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आदमी को सदा अपनी सीमा में रहकर ही कार्य करना चाहिए

रहिमन अति न कीजिये , गहि रहिये निज कानि ।
सैजन अति फूले तऊ , डार पात की हानि ।
अर्थ : रहीम दास जी कहते हैं किसी भी चीज की भी अति कदापि न कीजिये । हमेशा अपनी मर्यादा को पकड़े रहिये । जैसे सहिजन वृक्ष के अत्याधिक विकसित होने से उसकी शाखाएँ और पत्ते झड़ जाते हैं ।
भाव : अति हर चीज की बुरी होती है । आदमी को सदा अपनी सीमा में रहकर ही कार्य करना चाहिए
संत रहीम दास जी की वाणी
प्रस्तुति राकेश खुराना