निज कर क्रिया रहीम कहि , सुधि भावी के हाथ ।
पांसे अपने हाथ में , दांव न अपने हाथ ।
भाव :आदमी को अपना कर्म करते रहना चाहिए और फल की चिंता नहीं करनी चाहिए, क्योंकि फल की प्राप्ति आदमी के हाथ में नहीं होती । ‘गीता ‘ में भी कहा गया है – ‘ कर्मण्येवाधिकरास्ते मा फलेषु कदाचन ‘ अर्थात श्रीकृष्ण अर्जुन से कहते हैं कि तू कर्म कर (युद्ध कर )परिणाम की चिंता मत कर । तुझे कर्म करने का अधिकार है , कर्म फल पाने का नहीं संत रहीम दास जी
प्रस्तुति राकेश खुराना
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