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अखिलेश यादव भी अली कली में ही बिंध्यों अब यूं पी का कौन हवाल?

झल्ले दी झल्लियां गल्लाँ

प.यूं पी भाजपाई चीयर लीडर

ओये झल्लेया ये हसाडे मुख्य मंत्री अखिलेश यादव को कौन सा नशा चढ़ा हुआ है किसी की परवाह ही नही कर रहे |पश्चिमी यूं पी अपराध + राजनीतिक उपेक्षा से त्रस्त है +कचहरी बंद हैं जेलों से अपराधी खुले आम सरेराह भगाए जा रहे हैं+ घरों की बात तो छोड़िये बैंक तक लूटे जा रहे हैं और मुख्य मंत्री सैफई में ही मौज की मस्ती में मस्त हैं यहाँ तक के इन्होने यूं पी में विकास के लिए प्रवासी भारतीयों को आमंत्रित करने के लिए गांधीनगर जाने को भी जहमत नहीं उठाई |ओये ऐसे ही रोते रोते चलेगा क्या सोणा उत्तर प्रदेश

झल्ला

ओ मेरे चतुर होते जा रहे सेठ जी
शाहजहाँ के ज़माने में राजा जय सिंह हुआ करते थे उनका भी अखिलेश यादव जैसा हाल था वे भी राग रंग में मस्त होकर राज्य की तरफ बिलकुल ध्यान नहीं दे रहे थे
उस समय उनके दरबारी कवि “बिहारी” ने अपने राजसी बैभव की परवाह किये बगैर राजा को ये दोहा सुना कर सुधारा था
“नहिं पराग नहिं मधुर मधु .नहिं विकास यहि काल |अली कली में ही बिंध्यों आगे कौन हवाल||”
दुर्भाग्यवश आपकी भाजपा+कांग्रेस यूं पी में कोई रिस्क लेने को तैयार नहीं हैं