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Tag: मर्यादा

आदमी को सदा अपनी सीमा में रहकर ही कार्य करना चाहिए

रहिमन अति न कीजिये , गहि रहिये निज कानि ।
सैजन अति फूले तऊ , डार पात की हानि ।
अर्थ : रहीम दास जी कहते हैं किसी भी चीज की भी अति कदापि न कीजिये । हमेशा अपनी मर्यादा को पकड़े रहिये । जैसे सहिजन वृक्ष के अत्याधिक विकसित होने से उसकी शाखाएँ और पत्ते झड़ जाते हैं ।
भाव : अति हर चीज की बुरी होती है । आदमी को सदा अपनी सीमा में रहकर ही कार्य करना चाहिए
संत रहीम दास जी की वाणी
प्रस्तुति राकेश खुराना

रावण परिवार अपने किये की सजा पाने को तैयार है

आज दशहरा है आज भी रावण परिवार अपने किये की सजा पाने को तैयार है सार्वजनिक रूप से जलने के लिए तैयार है |कहा जाता है की रावण बुराई और नफ़रत का प्रतीक है|क्योंकि हमारा मानना है की बुराई पर हमेशा अच्छाई की जीत होनी चाहिए \रामायण काल में मर्यादा पुरुषोत्तम राम ने सभी प्रचलित मर्यादाओं का पालन करते हुए रावण का वध किया था यह प्रथा आज भी जारी है|लेकिन आज कल एक कलयुगी कमी है जिसके कारण रावण जल कर भी मरता नहीं वोह रावण प्रतिवर्ष हमारे भीतर विशाल होता जा रहा है| यह समाज में फ़ैली विसंगतियों से साफ़ दिखाई देता है|

रावण परिवार अपने की किये सजा पाने को तैयार है

इसीलिए बेशक रावण को जलाओ मगर इसे वास्तविक रूप से जलाने के लिए कृपया पहला अग्नि बाण वोह चलाये जो स्वयम मर्यादित हो|