[मेरठ,यूपी]सीजीएचएस के वरिष्ठ लाभार्थियों ने दवा वितरण प्रणाली के विरुद्ध आंदोलन की चेतावनी दी
सी जी एच एस के वरिष्ठ लाभार्थियों ने आज दवा वितरण प्रणाली के विरुद्ध रोष व्यक्त किया और सी बी आई जांच की मांग की| सेवा निवृत कर्मचारी कल्याण समिति के सदस्यों ने आज कमिश्नरी पार्क में इमरजेंसी सभा की जिसमे अध्यक्ष लोकेश मूर्ति ने सदस्यों को बताया के सी जी एच एस द्वारा अधिकृत रतन मेडिकल स्टोर से १६ दिसंबर से लाभार्थियों को इंडेंट की दवाइयां नहीं दी जा रही हैजिसके फलस्वरूप बुजुर्ग लाभार्थियों को बढ़ी परेशानी हो रही है |नोटबंदी के कारण नकदी की कमी से जूझ रहे बुजुर्गों को बाजार से भी राहत नहीं है ऐसे में अधिकृत चिकित्सा सेवा से भी महरूम किया जा रहा है |सी जी एच एस के अपर निदेशक को लिखे पत्र में उन्होंने २८ दिसंबर से व्यवस्था के खिलाफ आंदोलन करने की भी चेतावनी दी है |मीटिंग में कुछ सदस्यों ने दबे जुबान में संकट के लिए कमीशनखोरी को एक कारण बताते हुए कहा के डीलर रतन मेडिकल स्टोर ने सी जी एच एस से लाखों रुपये का बकाया लेना है जिसका भुगतान अकारण रोक लिया गया है |इसके पीछे कमीशनखोरी का मामला है |एक तरफ तो पी एम् नरेंद्र मोदी भ्रष्टाचार के विरुद्ध अलख जलाये हैं तो दूसरी तरफ केंद्र सरकार के इस कार्यालय में खुले आम भ्र्ष्टाचार का बोलबाला है |इसकी अपर निदेशक से पुष्टि नहीं हो पाई |
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सीजीएचएस के वरिष्ठ लाभार्थियों ने दवा वितरण प्रणाली के विरुद्ध आंदोलन की चेतावनी दी
औषधि महानियंत्रक और भारतीय दवाओं की क्वालिटी खराब बताने वाली खबरें गलत
भारत में बनी दवाओं की क्वालिटी को ख़राब बताने वाली ख़बरों का खंडन करते हुए भारत सरकार ने औषधि उद्योग को बदनाम करने की साजिश बताया है
स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने उन खबरों को गलत बताया है तथ्यात्मक रूप से और जिनके अनुसार भारत में बनी दवाओं की क्वालिटी अच्छी नहीं होती।
भारत के स्वास्थ्य एवं और परिवार कल्याण मंत्रालय द्वारा जारी एक विज्ञप्ति में देश विदेश के प्रिंट मीडिया में हाल ही में छपी ये खबरें भारत के औषधि उद्योग और भारतीय राष्ट्रीय नियामक प्राधिकरण अर्थात भारत के औषधि महानियंत्रक को बदनाम करने की नीयत से फैलाई गई हैं। विज्ञप्ति के अनुसार भारत के औषधि महानियंत्रक ने 30 जनवरी 2014 को अपने इंटरव्यू में जो कुछ कहा था वह उसे संदर्भ से हट कर और सनसनीखेज बनाकर छापा गया है। औषधि एवं सौंदर्य प्रसाधन अधिनियम 1940 में ऐसे अनेक प्रावधान हैं जिनके जरिये दवाओं की गुणवत्ता, सुरक्षा और प्रभावशीलता सुनिश्चित की जा सकती है। असलियत यह है कि भारतीय औषधियां 205 से ज्यादा देशों में प्रचलित हैं। इनमें विकसित और विकासशील देश शामिल हैं।
विज्ञप्ति में बताया गया कि विश्व स्वास्थ्य संगठन की एक अंतर्राष्ट्रीय टीम ने 2013 में भारत के औषधि महानियंत्रक कार्यालय का निरीक्षण किया था और एलान किया था कि भारतीय राष्ट्रीय विनियामक प्राधिकरण टीकों के मापदंडों पर ठीक काम कर रहा है। भारतीय औषधियों ने दुनिया की मंडियों में अपनी जगह बना ली है और दुनिया के अनेक देशों को भारत से 15 अरब अमरीकी डॉलर के मूल्य की दवाएं निर्यात की जाती हैं। देश में कुल 360 औषधि निर्माण यूनिटें हैं जो अमरीका की फेडरल ड्रग अथॉरटी (एफडीए) से अनुमोदित हैं।
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