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झंडारोहण में लोकतंत्र के रखवालों की हास्यास्पद भूमिकाओं ने चिंताजनक सवाल खड़े किये

[ग्वालियर,आइजल,चंडीगढ़]झंडारोहण में लोकतंत्र के रखवालों की हास्यास्पद भूमिकाओं ने चिंताजनक सवाल खड़े किये
भारतीय लोक तंत्र सात दशक का हो चूका लेकिन अभी भी इसमें परिपक्वता का अभाव है |संविधान में आये दिन संशोधन तो होते हैं लेकिन आवश्यक संशोधनो का अभी भी अभाव ही है |
देश भर में राजधानी से लकर पंचायतों तक में लोक तंत्र का पर्व गणतंत्र दिवस बढ़ी धूम धाम से मनाया गया लेकिन लोक तंत्र के रखवालों की हास्यास्पद भूमिकाओं ने अनेकों चिंताजनक सवाल खड़े कर दिए हैं |
बानगी देखिये
ग्वालियर के पुलिस ग्राउंड में बाल विकास मंत्री इमरती देवी अपने ही प्रदेश के मुख्यमंत्री का सन्देश भाषण पूरा नहीं पढ़ पाई |भाषण पढ़ते हुए उन्होंने आगे का भाषण पढ़ने के लिए समीप खड़े कलेक्टर को दे दिया|इमरती १२वी कक्षा उत्तीर्ण हैं और डबरा से तीन बार की विधायक हैं |मंत्री पद की शपथ ग्रहण समारोह में भी अनेको त्रुटियाँ कर चुकी हैं|
पंजाब के गुरदासपुर और भटिंडा में केबिनेट मिनिस्टर सुखबिन्द्र सिंह सरकारिया और पंजाब के बिजली मंत्री गुरप्रीत सिंह कांगड़[भटिंडा] ध्वजारोहण के पश्चात राष्ट्रिय ध्वज को सामान देने के लिए आवश्यक सलूट करना भूल गए
पंजाब के
भटिंडा का नगर निगम भी पीछे नहीं रहा |इस शहर में भारी राशि खर्च करके लगवाए गए फ्लेक्सी बोर्डों में गणतंत्र दिवस के स्थान पर आजादी [स्वतंत्रता] दिवस लिखा दिखाई दिया |
पंजाब जैसे संवेदनशील राज्य में चक चौबंद सुरक्षा व्यवस्था की पोल खोलते कई उदहारण मिले हैं |
तापमंडी में एक गन हाउस में सेंध लगाकर भारी मात्रा में असलाह चोरी होने के समाचार हैं
मिजोरम में तो हद ही हो गई राजधानी आइजोल में राज्यपाल राज शेखरन के सम्बोधन में लगभग मैदान खाली ही था|यहां के लोगों ने नागरिकता बिल को लेकर गणतंत्र दिवस का ही बहिष्कार किया