Ad

Tag: अमर सिंह

उत्तर प्रदेश में भी अंग्रेजों का समाज वाद यानि चैरिटी बिगिन्स एट होम


झल्ले दी गल्ला

समाज वादी

ओये झल्लेया ये ह्साड़े मुल्क को किधर धकेला जा रहा है?पहले तो ओनली कांग्रेस पर ही वंशवाद + ब्राह्मण वाद+वोटों की राजनीती करने का आरोप लगता था अब ये आरोप लगाने वाले सपाई खुद ही अपनी पार्टी में परिवार वाद वंश वाद को बढावा दे रहे हैं |देखो लोक सभा के लिए २०१४ में होने वाले चुनावों में प्रदेश की ८० सीटों के लिए १०% उम्मीदवार तो अपने परिवार से ही चुन लिए हैं| यकीन नहीं आता तो लिस्ट हाज़िर है [1.] मैनपुरी-मुलायम सिंह यादव2. कैराना-नाहिद हसन3. मुजफ्फरनगर-गौरव स्वरूप4. नगीना-यशवीर सिंह5. मुरादाबाद-एसटी हसन6. अमरोहा-श्रीमती हुमेरा7. बागपत-विजय कुमार सिंह8. गाजियाबाद-सुधन रावत9. गौतमबुद्धनगर-नरेंद्र भाटी10. हाथरस-रामजी लाल सुमन 11. मथुरा-चंदन सिंह12. आगरा-महराज सिंह 13. फतेहपुर सीकरी-डा. राजेंद्र सिंह[१४]. फिरोजाबाद-अक्षय यादव[15.] एटा-देवेंद्र सिंह यादव[१६]. बदायूं-धर्मेद्र यादव17. आवला-कुवंर सर्वराज सिंह18. पीलीभीत-बुद्धसेन वर्मा19. शाहजहापुर-मिथलेश कुमार
20. खीरी-रविप्रकाश वर्मा21. धौरहरा-आनंद भदौरिया22. हरदोई-ऊषा वर्मा23. मिश्रिख-जयप्रकाश रावत24. उन्नाव-अरुण कुमार शुक्ला25. मोहनलाल गंज-सुशीला सरोज26. लखनऊ-अशोक वाजपेई27. सुलतानपुर-शकील अहमद28. प्रतापगढ़-सीएन सिंह[२९] . इटावा-प्रेमदास कठेरिया[३०]. कन्नौज-डिम्पल यादव31. अकबरपुर-लाल सिंह तोमर32. जालौन-घनश्याम अनुरागी[33.] झासी-चंद्रपाल सिंह यादव34. हमीरपुर-विशम्भर प्रसाद निषाद35. बादा-आरके पटेल36. फतेहपुर-आरके सचान37. कौशाम्बी-शैलेंद्र कुमार38. इलाहाबाद-रेवती रमण सिंह39. बाराबंकी-श्रीमती राजरानी रावत40. फैजाबाद-तिलकराम वर्मा41. बहराइच-शब्बीर अहमद बाल्मीकी42. कैसरगंज-बृजभूषण शरण सिंह
43. गोण्डा-कीर्तिवर्धन सिंह44. डुमरियागंज-माता प्रसाद पाण्डेय45. बस्ती-बृजकिशोर सिंह46. गोरखपुर-श्रीमती राजमती निषाद47. लालगंज-दूधनाथ सरोज48. घोसी-बाल किशन चौहान49. बलिया-नीरज शेखर[50.] जौनपुर-केपी यादव51. मछली शहर-तूफानी सरोज52. चंदौली-राम किशुन53. वाराणसी-सुरेंद्र सिंह पटेल54. भदोही-श्रीमती सीमा मिश्रा
55. राबर्टसगंज-पकौड़ी लाल

अंग्रेजों का समाज वाद यानि चैरिटी बिगिन्स एट होम

झल्ला

ओ भोले बाबू आप किस समाज वाद में खोये हुए हो अब तो अंग्रेजों का समाज वाद चल रहा है यानि चेरिटी बिगिन्स एट होम
इन चेरिटी वालों को भी कोई कम नहीं समझो माननीय मुलायम सिंह यादव की साईकिल पर एक सवार के साथ अनेको राजनीतिक दावँ लदे हुए हैं|
[१]कांग्रेस के साथ मोल भाव करने के लिए दरवाज़ा खोल दिया है[२] भाजपा पर अपने प्रत्याशियों को उजागर करने के लिए दबाब बना दिया है| भाजपा यदि अब अपने पत्ते खोल देती है तब कांग्रेस को अपने कार्ड्स खेलने में आसानी हो जायेगी|[३]अपने बाग़ी साथी ठाकुर अमर सिंह से दूरी बनाये रखने के लिए अमर सिंह की प्रिय ज्याप्रदा को भाव नहीं दिया[4] बागपत में चौधरी अजित सिंह के लिए जहां फील्ड समतल रखी हैं वहीं रालोद से निकली अनुराधा चौधरी को अभी तक कोई भाव नहीं दिया गया है ऐसे में अजित सिंह के एविएशन मिनिस्ट्री से प्राथमिकता ली जा सकती है| |

अमिताभ बच्चन के जन्म दिन पर नए आए तो बहुत मगर कुछ पुराने अनुपस्थित भी रहे

एक साथ तीन पिडिओं के चहेते अमिताभ बच्चन ने अपना ७० वाँ जन्म दिन मनाया धूम धाम से मनाया सो हमारी तरफ से भी ढेरों बधाईयाँ | ४० साल के फ़िल्मी सफ़र में अमिताभ ने अनेकों बदलावों का सामना किया है| सफलता की अनेक उठती गिरती लहरों में अपना वजूद बनाया है |इस सफ़र में अनेक रिश्ते बने +दोस्त बने तो कई रिश्ते या दोस्त बिगड़ भी गए |जो कभी अमिताभ से खफा थे आज अमिताभ की पार्टी में सपरिवार उपस्थित थे लेकिन जिन लोगों ने कभी अमिताभ को सहयोग दिया सहारा दिया सफलता के लिए सीडी प्रदान की ऐसे लोग पार्टी से नदारद थे अनुपस्थित थे या फिर बुलाये ही नहीं गए थे|
सबसे पहले अमिताभ और गांधी परिवार के रिश्तों की बात की जाये |यह जग जाहिर है कि फिल्मो में करियर शुरू करने और अमिताभ को ऊपर उठाने में कांग्रेस का बहुत बड़ा हाथ रहा है|इमरजेंसी के दौर में तो इनके कहने पर फिल्मो को बैन करके इनकी फिल्मो को रिलीज करवाया जाता था|शोले इसका एक उदहारण हो सकता है|विद्याचरण शुक्ल और संजय गाँधी ने सभी रुकावटों को दर किनार करते हुए अपराध प्रधान मार धाड़ वाली शोले रिलीज करवाई | बाद में यह फिल्म सफलता का इतिहास लिख गई| इसके बाद देश में अपराध प्रधान फिल्मो की लाईन ही लग गई| इनके कांग्रेस से रिश्तों के सम्मोहन में उस समय के सहयोगी कलाकार धर्मेन्द्र+राजेश खन्ना +विनोद खन्ना+शशि कपूर+शत्रुघन सिन्हा+आदि के मुकाबिले इनके रोल्स में जान डाली जाने लगी बड़े बड़े निर्देशक और निर्माता इन पर दावं लगाने लग गए |मल्टी स्टारर फिल्मो की सफलता से लगातार बुलंदियों को छूते चले गए| कांग्रेस के टिकट पर सांसद बनने का अवसर भी मिला |इलाहाबाद से एच एन बहुगुणा को हरा कर कर राजीव गांधी के हाथ भी मजबूत किये|
लेकिन आश्चर्यजनक रूप से जब राजीव और बाद में उनकी विधवा को सहायता की जरुरत थी तब अमिताभ का कंधा शायद कहीं दिखाई नहीं दिया|बोफोर्स के समय तो अमिताभ स्वयम ही पोलिटिक्स छोड़ कर अलग जा खड़े हुए |राजीव की शहादत के बाद उनकी अंत्येष्टि पर दिखाई जरुर दिए मगर प्रियंका गांधी की शादी के बाद दूरी बड़ती गई आज गांधी परिवार का कोई सदस्य [यदि में गलत नहीं हूँ तो]जन्म दिन के जश्न में शामिल नहीं था|

अमिताभ बच्चन के जन्म दिन पर नए आए तो बहुत मगर कुछ पुराने अनुपस्थित भी रहे


दूसरे नंबर पर ठाकुर अमर सिंह की अनुपस्थिति भी खलने वाली है|विशेष तौर पर जब मुह बौले छोटे भाई अमर सिंह अपने बड़े भाई को उनके जन्म दिन पर उपेक्षित करने का तंज़ मीडिया के माध्यम से उपहारमें दें तब यह चौंकाने वाला बन जाता है|सर्व विदित है कि अमिताभ के जीवन में एक दौर ऐसा आया जब उनकी कम्पनी ऐ बी सी फ्लाप हो गई बुरी तरह से कर्ज़ में डूब गए तब अमर सिंह उनकी डूबती नैय्या के खेवन हार बने और उसे पार लगाया |यह स्वयम अमिताभ ने स्वीकार भी किया है कि यदि अमर सिंह नहीं होते तब महानायक मुम्बई में टैक्सी चला रहा होता|
कल तक शत्रुघन सिन्हा जो पानी पी पी कर अमिताभ के प्रति अपनी भडास निकाला करते थे आज इस जन्म दिन के जश्न में शामिल थे|संभवत अमर सिंह के कारण नज़दीक आये मुलायम सिंह यादव भी परिवार के साथ दिखाई दिए|
वैसे तो युवा पीड़ी के र्हितिक रोशन+सलमान खान+आमिर खान+विवेक ओबेरॉय+बिपाशा आदि भी दिखाई नहीं दिए लेकिन इनके लिए अमिताभ से ज्यादा उनके बच्चो के रिश्ते के विषय में चर्चा की जाने चाहिए|गांधी परिवार तो अमिताभ के लिए राजा था सो रिश्ते बनाने के लिए इन्होने स्वयम को रंक कहा था मगर अमर सिंह के केस में तो ये स्वयम राजा है सो रिश्ते या सम्बन्ध बनाने में इनकी पहल ही देखी जायेगी|