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Category: Jhalli Gallan

नन्ना पकड़ा हुआ हैं कुछ भी कहते रहो इन्होने कह देना है की नन्ना में तो मानू ना

झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

नन्ना पकड़ा हुआ हैं कुछ भी कहते रहो इन्होने कह देना है की नन्ना में तो मानू ना

एक भाजपाई

ओये झल्लेया ये कया लुट पे गई ओये एक से बढ एक घोटाले सामने आ रहे हैं |अब सरकार की आडिट संस्था कैग ने थल नभ जल सभी में तीन लाख करोड़ के घोटालों का पर्दा फाश कर दिया लेकिन ये बेशर्मो
की सरकार के कानों तक जू भी नहीं रेंग रही| ऐसे कैसे चलेगा|अगर इनके बस का नहीं तो गद्दी हमें सौंप दें हम जैसे तैसे हुकूमत को चला ही लेंगे

झल्ला

ओये भोले बादशाहों ये सारा झगड़ा ही गद्दी वाली कुर्सी का है इसीलिए कुर्सी के पाए जमीन के ऊपर नहीं बल्कि जमीन के अन्दर हैं| उनपर बैठने वालों के नीचे पेच कसके खुंटल कर दिए गए हैं||
इसीलिए इन्होने नन्ना पकड़ा हुआ हैं आप कुछ भी कहते रहो इन्होने कह देना है की नन्ना में तो मानू ना

योग गुरु को अंग्रेज़ी में टिट फार टेट का आसन सिखाया


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

एक कांग्रेसी
ओये झल्लेया देख लिया कालेधन के खिलाफ आंदोलन कर रहे अपने योग गुरु बाबा राम देव की राम लीला |बाबा की पतंजलि योग पीठ के कनखल स्थित दिव्य योग मंदिर पर खाद्य विभाग का छापा पड़
गया है| शहद +सरसों के तेल+जूस+बेसन और नमक के भी सैम्पल भर लिए गए हैं|
वहां से शहद,सरसों के तेल, नमक, बेसन, जूस और जांच के लिए कुछ दवाओं के सैंपल लिएगए। ये नमूने रुद्रपुर स्थित प्रयोगशाला में भेजे जाएंगे
अब कहाँ बचेगा ये बाबा ???
झल्ला
हाँ सरकारे आली जी बाबा जी की जब तक जुबान चलती रहेगी आप जी की संस्थाएं अपना रूप दिखाती रहेंगी | ये लोक तांत्रिक संस्थाएं अंग्रेज़ी में टिट फार टेट या फिर हिंदी में जैसे को तैसा वाला योग आसन
बाबा को सिखा कर ही मानेंगी | क्यों ठीक हे न ठीक ????

घोटाले तो नंगे होते रहेंगे और उन्हें समय के वस्त्रों से ढका भी जाता रहेगा|


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

एक लखनवी सपाई छुटभेय्या
ओये झाल्लेया देखा हसाड़े युवा मुख्यमंत्री माननीय अखिलेश यादव जी का कमाल ओये पिछली सरकार के घोटाले पे घोटाले पकडे जा रहे हैं|अब मुजफ्फर नगर के समाज कल्याण विभाग में हुए
रिंकू सिंह राही काण्ड में भी ८० करोड़ रुपयों का घोटाला सामने आ गया है|पिछली सरकार ने पेंशन+स्कोलरशिप+शुल्क प्रतिपूर्ति जैसी जन कल्याण की यौजनाओं को भी नहीं छोड़ा गया|अब तो
पिछली सरकार की वाट लगे ही लगे|
झल्ला

ओ मेरी छोटी सरकार जी लगता है की आप सियासी हल्कों में हो रहे हलचलों से अंजन हैं अछूते हैं तभी ऐसी भोली भोली बातें कर रहे हैं|
घोटाले तो बेचारे नंगे होते रहे हैं +नंगे हो रहे हैं और नंगे होते रहेंगे |यह हमारे मुल्क की एतिहासिक परम्परा हैइसीलिए इस बात पर ज्यादा ख़ुशी मानाने की जरुरत नहीं है | आप इस बात पर खुल कर
ख़ुशी मना सकते हो कि राष्ट्रपति+उपराष्ट्रपति के चुनावों से फारिग होते ही सुप्रीम कोर्ट ने रिश्तेदारों नातेदारों को एल डी ऐ के प्लाट्स एलोट करने के ७ साल पुराने आरोप से आप जीके राष्ट्रीय
अध्यक्ष माननीय मुलायम सिंह यादव जी को राहत दे दी है|अब तो लोगों को समझ चाहिए कि अंग्रेजों ने सोच समझ कर ही यह नियम बनाया है कि चेरिटी बिगिन्स एट होम्स
इसीलिए मान्यवर घोटाले तो नंगे होते रहेंगे और उन्हें समय के वस्त्रों से ढका भी जाता रहेगा|

परमात्मा को छल कपट से नहीं सच्चे प्रेम से पाया जा सकता है

जिस मन में छल कपट हो, उस में न भक्ति मेल,
जिस तरु जड़ में आग हो, उस पर चढ़े न बेल.

संतजन मनुष्यों को समझाते हुए कहते हैं कि प्रभु की आराधना निष्काम,निष्कपट एवं सच्चे मन से करो क्योंकि अगर हमारे मन में छल कपट हो तो भक्ति भवानी जाग्रत नहीं हो सकती.
परमात्मा को छल कपट से नहीं वरन प्रेम से पाया जा सकता है. जैसे किसी वृक्ष की जड़ में अगर आग लगी हुई हो तो कोई भी बेल उस पेड़ पर नहीं चढ़ती.
स्वामी सत्यानन्द जी द्वारा रचित भक्ति प्रकाश ग्रन्थ का एक अंश
श्री रामशरणम् आश्रम, गुरुकुल डोरली, मेरठ

पतनाला तो वहीं गिरेगा जहां उसे गिरना है|


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

अन्ना +बाबा समर्थक

ओये झल्लेया ये केंद्र की सरकार को क्या हो गया है ?
पहले १४ अगस्त को राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने राष्ट्र के नाम सन्देश में यह स्वीकार किया है कि जन आंदोलनो से अराजकता फैलती है इसीलिए लोक तांत्रिक संस्थाओं पर लगातार हमले उचित नहीं हैं | संसद की मर्यादा की सर्वोच्चता को बनाये रखा जाना चाहिए| आज १५ अगस्त के भाषण में प्रधान मंत्री डाक्टर मन मोहन सिंह ने भी लाल किले की प्राचीर से [१] महंगाई के लिए मौसम पर +[२]लोक पाल बिल पास नहीं करने के लिए राज्यसभा में विपक्ष के सर पर ही ठीकरा फोड़ दिया है|[३] गरीबी दूर करने के लिए ऍफ़ डी आई का रौना ही रोया है|हर घर को बिजली देन का वायदा करते समय बिजली के आगमन का स्रोत का सीक्रेट खोला
तक नहीं |बस हर हाथ को काम हर पेट को रोटी हर खेत को पानी जैसे पुराने कांग्रेसी नारे ही दिए हैं | एक बार भी संसद की मर्यादा बढाने के लिए जन आन्दोलनकारियों +विपक्ष को सहयोग का आह्वाहन तक नहीं किया हैं |इतनी गालियाँ खा कर भी ये लोग बेमजा नहीं हो रहे |लोक तंत्र को लगी बीमारियाँ तो एक एक करके सारी गिनवा रहे हैं मगर ना तो उन बीमारियों से बचाव के लिए खुद ही कोई परहेज कर रहे हैं और न कोई दवा दारू ही कर रहे हैं | ऐसे चलता है लोक तंत्र कभी ???
झल्ला
बुजुर्गो दरअसल बात ये है की हसाड़े सोणे ते मन मोहने पी एम् ने लाल किले से नौवीं बार तिरंगा फहरा कर जवाहर लाल नेहरू+इंदिरा गांधी के बाद तीसरे नंबर पर नाम लिखा लिया है|इसी लिए अब तो यही कहना है कि ले माये साम कुंजियाँ हम तो चले परदेश |अभी भी नहीं समझे ओ बुजुर्गो आप जी कि सारी गल्लां ठीक है सर मत्थे हैं मगर पतनाला तो वहीं गिरेगा जहां उसे गिरना है|

सोचे-समझे बिना कभी किसी को पीड़ा नहीं पहुंचानी चाहिए .

अंतर दाव लगी रहै, धुआं ना प्रगटै सोई
कै जिय आपन जानहिं, कै जिहि बीती होइ
अर्थ : रहीम दास जी कहते है मन में अग्नि धधकती रहती है, परन्तु उसका धुंआ
बाहर प्रकट नहीं होता. जिस व्यक्ति के मन पर जो घटित हो रहा होता है ,
उसका अंतर ही उसको जान सकता है, अन्य कोई नहीं .
भाव : इस दोहे का भाव यही है कि प्रत्येक व्यक्ति का अपने जीवन में अपना
ही दुःख- सुख होता है. किसी की क्या पीड़ा है , वह तब तक नहीं जानी
जा सकती , जब तक वह स्वयं अपने मुख से न कहे .
इसलिए बिना सोचे-समझे कभी किसी को पीड़ा नहीं पहुंचानी चाहिए .
जीवन में न जाने कितने-कितने लोगों के साथ हमारा मिलना-जुलना
होता है और उनके मन की बात को जाने बिना ही हम या तो उन्हें
सलाह देने लगते हैं या उनके किसी कार्य अथवा बात को देख-सुनकर
उस पर टिप्पणी करने लगते है या उसकी आलोचना करने लगते हैं .
यह प्रवृति सरासर गलत है .

अच्छे खासे आंबेडकर स्टेडियम की माँ +भैन एक कर दी

झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां
एक खेल प्रेमी
ओये झल्लेया ये क्या हो रहा है??आज़ादी को हासिल किये छह दशक हो गए और ओलंपिक्स में केवल छह मेडल्स ही मिले हैं गोल्ड का एक भी नहीं |खेल युवा मंत्री है मंत्रालय है+खिलाड़ी हैं +खेल बोर्ड हैं+करोड़ों रुपयों का खर्चा है फिर मेडल क्यूं नहीं आ रहे??
झल्ला
पहलवान जी बात दरअसल ये है कि हमारे देश में खेल नीतियाँ भ्म्बरभूसे[गधिगेड] में ही पड़ी रहती है|पुराने कि बात छोड़ो कल की ही देखो|
दिल्ली के आंबेडकर स्टेडियम में फूटबाल का कितना बढिया ग्राउंड है टर्फ भी है |और वहां आने वाले दिनों में डूरंड टूर्नामेंट भी खेला जाना है मगर अच्छे खासे बाबा राम देव को बयाना ले जाते लेजाते आम्बेडकर स्टेडियम में घुसेड दिया \अब बाबा तो बाबा हज़ारों चेले भी साथ हो लिए |ऐसे में अच्छे खासे स्टेडियम की माँ भैन एक हो गई होगी |अब आप ही बताओ जब मंत्री +जनता +नेता+संतरी ही यूं बिदयों तब आगे कौन हवाल

रेप जैसे क्राईम भी अब छोटे मोटे क्राईम दिखने लगे ?

झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां
एक छुटभैया पत्रकार
ओये झाल्लेया व्हाट इज दिस ये किरण बेदी अपने को समझती क्या है हैं बाबा रामदेव के मंच से नीचे उतरते ही इस रिटायर्ड पोलिस अधिकारी को रेप जैसे क्राईम भी छोटे मोटे क्राईम दिखाई देने लग गए |हमारे लिए तो हर तरफ मुसीबत ही मुसीबत है अब रेप की खबर को दिखाया तो उसका भी विरोध\ऐसे कैसे चलेगा|
झल्ला
बेदी ने ज़रा सी किरण क्या दिखा दी सभी बौखला गए हो |अच्छा ये बताओ को गलत कया कहा है किरण का कहना है कि छोटे मौते अपराधों पर जो ज़ूम करके दिखाया जाता है बड़े अपराधों को मिनिमाईस कर दिया जाता है|अब बाबा राम देव और अन्ना के मूवमेंट पर मंच की कवरेज के बजाये स्टूडियो में बहस की जा रही है |और तो और मुम्बई में सिक्युरिटी वाले को रेप के प्रयास और मर्डर के आरोप में पकड़ भी लिया गया मगर एम् डी एल आर के मालिक और हरियाणा के गृह राज्य मंत्री गोपाल कांडा अभी तक फरार है |यहाँ तक की कांडा अपनी शर्तों पर ही सरेंडर करने की आज्ञा मांग रहा है अब आप ही बताओ की व्हेयर तू स्टेंड

[कनक]सोने में मादकता है पाने वाला बौराए ही बौराए

झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां
एक अन्ना + बाबा समर्थक
ओये झल्लेया ये क्या हो रहा है ओये आज़ादी के इतने सालों के बाद भी हम अंग्रेजों के लन्दन से एक भी गोल्ड लेकर नहीं आ सके|ओये हसाड़े पहलवानों ने थोड़ा दम दिखाया मगर इतनी लम्बी चोडी खिलाड़ियों +अधिकारियों की फौज होने के बावजूद भी ओनली छह पदक ही मिले और इनमे एक पदक भी गोल्ड नहीं |गोल्ड से चूकने वाला सुशील पहलवान पहले ही बीमार पड़ गया आते हसाड़े डाक्टर +शेफ +अफसर क्या कर रहे थे ???
झल्ला
शांत हो जा भाई |आप जी की मंचों पे तो चली नहीं अब मुझ झल्ले की क्यूं ऐसी की तैसी करने पे तुले हो|आप तो पड़े लिखे ज्ञानी दिख रह
हो|आपने वोह दोहा नहीं सुना कि
कनक कनक ते सौ गुनी मादकता अधिकाए
या पाए बौराए जग वा खाए बौराए
अब सुशील ने कनक[अन्न]खाया तो बीमार हो गया खिलाडियों ने पूर्वजों कि मानी और कनक[सोने]से दूर रहे
तो ठीक रहे |
वैसे हमारे देश में तो कांस्य या फिर क्वाटर फायनल में आने वालों को भी सरकारे+मंत्रालय+आर्गेनाइजेशन्स
सभी सोने से लाद रही है| वैसे आज़ादी पाए अभी छह दशक ही तो हुए हैं|और छह पदक ले आये अब बच्चो की जान ही ले लोगे|
थोड़ा इंतज़ार करो खेल मंत्री युवा अजय माकन ने कह दिया है की अगले ओलंपिक्स में २५ मेडल ले आयेंगे सो वेट यूं जस्ट वेट

इन्द्रियों को वश में कर लेने वाले मोह -माया के जाल से मुक्त रहते हैं

Rakesh Khurana [Right] In A Social Gathering

जो रहीम तन हाथ है, मनसा कहुं किन जाहिं
जल में जो छाया परी, काया भीजती नाहीं

अर्थ : कवि रहीम कहते हैं कि यदि शरीर पर अपना वश है तो मन कहाँ जाएगा?
जैसे – यदि पानी में अपना प्रतिबिम्ब दिखाई दे तो शरीर नहीं भीगता.
भाव : कवि रहीम का संकेत यहाँ इन्द्रियों को वश में करने की ओर है . उनका
कहना है कि यदि आदमी पूर्ण संयम से अपनी समस्त कर्मेन्द्रियों को
वश में कर ले तो वह अपनी ज्ञानेन्द्रियों अर्थात मन को भी वश में कर
सकता है . जिस प्रकार पानी में दिखाई देने वाले प्रतिबिम्ब को पानी
गीला नहीं कर सकता , उसी प्रकार अपनी कर्मेन्द्रियों और ज्ञानेन्द्रियों
को वश में कर लेने वाले व्यक्ति को सांसारिक मोह -माया अपने जाल
में कभी नहीं फंसा सकती .