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महाराष्ट्र के उप मुख्यमंत्री अजित पवार भी कैग के शिकार हुए: इस्तीफा दिया

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने आज मंगलवार को अपने पद से इस्तीफा दे दिया है महज ३ महीने में २५ हजार करोड़ की ३२ सिंचाई बांध परियोजनाओं को दी गई मंजूरी पर कैग की नज़र थी इन परियोजनाओं को आनन् फानन में मंजूरी देने की खबर सामने आने के बाद सीएजी ने मामले में ऑडिट करना शुरू कर दिया है। गौरतलब है कि महाराष्ट्र के सिंचाई विभाग का जिम्मा कई सालों तक अजीत पवार के पास रहा। सिंचाई विंभाग के काम करने के तरीके पर पहले ही नाराजगी जताई जाती रही है|। यहां तक कि मुख्य मंत्री पृथ्वी राज चव्हाण ने सिंचाई विभाग पर श्वेतपत्र लाने की बात भी कही है। महाराष्ट्र का सिंचाई मंत्रालय लंबे समय से सीएजी की नजर में था। इस मामले में सीएजी की टीम कल दिन भर मंत्रालय में थी। महाराष्ट्र के विदर्भ इलाके में प्रस्तावित २५ हजार ८३४ करोड़ की बांध परियोजनाओं की ३२ फाइलें महज ३ महीने में पास कर दी गई। राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और देश के कृषि मंत्री शरद पवार के भतीजे अजित पवार ने वर्ष २००९ में जून से अगस्त के बीच ये तेजी दिखाई थी। अजित पवार तब महाराष्ट्र के जल संसाधन मंत्री थे। सवाल उठा कि आमतौर पर सुस्ती के लिए पहचानी जाने वाली सरकारी मशीनरी ने ये स्पीड कैसे पकड़ी ?इस प्रश्न ने अब घोटाले की शक्ल अख्तियार कर ली है|
बॉम्बे हाईकोर्ट के नागपुर पीठ में इस बाबत याचिका दाखिल हो चुकी है। बताया जा रहा है की विदर्भ सिंचाई विकास महामंडल से मंजूरी के स्थान पर मंत्री ने मंजूरी दे दी | परियोजनाओं के लिए जो ठेके दिए गए, उस पर सिंचाई विभाग के सचिव के भी हस्ताक्षर नहीं पाए गए हैं। विपक्ष के अलावा सिंचाई विभाग के मुख्य अभियंता विजय पांढरे ने भी इस मामले में भ्रष्टाचार के तमाम आरोप लगाए हैं। जाहिर है, अजित पवार की मुसीबत बढ़ गई है। ऐसे में एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार खुद भतीजे अजीत पवार का बचाव करने सामने आ गए। शरद पवार ने कहा है कि परियोजनाओं को मंजूरी विधानपरिषद में विपक्ष के तत्कालीन नेता नितिन गडकरी की मांग पर दी गई।
अजित पवार ने अपने बचाव में कहा कि ये सभी आरोप सरासर गलत हैं। मेरे कार्य करने का स्टायल यही है कि मैं जल्द से जल्द काम निपटाता हूं लेकिन इसमें भी घोटाला देखा जा रहा है|
अजित पवार ने जाँच की मांग करते हुए कहा कि इस पूरे मामले की जांच हो और मेरे खिलाफ भी जांच हो। पवार ने कहा कि मैंने सीएम को इस्तीफा भेज दिया है। सीएम से अनुरोध है कि वे इस्तीफे को स्वीकार करें।
जहां तक सिंचाई विभाग के कामकाज पर श्वेत पत्र लाने की बात है तो मैं इसका स्वागत करता हूं।

राहुल गांधी पर बलात्कार का आरोप विदेशी साजिश का हिस्सा :सी बी आई

कांग्रेस महासचिव और भावी प्रधान मंत्री के संभावित उम्मीदवार राहुल गांधी ने सोमवार को अपने ऊपर लागाये जी रहे बलात्कार के आरोपों पर चुप्पी तोड़ते हुए सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि उन पर लगाया गया यह आरोप कि अपने अमेठी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में उन्होंने एक महिला के साथ बलात्कार किया, उन्हें बदनाम करने की एक कुटिल राजनीतिक साजिश है.
सर्वोच्च न्यायालय में उनकी ओर से पेश वकील पी.पी. राव ने न्यायमूर्ति बी.एस. चौहान और न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की खंडपीठ से कहा कि देश के होनहार युवा नेता को बदनाम करने की कुटिल राजनीतिक साजिश का यह मामला है| गौरतलब है कि एसपी के पूर्व विधायक किशोर समरीते ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में राहुल गांधी पर कथित रूप से लड़की को बंधक बनाने में शामिल होने के आरोप लगाते हुए याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने यह याचिका खारिज करने के साथ ही एसपी के इस नेता पर 50 लाख रुपए का जुर्माना भी किया था। इसके बाद समरीते इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया था।
समरीते ने एक वेबसाइट की खबर के आधार पर आरोप लगाया कि तीन दिसम्बर, 2006 को उत्तर प्रदेश स्थित अपने निर्वाचन क्षेत्र के दौरे के दौरान राहुल ने अपने छह मित्रों के साथ एक महिला के साथ कथित रूप से बलात्कार किया और उसे अवैध रूप से कमरे में बंद रखा|
हालांकि इलाहाबाद उच्च न्यायालय समरीते की याचिका पहले ही खारिज कर चुकी है और उनके खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने का आदेश दे चुकी है + 50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है| सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी पर एक लड़की को बंधक बनाने के आरोप आधारहीन है और याचिका में दिए गए नाम और पते सही नहीं है।
सीबीआई की ओर से असिस्टेंट सॉलीसिटर जनरल हरेन रावल ने सीलबंद रिपोर्ट जस्टिस बीएस चौहान और जस्टिस स्वतंत्र कुमार की बेंच को सौंपी।
सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि राहुल गांधी को बदनाम करने के मामले में ‘विदेशी हाथ’ हो सकता है। एक लड़की को गैरकानूनी तरीके से बंधक बनाने में राहुल गांधी का नाम लिए जाने के मामले में सीबीआई ने यह बात कही। सीबीआई ने कहा है कि मामला ही फर्जी दावों पर आधारित था।
सीबीआई ने दावा किया है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट में

समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक किशोर समरीते को राहुल गांधी पर अनर्गल आरोप लगाने के धन मुहैया कराया गया था। एजेंसी का दावा है कि उसने कई ऐसी पर्चियां जब्त की हैं जिससे साफ है कि समरीते को वकील का फीस देने के लिए बाहर से पैसे मिले।

समरीते पहले कह चुके हैं कि राहुल पर आरोप लगाने के लिए उन्‍हें अखिलेश यादव ने कहा था। कथित लड़की और उसके माता-पिता को कोर्ट में पेश करने के निर्देश देने की मांग की थी।यूपी सरकार के रिकॉर्ड में पाया गया कि उस लड़की का नाम-पता दर्ज ही नहीं है। हाईकोर्ट ने यह याचिका खारिज कर दी। गलत याचिका दायर करने के लिए समरीते पर 50 लाख रुपए का जुर्माना भी किया था। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था।

एल के आडवानी के ब्लॉग से

एन डी ऐ के सर्वोच्च नेता एल के आडवानी ने अपने ब्लॉग में सी बी आई की गिरती प्रतिष्ठा पर चिंता व्यक्त करते हुए इसकी व्यापक जाँच की मांग की है|
श्री आडवानी ने बाह्य गुप्तचर एजेंसी अनुसन्धान एवं अन्वेषण विंग [रा] के पूर्व मुखिया बी रमण के एक लेख के हावाले से लिखा है कि भारत के इंटेलीजेंस क्षेत्रों में बी. रमन एक अत्यन्त प्रतिष्ठित नाम है। वह देश की बाह्य गुप्तचर एजेंसी अनुसंधान एवं अन्वेषण विंग (RAW) के मुखिया रहे हैं। वह भारत सरकार के मंत्रिमण्डलीय सचिवालय से अतिरिक्त सचिव के पद से निवृत्त हुए।आऊटलुक वेबसाइट पर हाल ही में लिखे गए एक लेख में उन्होंने इस पर खेद प्रकट किया है कि सीबीआई से लोगों को विश्वास तेजी से नीचे गिरा है। उन्होंने अनुरोध किया है कि इस एजेंसी के कामकाज की समीक्षा हेतु एक व्यापक जांच कराई जाए और लोगों की नजरों में इस एजेंसी की प्रतिष्ठा पुन: स्थापित करने हेतु कदम उठाए जाएं।रमन ने अपने लेख में एक दिलचस्प तथ्य का उल्लेख किया है कि सन् 2010 के दिसम्बर के अंतिम सप्ताह में चीन सरकार ने,चीन में भ्रष्टाचार पर एक ‘श्वेत पत्र‘ प्रकाशित किया है, और बताया गया है कि कैसे सरकार उससे निपट रही है।पूर्व रॉ प्रमुख कहते हैं: ”यहां तक कि चीन जैसे अधिनायकवादी देश में, सरकार को यह जरुरत महसूस हुई कि वह जनता को बताए कि भ्रष्टाचार सम्बन्धी उनकी चिंताओं से वह अवगत है।भारत के एक लोकतंत्र होने जिसमें लोगों के प्रति जवाबदेही मानी जाती है, के बावजूद सरकार ने सीबीआई की सार्वजनिक आलोचना के प्रति लापरवाह रवैया अपनाया और एक संस्था का पतन होने दिया जिससे भ्रष्टाचार को फलने-फूलने की अनुमति मिली।”

रक्षा छेत्र में निवेश को आने दो :अरुण शौरी

पूर्व केन्द्रीय मंत्री+ वरिष्ठ पत्रकार और भाजपा लीडर अरुण शौरी ने आज आर्थिक स्थिति को सुद्र्ड करने के लिए डिफेंस में प्रोडक्शन को बढावा देने के लिए निजी पूंजी निवेश को इजाज़त देने का सुझाव दिया|एक निजी चेनल पर एक वरिष्ठ एंकर के प्रश्नों का जवाब देते हुए श्री शौरी ने सुझाव दिया किया कि डी आर डी ओ फ़िलहाल भारतीय रक्षा सेवाओं के लिए आवश्यक सामान को मुहैय्या करवाने में सक्षम नहीं है |जी डी १२% से २% रह गई है|इससे डिफेंस पर भी असर पड़ता है|ऐसे में डिफेंस सेक्टर में प्रोडक्शन के लिए निजी पूंजी को आने देना चाहिए|इससे आर्थिक स्थिति सुधरेगी| प्रोडक्शन बढेगा+पूंजी बढेगी और नौकरियां भी बढेंगी|उन्होंने बताया कि उनके मंत्रीमंडल के रक्षा मंत्री जार्ज फर्नांडीज से लेकर वर्तमान ऐ के एंटोनी तक कहते आ रहे हैं कि इस छेत्र में पूँजी निवेश को देखेंगे मगर अभी तक कुछ नहीं हुआ|उन्होंने तत्काल रक्षा छेत्र में प्रोडक्शन के लिए पूंजी निवेश को ऐलाओ किये जाने पर जोर दिया

सिनेमा घर में शार्ट सर्किट से आग लगी

मेरठ के मछेरान में लम्बे अरसे से बंद पड़े महताब सिनेमा घर में आज आग लग गई|
आग का कारण शार्ट सर्किट बताया जा रहा है| आज सुबह लोगों ने हाल में से धुआं उठता देख फायर ब्रिगेड को बुलवा लिया आग पर तुरंत काबू पा लिया गया आग परदों में लगी बताई जा रही है|आग से कोई विशेष बड़ा नुकसान होने की खबर नहीं है|

बैंक केशियर को गोली मार कर घायल किया

मेरठ में बैंक केशियर को गोली मारी

police iS investigating THE CRIME as usual

मेरठ में क्राईम कम होने का नाम नहीं ले रहा आज भी सुबह गढ़ रोड स्थित तख्क्षीला कालोनी में बैक सवार दो बदमाशों ने एक बैंक के केशियर को गोली मार कर फरार हो गए|अजन्ता कालोनी निवासी ४५ वर्षीय प्रदीप चौधरी अपने बच्च्चो को स्कूल छोड़ कर लगभग साड़े आठ से पौने नौ स्कूटर से लौट रहे थे स्कूल के समीप बाईक सवारों ने प्रदीप के गले पर फायर झोंक दिए| गोली गले को छूती हुई निकल गई|घायल को आनंद हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है|
छेत्र में अपराधों की बाड सी आई हुई है|पिछले २४ घंटों में ही केवल १२ मर्डर हो चुके हैं|

अरविन्द केजरीवाल ने दिल्ली में बिजली के बिल फाड़े और जलवाए

टीम अन्ना से अलग हुए अरविन्द केजरीवाल ने आज अपनी राजनीतिक उडान दिखाते हुए अपने लिए लक्की जंतर मंतर पर रविवार को पहला प्रदर्शन किया | राजधानी दिल्ली में बिजली के बढ़े हुए बिलों का मुद्दा उठाते हुए केजरीवाल ने लोगों से अपील की कि वे न तो बिजली बिल भरें और न किसी को अपनी बिजली सप्लाई काटने दें। उन्होंने यहां तक कह दिया कि यह भी एक तरह का सविनय अवज्ञा आंदोलन है। गौरतलब है कि सविनय अवज्ञा आंदोलन आजादी से पहले महात्मा गांधी की अगुवाई में हुआ था जिसमें देशवासियों ने अंग्रेजी सरकार का बनाया हुआ नमक कानून तोड़ा था। इस अवसर पर अनेकों लोगोने अपने बिजली के बिल फाड़े और उनकी होली जलाई |इस नए आह्वान से सभी सकते में दिखाई दे रहे हैं|
रविवार को जंतर मंतर पर टीम केजरीवाल के आह्वान पर लोग जुटे थे इनमे से अधिकतर बढ़े हुए बिजली बिलों से परेशान हैं। वहां मौजूद कई लोगों ने माईक पर केमेरा के सामने बताया कि पांच-पांच, दस-दस गुना ज्यादा बिल आ रहे हैं। केजरीवाल ने कहा कि दिल्ली में बिजली कंपनी मुनाफे में चल रही है। ऐसे में बिजली की दर कम की जानी चाहिए थी। मगर, कांग्रेस सरकार को लोगों की नहीं बल्कि कंपनियों की चिंता है। इसलिए बिजली सस्ती करने के बदले और महंगी कर दी गई। एक तरफ तो सरकार गरीबों की मदद के नाम पर रोजाना सब्सिडी का नारा लगाती है मगर रिक्शे और छोटे मोटे खोके वालों पर चार पांच गुना बिल ठोका गया है|ये सभी आज जंतर मंतर पर बिल लेकर आये थे|

सविनय अवज्ञा आंदोलन

केजरीवाल ने लोगों से अपील की कि इस बार कोई बिजली का बिल न भरे। उन्होंने कहा कि ‘डर यह दिखाया जाता है कि बिजली काट दी जाएगी। लेकिन, अगर बिजली विभाग के लोग किसी की भी बिजली काटने आएं तो पूरा मोहल्ला या पूरी बस्ती मिलकर उनका विरोध करे। अगर पूरे इलाके के लोग एकजुट होकर विरोध करेंगे तो किसी की हिम्मत नहीं है कि आपकी बिजली काट सके।’
अपने इस आह्वान को केजरीवाल ने आजाद भारत का सविनय अवज्ञा आंदोलन करार दिया। उन्होंने कहा कि जब इन बिजली बिलों पर कहीं कोई सुनवाई नहीं हो रही है तो लोगों के पास इसके अलावा कोई चारा नहीं है कि वे बिजली बिलों का भुगतान करने से इनकार कर दें।
टीम अरविन्द के प्रशांत भूषण ने बिजली का घोटाला उजागर करते हुए इसके कानूनी पहलुओं को उजागर किया|कुमार बिश्वास के संचालन में मनीष सिशोदिया ने सरकार पर आरोप लगाया कि अरबों रुपयों की

महंगी सरकारी जमीन का सस्ता आवंटन

सरकारी जमीन इन बिजली कम्पनिओं को मात्र एक रुपया महीना किराये पर दे दी गई गई|इसके अलावा बिजली उत्पादन सस्ता होने के उपरांत भी बिजली की दरें बडाई जा रही है |इसके लिए सरकार+बिजली विभाग और निजी कंपनियों की मिली भगत है|

भाजपा सकते में

अरविन्द केजरीवाल के इस सविनय अवज्ञा आंदोलन से सकते में आये कांग्रेस और भाजपा ने अरविन्द के इस आन्दोलन की आलोचना की है|भाजपा के प्रवक्ता मुख़्तार अब्बास नकवी ने इस आन्दोलन को आपसी फूट से ग्रसित पार्टी का भटकाने वाला आन्दोलन बताया

दिल्ली सरकार की ओपचारिकता

इससे पूर्व बिजली के अनापशनाप बढ़े बिलों का मामला दिल्ली सरकार की कैबिनेट में उठ चुका है| इस माह के पहले सप्ताह में मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने बिजली के बिलों के विषय में आ रही शिकायतों की ऊर्जा मंत्री को जांच के आदेश भी दिए थे कंपनियों को भी बिलों की समीक्षा करने को कहा गया था|

सरकार की उदासीनता

गौरतलब है कि दिल्ली में इंडिया अगेंस्ट करप्शन [आईएसी ] ने बिजली कंपनियों के घाटे के रोने को , सरासर गलत बताया है |.आई ऐ सी का आरोप है कि दिल्ली में बिजली सप्लाई करने वाली कंपनियों रिलायंस और टाटा ने अपने बही-खाते में हेर-फेर करके मुनाफे को घाटे के रूप में दिखा दिया और उसके आधार पर सरकार से बिजली के रेट बढ़ाने की मंजूरी ले ली|.हैरानी की बात यह है कि शीला दीक्षित की सरकार को बिजली कंपनियों के इस खेल की पूरी जानकारी थी. फिर भी सरकार धोखाधड़ी करने वाली कंपनियों पर कार्रवाई करने की बजाए उन्हें शह दे रही है| बिजली सप्लाई की व्यवस्था देखने वाली सरकारी संस्था दिल्ली विद्युत नियामक आयोग (डीईआरसी) के अध्यक्ष बरजिंदर सिंह ने अपनी जांच में कंपनियों की चोरी भी पकड़ी थी. जांच के बाद डीईआरसी इस नतीजे पर पहुंची थी कि बिजली के दाम बढ़ाने की जगह इसमें 18 % की कमी करनी चाहिए| इस आदेश के बाद रिलायंस और टाटा के अधिकारियों ने शीला सरकार से इस आदेश को रोकने की गुहार लगाई थी. शीला दीक्षित ने इन कंपनियों का साथ दिया और बरजिंदर सिंह के रिटायर होते ही ऐसे नए अधिकारी की नियुक्ति की जिसने बिजली के दाम बढ़ाने का आदेश पारित कर दिया.
.निजी कम्पनिओं को बिजली सप्लाई और बिल वसूली का ठेका दिया गया है| इन्हें बेशकीमती सरकारी जमीन कोडिओं के मूल दी गई है | आये दिन बिजली उत्पादन में खर्चा ज्यादा होने की दुहाई देते हुए बिजली की दरें बड़ा दी जाती है| केबिनेट में मुद्दा उठाने और चीफ मिनिस्टर द्वारा दखल देने के बावजूद उपभोक्ता को राहत के बजाये परेशानी ही मिल रही है| अभी भी दिल्ली में कंपनियां अनापशनाप बिजली के बिल भेज रही हैं| इन कम्पनिओं के दावों का आडिट तक नहीं कराया जा रहा |बेशक ये निजी कम्पनियाँ हैं मगर चीफ मिनिस्टर चाहें तो इनका आडिट कैग से कराया जा सकता है और उसके आधार पर बिजली की दरें तय की जा सकती हैं|लेकिन आरोप है कि ऐसा कुछ भी नहीं किया जा रहा |इससे लोगों को खासी परेशानी का सामना करना पड़ा रहा है। बिजली कंपनियों के दफ्तरों में लोगों की कोई सुनवाई नहीं हो रही है और बिल जमा न करने पर उनकी बिजली काटने की धमकी दी जा रही है| मुख्यमंत्री द्वारा दिए गए जांच के आदेश भी बेमानी साबित हो रहे हैं| इससे गरीब उपभोक्ताओं में स्वाभाविक असंतोष व्याप्त हो रहा है जिसे आज अरविन्द केजरीवाल ने सफलता पूर्वक भुना लिया

रालोद के प्रदेश अध्यक्ष बाबा हरदेव सिंह ने ऍफ़ डी आई के विरोध में इस्तीफा दिया

एविएशन में ऍफ़ डी आई से कांग्रेस के अलावा अगर किसी दूसरे राजनीतिक दल को फायदा पहुँच सकता है तो वह है राष्ट्रीय लोक दल [ रा लो द] क्यूँकी इस पार्टी के सर्वोच्च नेता चौधरी अजित सिंह सिविल एविएशन के मंत्री हैं और उनकी रजा मंदी से ही एविएशन में ऍफ़ डी आई को मंजूरी दी गई है लेकिन रालोद के उत्तर प्रदेश के अध्यक्ष बाबा हर देव सिंह ने इसी मुद्दे पर रा लो द को छोड़ने का ऐलान कर दिया है|
लोकसभा चुनाव के पूर्व राष्ट्रीय लोकदल (रालोद) के अध्यक्ष और केन्द्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री अजित सिंह व बाबा हरदेव सिंह के बीच एकाएक बड़े इन मतभेदों से स्वयम अजित सिंह और पार्टी को करार झटका लगा है क्यूंकि पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष पूर्व नौकर शाह बाबा हरदेव सिंह ने अपने पद से त्यागपत्र दे दिया है ।
इस्तीफे में कहा गया है कि सैद्धांतिक मतभेदों के कारण यह त्यागपत्र दिया गया है|। यह भी चर्चा में है कि उनके साथ पार्टी से और पदाधिकारी भी रालोद से नाता तोड़ सकते हैं।
बाबा हरदेव का कहना है कि हाल में घटी कुछ घटनायें उनकी खुद की नीतियों से मेल नहीं खाती इसीलिये उन्होंने पार्टी अध्यक्ष अजित सिंह को अवगत करा दिया है। उन्होंने कहा कि डीजल की कीमतों में वृद्धि और खुदरा व्यापार में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश के वह पहले भी विरोधी रहे हैं और आज भी उसका विरोध करते हैं। ऐसी हालत में वह पार्टी के अध्यक्ष पद पर नहीं रह सकते। बाबा हरदेव सिंह ने कहा कि वह पार्टी की सदस्यता से त्यागपत्र नहीं दे रहे हैं। श्री सिंह ने कहा कि केन्द्र की गलत नीतियों पर उसे समर्थन जारी रखने के सवाल पर वह अपने पद पर बने नहीं रह सकते थे। बाबा हरदेव सिंह ने पार्टी अध्यक्ष अजित सिह को भेजे त्यागपत्र में लिखा है कि वह सैद्धान्तिक कारणों से राष्ट्रीय लोकदल के प्रदेश अध्यक्ष पद के दायित्वों का निर्वहन करने में असमर्थ हैं।
बाबा ने त्यागपत्र देने वाले पार्टी पदाधिकारियों से कहा कि विरोध उनका[बाबा] है लिहाजा वह[पदाधिकारी] इस्तीफा नहीं दें लेकिन अभी कुछ और नेताओं द्वारा इस सवाल पर पार्टी छोड़ने की चर्चा होने लगी है| श्री सिंह के अलावा इस्तीफा देने वालों में आईटी एवं मीडिया प्रकोष्ठ अध्यक्ष विशाल सिंह + प्रदेश महासचिव मध्य जोन विजय विक्रम सिंह+अध्यक्ष छात्र प्रकोष्ठ शशांक सिंह+ उपाध्यक्ष छात्र प्रकोष्ठ अनिल सिंह तथा अधिवक्ता प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अंकुर सिंह के नाम सामने आ रहे हैं|

अन्‍ना के साथ अरविंद के तरीके से भी सोचने की जरुरत है ।

सम्पादक के नाम पत्र

अन्‍ना हजारे ने किसी भी राजनीतिक मामले में पडने से मना कर दिया है । उन्‍होंने इंडिया अगेंस्‍ट करपशन की टीम विशेषकर अरविंद केजरीवाल को साफ साफ बता दिया हे कि वे उनके राजनीतिक मकसद में साथ नहीं देंगे । यह अन्‍ना का व्‍यक्तिगत फैसला है और उनके व्‍यक्तिगत फैसले पर बहस भी बेमानी है । पर मुझे ऐसा लगता है कि

अन्‍ना के इस फैसले ने भृष्‍टाचार के खिलाफ चल रही लडाई को थोडा कुंद जरुर कर दिया है ।

उन्‍हें ऐसा लगता है कि वर्तमान सरकार गांधीवादी तरीकों को महत्‍व देगी तो यह उनकी उसी तरह की भूल है जिस प्रकार सोमनाथ के मंदिर के कब्‍जे के समय की गई थी । अंग्रेजों में भी इन वर्तमान शासकों के मुकाबले अधिक संवेदनशीलता थी कि उन्‍होंने गांधी के तरीके पर मौहर लगाई और आजादी को अंहिसा की माला पहनाई । पर यह असलियत है कि अकेले गांधी की वजह से ही देश आजाद नहीं हुआ है उसमें भगतसिंह व नेताजी सुभाष चंद बोस की टीम का भी योगदान है । पहले यदि सरकार के किसी मंत्री या नेता पर भृष्‍टाचार का कोई आरोप लगता था तो बाकी लोग उससे किनारा कर लेते थे लेकिन यह पहली सरकार है जिसमें किसी एक पर आरोप लगते ही सब के सब एक हो जाते हैं । इसलिए अब हमें अन्‍ना के साथ अरविंद केजरीवाल के तरीके से भी सोचने की जरुरत है ।
यतेंद्र चौधरी
जी 184 नानकपुरा नई दिल्‍ली

आर्थिक विकास की कांफ्रेंस में मन मोहन सिंह की नीतिओं का विरोध


डीजल और एलपीजी की कीमतें बढ़ाने और ऍफ़ डी आई लागू किये जाने के पक्ष में सरकार लाख दलील दे रही है|प्रधान मंत्री ने राष्ट्र के नाम सन्देश में सहयोग+समर्थन और विश्वाश मांगा लेकिन महंगाई के खिलाफ लोगों का गुस्‍सा कम नहीं हुआ है। यूपीए सरकार के कई मंत्रियों को पहले इसके विरोध का सामना करना पड़ा लेकिन अब खुद पीएम मनमोहन सिंह भी इससे नहीं बच सके हैं | आज शनिवार को विज्ञान भवन में आर्थिक विकासपर अन्तराष्ट्रीय स्तर के एक कार्यक्रम के दौरान ३२ वर्षीय संतोष सुमन नामक वकील ने शर्ट उतारकर पीएम का विरोध किया। बाद में बताया गया कि नारे बाजी करने वाला यूं पी ऐ का सहयोगी आर जे डी से जुडा हुआ है|
डाक्टर मन मोहन सिंह आज विज्ञान भवन में आर्थिक विकास पर कॉन्‍फ्रेंस में हिस्‍सा लेने पहुंचे थे। पीएम अपना भाषण देने मंच पर पहुंचे कि सभागार में मौजूद काली पैंट और सफ़ेद शर्ट, में एक व्यक्ति वकीलों के लिए निर्धारित कतार में से उठ कर टेबल पर खड़ा हो गया। उसने अपनी शर्ट निकाल ली और पीएम के खिलाफ नारेबाजी शुरू कर दी। शख्‍स ने डीजल की बढ़ी कीमतें वापस लेने का विरोध करते हुए नारेबाजी की। उसने कहा, ‘भ्रष्‍ट पीएम वापस जाओ। डीजल में मूल्‍य वृद्धि वापस लो।’ एस पी जी वाले इस शख्‍स को पकड़कर बाहर ले गए। उससे पूछताछ हो रही है। यह शख्‍स वोट के बदले नोट मामले में पीएम के खिलाफ केस चलाने की भी मांग कर चुका है।
कांग्रेस ने घटना की जांच की मांग की है। कांग्रेस प्रवक्‍ता राशिद अल्‍वी ने कहा कि विपक्ष ने देश में जिस तरह का माहौल किया है उससे ऐसी घटनाओं से हैरानी नहीं होती हैं। बीजेपी प्रवक्‍ता शाहनवाज हुसैन ने कहा कि महंगाई से आम आदमी परेशान है लेकिन यह पता करने की जरूरत है कि पीएम के खिलाफ नारे लगाने वाला शख्‍स कौन है। सामाजिक कार्यकर्ता अरविंद केजरीवाल ने कहा कि देश की जनता बहुत गुस्‍से में है। सरकार ‘रिफॉर्म’ के नाम पर ‘डिफॉर्म’ कर रही है। इसलिए ऐसी घटनाएं सामने आ रही हैं।इस हाई सिक्योरिटी विज्ञानं भवन में देश के सबसे हाईली सिक्योर्ड पी एम् के उपस्थिति में इस घटना ने सुरक्षा पर भी प्रश्न चिन्ह लगा दिया है|यह शख्‍स पहले तो विज्ञानं भवन में घुसता है उसके बाद आराम से मेज पर चड़ता है कमीज उतारता है और हट उठा कर लगभग १०-१२ नारे लगाता है|एक अथिति के खड़ा होकर उसे बैठने को कहे जाने पर एस पी जी वाले आकर उसे बाहर ले जाते हैं|बाद में पता चलता है कि बिहार मूल का यह प्रदर्शन कारी एक वकील है और सुप्रीम कोर्ट में भी पंजीकृत है|फेस बुक पर डाउन लोड जानकारी के मुताबिक संतोष सुमन लालू प्रसाद यादव की आर जे डी का है और उसी पार्टी के निमंत्र्ण पत्र के आधार पर भवन में प्रवेश पा सका है|लालू यादव ने भी अपनी छवि खराब होता देख कर दिल्ली के पूरी इकाई को ही भंग कर दिया है|
लेकिन डेमेज जो होना था वोह हो चुका है|अन्तराष्ट्रीय स्तर के इस आयोजन में इस प्रकार से प्रधान मंत्री और उनकी आर्थिक नीतिओं के खिलाफ प्रदर्शन से देश की साख पर सवाल उठना स्वाभाविक ही है|