सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश सीमा संशोधन प्रस्ताव पर भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण और भारतीय प्रेस परिषद के विचार मांगे
प्रिंट और प्रसारण क्षेत्र में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की अधिकतम सीमा संबंधी वित्त मंत्रालय के परामर्श पत्र पर सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने प्रसारण क्षेत्र के मुद्दों पर भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) की सिफारिशें और प्रिंट मीडिया संबंधी मामलों पर भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) की टिप्पणियां मांगी हैं। चूंकि ट्राई और पीसीआई के साथ परामर्श प्रक्रिया में समय लगेगा, इसलिए मंत्रालय ने औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग को सूचित किया है कि प्रिंट और प्रसारण क्षेत्रों में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश की मौजूदा सीमा जारी रहेगी तथा यथास्थिति बनी रहेगी।
इसके पूर्व प्रत्यक्ष विदेशी निवेश सीमा पर परामर्श पत्र के मसौदे की प्राप्ति के बाद मंत्रालय ने संबंधित मुद्दों पर प्रिंट और प्रसारण क्षेत्रों के हितधारकों के विचार लिए थे। बातचीत के दौरान विभिन्न विचार सामने आए थे, जिनके कारण बात तय नहीं हो पाई थी। उल्लेखनीय है कि इंडियन न्यूजपेपर सोसायटी (आईएनएस) ने अपने विचार देने के लिए और समय मांगा था। इसके अलावा न्यूज ब्रॉडकास्टर्स एसोसिएशन (एनबीए) ने भी अभी तक अपनी टिप्पणियां नहीं दी हैं। इस स्थिति को देखते हुए मंत्रालय ने यह मामला ट्राई और पीसीआई को सौंप दिया है।
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सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने प्रत्यक्ष विदेशी निवेश सीमा संशोधन प्रस्ताव पर भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण और भारतीय प्रेस परिषद के विचार मांगे
अजय माकन ने, दिल्ली से, नरेंदर मोदी द्वारा पुणे में दिखाए गए गुजरात विकास को आईना दिखाया
कांग्रेस के नए संचार प्रभारी अजय माकन ने भाजपा नरेन्द्र मोदी के पुणे में दिए गए भाषण का दिल्ली से जवाब देते हुए केंद्र सरकार की उपलब्धियां गिनाते हुए गुजरात में विकास माडल के दावों को आईना दिखाया |
दिल्ली में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में अजय माकन ने स्पोर्ट्स + शिक्षा और टूरिज्म के आंकड़ें प्रस्तुत करते हुए [१]स्पोर्ट्स के मामले में कहा के
[१]स्पोर्ट्स ]
के छेत्र में देश को अन्तराष्ट्रीय स्तर तक पहुँचाने में वाकई अभी समय लगेगा लेकिन इसके साथ ही २०१२ में महामारी उपलब्धियों को कम करके नही आँका जाना चाहिए |इसमें अब तक सबसे अधिक भारत के ८३ खिलाड़ियों ने क्वालीफाई किया और ६ मेडल्स जीते |इसकी तुलना उन्होंने गुजरात से करते हुए कहा के झाड़ खंड के नेशनल गेंम में गुजरात को ४४४ में से जीरो गोल्ड मैडल और कुल १४७९ मेडल्स में से केवल ७ मेडल्स ही मिले जबकि चंडीगढ़ जैसे छोटे यूं टी ने दस मेडल्स जीते| यहाँ तक के ओलम्पिक के लिए हरियाणा ने ६ में से ४ मेडल्स जीते जबकि गुजरात के पास क्या है?
[२]शिक्षा
२००४ में सामान्य शिक्षा के लिए ६८०० करोड़ रुपये थे २०१३-१४ के लिए ५२८७५ करोड़ रखे गए हैं टेक्नीकल शिक्षा में ६४१ करोड़ रुपये बढ़ा कर ६५१८.२ करोड़ का प्रावधान है|
गुजरात में २०११-१२ के लिए १३.९%का प्रावधान रखा था यह देश में १४वा स्थान है|
सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी +आई आई टी+आई आई एम् सर्वश्रेष्ठ हैं सेन्ट्रल यूनिवर्सिटी की संख्या ३० से बढ़ा कर ७३ कर दी गई हैं|इसके ठीक विपरीत गुजरात में [अ]२५%सरकारी डिग्री कालेजों में प्रिंसिपल नही हैं|[आ]डिप्लोमा इंजीनियरिंग कालेजों में यह २०% से भी कम हैं|[इ]६७% सीनियर फेकल्टी मेंबर की कमी है|सामान्य शिक्षा में यह स्थिति और भी ख़राब है|
[३]मिड डे मिल्स के छेत्र में देश भर में ९२.०६% तक यह सुविधा पहुंची है जबकि गुजरात में यह संख्या केवल ८९.९४% ही है|पंजाब और वेस्ट बंगाल का नंबर इसके बाद आता है|
[४] देश में व्यस्क साक्षरता ६४.८% से ७४% पर है जबकि गुजरात में[ अ]पुरुष साक्षरता ९वे [आ]महिलाओं में १४ वा[इ]
इसके अलावा शिक्षा के अधिकार से ३०८८८ प्राईमरी भवन +१०६४४ अपर प्राईमरी + अतिरिक्त क्लास ६८८३८५ +५१८७०० शौचालय बनवाये गए हैं |७००४७५ शिक्षकों के पद स्वीकृत किये जा चुके हैं|
[३]टूरिज्म
राष्ट्रीय पर्यटन में गुजरात का २.५% शेयर से दसवें नंबर पर है जबकि अन्तराष्ट्रीय स्तर पर पहले दस में तो कही नही हैं|
हम सभी एक ही प्रभु के अंश हैं, इसीलिए प्रभु का जानने का हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है:संत राजिंदर सिंह जी महाराज
संत राजिन्दर सिंह जी महाराज फ़र्माते हैं कि अध्यात्म का अर्थ है यह जानना कि बाहरी नामों और लेबलों के नीचे हम सब वास्तव में एक ही प्रभु का अंश हैं।इसीलिए प्रभु का जानने का हमारा जन्म सिद्ध अधिकार है क्यूंकि हम सब एक ही बड़े परिवार के सदस्य हैं।
अध्यात्मिक विज्ञान और सावन कृपाल रूहानी मिशन के प्रमुख संत राजिंदर जी महाराज का कहना है कि जब हम इस दृष्टिकोण के साथ जीने लगते हैं, तो हमारे अंदर कोई पूर्वाग्रह या भेद-भाव नहीं रहता और हम वो सभी दीवारें तोड़ डालते हैं जो एक इंसान को दूसरे से अलग करती हैं। हम महसूस करते हैं कि हम सब आत्मा के स्तर पर एक हैं। इस एकता और जुड़ाव का अनुभव करने से हम एक-दूसरे का ख़याल रखने लगते हैं; हम एक-दूसरे की सेवा व सहायता करने लगते हैं। हमारा दृष्टिकोण व्यापक हो जाता है और हम सभी इंसानों के साथ करुणा से पेश आते हैं।
साइंस आफ़ स्पिरिच्युएलिटी’ तथा ‘सावन कृपाल रूहानी मिशन’ के अध्यक्ष संत राजिन्दर सिंह जी महाराज अध्यात्म के द्वारा आंतरिक और बाह्य शांति का प्रसार करने के अपने अथक प्रयासों के लिये अंतर्राष्ट्रीय रूप से जाने जाते हैं। विश्व भर में उनके द्वारा किये गये महान् योगदानों के लिये उन्हें प्रदत्त अनेक पुरस्कारों व सम्मानों में सम्मानार्थ डाक्टरेट की पाँच उपाधियाँ शामिल हैं।भारत में जन्मे तथा वैज्ञानिक के रूप में शिक्षित संत राजिन्दर सिंह जी महाराज अध्यात्म और विज्ञान दोनों की गूढ़ समझ रखते हैं। उन्होंने अपनी आध्यात्मिक शिक्षा भारत के दो महान् पूर्ण संतों – संत कृपाल सिंह जी महाराज (1894-1974) व संत दर्शन सिंह जी महाराज (1921-1989)- के द्वारा प्राप्त की।
यूनाइटेड स्टेट्स आफ़ अमेरिका से विज्ञान में स्नातकोत्तर डिग्री प्राप्त करने के पश्चात् उन्होंने बीस वर्ष तक विज्ञान एवं संचार के क्षेत्र में उल्लेखनीय योगदान दिया। अध्यात्म और विज्ञान दोनों का इतना गहरा ज्ञान होने के कारण वे पुरातन व गूढ़ आध्यात्मिक शिक्षाओं को आज की सरल, स्पष्ट एवं तार्किक भाषा में समझाने में सफल रहे हैं।संत जी महाराज सेवा कार्यों के लिए दान पर निर्भर नही है वरन अपनी व्यतिगत कमाई लगाते हैं |
दिल से पत्रकारिता और राजनीती करने वाले बेहद दुर्लभ हैं :एल के अडवाणी के ब्लॉग से
एन डी ऐ के पी एम् इन वेटिंग और वरिष्ठ पत्रकार[अब ब्लॉगर] लाल कृष्ण आडवाणी ने अपने नवीनतम ब्लॉग के पश्च्य लेख[ Tailpiece ] में कहा है कि दिमाग के दिशा निर्देशों पर केवल निजी स्वार्थ पूर्ती के बजाय दिल की पुकार पर पत्रकारिता और राजनीती करने वाले बेहद दुर्लभ हैं | पी पी बालाचंद्रन की पुस्तक ऐ व्यू फ्रॉम रायसीना हिल्स [“A view from the Raisina Hill.”]के अध्याय आर्ट +कल्चर+और मीडिया [“Art, Culture and Media”]. में उल्लेखित कार्टूनिस्ट रंगानाथ [अब स्वर्गीय] की जीवन के उतार चडाव के हवाले से कहा है कि रंग ने पत्रकारिता में अगर नाम कमाया और आज हम रंगा को याद करते हैं उसकी कमी को महसूस करते हैं तो केवल इसीलिए कि रंगा ने जीवन पर्यंत पोलिटिकल कार्टूनों में हमेशा अपने दिल के भावों से पाठकों का दिल जीता|.वर्तमान में क्रिकेटर द्वारा मैच फिक्सिंग या स्पॉट फिक्सिंग के द्वारा दौलत कमाए जाने के समाचार फ्रंट पेज पर छाते हैं|
किताब में बाते गया है कि महात्मा गाँधी + नेल्सन मंडेला+यास्सेर अराफात+ मोहम्मद अली+मदर टेरेसा+ मारग्रेट थेचर +बिल क्लिंटन +रंगा की अमूल्य २००० कृतियाँ यदि बेच दी जाती तो रंगा भी करोड़ों डॉलर्स का मालिक हो सकता था|दुर्भाग्य से वर्तमान में पत्रकारिता+राजनीती के अलावा दुसरे छेत्रों में भी रंगा जैसे समर्पित लोग बेहद दुर्लभ हैं| रंगा वाकई प्रशंसा के पात्र हैं
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प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने भूटान के पीडीपी नेताओं को चुनाव में जीत पर बधाई के साथ सहयोग का आश्वासन भी भेजा
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने भूटान के पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी [पीडीपी] नेताओं को चुनाव में जीत पर बधाई के साथ सहयोग का आश्वासन भी भेजा | भूटान के पीडीपी नेताओं के लिए प्रधानमंत्री के संदेश का अनूदित पाठ इस प्रकार है:
” पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी की सफलता के साथ-साथ भूटान में ऐतिहासिक दूसरे लोकतांत्रिक चुनाव में नेशनल असेम्बली में आपके चुने जाने पर मुझे महामहिम को बधाई देते हुए बहुत खुशी हो रही है।
मैं इस अवसर पर आपको उन कदमों के लिए भारत एवं इसकी जनता के अटल और पक्के समर्थन का आश्वासन देता हूं जो भूटान लोकतांत्रिक प्रक्रियाओं और संस्थाओं को मजबूत करने के लिए उठा रहा है। भारत सामाजिक-आर्थिक प्रगति एवं विकास में भूटान और वहां की जनता का विशिष्ट सहयोगी है। हमारे द्विपक्षीय संबंध विश्वास , आपसी भरोसे और समझ की बुनियाद पर टिके हैं। मैं इन अनोखे और विशेष पारंपरिक रिश्तों के संरक्षण के लिए भूटान को भारत की कभी कम न होने वाली प्रतिबद्धता फिर दुहराता हूं। भारत भूटान और उसके हितों के प्रति संवेदनशील है और रहेगा।
मैं इस बात पर भी बल देता हूं कि भारत-भूटान संबंध अनुकरणीय हैं तथा ये भूटान के महामहिम ड्रुक ग्यालपोस के मार्गदर्शन और दूरदर्शिता तथा दोनों देशों की सरकारों के रचनात्मक सहयोग से कई दशकों से सावधानीपूर्वक फल-फूल रहे हैं। हमारा प्रयास रहेगा कि ये रिश्ते और मजबूत हों। मुझे दोनों देशों की जनता के फायदे के लिए अपने सहयोग को और बढ़ाने के लिए आपके और आपके सहयोगियों के साथ काम करने की उम्मीद है। इसलिए मैं अपनी सरकार के अधिकारियों को पहले ही निर्देश दे चुका हूं कि भूटान की सहायता के लिए हमारी योजना पर चर्चा की तैयारी करें।
मैं उम्मीद करता हूं कि आप जल्दी ही भारत आकर अपने स्वागत का अवसर देंगे।
महामहिम कृपया मेरी हार्दिक शुभकामनाएं और तहे दिल से सहयोग का आश्वासन स्वीकार करें। ”
ओत्तावियो क्वात्त्रोची की मृत्यु १९८७ के अनैतिक बोफोर्स काण्ड का तिरस्कारपूर्वक अंत है:आप पार्टी
बोफोर्स तोपों में दलाली को लेकर जिसके नाम के गोले राजीव गाँधी [अब स्वर्गीय]पर चलाये जा रहे थे उस ओत्तावियो क्वात्रोची [ Ottavio Quattrocchi ] का शनिवार को इटली के मिलान में हार्ट अटैक से निधन हो गया है | इससे १९८७ के बोफोर्स दलाली के एक निंदनीय अध्याय का अंत हो गया है|इस पर टिपण्णी करते हुए आम आदमी पार्टी[आप]ने क्वात्त्रोची की मृत्यु को अनैतिक बोफोर्स काण्ड का तिरस्कारपूर्वक अंत बताया हैआप पार्टी का कहना है कि इस अकेले केस में केंद्र सरकार द्वारा लगातार पर्दा डाले रखने के बावजूद इसी केस के आधार पर स्विस बैंक से पहली बार इसकी डिटेल्स निक्लावाई जा सकी थी लेकिन इसके बावजूद अभी तक किसी को सजा नहीं हुई है|आठवें दशक से लगातार सी बी आई + तत्कालीन फॉरेन मिनिस्टर + नयायालय +के हस्तक्षेप और फिर क्वात्त्रोची को देश छोड़ने की इजाजत देकर केस को रिश्वत के बजाय धोखा धडी का केस बना दिया गया|पहले उसे देश से बाहर जाने दिया गया फिर उसके वापिसी के लिए नाटक किये गए| अब दलाली के क्यू [ Q ] नाम से कुख्यात इस मुख्य आरोपी की मृत्यु से केस की सभी गोपनीय जानकारी भी दफन हो गई है|
इससे एक बात तो साफ़ हो गई है कि देश के क्रिमिनल जस्टिस सिस्टम को धनवान और शक्तिशाली के हित में अपराधिक रूप में उपयोग किया जा रहा है|
इसी परिपेक्ष्य में आप पार्टी ने लोक पल के गठन की मांग को पुनः उठाते हुए जुडिशियल सिस्टम में सुधार को आवश्यक बताया है|
अमेरिकी आव्रजन नीति में सुधार की कवायद , क्या भारत पर दबाब की राजनीती है?
नई आव्रजन नीति क्या भारत पर अमेरिकी दबाब की राजनीती है?भारतीय वित्त मंत्री पी चिन्द्रम +वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा रतन टाटा आदि ने आज कल अमेरिका में डेरा डाला हुआ है।
इन्होने बेहद आशावान होकर अपने काउंटर पार्ट्स से मांग की है कि इन्फोर्मेशन टेक्नोलोजी और हाइली स्किल्ड प्रोफेशनल को नई आव्रजन नीति से अलग रखा जाये वर्ना इससे भारतीय प्रतिभाओं को हानि होगी ।
इसके ठीक विरुद्ध अमेरिका के प्रेजिडेंट बराक ओबामा ने आज फिर कांग्रेस से आग्रह किया है कि उनकी नई महत्त्व कांक्षी आव्रजन नीति को तत्काल मंजूरी दे दी जाये ताकि इसे कानून की शक्ल दी जा सके ।
अमेरिकन व्हाईट हाउस और भारतीय सूचना विभाग द्वारा जारी दो प्रेस रिलीज इस प्रकार निम्न है :
अपने साप्ताहिक संबोधन में बराक ओबामा ने कहा कि दो सप्ताह पूर्व द्विदलीय सीनेट ने बड़ी संख्या में अप्रवासन नीति[ commonsense imm igration reform, ] को मजूरी देकर इसे कांग्रेस को भेजा थाi इस नीति से देश की आर्थिक स्थिति +सामाजिक सुरक्षा में सुधर तो आयेगा ही इसके साथ ही अप्रवासन कानून को हमारे सिद्धांतों के अनुरूप आधुनिक जामा पहनाया जा सकेगा| इसीलिए ब्रोकन अप्रवासन नीति के सुधारों के लिए कांग्रेस को भी अब तत्काल अपनी मंजूरी दे देनी चाहिए| यह अमेरिका के उज्जवल भविष्य के लिए जरुरी भी है|
उन्होंने बताया कि अमेरिका में अवैध रूप से रहने वाले अप्रवासियों की संख्या ११ मिलियन पर पहुँच गई है|इन्हें राष्ट्र की मुख्य धारा में लाने से चौमुखी विकास होगा| राष्टपति ने बीते दिनों जारी एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि यदि सीनेट का यह प्लान कानून बन जाता है तो देश कि इकोनोमी में ५% की वृद्धि होगी और मात्र दो दशकों में ही १.४ ट्रिलियन डॉलर्स की अतिरिक्त आय होगी |उन्होंने स्मरण करते हुए कहा कि अमेरिका हमेशा से ही आप्रवासियों का देश रहा है| इन सब ने मिल कर अमेरिका को विश्व का सिरमौर देश बनाया है लेकिन वर्तमान में ऐसी अनेको प्रतिभाओं को राष्ट्र की मुख्य धारा से दूर रखा जा रहा है|इन्हें कानूनी अधिकार देने से ये लोग भी देश के विकास में यौग्दान दे सकेंगे|उन्होंने आशा व्यक्त करते हुए कहा कि जब पूर्व प्रेजिडेंट बुश और वोह[बराक ओबामा ] इस मसले पर सहमत हो सकते हैं तब कांग्रेस के डेमोक्रेट्स और रिपब्लिकन्स को एक जुट होकर राष्ट्र हित में अप्रवासन बिल को मंजूरी दे देनी चाहिए ताकि इसे कानून बनाने के लिए उन्हें [ओबामा]को हस्ताक्षर करने का सुअवसर मिल सके|
[२]भारत के केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने अमरीकी वाणिज्य मंत्री से प्रस्तावित अमरीकी आव्रजन कानून के प्रतिबंधात्मक प्रावधानों पर चिंता प्रकट कीहै
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री शर्मा ने बीते दिन अमरीका की वाणिज्य मंत्री से वाशिंगटन में मुलाकात की। श्री शर्मा ने अमरीकी वाणिज्य मंत्री सुश्री पैनी प्रित्ज्कर[ Ms. Penny Pritzker] को अमरीकी वाणिज्य मंत्री नियुक्त होने के लिए बधाई दी। इस बैठक के दौरान श्री आनंद ने सुश्री प्रित्ज्कर से कहा कि प्रौद्योगिकीय सेवाएं देने वाले अत्यधिक प्रशिक्षित प्रोफेशनल को आव्रजक नहीं माना जाना चाहिए। उन्होंने अमरीकी कांग्रेस में फिलहाल विचाराधीन अमरीकी आव्रजन कानून में कुशल प्रोफेशनल के आवागमन पर प्रतिबंधात्मक प्रावधान शामिल करने संबंधी भारतीय आईटी उद्योग की चिंताएं प्रकट की।
श्री शर्मा ने अमरीकी वाणिज्य मंत्री को भारत की पेटेंट व्यवस्था की भी जानकारी दी जो पूरी तरह टीआरआइपीएस के अनुकूल कानून पर आधारित है तथा उसे लागू करने की ठोस व्यवस्था है।
श्री शर्मा ने विभिन्न द्विपक्षीय मुद्दों पर उदार रवैया अपनाने की आवश्यकता पर भी बल दिया। उन्होंने भारत-अमरीकी व्यापार एवं आर्थिक सहयोग में वृद्धि के परिप्रेक्ष्य में इन मुद्दों पर विचार करने पर बल दिया।
श्री शर्मा ने भारतीय राष्ट्रीय विनिर्माण नीति में अमरीकी कारोबारियों के लिए अवसरों की भी जानकारी दी। उन्होंने अमरीकी वाणिज्य मंत्री से कहा कि भारत ने राष्ट्रीय निवेश एवं विनिर्माण के 13 क्षेत्रों की स्थापना को मंजूरी दे दी है जिनमें से आठ को दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे के पास अनुमोदित किया गया है।
श्री शर्मा और अमरीकी वाणिज्य मंत्री ने दोनों पक्षों के बीच उच्च स्तरीय संवाद बनाए रखने पर भी सहमति प्रकट की। सुश्री प्रित्ज्कर ने भारत आने का श्री शर्मा का निमंत्रण भी स्वीकार कर लिया।श्री शर्मा ने वॉलमार्ट एशिया के सीइओ श्री स्कॉट प्राइस से भी मुलाकात की तथा मल्टी-ब्रैंड खुदरा व्यापार संबंधी विभिन्न
मुद्दों पर चर्चा की। श्री शर्मा ग्लोबल पब्लिक पॉलिसी के लिए अमेज़न डॉट कॉम के उपाध्यक्ष श्री पॉल मिजेनर से भी मिले तथा ई-कॉमर्स सेंबंधी मुद्दों पर चर्चा की
उपरोक्त के मध्य नजर अब सवाल यह उठाया जा रहा है कि बेशक अमेरिका द्वारा अपने हित में यह कार्यवाही की जा रही हैइससे वहां मात्र दो दशकों में ही १.४ ट्रिलियन डालर की अतिरिक्त आय होगी अवैध अप्रवासी मुख्य धारा में आ जायेंगे लेकिन इसके साथ ही भारत की प्रतिभाओं को वहां अप्रवासी की तरह ट्रीट किया जाएगा, जिसके फलस्वरूप भारतीय हाईली स्किल्ड प्रतिभाओं को भी हानि होगी |इससे अनेकों प्रश्न उठ रहे हैं
।[१]पहला प्रश्न यह उठता है कि अमेरिका में कार्यरत भारतीय कंपनियों और उनके प्रोफेशनल्स का क्या होगा ?
[२]क्या यह भारत पर अपनी बहु राष्ट्रीय कम्पनियों के लिए अमेरिकी दबाब की राजनीती है?
[३] वाल मार्ट जैसी अमेरिकन कंपनियों को भारत में व्यापार की इजाजत देने से क्या अमेरिका के रुख में कुछ सकारात्मक परिवर्तन हो पायेगा ?अमेरिका के उज्जवल भविष्य के लिए अप्रवासन बिल पर कांग्रेस को तत्काल मंजूरी दे देनी चाहिए:बराक ओबामा|
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वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने अत्यधिक प्रशिक्षित प्रोफेशनल को अमेरिका में आव्रजक मानने पर आपत्ति दर्ज़ कराई
भारत के केन्द्रीय वाणिज्य मंत्री आनंद शर्मा ने अमरीकी वाणिज्य मंत्री से प्रस्तावित अमरीकी आव्रजन कानून के प्रतिबंधात्मक प्रावधानों पर चिंता प्रकट की
केंद्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री श्री शर्मा ने बीते दिन अमरीका की वाणिज्य मंत्री से वाशिंगटन में मुलाकात की। श्री शर्मा ने अमरीकी वाणिज्य मंत्री सुश्री पैनी प्रित्ज्कर[ Ms. Penny Pritzker] को अमरीकी वाणिज्य मंत्री नियुक्त होने के लिए बधाई दी। इस बैठक के दौरान श्री आनंद ने सुश्री प्रित्ज्कर से कहा कि प्रौद्योगिकीय सेवाएं देने वाले अत्यधिक प्रशिक्षित प्रोफेशनल को आव्रजक नहीं माना जाना चाहिए। उन्होंने अमरीकी कांग्रेस में फिलहाल विचाराधीन अमरीकी आव्रजन कानून में कुशल प्रोफेशनल के आवागमन पर प्रतिबंधात्मक प्रावधान शामिल करने संबंधी भारतीय आईटी उद्योग की चिंताएं प्रकट की।
श्री शर्मा ने अमरीकी वाणिज्य मंत्री को भारत की पेटेंट व्यवस्था की भी जानकारी दी जो पूरी तरह टीआरआइपीएस के अनुकूल कानून पर आधारित है तथा उसे लागू करने की ठोस व्यवस्था है।
श्री शर्मा ने भारतीय राष्ट्रीय विनिर्माण नीति में अमरीकी कारोबारियों के लिए अवसरों की भी जानकारी दी। उन्होंने अमरीकी वाणिज्य मंत्री से कहा कि भारत ने राष्ट्रीय निवेश एवं विनिर्माण के 13 क्षेत्रों की स्थापना को मंजूरी दे दी है जिनमें से आठ को दिल्ली-मुंबई औद्योगिक गलियारे के पास अनुमोदित किया गया है।
श्री शर्मा और अमरीकी वाणिज्य मंत्री ने दोनों पक्षों के बीच उच्च स्तरीय संवाद बनाए रखने पर भी सहमति प्रकट की। सुश्री प्रित्ज्कर ने भारत आने का श्री शर्मा का निमंत्रण भी स्वीकार कर लिया।
श्री शर्मा ने वॉलमार्ट एशिया के सीइओ श्री स्कॉट प्राइस से भी मुलाकात की तथा मल्टी-ब्रैंड खुदरा व्यापार संबंधी विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। श्री शर्मा ग्लोबल पब्लिक पॉलिसी के लिए अमेज़न डॉट कॉम के उपाध्यक्ष श्री पॉल मिजेनर से भी मिले तथा ई-कॉमर्स सेंबंधी मुद्दों पर चर्चा की।
भाजपा ने देश में वर्तमान आर्थिक संकट के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया
भाजपा ने वर्तमान आर्थिक संकट के लिए कांग्रेस को जिम्मेदार ठहराया है|राष्ट्रीय प्रवक्ता श्री मति मीनाक्षी लेखी ने पार्टी के सामान्य ब्रीफिंग में कहा कि एशिया में भारतीय रुपये की हालत ज्यादा खस्ता है|३१ मई के पश्चात ५.३% कमजोर हो गया है
आज यह डॉलर के मुकाबिले ६०/= तक गिर चुका है अब इसके ७०/= तक गिरने की संभावना बनी हुई है|
विक दर ५% के रिकार्ड निचले स्तर पर आ पहुंची है|३१ मार्च को समाप्त वर्ष में एशिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था में जी.डी पी ४.८% .पर पहुँच गई|इसी कुशासन के कारन मणि शंकर ऐय्यर जैसे मंत्री को में, पंचायत राज के लिए ,नार्वे जैसेदेश के युवराज हाकोन से भिक्षा मांगनी पडी \
करीब दस वर्षों में लगातार बढती कीमतें+मुद्रा स्फूर्ति+भ्रष्टाचार+अराजकता+साम्प्रदाईक नफरत आदि से कांग्रेस का चेहरा देश के सामने आ गया है|कांग्रेस पार्टी की झूठा प्रचार करने की मशीनरी के दिन लद चुके हैं |
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