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Tag: एन डी ऐ

जस्टिस काटजू पुराना स्कोर सेटल करने के लिए राईट टू स्पीक का प्रयोग करके राजनीतिक बयान देने लगे हैं ?


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

एक कांग्रेसी चीयर लीडर

ओये झल्लेया ये भाजपा वालों ने क्या मज़ाक बना रखा है? उन्हें कोई नहीं मिला तो अब प्रेस कौंसिल के चेयर मैन जस्टिस मार्कंडेय काटजू को ही लपेटना शुरू कर दिया है|भाई जस्टिस काटजू ने भाजपा के नरेन्द्र मोदी बंगाल की ममता बेनर्जी और बिहार की आलोचना के साथ महाराष्ट्र में कांग्रेसी की सरकार की भी तो आलोचना की है|मगर भाजपा पूरी की पूरी हाथ धो कर जस्टिस काटजू की चेयरमेनी काटने को तैय्यार हो गई है| इनकी टिपण्णी को अवांछित+ हास्यास्पद टिप्पणी और ना जाने क्या कया कहे जा रहे हैं,अब तो राज्यसभा सांसद और पत्रिका कमल संदेश के संपादक प्रभात झा को भी जस्टिस काटजू की टिपण्णी भारतीय नेतृत्व और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ के बारे मे अभद्र टिप्पणियां दिखाई देने लग गई है|

झल्ला

ओ मेरे चतुर सुजाण जी आप जी की कांग्रेस पार्टी के नेता गण +पत्रकार संजय झा+ दिग्विजय सिंहजैसे महारथी अर्ध न्यायिक चेयर मैन काटजू के समर्थन में आ गए हैंइससे तो पूरी दाल ही काली नज़र आने लग गई है| और हाँ आप जी ने सही कहा आपजी के काटजू साहब ने कांग्रेसी सरकारों की आलोचना की जरूर है मगर भाजपा शासित राज्यों में तो उन्होंने केवल नेता अर्थार्त नरेन्द्र मोदी को ही निशाना बनाया है|
वैसे जस्टिस काटजू साहब ने अरुण जेटली की आलोचना करते हुए जो भड़ास निकाली है उसमे उन्होंने एन डी ऐ के शासन काल में न्यायाधीशों की न्युक्ति को भी ढाल बनाने का प्रयास किया है इसी लिए झल्लेविचारानुसर ऐसा लगता है की जस्टिस काटजू कोई पुराना स्कोर सेटल करने के लिए राईट टू स्पीक का प्रयोग करके राजनीतिक बयान देने लग गए हैं?

एल के आडवाणी को ८५वे जन्म दिन की वधाईयां :राजनीतिक लालिमा और स्याही का गाढापन बरकरार है

एन डी ऐ के सर्वोच्च नेता+ वरिष्ठ अधिवक्ता और अभी तक युवा पत्रकार लाल चंद किशन चंद आडवाणी को उनके ८५ वें जन्म दिन पर ढेरों वधाईयां | इस ८५वे जन्म दिन पर भी आडवाणी पर पीलापन नहीं छाया है कलम की स्याही के गाड़े पण को हल्का नहीं होने दिया है| उन्होंने अपने न्रेत्त्व की लाली को प्रगट करते हुए अपने पार्टी के अध्यक्ष नितिन गडकरी के गलत कारनामों का पूरजोर विरोध किया और सरदार वल्लभ भाई पटेल की जीवनी के एक अंश का अपने ब्लॉग में उल्लेख करके कांग्रेस की नीतिओं की धज्जियां उधेड़ी हैं|
गौरतलब है कि भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी के ऊपर भ्रष्टाचार और गलत ब्यान बाजी के आरोप लग रहे है ऐसे में भजपा के जेठमलानी परिवार और एल के अडवानी द्वारा अध्यक्ष का पूर जोर विरोध मीडिया की सुर्खियाँ बना हुआ है| आज सुबह जन्म दिन की बधाई देने गडकरी अडवानी के निवास पर पहुंचे और अपनी स्थिति स्पष्ट की इसे एल के आडवानी के नजरिये की जीत माना जा रहा है | भाजपा का एक धडा नितिन के इस्तीफे का विरोध करते हुए इसमें पार्टी की छवि के धूमिल होने की आशंका से ग्रसित है जबकि दूसरों का मानना है कि अध्यक्ष के इस्तीफे से न केवल पार्टी की छवि सुधरेगी बल्कि भ्रष्टाचार के आरोपण से घिरी कांग्रेस की अध्यक्षा श्रीमती सोनिया गांधी पर भी हमलावर होने का अवसर मिलगा| एल के आडवाणी को ८५वे जन्म दिन की वधाईयां :राजनीतिक लालिमा और स्याही का गाढापन बरकरार है [/caption
एल के आडवाणी वरिष्ठ पत्रकार है मगर उन्होंने पत्रकारिकता की नई विधा ब्लॉग को लिखने की शुरुआत सात जनवरी २००९ से की हैजिसके माध्यम से विसंगतियों पर आक्रमण के साथ अपना राजनितिक[विपक्ष] धर्म भी निभा रहे हैं| अपने नवीनतम ब्लाग में प्रथम प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू की पहले गृह मंत्री सरदार पटेल के प्रति इर्ष्या डाह का चित्रण किया है और नेहरू की नीतिओं की आलोचना की है|
आडवाणी ने अपने ब्लॉग में ३० अक्टूबर , २०१२ को ,पायनीयर में छपी एक नई स्टोरी का उल्लेख किया है| सरदार पटेल कि जन्म शती[१३७] पर छापी गई इस स्टोरी में हैदराबाद के भारत में विलय को लेकर नेहरू की तुष्टिकरण की नीति को उजागर किया गया है|इसमें लिखा गया है कि नेहरू जान बूझ कर हैदराबाद को भारत में शामिल करने के पटेल के प्रयासों को विफल कर देना चाहते थे |इस न्यूज स्टोरी में बताया है कि हैदराबाद के विलय को लेकर सरदार पटेल हैदराबाद की निजी सेना के निरंकुश अत्याचारी २ ,०० ,००० रजाकारों से मुकाबिला करके हैदराबाद को अन्यायी निजाम से मुक्त करना चाहते थे जबकि नेहरू इस मामले को संयुक्त राष्ट्र में ले जाना चाहते थे|इसी लिए आयोजित एक भरी केबिनेट मीटिंग में नेहरू ने तत्कालीन उप प्रधान मंत्री पटेल का अपमान करते हुए उन्हें कम्म्युनालिस्ट बताया |इस अपमान का पटेल के दिल पर गहरा असर हुआ और उसके बाद उन्होंने कभी केबिनेट की मीटिंग अटेंड नहीं की|
इस पर भी नेहरू के व्यवहार में कोई बदलाव नहीं आया| दिसम्बर १५ , १९५० को सरदार पटेल के निधन पर नेहरू ने दो नोट तैयार करके भेजे एक नोट में सरदार पटेल द्वारा इस्तेमाल की जा रही ऑफिसियल किडिलैक कार [ Cadillac ] को वापिस मंगवाने का आदेश दिया गया था और दूसरे नोट में , सरका र के सचिवों को यह हिदायत दी गई थी कि अगर वोह पटेल की अंतिम संस्कार में जाना चाहते हैं तो अपने खर्चे से जायेंगे | उस समय वी पी मेनन ने सारा खर्चा ]स्वयम अपनी जेब से उठाया

    एल के अडवाणी ने पी एम् की रेस से फाईनली नाम वापिस लिया

एल के अडवाणी ने आज अपने ८५ वें जन्म दिन पर प्रधान मंत्री पद की रेस से अपना नाम फायनली हटा लिया |उन्होंने कहा है कि पी एम् के पद से पार्टी ज्यादा अहम है|सम्भवत इस त्याग से उन्होंने आरोपों से घिरे नितिन गडकरी और उन्हें बचाने वाले आर एस एस को भी एक सन्देश दे दिया है|उन्होंने एनडीए का प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार होने की सारी अटकलों को खारिज कर दिया। आडवाणी ने कहा, ‘पार्टी और देश ने मुझे बहुत कुछ दिया है। यह प्रधानमंत्री बनने से कहीं ज्यादा है।’
प्रधानमंत्री बनने की आडवाणी की इच्छा पर खूब चींटा कसी होती रहती है कि प्रधानमंत्री बनने की उनकी इच्छा अधूरी ही रह गई।
एनडीए की तरफ से प्रधानमंत्री पद का कोई उम्मीदवार फिलहाल तय नहीं हुआ है, लेकिन नरेंद्र मोदी का नाम अक्सर उछाला जाता है। और जब जब ऐसा होता है, तो मोदी के विरोधी माने जाने वाले लोग आडवाणी का नाम उछाल कर मोदी की अहमियत कम करने की कोशिश करते हैं। कुछ वक्त पहले जब इस बात की काफी चर्चा थी कि मोदी एनडीए के प्रधानमंत्री पद के उम्मीदवार हो सकते हैं, तब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने लाल कृष्ण आडवाणी को प्रधानमंत्री पद का उम्मीदवार बता दिया था। इससे पहले अपने ब्लॉग में भी अडवानी ने अगला प्रधान मंत्री गैर भाजपाई और गैर कांग्रेसी बन्ने की भविष्य वाणी की है|