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Category: Environment

ठण्ड से ठिठुरते , सिकुड़ते जरुरत मंदों को कम्बल बांटें

Samajvadi neta Adil Choudhry Distributing Blankets

कडाके की ठंड में बेशक अलाव जलाने के जिम्मेदारी का पूर्णतया निर्वाह कही दिखाई नहीं दे रहा मगर स्वयम सेवी संस्थाएं और नेता गण अपना फर्ज़ निभाते हुए कम्बल बाँट रहे हैं और किसी हद तक जरुरत मंदों को राहत प्रदान कर रहे हैं|सपा नेता आदिल चौधरी और अन्नपूर्णा चेरिटेबिल अस्पताल ने कम्बल बाँट कर अपनी सामाजिक जिम्मेदारी का निर्वाह किया|
सत्तारुड समाजवादी पार्टी के नेता आदिल चौधरी ने आज सुबह अपने निवास पर १०० जरुरत मंदों में कम्बल बाँट कर उनकी दुआएं बटौरी|आदि ने बताया की यह पुन्य कार्य उन्होंने अपनी माँ श्रीमती नूरजहाँ के आदेशानुसार किया है|
उधर छावनी छेत्र में मानव चिकित्सा सेवा कार्यों को समर्पित अन्नपूर्णा चेरिटेबिल अस्पताल के तत्वधान में कम्बल बांटे गए| जिलाधिकारी विकास गोठलवाल ,आर के सिंह,राज कुमार सचान,आदि ने छावनी में कम्बल बाँटें और राधेश्याम गुप्ता,रवि कुमार,अंकित विश्नोई,बृज भूषण गुप्ता,सुरेश,अशोक,अनिल ,नरेन्द्र,किरण,गगन,सूरज,ललित आदि ने सहयोग दिया|इ अवसर पर प्रशानिक अधिकारियों को स्टाल[दुपट्टा]ओडा कर सम्मानित भी किया गया|

शीला दीक्षित का जंतर मंतर पर विरोध यह बताने में पर्याप्त है कि व्यवस्था बदलने को त्वरित कदम उठाने की घड़ी आ गई है

शीला दीक्षित का जंतर मंतर पर विरोध

दुष्कर्म की शिकार फिजियोथेरेपिस्ट को श्रद्धांजलि देने जंतर-मंतर पर सुरक्षाकर्मियों के साथ पहुंची मुख्य मंत्री शीला दीक्षित का जिस तरह विरोध हुआ है गुस्से से भरे नारों के कारण एक मुख्य मंत्री को मोमबत्ती जला कर शीश नवा कर ही ओपचारिकता निभा कर लौटना पड़ा उसे देखते हुए यह कहना आवश्यक हो गया है कि वाकई अब परबत सी पीर पिघलने लगी है आग सबके सीने में सुलगने लग गई है इसीलिए शासन और प्रशासन को व्यवस्था को बदलने की दिशा में त्वरित कदम उठाने की घड़ी आ पहुंची है|
।इससे पहले शीला दीक्षित ने गृहमंत्री सुशील कुमार शिंदे से लोगों को इंडिया गेट जाने की इजाजत देने की मांग की। शीला दीक्षित ने गृह मंत्री से आग्रह किया कि आम लोगों को आज इंडिया गेट जाने की इजाजत दी जाए। लोग आज पीड़ित लड़की की मौत से बेहद सदमे में हैं और इंडिया गेट जाकर उसे श्रद्धांजलि देना चाहते हैं।सामूहिक दुष्कर्म की पीड़िता की मौत के बाद दिल्ली में धारा १४४ लगा कर दिल्ली पुलिस ने इंडिया गेट और उसके आसपास के क्षेत्रों को आम जनता के लिए सील कर दिया था, लेकिन इसके बावजूद सैंकड़ों लोग इन स्थानों पर जमा हो गए |.
जंतर मंतर पर लोगों के छोटे-छोटे समूह इस घटना पर विचार-विमर्श कर रहे हैं, और सैंकड़ों लोग सड़कों पर बैठकर लेट कर हाथों में प्ले कार्ड्स लेकर मुह पर काली पट्टी बाँध गत 16 दिसम्बर को दुष्कर्म का शिकार हुई 23 वर्षीय लड़की की मौत का दुख मना रहे हैं|
. भीड़ में सभी आयु वर्ग के लोग शामिल हुए जिनमें युवा पुरुषों और महिलाओं की संख्या सबसे अधिक दिखाई दी कुछ लोग उदास और परेशान लग रहे हैं, तो कुछ लोग इस घटना को लेकर काफी गुस्से में दिखाई दिए. बहुत से लोग पीड़िता को श्रद्धांजलि देने के लिए हाथों मे फूल लेकर पहुंचे.उत्तर प्रदेश की रहने वाली लड़की फिजियोथैरेपी प्रशिक्षु थी अस्थिर स्थिति के बावजूद लड़की को सिंगापुर भेजे जाने के सरकार के फैसले से नाराज लोग इसे विलंबित और राजनीती से प्रेरित कदम बता रहे हैं|.सिंगापुर के माउंट एलिजाबेथ अस्पताल के अधिकारियों द्वारा लड़की की मौत की घोषणा करने से पहले दिल्ली पुलिस ने शहर में प्रदर्शनों को रोकने के लिए सैंकड़ों पुलिसकर्मियों और अर्धसैनिक बलों को तैनात कर दिया था. पुलिस ने बताया कि राजपथ, विजय चौक और इंडिया गेट की तरफ जाने वाले सभी मार्गो को आम जनता के लिए बंद कर दिया गया है.दिल्ली यातायात पुलिस ने अपने ट्विटर अकाउंट पर लिखा, ‘सभी लोगों को इन मार्गो का इस्तेमाल करने से बचने की सलाह दी जाती है.’ इसके अलावा पुलिस के आग्रह पर दिल्ली मेट्रो ने भी 10 स्टेशनों को बंद कर दिया है. बंद किए गए 10 स्टेशनों में प्रगति मैदान, मंडी हाउस, बाराखम्बा रोड, राजीव चौक, पटेल चौक, केंद्रीय सचिवालय, उद्योग भवन, रेस कोर्स, जोर बाग और खान मार्किट शामिल हैं.अधिकारी ने यह भी बताया कि हालांकि राजीव चौक और केंद्रीय सचिवालय पर यात्री एक लाइन से दूसरी लाइन की ट्रेनें बदल सकेंगे. लेकिन किसी को भी इन स्टेशनों के अंदर जाने और उनसे बाहर निकलने की इजाजत नहीं होगीपुलिस सूत्रों ने बताया कि यह कदम शहर के प्रमुख स्थानों पर भीड़ जमा होने से रोकने के लिए उठाया गया है. दिल्ली पुलिस के प्रवक्ता रंजन भगत ने कहा कि लोग संसद से लगभग एक किलोमीटर दूर जंतर मंतर और राम लीला मैदान पर प्रदर्शन कर सकते हैं.
श्रन्धाजली देने ई एक राजनेता का विरोध बेहद अप्रिय घटना है मगर यह एक सन्देश भी प्रसारित कर रहा है|यहाँ में एक और वीभत्स घटना का उल्लेख करना चाहूंगा|वर्ष १९७८ में भाई बहन संजय गीता चोपड़ा का अपहरण करके मर्डर किया गया था रंग बिल्ला नाम से मशहूर दोनों अपराधी पकडे गए और देश में आक्रोश की लहर फ़ैल गई दोनों को फांसी की सज़ा सुनाई गई लेकिन न्यायालय प्रक्रिया में चार साल लग गए |१९८२ में सज़ा का पालन हुआ और दोनों बालकों की याद में वीरता पुरूस्कार भी चलाये गए लेकिन क़ानून व्यवस्था में कोई कसाव नहीं दिखाई दिया उसी के परिणाम स्वरुप अपराध होते रहे और अब १६ दिसंबर को यह घ्रणित अपराध हुआ बेशक अपराधी पकड़ने के दावे किये जा रहे हैं और उन्हें सजा भी हो जाए मगर राजनीति को संसद की परिधि तक सिमित रख कर वर्तमान कानून का ही पालन कराने में यदि चुस्ती फुर्ती दिखाई जाये तो शायद भविष्य में इस प्रकार के अपराधी हतोत्साहित हो सकेंगे और क्राईम ग्राफ गिरेगा

बाहरी लोगों की लगातार बढ़ती संख्या से विकराल हो रही समस्या से निबटने के लिए केंद्र सहायता दे:शीला दीक्षित

C M Of Delhi Shrimati Sheila Dikshit


नेशनल डेवलपमेंट काउंसिल की बैठक में दिल्‍ली की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने कहा कि दिल्ली में  बाहर से आने वाले लोगों की वजह से दिल्ली पर सुविधाओं का बोझ बढ़ रहा है.| इसके साथ ही उन्होंने ये भी माना कि बाहरी लोगों की वजह से दिल्ली एक खूबसूरत शहर के तौर पर सामने है|
राष्ट्रीय विकास परिषद [एन डी सी ] की बैठक में श्रीमती शीला ने कहा कि दिल्ली में अप्रत्याशित चुनौतियां हैं. उन्होंने देश भर से लोगों के अनियंत्रित आगमन को चिन्ता की बड़ी वजह बताया. उन्होंने कहा कि ऊंचा वेतन, बेहतर शैक्षिक एवं स्वास्थ्य सुविधाएं, रोजगार के अधिक अवसर ऐसे कुछ कारण हैं जो इतनी बड़ी संख्या में लोगों के आगमन के लिए जिम्मेदार हैं|
उन्होंने कहा कि विभिन्न राज्यों के लोगों के आने से यहां एक उदारवादी संस्कृति अवश्य कायम हुई लेकिन बढ़ती आबादी ने आवास, स्वच्छता, बिजली, पानी, सीवेज, जन स्वास्थ्य और परिवहन प्रणाली पर जबर्दस्त दबाव डाला है. | निजी वाहनों की बढ़ती संख्या भी एक अन्य समस्या है जो फिलहाल थमती नहीं नजर आ रही है. विभिन्न चुनौतियों से निपटने में उनकी सरकार को पेश आ रही समस्याओं का जिक्र करते हुए मुख्य मंत्री ने कहा कि दिल्ली को पूर्ण राज्य का दर्जा नहीं है और पुलिस एवं भूमि यहां केन्द्र के नियंत्रणाधीन है. उल्लेखनीय है कि शीला पहले मांग कर चुकी हैं कि दिल्ली पुलिस राज्य सरकार के नियंत्रण में की जाए लेकिन इस मांग कोकई बार खारिज किया जा चुका है|
महानगर में एक नए प्रकार की मल्टीमॉडल यातायात प्रणाली शीघ्रातिशीघ्र लाने की आवश्यकता पर भी सी एम् ने बल दिया |
उन्होंने एन डी सी की ५७ वे बैठक में 12वीं योजना के लिए दिल्ली को एक विश्व विरासत शहर के अनुरूप विकसित करने के लिए अधिक संसाधनों को उपलब्धता और बड़े पैमाने पर प्रयास करने की आवश्यकता जताई।
इससे पूर्व आर्थिक राजधानी मुम्बई में प्रवासियों के आगमन पर एतराज़ जताया जा चुका है वहां यूं पी ,बिहार,के लोगों पर एटैक भी कराये जा रहे हैं अब देश की राजधानी दिल्ली में भी प्रवासियों के नाम पर यह राजनीती शुरू हो गई है यह दुखद है|पहले अंधाधुंध झोपड़ पट्टी को कुकुरमुत्तों की तरह फ़ैलाने दिया जता है फिर उसे वोट बैंक की तरह इस्तेमाल करने के लिए तमाम तरह की सुविधाएं भी दी जाती है|वोट बैंक के नज़रिए से झोपड़ पट्टी के नियमतिकरण और ध्वस्तीकरण की कार्यवाही शुरू हो जाती है जिसे लेकर” आप ” जैसी नवगठित पार्टी भी अपना राजनीतिक आधार तलाशने लगती हैं| इसी उद्देश्य की पूर्ती के लिए माननीय कोर्ट के आदेशों को अनदेखा करके अनआथोराईज्द[इल्लीगल]कालोनियों को नियमित करके सुविधाओं का रौना शुरू हो जाता है | अब समय आ गया है कि इस १२ पञ्च वर्षीय यौजना में इस प्रकार के नियमतिकरण के लिए अलग से फंड्स उपलब्ध करने की जरुरत को स्वीकार कर लिया जाना चाहिए है|

राष्‍ट्रीय विकास परिषद की बैठक में डाक्टर मनमोहन सिंह ने मुख्य मंत्रियों से महिलाओं की सुरक्षा के प्रति गंभीरता बरतने को कहा

डाक्टर मनमोहन सिंह P M Of INDIA Dr Manmohan singh

राष्‍ट्रीय विकास परिषद [एन डी सी] की आज गुरुवार को आहत बैठक में प्रधानमंत्री डाक्टर मनमोहन सिंह ने महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर चिंता जताई। राष्‍ट्रीय राजधानी में चलती चार्टर्ड स्कूल बस में गैंगरेप की वारदात से लोगों में आए उबाल के बाद सरकार गंभीरता से सक्रिय होती नजर आ रही है।
प्रधानमंत्री ने आज एनडीसी की बैठक में अपने संबोधन में कहा कि महिलाओं की सुरक्षा सरकार के लिए सबसे बड़ी चिंता है। सरकार ने मौजूदा कानूनों की समीक्षा करने और महिलाओं के साथ संगीन यौन अपराध के मामलों में दंड के स्तर की समीक्षा करने का निर्णय किया है। उन्‍होंने कहा कि दिल्ली सामूहिक बलात्कार मामले में दोषियों को पकड़ लिया गया है, कानून उनसे तेजी से निपटेगा। महिलाओं की सुरक्षा प्राथमिकता के साथ की जाएगी। जस्टिस वर्मा की अध्‍यक्षता में कमेटी बनाई गई है। यह कमेटी कानून को और कारगर बनाने पर सुझाव देगी। महिलाओं की सुरक्षा के लिए कानून में बदलाव की जरूरत है और सरकार इस दिशा में समुचित कदम उठा रही है। उन्होंने समाज को भी महिलाओं के प्रति जागरूकता को जरुरी बताते हुए कहा कि महिलाओं के प्रति समाज ईमानदार नहीं है। महिलाओं की सुरक्षा सरकार की प्राथमिकता है।उन्होंने महिलाओं की सुरक्षा को अहम बताया |
बैठक में शिरकत कर रहे देश के सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को संबोधित करते हुए पीएम ने कहा कि सभी मुख्यमंत्री महिला सुरक्षा पर विशेष ध्यान दें। उन्होंने बैठक को संबोधित करते हुए कहा कि मंदी से उबरने के लिए आवश्यक कार्यों को प्राथमिकता दिए जाने पर भी जोर दिया

एल के अडवाणी के नज़रिए से तवलीन सिंह की १० जनपथी “दरबार”

पत्रकार तवलीन सिंह द्वारा गांधी परिवार पर लिखित पुस्तक ‘दरबार‘ पर एल के अडवाणी ने अपने ब्लॉग में प्रतिक्रिया देते हुए पुस्तक को अत्यन्त ही रोचक पठनीय बताया है|इस पुस्तक में पूर्व प्रधान मंत्री स्वर्गे राजिव गाँधी के उत्थान और फिर पतनके माध्यम से 10 जनपथ[कांग्रेस अध्यक्ष] की रहस्यात्मकता या गुप्तता” को उजागर करने का प्रयास किया गया है|

एल के अडवाणी के नज़रिए से तवलीन सिंह की १० जनपथी “दरबार”

प्रस्तुत है अडवानी के ब्लाग से उद्दत दरबार पर उनकी यह प्रतिक्रया ।
तहलका जैसी पत्रिकाओं ने प्रकाशित किया है कि यह पुस्तक गांधी परिवार के विरूध्द ”पुराने हिसाब किताब चुकाने” के उद्देश्य से लिखी गई एक गपशप है। जबकि दूसरी और दि एशियन एज ने पुस्तक की समीक्षा ‘दिल्ली दरबार के रहस्यपूर्ण वातावरण से पर्दा उठना‘ (Unraveling the mystique of Delhi’s Durbar) शीर्षक से प्रकाशित की है। हालांकि कोई भी इससे इंकार नहीं कर सकता कि तवलीन की नवीनतम पुस्तक अत्यन्त ही रोचक पठनीय है।
‘एशियन एज‘ में समीक्षक अशोक मलिक की यह टिप्पणी बिल्कुल सही है कि अपनी सारी पहुंच के बावजूद राजधानी में राजनीतिक पत्रकार अक्सर लुटियन्स दिल्ली के लिए अंतत: बाहरी ही रहते हैं। कम से कम 10 जनपथ के संदर्भ में यह शत-प्रतिशत सत्य है।
अनगिनत समस्याओं वाला भारत एक विशाल देश है। संविधान और कानून सरकार को देश का शासन प्रभावी ढंग से चलाने की सभी जिम्मेदारी प्रदान करते हैं। जैसाकि सभी लोकतंत्रों में लोकतांत्रिक तंत्र का मुखिया प्रधानमंत्री होता है। लेकिन देश में सभी जानते हैं कि आज के भारत में मुखिया प्रधानमंत्री नहीं अपितु कांग्रेस अध्यक्ष हैं। यही वह स्थिति है जो इन दिनों देश की अनेक समस्याओं की मूल जड़ है।
यह पुस्तक अपने पाठकों को बताती है कि एक समय था जब इसकी लेखक का न केवल राजीव गांधी के साथ अपितु श्रीमती सोनिया गांधी के साथ भी घनिष्ठ सम्बन्ध था। तब अचानक यह निकटता समाप्त हो गई। अशोक मलिक लिखते हैं : तवलीन की पुस्तक हमें ”10 जनपथ की रहस्यात्मकता या गुप्तता” को समझने में सहायता करती है।
मलिक द्वारा ”इंदिरा गांधी हत्याकाण्ड में राजीव के और सोनिया के सामाजिक मित्रों को फंसाने के विचित्र दुष्टताभरे अभियान” की ओर इंगित करने ने ‘मुझे पुस्तक के अध्याय 14 के उन सभी आठ पृष्ठों को पढ़ने को बाध्य किया‘ जिनपर मलिक की टिप्पणी आधारित है। तवलीन से भी इस सम्बन्ध में इंटेलीजेंस ब्यूरो (आई0बी0) ने पूछताछ की थी। इस प्रकरण के सम्बन्ध में तवलीन का अंतिम पैराग्राफ हमारी गुप्तचर एजेंसियों की काफी निंदा करता है:

”जांच के अंत में, हमारी गुप्तचर एजेंसियों के स्तर के बारे में मुझे गंभीर चिंता हुई। इसलिए मुझे कोई आश्चर्य नहीं हुआ जब कुछ महीने बाद यह जांच कि भारत के प्रधानमंत्री की हत्या में कोई बड़ा षडयंत्र था, को चुपचाप समाप्त होने दिया गया।”
312 पृष्ठों वाले इस संस्मरण की शुरूआत में लेखक का चार पृष्ठीय ‘नोट‘ है। इस पुस्तक में तवलीन सिंह की टिप्पणियों से आप असहमत हो सकते हैं और उनके कुछ निष्कर्षों को चुनौती दे सकते हैं। लेकिन मुझे उनके इस शुरूआती ‘नोट‘ में दम लगता है जिसे इस अंतिम पैराग्राफ में सारगर्भित ढंग से समाहित किया गया है:
”दरबार लिखना मुश्किल था। राजीव गांधी की मृत्यु के तुरंत बाद मैंने इसे लिखना शुरू किया। मैं उन्हें तब से जानती थी जब वह एक राजनीतिज्ञ नहीं थे और अपने को मैंने इस अनोखी स्थिति में पाया कि उन्हें यह बता सकूं कि कैसे भारतीय इतिहास में सर्वाधिक प्रचण्ड बहुमत वाला प्रधानमंत्री अंत में कैसे निराशाजनक स्थिति में पहुंचा। केवल इसलिए नहीं कि मैं भी उस छोटे से सामाजिक ग्रुप का हिस्सा थी जिसमें वह भी थे, लेकिन इसलिए कि एक पत्रकार के रूप में मेरा कैरियर इस तरह से बदला कि मैंने उस भारत को देखा जो राजीव के एक राजनीतिज्ञ के रूप में लगभग समानांतर चलता रहा था। तब मुझे लगा कि उन्होंने भारत की अपेक्षाओं को पूरा नहीं किया लेकिन जब मैं इस पुस्तक को लिखने बैठी तो मुझे अहसास हुआ कि वही अकेले नहीं थे जिन्होंने भारत को शर्मिंदा किया। एक समूचे सत्तारूढ़ वर्ग ने ऐसा किया। वह सत्तारूढ़ वर्ग जिससे मैं भी सम्बन्धित हूं।

जैसे कहानी आगे बढ़ती है यह मानों मेरे अपने जीवन का दर्पण है, राजनीतिज्ञ के रूप में राजीव के संक्षिप्त जीवन और कैसे वंशानुगत लोकतंत्र के बीज बोए गए-का ही यह एक संस्मरण नहीं है बल्कि एक पत्रकार के रूप में मेरा भी है। मैंने पाया कि पत्रकारिता की स्पष्ट दृष्टि ने उस देश को समझने के मेरे नजरिए को बदला जिसमें मैं अपने सारे जीवन भर रही हूं। और इसने मूलभूत रूप से उस नजरिए को बदला जिसमें मैं उन लोगों को देख सकी जिनके साथ मैं पली-बढ़ी। मैंने देखा कि कैसे वे भारत से अलिप्त हैं, उसकी संस्कृति और इतिहास उनके लिए कैसे विदेशी हैं, और इसी के चलते वे पुनर्जागरण और परिवर्तन लाने में असफल रहे। मैंने देखा कि एक पत्रकार के रूप में मेरे जीवन ने उन द्वारों को खोला जिनसे मुझे लगातार शर्म महसूस हुई कि कैसे मेरे जैसे लोगों ने भारत के साथ विश्वासघात किया है। मैं मानती हूं कि इसी के चलते भारत को उसके सत्तारूढ़ वर्ग ने शर्मिंदा किया है और वह वैसा देश नहीं बन पाया जैसा उसे बनना चाहिए था। यदि हम कम विदेशी होते और भारत की भाषाओं और साहित्य की महान संपदा, राजनीति और शासन सम्बन्धी उसके प्राचीन मूलग्रंथों और उसके ग्रंथों के बारे में और ज्यादा सचेत होते तो हम अनेक चीजों में परिवर्तन कर पाते लेकिन हम असफल रहे और अपने बच्चों कीे उनके ही देश में अपनी तरह, विदेशियों की तरह पाला। सभी विदेशी चीजों पर मंत्रमुग्ध और सभी भारतीय चीजों का तिरस्कार।
एक नया सत्तारूढ़ वर्ग धीरे से पुराने का स्थान ले रहा है। एक नयी, अभद्र राजनीतिज्ञों का वर्ग सत्ता पर नियंत्रण हेतु सामने आ रहा है। किसानों और चपरासियों के बच्चे और उन जातियों जो कभी अस्पृश्य माने जाते थे, की संतानें भारत के कुछ बड़े प्रदेशों पर शासन कर चुके हैं। लेकिन पुराने सत्तारूढ़ की बराबरी की चेष्टा में वे अपने बच्चों को अंग्रेजी पढ़ाते हैं और उन्हें पश्चिम के विश्वविद्यालयों में भेजते हैं। इसमें भी कोई हर्जा नहीं है बशर्ते कि वे उन्हें अपनी भाषाओं और संस्कृति से विमुख नहीं करते हों।
एक भारतीय पुनर्जागरण की संभावना, जैसाकि पहली पीढ़ी के उन भारतीयों जो उपनिवेश के बाद के भारत में पली-बढ़ी है, हमारी हो सकती थी और सिमटती और दूर होती जा रही है। सत्तारूढ़ वर्ग के हाथों में एक राजनीतिक हथियार-वंशवाद, देश जिसकी आत्मा पहले से ही शताब्दियों से गहरे ढंग से दागदार है के नए उपनिवेश का मुख्य स्त्रोत बनता जा रहा है। यह वह मुख्य कारण है जिसके चलते तेजी से विस्तारित और फैलते शिक्षित मध्यम वर्ग का लोकतंत्र और लोकतांत्रिक संस्थाओं से मोहभंग होता जा रहा है।
तवलीन की इन पंक्तियों ने मुझे लार्ड मैकाले द्वारा फरवरी 1835 में ब्रिटिश संसद में की गई टिप्पणियों का स्मरण करा दिया:

”मैंने पूरे भारत की यात्रा की और ऐसा व्यक्ति नहीं देखा जो कि भिखारी हो या चोर हो। इस तरह की संपत्ति मैंने इस देश में देखी है, इतने ऊंचे नैतिक मूल्य, लोगों की इतनी क्षमता, मुझे नहीं लगता कि कभी हम इस देश को जीत सकते हैं, जब तक कि हम इस देश की रीढ़ को नहीं तोड़ देते, जो कि उसकी सांस्कृतिक और आध्यात्मिक विरासत में है। इसलिए मैं प्रस्ताव करता हूं कि हमें इसकी पुरानी और प्राचीन शिक्षा-व्यवस्था, इसकी संस्कृति को बदलना होगा। इसके लिए यदि हम भारतीयों को यह सोचना सिखा दें कि जो भी विदेशी है और अंग्रेज है, वह उसके लिए अच्छा और बेहतर है, तो इस तरह से वे अपना आत्मसम्मान खो देंगे, अपनी संस्कृति खो देंगे और वे वही बन जाएंगे जैसा हम चाहते हैं-एक बिल्कुल गुलाम देश।”
मैकाले द्वारा अपनाई गई उपनिवेशवादी नीति अंग्रेजों द्वारा भारत लागू शिक्षा व्यवस्था में विद्यमान थी। इसका प्रभाव स्वतंत्रता के बाद भी बना हुआ है। वे लोग जो केवल हिंदी या कोई भारतीय भाषा बोलते हैं और अच्छी अंग्रेजी नही बोल पाते, उन्हें हमारे देश में निकृष्ट समझा जाता है। मैंने अक्सर इस तथ्य को समझने के लिए अपना उदाहरण दिया है। मैं अपने जीवन के आरंभिक बीस वर्षों में-जो मैंने सिंध में बिताए-बहुत कम हिंदी जानता था। राजस्थान आने के बाद मैंने परिश्रमपूर्वक इसका अध्ययन किया। लेकिन मुझे वर्ष 1957 में दिल्ली आने पर यह अनुभव हुआ कि अंग्रेजी भारत में उंचा स्थान कैसे रखती है
उदाहरण के लिए, जब भी टेलीफोन की घंटी बजती थी और मैं इसे उठाता था, मेरा पहला वाक्य होता था आज भी है-‘हां, जी’ जिसके जवाब में अक्सर उधर से पूछा जाता था, ‘साहब घर में हैं?’ यह मान लिया जाता था कि घर से कोई नौकर बोल रहा है। और मैं उनसे कहता था, ‘आपको आडवाणी से बात करनी है तो मैं बोल रहा हूं।‘

कोहरे से सड़क और वायु यातायात प्रभावित हुआ

Air India flight Canceled

पहाड़ों से तैरती आ रही बर्फानी हवाओं ने उत्तर भारत में भी कोहरे की चादर ओड़ा दी है|इस से मेरठ और आसपास के एरिया में सामान्य जन जीवन तो प्रभावित हुआ ही है इसके साथ हीकई ट्रेन लेट चल रहे है तो दिल्ली एयर पोर्ट से कई उडाने लेट हुई और रद्द भी करनी पड़ी है|संगम में अगर सात घंटे तो नौचंदी एक्सप्रेस के लिए तीन घंटे देरी एनाउंस हुई है| एयर इंडिया ने चंडीगढ़ दिल्ली फ्लाईट ऐ आई ८६४/८६३ को आज सोमवार के लिए रद्द कर दिया|

कोहरा आच्छादित सूर्य और दुविधा की धुंध में छुपी सियासत दोनों कष्ट कारी हैं

सूर्य देव कल से ही कोहरे में घिरे हैं और उसी प्रकार केंद्र सरकार भी दुविधा की धुंध में हताश है|पहाड़ों की बर्फानी हवाओं पर तैरती आ रही कड़ाके की ठण्ड से जूझने के लिए सूर्य देव की बेहद जरुरत है इसी प्रकार सियासी नक्षत्र में भी धुंध को छांट कर विकास और शान्ति की स्थापना की गरमी की जरुरत है| कल विपक्ष की सुषमा स्वराज और बसपा की मायावती ने कुछ संसदीय सुझाव दीये थे और श्रीमती सोनिया गांधी ने भी आन्दोलन कारियों से मुलाक़ात करके उनके जख्मो पर सहानुभूति और आश्वासन का मलहम लगाया था लेकिन पोलिस की दमनात्मक कार्यवाही और शासन और प्रशासन की अकर्मण्यता से सब गुड गोबर हो गया|आज प्रधान मंत्री डाक्टर मन मोहन सिंह ने आन्दोलन कारियों के प्रति सहानुभूति दर्शाई और इंडिया गेट पर हिंसा की जांच करवाने का आश्वासन दिया । दुर्भाग्य से आज रूस के राष्ट्रपति ब्लादिमीर पुतिन के आगमन के कारण व्यवस्था बनाने के लिए इंडिया गेट पर की तरफ आने वाली ९ मेट्रो स्टेशनों को बंद कर दिया गया है|मीडिया को हटा दिया गया है वहां कर्फ्यू जैसे हालात पैदा कर दिए गए हैं|यहाँ तक की अपने देश के युवाओं से डर रूस और भारतीय न्रेतत्व की मीटिंग हैदराबाद हाउस के बजाय ७ रेस कोर्स कर के एक अजीब अनावश्यक विवाद को जन्म दे दिया गया|

कोहरा आच्छादित सूर्य और दुविधा की धुंध में छुपी सियासत दोनों कष्ट कारी हैं


अर्थार्त एक कदम स्थिति को सुधारने के लिए उठाया जाता है तो दो कदम उस पहल को नष्ट करने के लिए उठ जाते हैं|
इससे आर्थिक हानि के साथ ही विश्व में बदनामी भी हो रही है| अभी भी समय है देश के शीर्ष न्रेत्त्व +विपक्ष दोनों को स्थिति सुधारने के लिए संयुक्त रूप से आन्दोलन कारियों का विश्वास जीतना होगा और इसके लिए प्रदर्शन स्थल पर जा कर अपनी बात कही जा सकती है ठीक हूँ या क्या में ठीक हूँ

मेरठ के विशाल और भव्य मायावती स्टाईल पार्कों से सुरक्षा कर्मी नदारद

चलती चार्टर्ड बस में एक फ़िजिओथेरेपिस्त महिला के साथ किये गए जघन्य सामूहिक बलात्कार के विरुद्ध पूरे देश में आक्रोश की सुनामी आई हुई है| मेरठ से लेकर अमेरिकी मीडिया तक कानून और सुरक्षा व्यवस्था में लचरता पर चिंता व्यक्त की जा रही है और लचरता के इस अभिशाप को समाप्त करने के लिए सर्वत्र मांग की जा रहे है प्रदेश के युवा मुख्य मंत्री अखिलेश यादव ने भे ब्लाताकार की भर्त्सना करके पांच लाख रुपयों की मदद पीडिता को देने कीघोषणा कर दी है सुरक्षा व्यवस्था को दुरुस्त करने के लिए कवायाद शुरू करने के आदेश दे दिए गए हैं|स्कूली बसों में सुरक्षा व्यवस्था की जाँच चल रही है मगर चिराग के नीचे के अँधेरे को नज़रंदाज़ किया जा रहा है|
सुरक्षा के इंतज़ाम देखने को आज गंगानगर और रक्षा पुरम के पार्कों को देखने पर यहीइ अन्धेरा दिखाई दिया|

AKHILESH YADAV V/S MAYAVATI

मवाना रोड स्थित गंगानगर में तीन और रक्षापुरम में भी तीन विशाल भव्य मायावती स्टाईल पार्क है|इनकी सुरक्षा के लिए प्रति पार्क चार सुरक्षा कर्मी की तैनाती की जाती है अर्थार्त २४ सुरक्षा कर्मी लगाए जाते है|इन्हें प्रति कर्मी ३७५०/=दिए जाते हैं|यानि ९००००/=रुपये प्रति माह का खर्च है|आज सुबह यहाँ एक भी सुरक्षा कर्मी दिखाई नहीं दिया| घने कोहरे में भी स्वास्थ्य लाभ लेने आये मार्निंग वाकर्स को गंगानगर के पार्क से यह कह कर जाने को कहा गया की कोई गार्ड नहीं है ताला लगाना है |
गौरतलब है कीइन पार्क का निर्माण मुलायम सिंह यादव की सरकार ने कार्या था और इसका जीर्णोधार मायावती की सरकार में किया गया है|कहने का अभिप्राय है के इस पार्क में दो दो मुख्य मंत्रियों के प्रतिष्ठा जुडी है और आज कल सुरक्षा के लिए इंतज़ाम किये जा रहे हैं मगर सरकारी तंत्र में यह अन्धकार वाकई चिंता और जांच का विषय है|
ताला लगाने वाले से जब इसका कारण पूछा तो उसने बताया की साहब में तो केवल माली हूँ और यहाँ सुरक्षा कर्मी आउट सोर्सिंग से आते हैं इनके लिए अभी एम् डी ऐ से टेंडर पास नहीं हुए हैं|

दुर्भाग्य से आज फिर न्याय के लिए उठी आवाज को ताकत से दबा कर देश को एक नए असंतोष के मार्ग पर धकेल दिया गया

दुर्भाग्य से आज फिर उठी न्याय के लिए आवाज को दबा दिया गया | अधिकारों के लिए चले आंदोलन को लठिया दिया गया|जनाक्रोश का सामना करने में असक्षम न्रेत्त्व ने ताकत का सहारा लिया और

दुर्भाग्य से आज फिर उठी न्याय के लिए उठी आवाज को ताकत से दबा कर देश को एक नए असंतोष के मार्ग पर धकेल दिया गया

| कल चले शान्ति पूर्ण आन्दोलन के बाद आज सुबह से ही इसे कुचलने के लिए प्रशासनिक प्रयास तेज़ कर दिए गए |मेट्रो ट्रेन्स[८ मेट्रो स्टेशंस ] का संचालन रोका गया प्रदर्शन कारियों को हतोत्साहित करने के लिए धारा १४४ लगाई गई|यहाँ तक कि पानी की बौछारें पत्रकारों की तरफ की गई|जिससे आम पब्लिक के साथ साथ पोलिस +पत्रकार भी घायल हुए|
एक चलती बस में गैंगरेप की घटना पर दिल्ली में जारी विरोध-प्रदर्शनों ने रविवार को उग्र रूप ले लिया। प्रदर्शनकारियों पर आंसू गैस, पानी की बौछारें और पुलिस की लाठी फिर बरसी। नई दिल्ली में धारा 144 के बाद भी इंडिया गेट और जंतर-मंतर पर पुलिस और प्रदर्शनकारियों की बीच जबर्दस्त झड़प हुई। खबर है कि विरोध प्रदर्शन में३७ पोलिस कर्मी और अधिकारी भी घायल हुए|
इससे पहले लाठीचार्ज से गुस्साए प्रदर्शनकारियों ने पुलिस की जीप और एक गाड़ी को तोड़ दिया। यही नहीं 26 जनवरी के लिए लगाए गए बैरिकेड्स को उखाड़कर आग के हवाले कर दिया है। रविवार को प्रदर्शन में आम आदमी पार्टी और बाबा रामदेव के समर्थक भी शामिल हो गए। शनिवार को विरोध-प्रदर्शनों का केंद्र विजय चौक रहा, तो रविवार को इंडिया गेट पर वही नजारा रहा |बेशक आज ताकत के बल पर प्रदर्शन कारियों को इंडिया गेट से धकेल दिया गया मगर जनाक्रोश को समाप्त नहीं किया जा सका है यहाँ तक कि उसे कम भी नहीं किया जा सका है| अब इस में भी आप के अरविन्द केजरीवाल और बाबा राम देव के कूद पड़ने से राजनीति शुरू हो गई है|दिल्ली की मुख्य मंत्री श्रीमती शीला दीक्षित और उनके सांसद पुत्र दोनों ने एक स्वर में पोलिस कमिश्नर को तत्काल हटाये जाने की मांग कर डाली है|
घटनाक्रम
[१] मुख्यमंत्री शीला दीक्षित ने रविवार देर शाम इस मामले पर कैबिनेट की बैठक बुलाई। इसके बाद वह पूरी कैबिनेट के साथ गृह मंत्री शिंदे से मिलने गईं। उन्होंने इस मामले में दिल्ली पुलिस की भूमिका पर रोष जताते हुए दोषी ऑफिसरों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की है।
[२] प्रदर्शन में एक एएसआई राजपाल सिंह और कॉन्स्टेबल के बुरी तरह घायल होने की खबर है। उन्हें राम मनोहर लोहिया हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया है। गौरतलब है कि इससे
[३] पुलिस ने इंडिया गेट पर रिपोर्टिंग कर रहे मीडिया वालों को भी नहीं बख्शा। कैमरों को तोड़ा गया और रिपोर्टर्स पर पानी फेंका गया। इसके बाद प्रदर्शनकारियों को भी वहां से खदेड़ने के लिए लाठीचार्ज किया गया।
[४] इंडिया गेट पर जमे प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए दिल्ली पुलिस ने शाम साढ़े पांच बजे एक बार फिर लाठीचार्ज करना शुरू किया। इससे पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच एक बार फिर झड़प शुरू हो गई। पुलिस ने मीडिया को भी वहां से हटने के लिए कहा।
[५] रायसीना हिल्स और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के निवास 10 जनपथ पर प्रदर्शन कर रहे लोगों को हटाने के कुछ ही घंटों बाद इंडिया गेट से होते हुए रायसीना हिल्स की ओर बढ़ रहे प्रदर्शनकारियों के खिलाफ आंसू गैस के गोलों और पानी के बौछारो का उपयोग किया। आरोपियों को कठोर सजा देने की मांग करते हुए प्रदर्शन कर रहे युवाओं के खिलाफ पुलिस ने रविवार को लगातार दूसरे दिन बल प्रयोग के अलावा आंसू गैस के गोलों और पानी की बौछारों का उपयोग किया।
सोनिया-राहुल से मुलाकात प्रदर्शनकारियों के एक समूह ने सोनिया और राहुल गांधी से भी मुलाकात की। उन्होंने आश्वासन दिया है कि न्याय जरूर मिलेगा। रायसीना हिल्स की ओर बढ़ने की कोशिश के दौरान प्रदर्शन कर रहे लोगों ने पूर्वी दिल्ली के सांसद संदीप दीक्षित की कार घेर ली और उसे क्षतिग्रस्त कर दिया।
[६]रात से डटे प्रदर्शनकारी रायसीना हिल्स और कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के निवास 10 जनपथ पर प्रदर्शन कर रहे लोगों को पुलिस ने आज सुबह हटा दिया। गैंग रेप की घटना का विरोध कर रहे कुछ प्रदर्शनकारी शनिवार को दिन में प्रदर्शन के बाद रात में इन इलाकों में रूक गए थे। रायसीना हिल्स इलाके में प्रदर्शन कर रहे लोगों में ज्यादातर छात्र-छात्रायें शामिल हैं। इन लोगों ने कल दिन भर पुलिस से जूझने के बाद पूरी ठंडी रात खुले आसमान के नीचे गुजारी। पुलिस आज तड़के एक अभियान में प्रदर्शनकारियों को बस में बैठाकर ले गई।
[७]धारा 144 लागू सुबह करीब छह बजकर 30 मिनट पर पुलिस बसों में भरकर रायसीना हिल्स आई। घने कोहरे के बीच पुलिस ने इलाके में धारा 144 के तहत चार से ज्यादा लोगों के जमा होने पर रोक लगाने की घोषणा करते हुए प्रदर्शनकारियों को बसों में भर दिया। रायसीना हिल्स में मौजूद 50 से ज्यादा प्रदर्शनकारी घना कोहरा होने की वजह से अधिक प्रतिरोध नहीं कर सके। उन्होंने बस में नारेबाजी की।
इंडिया गेट पर जमा प्रदर्शनकारियों को सुबह 9 बजे कहा गया कि इस क्षेत्र में धारा 144 लगा दी गई है और वे वहां से चले जाएं। धारा 144 के तहत 4 या इससे ज्यादा लोगों को एक [८]बाद में प्रदर्शनकारियों ने उन्हें लेकर जा रही बसों के टायरों की हवा निकाल दी और लड़कियों का समूह बसों के सामने लेट गया। महिला प्रदर्शनकारियों ने आरोप लगाया है कि पुरुष पुलिसकर्मियों ने उनके साथ बदसलूकी की,
[9] इंडिया गेट और रायसीना हिल्स के पास के 8 मेट्रो स्टेशनों को आम जनता के लिए बंद कर दिया गया है। कल रात सिर्फ चार मेट्रो स्टेशनों- पटेल चौक, केन्द्रीय सचिवालय, उद्योग भवन और रेस कोर्स रोड़ को बंद करने का निर्णय लिया गया था लेकिन आज सुबह बाराखम्भा रोड, मंडी हाउस, प्रगति मैदान और खान मार्केट मेट्रो स्टेशनों को भी बंद कर दिया गया।
[10]केजरीवाल का प्रदर्शन इस बीच आम आदमी पार्टी के अरविन्द केजरीवाल और मनीष सिसौदिया ने इंडिया गेट के पास अशोक रोड स्थित हैदराबाद हाउस में धरना दिया। केजरीवाल ने कहा, सरकार की निष्क्रियता, उदासीनता और अहंकार बर्दाश्त करने योग्य नहीं है। लेकिन मैं सबसे अपील करूंगा कि वे हिंसा न करें।’ उन्होंने कहा कि पहले ऐसा कभी नहीं हुआ जब पूरी नई दिल्ली में धारा 144 लगाई गई हो। सरकार लोगों से डरी हुई है। सरकार लोगों के साथ युद्ध कर रही है। सरकार कैसे निहत्थे लोगों को शांतिपूर्ण प्रदर्शन करने से रोक रही है? धारा 144 केवल लोकतंत्र को बचाने के लिए लिए इस्तेमाल की जानी चाहिए।उन्होंने बलात्कारियों के खिलाफ कड़ा कानून बनाने और फास्ट ट्रैक अदालतों के गठन के लिए संसद का विशेष सत्र बुलाने का आह्वान किया।
सफदरजंग अस्पताल के बाहर भी प्रदर्शन हुए। पीड़िता का इलाज इसी अस्पताल में चल रहा है। प्रदर्शनकारियों ने अशोक रोड पर यातायात रोक कर दिया है और इंडिया गेट पर वाहनों की लंबी लाइन लगी हुई हैं।
[11] बाबा राम देव के साथ पूर्व जनरल वी के सिंह भी आये | बाबा राम देव के खिलाफ दंगा भड़काने का केस दर्ज़ किया गया है|
[१२] एक गाड़ी को पलटे जाने को मुद्दा बना कर पोलिस ने दमनात्मक कार्यवाही शुरू कर दी|
[१३] कल गृह मंत्री ने प्रदर्शन कारियों से सीधे संवाद स्थापित किये जाने के सुझाव को हवा में उड़ा दिया था लेकिन यूं पी ऐ अध्यक्षा श्री मति सोनिया गाँधी ने कुशल न्रेत्त्व का प्रदर्शन करते हुए कल और आज भी प्रदर्शन कारियों के एक गुट से मिली और शान्ति स्थापित करने की अपील की मगर तब तक बहुत देर हो चुकी थी और बिना नेता के प्रदर्शन कारी कुछ भी सुनने को तैयार नहीं हुए

कोहरे की सर्द चादर में सिमटी सर्दी से परीक्षार्थी भी परेशान रहे

कोहरे की सर्द चादर में सिमटी सर्दी से परीक्षार्थी भी परेशान रहे


पहाडी हवाओं पर तैरती आ रही हवाओं ने मेरठ सहित उत्तर भारत पर कोहरे कीसर्द सफेद चादर ओड़ा दी है | आज रविवार को सुबह से सूर्य देव के दर्शन दुर्लभ रहे| सडकों से वाहनों का आवागमन कम हुआ तो विजिबिलिटी भी शून्य तक रही|सामान्य जन जीवन पर तो इसका प्रभाव पडा ही मगर अपने करियर के लिए बैंक क्लर्क की नौकरी पाने के लिए आयोजित परीक्षाओं के लिए निर्धारित केन्द्रों पर आने वाले सैकड़ों प्रतियाशियो को केन्द्रों के बाहर ठण्ड से सुकडते हुए देखा गया||गंगानगर के दिवाईदर रोड पर स्थित एक केंद्र पर सुबह से दूर दराज़ के प्रतियाशी आने शुरू हो गए मगर दस बजे की शिफ्ट के लिए मुख्य द्वार 9 बजे खोला जाना था और गेट पर कोई अलाव या शेल्टर तक नहीं था