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Category: Religion

नौनिहालों ने आज होली की मस्तियाँ लूटी

नौनिहालों ने आज होली की मस्तियाँ लूटी

नौनिहालों ने आज होली की मस्तियाँ लूटी

[मेरठ]न्यू बचपन किड्स वर्ल्ड प्ले स्कूल आज नन्हे मुन्नों ने रंगों से पहचान करके हर्षोल्लास से होली की मस्तियाँ लूटी|निदेशक डिम्पल जैन ने बच्चों को उपहार भी दिए|प्रधानाचार्या रीमा गोयल त्यौहार के महत्त्व पर प्रकाश डालते हुए भाई चारे +सौहार्द अपनाने की प्रेरणा दी |बच्चों को केमिकल वाले रंगों से दूर रहने की सलाह दी गई|खुशबू+आँचल+ गगन दीप+ स्वाति+अम्मारा+अंजू+ आदि ने सहयोग दिया|

सूर्य देव आज धरा पर अपनी किरणे बराबर फैलायेंगे

सूर्य देव आज धरा पर अपनी किरणे बराबर फैलायेंगे

सूर्य देव आज धरा पर अपनी किरणे बराबर फैलायेंगे

,सूर्य देव आज धरा पर अपनी किरणे बराबर फैलायेंगे
आज सूरज प्रथ्वी पर अपना प्रकाश बराबर फैलाएगा और दिन और रात भी बराबर होंगे इसलिए दुनिया भर के बालक प्रथ्वी की परिधि नापने जैसे प्रयोग कर जहा अपना आत्मविश्वाश भी बढ़ाएंगे
प्रस्तुति जिला विज्ञानं क्लब सचिव दीपक शर्मा

प्रभु का नाम नहीं जपा तो जीवन किसी काम का नहीं

 प्रभु का नाम नहीं जपा तो जीवन किसी काम का नहीं

प्रभु का नाम नहीं जपा तो जीवन किसी काम का नहीं

परम पूज्य स्वामी सत्यानन्द महाराज जी द्वारा रचित भक्ति प्रकाश ग्रन्थ का एक अंश.

मन तो तुम मैं रम रहा, केवल तन है दूर.
यदि मन होता दूर तो मैं बन जाता धूर.
भावार्थ: एक जिज्ञासु परम पिता परमात्मा को शुक्रिया अदा करते हुए कहता है कि हे प्रभु!! मुझ पर तुम्हारी कितनी अधिक कृपा है कि मेरा मन आपके सुमिरन में लगा हुआ है. मैं केवल तन से ही आपके पावन चरणों सेदूर हूँ परन्तु मेरा मन आपके चरणों की स्तुति में लगा हुआ है. यदि मेरा मन भी आपसे दूर होता तो में कुछ भी नहीं होता, मेरी स्थिति धूल के समान होती.

प्रभु ने यह मानव काया हमें उसका नाम लेने के लिए दी है अर्थात इस मानव जन्म का उद्देश्य नाम के जाप द्वारा प्रभु की
प्राप्ति करना है. यदि हमने सारा जीवन सांसारिक विषयों तथा माया में ही व्यर्थ कर दिया और प्रभु का नाम नहीं जपा तो
हमारा जीवन किसी काम का नहीं तथा हमारी काया की स्थिति धूल से ज्यादा नहीं है.

श्री रामशरणम् आश्रम ,
गुरुकुल डोरली , मेरठ,
प्रस्तुती राकेश खुराना

लाल कृषण अडवाणी ने खुशवंत सिंह को एक अद्भुत लेखक और उनकी पुस्तक को विचारप्रेरक पुस्तक बताया

एन डी ऐ के पी एम् इन वेटिंग ८५ वर्षीय [८ नवम्बर १९२७] लाल कृषण अडवाणी ने अपने ब्लॉग में 98 नाट आउट खुशवंत सिंह को एक अद्भुत लेखक: और उनकी नवीनतम पुस्तक ‘खुशवंतनामा : दि लेसन्स ऑफ माई लाइफ‘ को विचारप्रेरक पुस्तक बताया है| प्रस्तुत है अडवाणी के ब्लाग से साभार उनके विचार उनके ही शब्दों में :
पिछले महीने मुझे ‘खुशवंतनामा : दि लेसन्स ऑफ माई लाइफ‘ की एक प्रति प्राप्त हुई। 188 पृष्ठों की इस पुस्तक को मैं लगभग एक बार में ही पढ़ गया। पुस्तक पढ़ने के पश्चात् मुझे पहला काम यह लगा कि मैंने अपने कार्यालय से खुशवंत सिंह से सम्पर्क करने को कहा ताकि पेंगइन[Penguin] विंकिंग द्वारा प्रकाशित इस शानदार पुस्तक के लिए मैं उनको बधाई दे सकूं।
खुशवंत सिंह के घर पर फोन उठाने वाले व्यक्ति ने मेरे कार्यालय को सूचित किया कि वे फोन पर नहीं आ सकेंगे। एक संदेश यह दिया गया कि यदि आडवाणी खुशवंत सिंह ही को मिलना चाहते हैं तो शाम को आ सकते हैं। मैंने तुरंत उत्तर दिया कि आज शाम को मेरा अन्यत्र कार्यक्रम है लेकिन अगले दिन में निश्चित ही उनसे मिलने आऊंगा।

 लाल कृषण अडवाणी ने खुशवंत सिंह को एक अद्भुत लेखक और उनकी पुस्तक को विचारप्रेरक पुस्तक बताया

लाल कृषण अडवाणी ने खुशवंत सिंह को एक अद्भुत लेखक और उनकी पुस्तक को विचारप्रेरक पुस्तक बताया


खुशवंत सिंह का जन्म 2 फरवरी, 1915 को हुआ। इसलिए जब फरवरी, 2013 में यह पुस्तक प्राप्त हुई तो मैं जानता था कि उन्होंने अपने जीवन के 98 वर्ष पूरे कर 99वें में प्रवेश किया है!
मैंने किसी और अन्य लेखक को नहीं पढ़ा जो सुबोधगम्यता के साथ-साथ इतना सुन्दर लिख सकता है, और वह भी इस उम्र में। इसलिए इस ब्लॉग के शीर्षक में मैंने न केवल पुस्तक अपितु लेखक की भी प्रशंसा की है।
पुस्तक की शुरुआत में शेक्सपियर की पंक्तियों को उदृत किया गया है:

दिस एवव ऑल, टू थाइन ऑन सेल्फ बी टू्र
एण्ड इट मस्ट फॉलो, एज दि नाइट दि डे,
थाऊ कांस्ट नॉट दैन बी फाल्स टू एनी मैन।
हेमलेट एक्ट-1, सीन III

(भावार्थ: जो व्यक्ति अपने बारे में ईमानदार होगा वही दूसरों के बारे में झूठा नहीं हो सकता।)
मैं यह अवश्य कहना चाहूंगा कि यह पुस्तक मन को हरने वाले प्रमाण का तथ्य है कि खुशवंत सिंह ने अपने बारे में लिखते समय भी उन्होंने असाधारण साफदिली के साथ लिखा है। उनके परिचय के पहले दो पैराग्राफ उदाहरण के लिए यहां प्रस्तुत हैं:
”परम्परागत हिन्दू मान्यता के अनुसार अब मैं जीवन के चौथे और अंतिम चरण संन्यास में हूं। मैं कहीं एकांत में ध्यान लगा रहा होऊंगा, मैंने इस दुनिया की सभी चीजों से लगाव और अनुराग छोड़ दिया होगा। गुरु नानक के अनुसार, नब्बे की आयु में पहुंचने वाला व्यक्ति कमजोरी महसूस करने लगता है, इस कमजोरी के कारणों को नहीं समझ पाता और निढाल सा पड़ा रहता है। अपने जीवन के इस मोड़ पर मैं अभी इनमें से किसी भी अवस्था में नहीं पहुंचा हूं।
अठानवें वर्ष में, मैं अपने को सौभाग्यशाली मानता हूं कि हर शाम को सात बजे मैं अभी भी माल्ट व्हिस्की के एक पैग का आनन्द लेता हूं। मैं स्वादिष्ट खाना चखता हूं, और ताजा गपशप तथा घोटालों के बारे में सुनने को उत्सुक रहता हूं। मुझसे मिलने आने वाले लोगों को मैं कहता हूं कि यदि किसी के बारे में आपके पास अच्छा कहने के लिए नहीं है, तो आओ और मेरे पास बैठो। मेरे आस-पास की दुनिया के बारे में जानने की उत्सुकता मैंने बनाए रखी है; मैं सुंदर महिलाओं के साथ का आनन्द लेता हूं; मैं कविताओं और साहित्य तथा प्रकृति को निहारने का आनंद उठाता हूं।”
प्रस्तावना के अलावा पुस्तक में सोलह अध्याय हैं। एक पूर्व पत्रकार होने के नाते यह तीन विशेष मुझे ज्यादा पसंद आए:
1- दि बिजनेस ऑफ राइटिंग
2- व्हाट इट टेक्स टू बी ए राइटर
3- जर्नलिज्म दैन एण्ड नाऊ
***‘डीलिंग विथ डेथ‘ शीर्षक वाले अध्याय में लेखक लिखता है :
वास्तव में मृत्यु के बारे में, मैं जैन दर्शन में विश्वास करता हूं कि इसका जश्न मनाना चाहिए। सन् 1943 में जब मैं बीसवें वर्ष में था तभी मैंने अपनी स्वयं की श्रध्दांजलि लिखी थी। बाद में यह लघु कहानियों के मेरे संस्करण में ‘पास्चुमस‘ (मरणोपरांत) शीर्षक से प्रकाशित हुई थी। इसमें मैंने कल्पना की कि दि ट्रिब्यून ने अपने मुखपृष्ठ पर एक छोटे चित्र के साथ मेरी मृत्यु का समाचार प्रकाशित किया है। शीर्षक इस तरह पढ़ा जाएगा: ‘सरदार खुशवंत सिंह डेड; और आगे छोटे अक्षरों में प्रकाशित होगा: गत् शाम 6 बजे सरदार खुशवंत सिंह की अचानक मृत्यु की घोषणा करते हुए खेद है। वह अपने पीछे एक युवा विधवा, दो छोटे बच्चे और बड़ी संख्या में मित्रों और प्रशंसकों…. को छोड़ गए हैं। दिवगंत सरदार के निवास पर आने वालों में मुख्य न्यायाधीश के निजि सचिव, अनेक मंत्री और उच्च न्यायालय के न्यायाधीश थे।‘
पुस्तक के अंत में एक अध्याय ”ट्वेल्व टिप्स टू लिव लॉन्ग एण्ड बी हैप्पी” (लंबे और प्रसन्न जीवन के बारह टिप्स) शीर्षक से इसमें है। मेरी सुपुत्री प्रतिभा ने मुझे कहा: ”इस पुस्तक को पढ़े बगैर ऐसा लगता है कि खुशवंत सिंह द्वारा बताए गए टिप्स में से अधिकांश का आप पालन कर रहे हैं। इस पुस्तक में बताए गए टिप्स में से दो अत्यन्त मूल्यवान यह हैं: अपना संयम बनाए रखें, और झूठ न बोलें! और आप लगभग सहज भाव से दोनों का पालन करते हैं।”
पुस्तक का अंतिम अध्याय स्मृतिलेख (एपटैफ) है जोकि निम्न है:
जब मैं नहीं रहूंगा तब मुझे कैसे स्मरण किया जाएगा? मुझे एक ऐसे व्यक्ति के रुप में स्मरण किया जाएगा जो लोगों को हंसाता था। कुछ वर्ष पूर्व मैंने अपना ‘स्मृति लेख‘ लिखा था:
यहां एक ऐसा शख्श लेटा है जिसने न तो मनुष्य और न ही भगवान को बख्शा,
उसके लिए अपने आंसू व्यर्थ न करो, वह एक समस्या कारक व्यक्ति था,
शरारती लेखन को वह बड़ा आनन्द मानता था,
भगवान का शुक्रिया कि वह मर गया, एक बंदूक का बच्चा।
-खुशवंत सिंह
रविवार 3 मार्च, 2013 को मैं सरदार खुशवंत सिंह से मिलने नई दिल्ली स्थित उनके निवास स्थान सुजान सिंह पार्क (उनके दादा के नाम पर) गया। मैंने उन्हें इस पुस्तक को लिखने पर हार्दिक बधाई दी और उनका अभिनंदन किया। चाय पीते हुए उस स्थान पर एक घंटा आनन्द से गुजारा। मैं उनकी पुत्री माला से भी मिला जो साथ वाले फ्लैट में रहती हैं और उनकी अच्छे ढंग से देखभाल करती हैं।

मनुष्य में विशेषता भगवान की ही देन है

संतजन मनुष्यों को समझाते हुए कहते हैं कि मनुष्य में जो भी विशेषता आती है, वह सब भगवान से ही आती है.
अगर भगवान में विशेषता न होती तो वह मनुष्य में कैसे आती? जो वस्तु अंशी में नहीं है, वह अंश में कैसे आ सकती
है? जो विशेषता बीज में नहीं है वह वृक्ष में कैसे आएगी?

मनुष्य में विशेषता भगवान की ही देन है

मनुष्य में विशेषता भगवान की ही देन है


उन्ही भगवान कवित्व शक्ति कवि में आती है, उन्हीं की वक्तृत्व शक्ति वक्ता मैं आती है! उन्ही की लेखन शक्ति
लेखक में आती है, उन्ही की दातृत्व शक्ति दाता में आती है.
जिनसे मुक्ति, ज्ञान, प्रेम आदि मिले हैं उनकी तरफ दृष्टि ना जाने से ही ऐसा दीखता है कि मुक्ति मेरी है, ज्ञान मेरा
है, प्रेम मेरा है. यह तो देने वाले भगवान् की विशेषता है कि सबकुछ देकर भी वे अपने को प्रकट नहीं करते, जिस से
लेने वाले को वह वस्तु अपनी ही मालूम होती है. मनुष्य से यह बड़ी भूल होती है कि वह मिली हुई वस्तु को तो अपनी
मान लेता है किन्तु जहाँ से वह मिली है उसको अपना नहीं मानता.
संतवाणी
प्रस्तुति राकेश खुराना

नरेन्द्र मोदी ने समस्यायों के साथ उनके रोचक उपाय बता कर राष्ट्रीय न्रेतत्व की क्षमता का सराहनीय प्रदर्शन किया

गुजरात के मुख्य मंत्री नरेन्द्र मोदी ने राजधानी के होटल ताज में चल रहे इंडिया टुडे कॉनक्‍लेव में समस्यायों के साथ उनके हल बता कर अपनी राष्ट्रीय क्षमता का प्रदर्शन किया| अपने भाषण में मोदी चार बार पानी के घूँट भरते हुए हर एक मिनट को बांध कर रखा।उन्होंने इस कॉनक्‍लेव में पूर्व की भांति एक गुजराती या किसी वर्ग विशेष की तरह बात नहीं की बल्कि बतौर भारतीय भाषण दिया। हाँ उन्होंने गुजरात में कराये जा रहे विकास के कार्यों पर देश को चलाये जाने की इच्छा जरुर प्रगट की| उन्‍होंने कहा कि भारत को पड़ोसी देशों से मित्रवत रिश्‍ते बनाने की जरूरत है, लेकिन हमारे हितों को दरकिनार करके नहीं। उन्‍होंने कहा, “मेरा सपना है कि एक दिन भारत खुद हथियार बनाये और दूसरे देशों को सप्‍लाई करे। ऐसा करने से गंदे हथियार दलालों से छुटकारा मिलेगा,और हम आत्‍मनिर्भर भी होंगे, हमारा देश गर्व के साथ खड़ा हो[हथियारों कि यह बात उन्होंने पूर्व जनरल वी पी मालिक के एक प्रश्न के उत्तर में कही] लेकिन इसके साथ ही उन्होंने कहा कि आज फौज या आर्थिक शक्ति के बजाये ज्ञान के आधार पर विश्व में शिखर पर पहुंचा जा सकता है|और ज्ञान के मामले में भारत हमेशा आगे रहा है|इस अवसर पर दंगों और पी एम् के प्रश्नों पर बचते भी दिखाई दिए

नरेन्द्र मोदी ने समस्यायों के साथ उनके रोचक उपाय बता कर राष्ट्रीय न्रेतत्व की क्षमता का सराहनीय प्रदर्शन किया

नरेन्द्र मोदी ने समस्यायों के साथ उनके रोचक उपाय बता कर राष्ट्रीय न्रेतत्व की क्षमता का सराहनीय प्रदर्शन किया

उन्‍होंने गुड गवर्नेन्‍स से लेकर यूपीए सरकार की खामियों तक हर बात पर प्रकाश डाला और भारत के संघीय ढांचे को बनाये रखने पर जोर दिया। इस भाषण में आम आदमी को बहुत करीब से देखने वाले एक दूरदर्शी राजनीतिज्ञ की झलक मिली |जनता से संवाद कायम करने की अटल बिहारी वाजपई की झलक आज उनके [संभवत] उत्तराधिकारी मोदी में मिली |उन्होंने ना केवल विकास का मार्ग बताया वरन अपने भाषण में रोचकता बनाए रखने के लिए हलके फुल्के व्यंगात्मक तीर भी छोड़े| उन्‍होंने हर उस मुद्दे को उठया, जो आम जनता से जुड़े हैं| उन्‍होंने नरेगा की जगह डेवलपमेंट गारंटी स्‍कीम को जरुरी बताते हुए कहा कि इससे लोगों को खुद ब खुद रोजगार मिलता।
उन्‍होंने कहा कि देश का समुचित विकास तब तक नहीं हो सकता, जब तक हम लोगों को यह अहसास नहीं दिलायेंगे कि वो जो कर रहे हैं वो राष्‍ट्र के लिये कर रहे हैं।उन्होंने वोट बैंक की राजनीती से ऊपर उठ कर तकनीक+निज़ीकरण और यहाँ तक हथियारों के एक्सपोर्ट को जरुरी बताया| रेलवे की पटरियों पर निजी ट्रेन चलवाने के एक अनूठे मार्ग को उजागर किया| जब राहुल ने मोदी से पूछा कि क्‍या उनकी मां ने सोचा है कि आप प्रधानमंत्री बनें, मोदी ने जवाब दिया यहां चर्चा विकास की चल रही है, माता और पिता ऐसे में कोई मायने नहीं रखते| कोई भावुक्‍तापूर्ण कथा काम नहीं आती, कोई मां रोती नहीं, सिर्फ काम बोलता है। हर मुद्दे पर मोदी ने तथ्‍यों के साथ जवाब दिये। चाहे बात सॉलिड वेस्‍ट मैनेजमेंट की हो, या सोलर पावर प्रोजेक्‍ट की। मोदी ने आंकड़ों के साथ जवाब दिये। मोदी तैयारी के साथ नहीं आते, बल्कि वो हमेशा तैयार रहते हैं|उन्होंने अपने विपक्षपर कटाक्ष करने की परिपाटी का भी पालन किया |उन्होंने कहा कि प्रधान मंत्री ने मोदी के विकास के सुझाव स्वीकारे मगर उनपर अमल नहीं करवा पाए

राम चार प्रकार के हैं

संत कबीर दास के कथनानुसार राम चार प्रकार के हैं , उन्होंने फ़रमाया है :-
एक राम दशरथ का बेटा , एक राम घट-घट में बैठा |
एक राम का सकल पसारा , एक राम सबहूँ ते न्यारा ||
अर्थात: [१]एक राम तो राजा दशरथ के पुत्र थे जिन्होंने यहाँ राज किया . वो एक आदर्श पुत्र , आदर्श पति , आदर्श भाई तथा आदर्श राजा थे . जब भी हम अपने मुल्क की बेहतरी की दुआ करते हैं तो यही कहते हैं कि यहाँ राम राज्य हो जाए.
[२]दूसरा वो राम है, जो हमारे घट – घट में बैठा है और वो हमारा मन . उसका`काम है कि वो हमें परमार्थ के रास्ते में तरक्की न करने दे , यद्यपि हमारा मन भी ब्रह्म का अंश है , ब्रह्म का स्रोत है परन्तु वह अपने स्रोत को भूल चूका है और संत हमें समझाते हैं कि ” मन बैरी को मीत कर ”
[३]तीसरा वो राम है जिसका ये सारा पसारा है इसमें माया भी है , काम – क्रोध – लोभ – मोह – अहंकार भी है बाकि भी हर तरह की कशिश है , हमें इनसे बचने का प्रयास करना है .
[४]चौथा राम सबसे न्यारा है, सबसे ऊंचा है ,सबसे बड़ी ताकत है , वही इस सृष्टि का कर्ता-धर्ता है ,
हमारे जीवन का लक्ष्य तभी पूरा होता है जब हम , जितनी भी अवस्थाएँ हैं , उन सबसे गुजरकर प्रभु को पा लें. संत जब भी बात करते हैं , वो उसी राम का जिक्र करते हैं
संत कबीर दास की वाणी
प्रस्तुति राकेश खुराना

प्रबंध छात्रों को नशा मुक्ति हेतु जागृत किया गया

इंस्टीटयूट आफ इन्फोर्मेटिक्स &मैनेजमेंट साईन्सेज में आयोजित स्काउटिंग कैम्प में प्रबंध छात्रों को नशा मुक्ति हेतु जागृत किया गया|गढ़ रोड स्थित इस संस्थान में दिव्य ज्योति संस्थान द्वारा एक कार्यशाला का आयोजन किया गया इसमें श्रदेय आशुतोष महाराज +साध्वी सुश्री लोकेशा भारती ने नशे से होने वाली हानि का चित्रण किया और विज्ञानं तथा अध्यात्म के आधार पर बी बी ऐ+बी एड+बी सी ऐ के छात्रों को नशा मुक्ति को प्रेरित किया|
नरेश कुमार+डा. भावना पालीवाल+रूचि गर्ग+एस पी शर्मा+अमित शर्मा +पी एस पंवार+मन मोहन आदि ने सहयोग दिया|डा. सी एस ने सबको धन्यवाद दिया|

सिस्टीन चैपल की चिमनी से सफ़ेद धुआं निकला :अर्जेंटीना के कार्डिनल योर्ग मारियो बेर्गोगलियो बने २६६वे पोप

सिस्टीन चैपल की चिमनी से सफ़ेद धुआं निकला :अर्जेंटीना के कार्डिनल योर्ग मारियो बेर्गोगलियो बने २६६वे पोप

सिस्टीन चैपल की चिमनी से सफ़ेद धुआं निकला :अर्जेंटीना के कार्डिनल योर्ग मारियो बेर्गोगलियो बने २६६वे पोप

इंतज़ार की घड़ियाँ समाप्त हुई और सिस्टीन चैपल की चिमनी से सफ़ेद धुआं निकाल कर नए पोप के चुनाव पर सहमती घोषणा कर दी गई है| ११५ प्रतिनिधियों में से अर्जेंटीना के कार्डिनल योर्ग मारियो बेर्गोगलियो को नया]२६६] पोप चुना गया है। वो ब्यूनस आयर्स के आर्चकबिशप हैं।
वो पहले पोप होंगे जिनका संबंध यूरोप के बाहर लातिन अमेरिकी क्षेत्र से है।
266वें पोप सवा अरब कैथोलिक ईसाइयों का नेतृत्व करेंगे।समाचार एजेंसियां धर्मावलम्बियों की प्रसन्नता के चित्र प्रकाशित कर रही हैं|

नैनो की छोटी सी झोपडी बना लूं और प्रभु मेरी पुतली रुपी पलंग पर विद्यमान हो जाएँ

 नैनो की छोटी सी झोपडी बना लूं और प्रभु मेरी पुतली रुपी पलंग पर विद्यमान हो जाएँ

नैनो की छोटी सी झोपडी बना लूं और प्रभु मेरी पुतली रुपी पलंग पर विद्यमान हो जाएँ

नयनों की करी कोठड़ी , पुतली पलंग बिछाय ।
पलकों की चिक डालकर, पिया को लेहूँ रीझाय ॥
संत कबीर दास जी फरमाते हैं कि मेरा मन करता है अपने नैनो की छोटी सी झोपडी बना लूं और प्रभु मेरी पुतली रुपी पलंग पर विद्यमान हो जाएँ। पलकों से पर्दा बना लूं और प्रभु का नाम जपता रहूँ जिससे मेरे प्रभु प्रसन्न हो जाएँ।
संत जन समझाते हैं कि हमारे जीवन का अंत पता नहीं किस वक्त हो जाए । हमें चाहिए की पल भर भी उस प्रभु की याद न बिसरे । उठते – बैठते, खाते – पीते, सोते – जागते हर समय उसकी याद बनी रहे । जैसे मछली जल के बिना तड़पती है , हमारे अन्दर भी उस प्रभु को पाने की ऐसे ही तडपन होनी चाहिए । प्रभु से प्यार, उसके मीठी-मीठी याद तथा उससे मिलने की बलवती इच्छा हमारे मन में सदा रहे। एक दिन प्रभु जरूर प्रसन्न होंगे ।
संत कबीर दास जी की वाणी
प्रस्तुति राकेश खुराना