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दिल्ली सरकार से संवैधानिक अधिकार लेने के लिए सिख अल्प संख्यकों में जाग्रति अभियान शुरू

दिल्ली सिख गुरुद्वारा मेनेजमेंट कमेटी (DSGMC)ने अल्पसंख्यकों को उनके संवैधानिक अधिकार दिलाने के लिए सिखों में जागृति अभियान शुरू कर दिया है| गुरुद्वारा रकाब गंज न्यू दिल्ली परिसर में चलाये जा रहे जाग्रति अभियान का एक हिस्सा शिक्षा से भी जुडा है|
एस पी जी सी + दिल्ली माइनॉरिटी अवेयरनेस और डी एस जी एम् सी के सदस्य गुरमिंदर सिंह मथारू [S. Gurminder singh matharoo ] ने बताया कि सरकार ने अनेकों कल्याणकारी यौजनाएं चला रखी है| इनमे से स्कूल फीस की रिंबर्स्मेंट[ reimbursement of the fee from govt. ] भी है| एन सी टी सरकार के अलावा डी एस जी एम् सी द्वारा भी प्रतिवर्ष ऐसी यौजनाएं चलाई जाती है जिनके अंतर्गत प्रत्येक कमेटी सदस्य को ५ लाख रुपयों की निधि दी जाती है|५१ सदस्यों को प्रति वर्ष ढाई करोड़ रुपये एलोट किये जाते हैं| इस फण्ड को वितरित करने के लिए ११ हरि कृषण पब्लिक स्कूलों के अलावा अनेक छेत्रों में जाग्रति कैम्प भी लगाए जा रहे हैं| निर्धन कन्या की शादी+कीर्तन दरबार के लिए भी २ लाख से कम आय वालों के बच्चों को जिले के एस डी एम् से सर्टिफिकेट ला कर इस का लाभ उठाया जा सकता है| आज कल पब्लिक स्कूलों में २५०० से ३००० रुपयों की फीस देनी पड़ती है|ऐसे में यह सुविधा बड़ी राहत दे सकती है|इसीलिए दो लाख से कम आय वालों का सुविधा लेने के लिए एस डी एम् से आय का सर्टिफिकेट ले लेना चाहिए|

गुरुद्वारा रकाब गंज साहब परिसर में १९८४ सिख कत्लेआम यादगार की नीव का पत्थर लगा ही दिया

तमाम रुकावटों को धत्ता बताते हुए आज सुबह पांच सिंह साहबान की सरपरस्ती में एतिहासिक गुरुद्वारा रकाब गंज साहब परिसर में १९८४ सिख कत्लेआम यादगार की नीव का पत्थर लगा दिया गया| राजनीतिक+सामाजिक+ धार्मिक नेताओं ने बड़ी संख्या में सिख इतिहास के इस नए अध्याय की रचना के गवाह बनने का गौरव प्राप्त किया| दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के सौजन्य से आज एतिहासिक गुरुद्वारा रकाब गंज साहब परिसर में १९८४ में हुए जनसंहार के शहीदों की याद में स्मारक की नीव का पत्थर रखा गया |सिख कत्ले आम यादगार का नीव पत्थर ज्ञानी त्रिलोचन सिंह [जत्थे दार तख्त केशगड़साहब]द्वारा अरदास के उपरांत रखा गया|पत्थर का अनावरण ज्ञानी गुरबचन सिंह[जत्थे दार अकाल तख्त साहब]ने किया |इस अवसर पर प्रमुख धार्मिक विद्वान् ज्ञानी बलवंत सिंह [जत्थेदार तख्त श्री दमदमा साहब]+ज्ञानी मल सिंह[ मुख्य ग्रंथी श्री दरबार साहब]ज्ञानी गुरमुख सिंह[श्री अकाल तख्त साहब]बाबा बचन सिंह[कारसेवा वाले]बाबा लखा सिंह [नानक सर वाले]महंत अमृतपाल सिंह[गुरुद्वार टिकाना साहब]+ आदि उपस्थित थे |इस अवसर पर एस ऐ डी [अकाली दल]के अध्यक्ष और पंजाब के उप मुख्य मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने कांग्रेस सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि केंद्र और दिल्ली राज्य की सरकारों ने लगातार सिखों को न्याय देने से इंकार किया है|इसीलिए दोषी सज्जन कुमार +जगदीश टायटलर को खुला छोड़ा हुआ है|जब न्याय नही मिला तो पंथ के पास केवल इस मेमोरियल के निर्माण का ही विकल्प बचा है|उन्होंने बताया कि १९८४ के जनसंहार में ४००० निर्दोष सिखों का कत्ल हुआ था| ४००० लोगों की आत्माओं को शांति प्रदान करने और काले अध्याय को जिन्दा रखने के लिए जब इस मेमोरियल को बनाने का निर्णय लिया गया तब दिल्ली सरकर इसगैर कानूनी बता रही है|गुरुद्वारा अध्यक्ष मंजीत सिंह ने कहा कि कौमे वोही जिन्दा रहती हैं जो अपने इतिहास को याद रखती हैं इसीलिए यह मेमोरियल हमें हमारे विरुद्ध अन्याय का याद दिला कर हमें ज़िंदा रखेगा|महा सचिव मनजिंदर सिंह सिरसा ने सपोर्ट के लिए सबको धन्यवाद दिया|

 गुरुद्वारा रकाब गंज साहब परिसर में १९८४ सिख कत्लेआम यादगार की नीव का पत्थर लगा ही दिया

गुरुद्वारा रकाब गंज साहब परिसर में १९८४ सिख कत्लेआम यादगार की नीव का पत्थर लगा ही दिया


इनके अलावा पंजाब के उप मुख्य मंत्री सुखबीर सिंह बादल+अवतार सिंह+ सांसद सुख देव सिंह ढींडसा + हर सिमरन कौर बादल +मंजीत सिंह[दिल्ली कमेटी अध्यक्ष]+मनजिंदर सिंह सिरसा[महासचिव]रविंदर सिंह खुराना+तन्वन्त सिंह+हरमीत सिंह कालका+भाजपा के अध्यक्ष राज नाथ सिंह+ श्री मति सुषमा स्वराज+ सांसद नरेश गुजराल+विजय गोयल+अवतार सिंह हित+ओंकार सिंह थापर+कुलदीप सिंह भोगल+भूपिंदर सिंह आनंद+गुरमिंदर सिंह+जतिंदर सिंह शंठी +जसबीर सिंह जस्सी+कप्तान इन्द्रप्रीत सिंह+अमरजीत सिंह पप्पू+समर दीप सिंह+चमन सिंह+गुरलाड सिंह+ एम् पी एस चड्डा+परम जित सिंह चंडोक+मोंटी+ बलवंत सिंह रामूवालिया+त्रिलोचन सिंह आदि ने भी इस एतिहासिक घटना में हाजरी भरी|
इस अवसर पर गुरुद्वारा परिसर में भाई लखी शाह वंजारा हाल में गुरु अर्जुन देव के शहीदी दिवस पर कीर्तन समागम भी हुआ|इसमें कीर्तनी +ढाडी जत्थों +कवियों ने गुरुवाणी के अमृत की वर्षा करके सबको निहाल किया| अवतार सिंह प्रधान ने कहा कि कौमे वोही ज़िंदा रहती हैं जो अपने इतिहास को याद रखती है|नवम्बर १९८४ में सिखों ने तो अन्याय का संताप झेला है उसकी यादगार का पत्थर रखने पर दिल्ली कमेटी बधाई का पात्र है| ज्ञानी गुर बचन सिंह ने कहा कि १९८४ में जो सिखों कि बर्बादी हुई है उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता|सुख देव सिंह ढींढसा ने सिख कौम के योगदान का वर्णन करते हुए बताया कि सिख कौम कि आबादी केवल २% है लेकिन अन्न भण्डार में ७०% का यौग दान है |सभी युद्धों में आगे बढ कर लहू बहाया है|इसके बाव्जोद पवित्र धार्मिक स्थलों को १९८४ में ढहाया गया है|