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शरणार्थियों के लिए भारत में कोई कानून नहीं है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोई बाध्यता भी नहीं है

शरणार्थियों के लिए भारत में कोई कानून नहीं है और अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कोई बाध्यता भी नहीं है |
केन्‍द्रीय गृह राज्‍य मंत्री श्री किरन रिजिजू ने यह जानकारी आज राज्‍य सभा में एक लिखित उत्‍तर में दी। गृह मंत्रालय के अनुसार भारत कानून शरणार्थियों की स्थिति पर 1951 के संयुक्‍त राष्‍ट्र समझौते और 1967 के नयाचार (प्रोटोकोल) पर हस्‍ताक्षर करने वाले देशों में शामिल नहीं है। वर्तमान में शरणार्थियों पर कोई राष्‍ट्रीय कानून भी नहीं है।
वैसे विदेशी नागरिक जो कि यहां शरणार्थी बनने के लिए दावा करते हैं, के संबंध में केन्‍द्र सरकार ने 29 दिसंबर, 2011 को सभी राज्‍य सरकारों/ केन्‍द्र शासित प्रदेशों को एक मानक प्रचालन प्रक्रिया भेजी है। इस मानक प्रचालन प्रक्रिया में स्‍पष्‍ट किया गया है कि जिन मामलों में संबंधित व्‍यक्ति जाति, धर्म, लिंग, राष्‍ट्रीयता, नस्‍ली परिचय, किसी खास सामाजिक समूह या राजनीतिक विचारधारा की वजह से सताये जा रहे हैं और वे यहां शरण चाहते हैं, उनके मामले को राज्‍य सरकार / केन्‍द्र शासित प्रदेश केन्‍द्रीय गृह मंत्रालय के समक्ष दीर्घ कालिक वीजा (एलटीवी) के लिए सिफारिश कर सकते हैं। हालांकि सिफारिश किये जाने से पहले सुरक्षा संबंधी जांच आवश्‍यक है। केन्‍द्रीय गृह मंत्रालय से एलटीवी प्राप्‍त विदेशी यहां निजी क्षेत्र में नौकरी कर सकते हैं या किसी शैक्षिक संस्‍था में अध्‍ययन कर सकते हैं।