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ऍफ़ डी आई की इजाजत जरुरत के मुताबिक होनी चाहिए

भारत में विकास और आर्थिक सुधार के नाम पर विदेशी निवेश को लेकर रोज़ाना कोई न कोई विवाद या विरोध उठ रहा है|भारत और इंडिया में आई गहराई लगातार बढाने के आरोप लग रहे हैं और सरकार इनसे जूझ रही है|ऐसा लगने लगा है कि देश में जरूरतों के मुताबिक़ अगर ऍफ़ डी आई को इजाजत दे दी जाये तो उसका विरोध कम होगा और विकास और जन संतोष ज्यादा होगा|
दुर्भाग्य से हमारे पहले से विकसित बाज़ारों में विदेशी घुसपैंठ को बढावा दिया जा रहा है जिसके फलस्वरूप पीछे रह गए राजनीतिकों को भी पावँ जमाने का मौका मिल रहा है|खुदरा+पेंशन+बीमा आदि ऐसे ही छेत्र हैं जहां विरोध ज्यादा हो रहा है और सरकार भी भरोसा जीतने में विफल हो रही है|अभी तक फ़ैल होने वाले देसी या विदेशी व्यापारी उपभोक्ताओं को उनके देय लौटा नहीं पाए हैं|कुबेर फायनेंस +सहारा+गरुडा आदि अनेको उधारण हैं इनके अलावा रिलायंस +आपका बाज़ार+सुभिक्षा खुदरा से बहार निकल रहे हैं|किंग फिशर एयर लाईन्स अपने कर्मिओं को सात माह का वेतन नहीं दे पा रही है| डेक्कन + एम् डी एल आर एयर लैंस बंद हो चुकी हैं |एम् डी एल आर और किंग फिशर के कर्मी आत्म हत्या को मजबूर किये जा रहे है|मगर सरकार किसी भी दिशा से हस्तक्षेप करने से कतरा रही है||इसीलिए विदेशी निवेश को आज्ञा देने से पहले देश वासिओं को सुरक्षा की गारंटी दिया जाना जाना जरुरी है|
यहाँ में अपनी बात के समर्थन में एक उदहारण देना चाहूंगा|अमेरिका के एक छोटे से शहर अल्बर्किकी में कोई विशेष पिकनिक सपाट या वीक एंड मनाने के लिए कोई स्थान नहीं है|लेकिन इस शहर के समीप व्हाईट सैंड के नाम से एक रेगिस्तान है|यहाँ पर इसका विकास किया गया अब यह एक लोक प्रिय और अति व्यस्त छेत्र बन गया है यहाँ लोग बाग आते हैं एन्जॉय करते हैं और आर्थिक विकास भी हो रहा है|ऐसे ही भारत में भी अनेक छेत्र है जहां विकास की

ऍफ़ डी आई की इजाजत जरुरत के मुताबिक होनी चाहिए

बेहद जरुरत है और विकास के लिए ऍफ़ डी आई की जरुरत है|तो क्या यहाँ के जंगलों को मंगल बनाने के लिए ऍफ़ डी आई को लाने के प्रयास किये जा सकेंगें???