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नेता जी यूं पी में बिजली वालों की ढाल बनने के बजाय ,जनता की आहें पढ़ो ,इनमे सियासी ग्रन्थ लिखे हैं

झल्ले दी झल्लियां गल्लाँ

सपाई चीयर लीडर

ओये झल्लेया ये मीडिया वालों ने कौन सी घुट्टी पी ली है देख तो यारा हसाडे पीछे हाथ धो कर पड़ गए हैं|पानी पीते पीते कोसने पर लगे हुए हैं|भाई बिजली का संकट तो पूरे देश भर में हैंलेकिन इन्हें तो ओनली उत्तर प्रदेश ही दिख रहा है |अब तो चुनाव हो गए यारा अब तो हमें बक्श दो

झल्ला

अरे मेरे माननीय नेता जी
ग़ुरबत के मारों का हाल पढ़ना सीख लीजिये ,हमारी आहों में ग्रंथों से ज्यादा लिखा होता है |क्या कहा नहीं समझे मुझे मालूम था आप इसे नहीं समझोगे| अब सुनो पर्याप्त बिजली आप के पास नहीं हैं मान लिया+केंद्र से खरीदनी पड़ रही है ये भी जान लिया+ सियासी विरोध हो रहा है ये भी पहचान लिया लेकिन आप जी के लिए एक सवाल फिर भी मुह बाय खड़ा होता है कि आप जी ने अपनी गवर्नन्स क्षमता को किस अखाड़े में कैद कर रखा है |उदाहरण प्रस्तुत हैचार तारिख से आसमान आग उगल रहा है मगर मीडिया हब बन चुके मेरठ से बिजली नदारद है| सुबह ६ जून को मटौर- सिंभावली २२० के वी लाइन टूट गई और उसे सात तारीख की रात तक जोड़ा जाता रहा जिसके फलस्वरूप ३३ के वी के दो बिजली घर के लाखों उपभोक्ता प्रति दिन बारह बारह घंटे आप जी की व्यवस्था को कोसते रहेइससे पहले चार जून को गंगा नगर की ही ग्लोबल सिटी में हाई वोल्टेज की सप्लाई कर दी गई जिससे लोगों के बिजली उपकरण फूंक गए |लोगों को अपनी किस्मत को कोसते हुए शहर में अपने रिश्तेदारों के घर रात बिताने जाना पड़ा| एस ई अनेको कालोनियां हैं जहाँ सुबह चार जून से रात सात जून तक बिजली के झटके झेलने पड़े हैं |नेता जी ये केवल अब का रोग नहीं हों प्रत्येक वर्ष का सियासी ष्टराग है अब ये तो आप भी मानोगे कि ऐसी स्थिति में जनता मीडिया पर दबाब डालेगी +मीडिया आप पर दबाब डालेगा+ आप को बिजली वालों पर दबाब डालना चाहिए लेकिन आप उलटे मीडिया पर ही अपने दावँ आजमाना चाहते हैं अर्थार्त बिजली वालों को बचाना चाहते हैंयहाँ तक कि अपनी सत्ता को खतरे में डाल कर बिजली वालों की ढाल बने हुए हैं |अब आहें तो निकलेंगी ही इन्हें अगर नहीं पढ़ सके तो उनका असर भी होगा ही |