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गोवर्धन पूजा का पर्व बड़े उत्साह + भक्ति भाव से सराबोर होकर देश भर में मनाया गया

गोवर्धन पूजा का पर्व बड़े उत्साह + भक्ति भाव से सराबोर होकर देश भर में मनाया गया

। दीपावली के पश्चात के बाद बुधवार को मंदिरों के अलावा घर-घर में गाय के गोबर से गोवर्धन महाराज की प्रतिमा बनाई गई। अन्नकूट का प्रसाद बनाकर उनका भोग लगाया गया। वहीं मंदिरों में अन्नकूट का भोग लगाया गया गोबर्धन पूजा और दर्शनों के लिए सुबह से श्रद्धालुओं का आगमन शुरू हो गया, जो देर शाम तक चलता रहा। ब्रज + वृंदावन,+ गोकुल,+ महावन,+ नंदगांव,+ बरसाना,+ राधाकुंड+मेरठ आदि के मंदिरों में भी गोवर्धन पूजा का आयोजन किया गया
लोक कथा के अनुसार भगवान कृष्ण के द्वापर युग में स्वयं भगवान श्रीकृष्ण ने इंद्र का मान-मर्दन करने के लिए गोवर्धन पूजा की और सभी ब्रजवासियों से गोवर्धन की पूजा करने के लिए कहा। कृष्ण की बात मानकर सभी ब्रजवासियों ने इंद्र की पूजा बंद कर गोवर्धन की पूजा शुरू कर दी, जिससे इंद्र ने कुपित होकर 7 दिन तक लगातार मूसलाधार बारिश की। ब्रजवासियों की रक्षा के लिए श्रीकृष्ण ने गोवर्धन पर्वत को अपनी एक अंगुली पर धारण किया था।
एक अन्य लोक कथा के अनुसार गाय और वराह की लड़ाई करवा कर गाय को विजयी बनाया जाता है| बताया जाता है कि कान्हा को मारने के लिए उनके मामा राजा कंस ने एक देत्य को वराह बना कर भेजा था मगर रह में गायों को पता चल गया और गायों ने उस वराह को मार डाला |