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मोदी ने बिहार को जंगलराज बताया तो केजरीवाल ने दिल्ली को रैप केपिटल बता डाला:नए समीकरण

मोदी ने बिहार में अपराधों के आंकड़े दिखाए तो दिल्ली में केजरीवाल ने क्राइम रिकॉर्ड खंगाले
बीत दिनों नरेंद्र मोदी ने बिहार में अपनी दो रैलियों के दौरान बिहार में बढ़ते अपराधों पर चिंता व्यक्त करते हुए अपराध के आंकड़े प्रस्तुत किये और लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार के राज को बताया तो दिल्ली में आम आदमी पार्टी[आप] ने दिल्ली को रैप केपिटल बता डाला |बिहार के सीएम के दिल्ली विजिट से पूर्व यह ब्यान बिहार की राजनीती में यह नया समीकरण का संकेत हो सकता है |
“आप” पार्टी ने विज्ञप्ति जारी करके बताया कि देश की राजधानी में महिलाओं पर हो रहे अपराधों के जो आंकडे सामने आये है वो शर्मनाक एवं बेहद चौंका देने वाले है अन्य राज्यों की तुलना में दिल्ली में महिलों के साथ बलात्कार की वारदात कई गुना अधिक है |आंकड़ों के विश्लेषण के बाद अखबारों ने दिल्ली को “रेप कपिटल” कहा है.|
एनसीआरबी के आंकड़ों के अनुसार भारत के चार महानगर
[१]मुम्बई में 2014 में 607,
[२]चेन्नई में 65,
[३]कोलकाता में 36 बलात्कार के मामले हैं वही
[४]दिल्ली में 1813 बलात्कार के मामले सामने आए हैं.
बलात्कार के मामलों का औसत दिल्ली में और राज्यों के मुकाबले कहीं ज्यादा है | महिलाओं की सुरक्षा के मामले दिल्ली की इस शर्मनाक स्थिति के लिए भाजपा की केंद्र सरकार जिम्मेदार है|
“आप” पार्टी ने केंद्र सरकार को निशाने पर लेते हुए कहा कि दिल्ली की कानून व्यवस्था की जिम्मेदारी मोदी सरकार की है मगर उसके द्वारा दिल्ली पुलिस का जिस तरह से राजनीतिकरण हो रहा है वह बहुत ही शर्मनाक है, देश के प्रधानमंत्री को इस विषय में सोचना चाहिए कि दिल्ली पुलिस कानून व्यवस्था के अपने कामों को छोड़ कर राजनितिक बयानबजी में व्यस्त है और दिल्ली सरकार के काम में दखलंदाजी करती है जिस कारण से दिल्ली की महिलाएं आज सुरक्षित नहीं है | केंद्र की भाजपा सरकार दिल्ली पुलिस का गुजरात की तर्ज पर राजनीतिकरण कर रही है|
आम आदमी पार्टी द्वारा जितने भी महिला सुरक्षा के लिए कदम उठाने के प्रयास किये है उनमे हर जगह बाधा पैदा की गयी है चाहे वह बसों में मार्शल तैनाती का मामला हो या पुलिस थानों में सीसी टीवी कैमरे लगाने की योजना हो, आज भी बसों में तैनाती के लिए जितने होमगार्डों की जरुरत थी उसके आधे ही सरकार को मिल पाए है जबकि थानों में सीसी टीवी कैमरे लगवाने की योजना को पुलिस ने सिरे से ख़ारिज कर दिया है |
आम आदमी पार्टी ने दावा किया कि वोह देश की राजधानी को बलात्कारी महानगर के नाम से मुक्त करना चाहती है जिस कारण आम आदमी पार्टी की सरकार द्वारा महिला सुरक्षा के लिए कई अहम् कदम दिल्ली सरकार ने समय-समय पर उठाने के प्रयास किये है, जिसमे मोदी सरकार और दिल्ली पुलिस का असहयोगी रवैया हमेशा सामने आता रहा है जिसके कारण से सरकार के द्वारा उठाये गए कदम कारगर साबित नहीं हो रहे हैं |
आम आदमी पार्टी ने मोदी सरकार से मांग की है कि दिल्ली पुलिस को अपनी राजनैतिक महत्वाकांक्षा के लिए इस्तेमाल करना बंद करे और दिल्ली पुलिस को दिल्ली की कानून व्यस्था को चुस्त और दुरुस्त करने के लिए निर्देश दे

मीडियाकर्मियों की हो रही हत्याओं के आंकड़ों से गृहमंत्रालय और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया अनजान

[नई दिल्ली]मीडियाकर्मियों की हो रही हत्याओं के आंकड़ों से गृहमंत्रालय और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया अनजान| पत्रकारों की हत्‍या के आंकड़े अलग से नहीं रखे जाते हैं।
मीडिया कर्मियों पर आये दिन हमले हो रहे हैं लेकिन इसकी जानकारी गृह मंत्रालय और प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया में नहीं है
गृह राज्‍य मंत्री हरिभाई परथीभाई चौधरी ने आज लोकसभा में एक प्रश्‍न के लिखित उत्‍तर में बताया कि राष्‍ट्रीय अपराध रिकार्ड ब्‍यूरो (एनसीआरबी) ने वर्ष 2014 से गंभीर चोट के अंतर्गत मीडियाकर्मियों पर हमले के आंकड़े इकट्ठे करना शुरू किए हैं। पत्रकारों की हत्‍या के आंकड़े अलग से नहीं रखे जाते हैं। उपलब्‍ध आंकड़ों के अनुसार वर्ष 2014 के दौरान मीडियाकर्मियों पर हमले (गंभीर चोट) के अंतर्गत कुल 113 मामले दर्ज किए गए थे और 30 व्‍यक्तियों को गिरफ्तार किया गया था।
श्री हरिभाई परथीभाई चौधरी ने बताया कि गृह मंत्रालय को प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया की ओर से ”पत्रकारों की सुरक्षा” पर कोई रिपोर्ट प्राप्‍त नहीं हुई है और पत्रकारों पर हमले की जांच के लिए विशेष कार्य बल के गठन का कोई प्रस्‍ताव नहीं है। किसी व्‍यक्ति को सुरक्षा देने का प्रावधान उस राज्‍य सरकार की मुख्‍य जिम्‍मेदारी है, जिसके क्षेत्राधिकार में आम तौर पर वह व्‍यक्ति निवास करता है। सुरक्षा एजेंसियों द्वारा खतरे के मूल्‍यांकन के आधार पर सुरक्षा प्रदान की जाती है। पत्रकारों/मीडियाकर्मियों के लिए सुरक्षा प्राप्‍त करने वालों का अलग से कोई वर्गीकरण नहीं है, हालांकि सुरक्षा कवर के लिए आवेदन देने वालों में पत्रकार/मीडियाकर्मी भी शामिल हैं। पत्रकारों/ मीडियाकर्मियों सहित सभी व्‍यक्तियों से प्राप्‍त अभ्‍यावेदनों को उनके ऊपर खतरे का मूल्‍यांकन करने के लिए सुरक्षा एजेंसियों को भेज दिया जाता है। उनके ऊपर खतरे के मूल्‍यांकन के अनुसार सुरक्षा प्रदान करने के लिए संबंधित राज्‍य सरकरों/पुलिस को उपयुक्‍त परामर्शी पत्र जारी किए जाते हैं।