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Tag: संत मीरा बाई

सतगुरु उस अगम , निराकार , अगोचर का देहधारी स्वरूप है

सतगुरु मुकर दिखाया घट का नाचूंगी दे – दे चुटकी ।
मेरा सुहाग अब मोकूं दरसा और न जाने घट – घट की ।

Rakesh khurana on sant meera bai

मीरा कहती है – सतगुरु ने मेरे अंतर का दर्पण साफ़ कर दिया है , जिसमें मुझे प्रभु के दर्शन होते हैं । मैं सुहागिन हो गई । मेरी आत्मा का परमात्मा से मिलन हो गया । इस आनंद में मैं खुश होकर नाचूंगी । सतगुरु ही घट के आन्तरिक रहस्य को जान सकता है ।
मीरा कहती है सतगुरु के अलावा घट की बात जानने वाला परमात्मा है । इससे सिद्ध होता है कि सतगुरु परमात्मा का ही अभिन्न स्वरूप है । सतगुरु उस अगम , निराकार , अगोचर का देहधारी स्वरूप है ।
संत मीराबाई
प्रस्तुति राकेश खुराना