौमे वोही ज़िंदा रहती हैं जो अपने इतिहास को याद रखती है|नवम्बर १९८४ में सिखों ने तो अन्याय का संताप झेला है उसकी यादगार का पत्थर रखने पर दिल्ली कमेटी बधाई का पात्र है| ज्ञानी गुर बचन सिंह ने कहा कि १९८४ में जो सिखों कि बर्बादी हुई है उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता|सुख देव सिंह ढींढसा ने सिख कौम के योगदान का वर्णन करते हुए बताया कि सिख कौम कि आबादी केवल २% है लेकिन अन्न भण्डार में ७०% का यौग दान है |सभी युद्धों में आगे बढ कर लहू बहाया है|इसके बाव्जोद पवित्र धार्मिक स्थलों को १९८४ में ढहाया गया है|

एल के अडवाणी को क्या राजनीतिक सन्यास देने की तैय्यारी कर ली गई थी

गोवा में नरेन्द्र मोदी को चुनावी समिति का अध्यक्ष बनाये जाने के साथ ही भाजपा के पी एम् इन वेटिंग वरिष्ठ पत्रकार लाल कृषण अडवाणी को राजनीतिक सन्यास देने की तैय्यारी कर ली गई थी और इसकी भनक अडवाणी को लग गई तभी उन्होंने स्वयम ही इस्तीफा दे कर आर एस एस का सारा गेम ही उलटा कर दिया| | अपने ब्लॉग के टेलपीस (पश्च्यलेख) में उन्होंने इसका इशारा भी किया है|

प्रस्तुत है ब्लाग का सीधे टेलपीस (पश्च्यलेख):

फिल्म कलाकार कमल हासन ने जिस पुस्तक [ ग्रे वॉल्फ: दि एस्केप ऑफ एडोल्फ हिटलर ]का वायदा किया था, वह उन्होंने मुझे भेजी। 350 पृष्ठों वाली यह पुस्तक काफी शोधपरक है। दोनों लेखकों[ साइमन डूंस्टान+शोधपरक पत्रकार गेर्राड विलियम्स ]ने मिलकर सत्रह बार अर्जेन्टीना का दौरा किया, जहां माना जाता है कि 1962 तक वह वहां रहा। इस पुस्तक का पिछला आवरण इस रुप में सार प्रस्तुत करता है:
शोधपरक पत्रकार गेर्राड विलियम्स तथा सैन्य इतिहासकार साइमन डूंस्टान ने वर्षों के अपने शोध पर यह निष्कर्ष निकाला कि बर्लिन से एडॉल्फ हिटलर का पलायन-ऑपरेशन फ्यूरलैण्ड-को नाजियों ने 1943 से ही अत्यन्त गोपनीयता से तैयार किया था। इस सम्बन्ध में काफी प्रत्यक्षदर्शियों और साक्ष्यों के अनुसार यह आपरेशन सफल रहा और हिटलर दक्षिण अमेरिका को पलायन कर गया जहां वह 1962 में अपनी वास्तविक मृत्यु तक रहा।

एल के अडवाणी की लिखी +अभिनीत+ निर्देशित और निर्मित राजनीतिक फिल्म “३६ घंटे” हिट हो गई

कभी एक हिंदी फिल्म आई थी ३६ घंटे जिसमे सुनील दत्त और राजकुमार [अब दोनों स्वर्गीय] थे फिल्म पूरी तरह से सस्पेंस +एक्शन=ड्रामा से भरपूर थी |बिना गानों के इस फिल्म की रफ़्तार भी इतनी तेज थी कि दर्शकों को बांधे रखती थी लेकिन एल के अडवाणी द्वारा लिखी गई+अभिनीत+और निर्देशित इस राजनीतिक ३६ घंटे के तेजी से बदलते गए घटना क्रम ने कांग्रेस और उनके समर्थक चैनलों ने समा बांधे रखा |जाहिर है ऐसे में कहा जा सकता है कि अडवाणी की यह फिल्म हिट गई है|भाजपा के पी एम् इन वेटिंग वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने ३६ घंटे पश्चात अपना इस्तीफा वापिस ले लिया इससे पार्टी में आया तात्कालिक भूचाल’ मंगलवार की शाम को थम गया। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि संघ प्रमुख मोहन भागवत की सलाह और उनके आश्वासन पर आडवाणी राजी हो गए हैं। इससे पूर्व संसदीय बोर्ड द्वारा अडवाणी के इस्तीफे को तत्काल नामंजूर किया जा चुका है|
आडवाणी ने पार्टी का हर फैसला मानते हुए इस्तीफा वापस ले लिया है। हालांकि आडवाणी को मनाने के लिए किए जा रहे प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका पूर्व भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी व संघ के विचारक एस गुरुमूर्ति की रही। इन दोनों ने ही आडवाणी व भागवत के बीच चर्चा से समाधान का रास्ता निकाला। दोपहर मोहन भागवत ने आडवाणी से लंबी बात भी की।
उन्होंने आडवाणी को आश्वस्त किया कि भविष्य में न तो उनको दरकिनार किया जाएगा। न ही उनकी आपत्तियों को नजरंदाज किया जाएगा। राजनाथ सिंह ने यह आश्वासन दिया है कि ‘आगे से पार्टी के कामकाज व किसी भी फैसले को लेकर आडवाणी को कोई आपत्ति होगी, तो अध्यक्ष होने के नाते वह स्वयं उसका समाधान करेंगे। यह भी तय किया गया है कि भविष्य में फैसले आडवाणी की सहमति व उनकी मौजूदगी में ही लिए जाएंगे।’