इधर कहा कि न छूटे सवाब का जादा ।
उधर सजा भी दिया रास्ता गुनाहों का ।
भाव: एक प्रेमी (ईश्वर -भक्त ) अपने प्रियतम (प्रभु ) से शिकायत कर रहा है कि एक तरफ तो तुम मुझसे ये कहते हो कि मैं नेक – पाक रहूँ , पवित्रता को धारण करूँ , दिन – रात तुम्हारी भक्ति करूँ , काम ,क्रोध , लोभ ,मोह , अहंकार से दूर रहूँ और दूसरी ओर रास्ते में हर जगह प्रलोभनों के जाल बिछा रखें हैं जिनसे बच निकलना मुश्किल है । जरा कदम फिसला कि गए । काम ,क्रोध , लोभ ,मोह , अहंकार आदि से बचने के लिए किसी पूर्ण , समर्थ गुरु पर हमारा अटल विश्वास हो ,हम पूर्णतया गुरु समर्पित हो जाएँ ।उनकी दया – मेहर से ही हम रास्ते में बिछे प्रलोभनों के जाल में फंसने से बच सकते हैं ।
उर्दू रूहानी शायर हजरत शमीम करहानी
प्रस्तुति राकेश खुराना
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