प्राचीन स्मारकों और पुरातत्व स्थलों पर हुए अवैध कब्जे हटा लिए गए हैं यह दावा आज राज्य सभा में केंद्रीय संस्कृति मंत्री ने किया
संस्कृति मंत्री श्रीमती चंद्रेश कुमारी कटोच ने बताया कि प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्व स्थल तथा अवशेष 1958 अधिनियम 2010 (संशोधन एवं मान्य) के प्रावधानों के अनुसार संरक्षित स्मारकों के परिसर और उनके आस-पास किए गए अतिक्रमण को हटा दिया गया है।
राज्य सभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में श्रीमती कटोच ने बताया कि सार्वजनिक परिसर अधिनियम 1971 (अवैध नियंत्रणकर्ताओं का निष्कासन) के तहत सर्किल के प्रभारी पुरातत्वविद् अधीक्षक को बेदखली नोटिस/आदेश जारी करने के लिए एक एस्टेट अधिकारी की शक्तियां प्रदान की गई हैं।
प्राचीन स्मारक एवं पुरातत्व स्थल तथा अवशेष 1958 अधिनियम 2010 (संशोधन तथा मान्य) तथा नियम 1959 के तहत उन्हें कारण बताओ नोटिस जारी करने का अधिकार भी दिया गया है। केंद्र सरकार द्वारा इस अधिनियम के भाग 19(2) तथा भाग 38(2) के तहत ऐसे अवैध निर्माण को हटाने के लिए जिलाधिकारी को भी निर्देश देने का अधिकार होगा। ऐसे अवैध अतिक्रमण को रोकने और निर्माण की पहचान और उन्हें हटाने के लिए संबंधित राज्य सरकार/पुलिस बल की सहायता मांगी गई है। इसमें सफलता न मिलने पर अतिक्रमण करने वाली के विरुद्ध अदालत में मामला दर्ज किया जाएगा। इसके अतिरिक्त संरक्षित स्मारकों की सुरक्षा के लिए निजी सुरक्षा कर्मचारी, राज्य पुलिस बल तथा सीआईएसएफ की सहायता ली जाएगी ताकि इन स्मारकों पर नियमित रूप से निगरानी रखी जा सके।
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प्राचीन स्मारकों पर हुए अवैध कब्जे हटा लिए गए हैं:केंद्रीय संस्कृति मंत्री
देश में ८ स्मारकों पर अतिक्रमण हो चूका है और कुल 92 स्मारक/स्थल विलुप्त हो चुके हैं
देश में ८ स्मारकों पर अतिक्रमण हो चूका है और कुल 92 स्मारक/स्थल विलुप्त हो चुके हैं |
नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक (CAG)[कैग] ने अपनी रिपोर्ट में देश के संस्कृति मंत्रालय की शिथिलताओं को उजागर किया है| भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग के निष्पादन लेखा परीक्षण के बाद, कैग ने संसद में 23 अगस्त, 2013 को प्रस्तुत रिपोर्ट में कहा कि 92 स्मारक/स्थल विलुप्त हो चुके हैं या फिर उनका पता नहीं लगाया जा सका है। सीएजी की इस रिपोर्ट के आधार पर क्षेत्र अधिकारियों से कहा गया कि वे अपने अधिकार क्षेत्र में आने वाले उस हर एक स्मारक का विस्तृत प्रमाणन करे, जिनका उल्लेख लेखा परीक्षण दल ने विलुप्त हो चुके स्मारकों के तौर पर किया है।
भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के क्षेत्रीय अधिकारियों से जरूरी सूचना प्राप्त हुई है और इसमें कहा गया है कि 92 स्मारकों में से 65 स्मारक विलुप्त हो चुके स्मारक या ऐसा स्मारक नहीं कहा जा सकता, जिनका पता न लगाया जा सकता हो। जो स्मारक जलाशयों में डूब गए हैं, जिन पर अतिक्रमण हो चुका है या फिर जो तेज गति से होते शहरीकरण से प्रभावित हुए हैं, उन्हें भी लेखा परीक्षण दल द्वारा विलुप्त हो चुके स्मारकों के तौर पर दर्शाया गया है। एएसआई द्वारा प्रमाणन किये जाने के बाद 92 स्मारकों/स्थलों की स्थिति निम्नलिखित है –
(i) स्मारक मौजद हैं====================================39
(ii) स्मारक जो बांधों/जलाशयों में डूब गए हैं=====================12
(iii) जिन स्मारकों पर अतिक्रमण हो चुका है======================08
(iv) जिन स्मारकों पर शहरीकरण का प्रभाव पड़ा है=================06
(v) जिन स्मारकों का क्षेत्र कार्यालयों द्वारा प्रमाणन किया जाना बाकी है==06
(vi) प्रमाणन के बाद जिन स्मारकों का पता नहीं चल सका=============21
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