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Category: Religion

गुरुद्वारे में पड़ी ईद की नमाज़

गुरु नानक की अध्यात्मिक गद्दी के दसवें वारिस गुरु गोबिंद सिंह के सिखों ने अपने गुरुओं की सीख को केवल रटा ही नहीं वरन उन्हें अपने जीवन का आधार भी बनाया है|इसका एक लेटेस्ट उदहारण उत्तराखंड के चमौली जिले के जोशी मठ में दिखाई दिया|यहाँ केके उपदेश का सराहनीय पालन किया| और ईद के मौके पर देवभूमि में सरबत का भला चाहने वालों ने सांप्रदायिक सौहार्द की अनूठी मिसाल पेश की।
चमोली जिले के जोशीमठ में भारी बारिश से गांधी मैदान में पानी भर गया तो मुस्लिम भाइयों को गुरुद्वारे में नमाज अता करने की दावत दी गई|
इस अवसर पर सिख और हिंदु समुदाय के लोग मौजूद थे। सभी ने एक-दूसरे को मुबारकबाद दी और मिलकर त्योहार मनाया।
इस देवभूमि का इतिहास भी कुछ कम रोचक नहीं है|हिंदुओं के प्रसिद्ध धाम बदरीनाथ में प्रतिदिन होने वाली आरती तकरीबन सवा सौ साल पहले नंदप्रयाग के बदरुदीन ने लिखी थी।
सिखों के पवित्र स्थल हेमकुंड साहिब के प्रथम ग्रंथी भ्यूंडार गांव के नत्था सिंह हैं तो कर्णप्रयाग के काल्दा भैरव मंदिर के पुजारी दलित समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। गौरतलब है की जोशीमठ में २० अगस्त को ईद के दिन मुस्लिम समुदाय के लोग गांधी मैदान में नमाज अता करने पहुंचे। भारी बारिश के कारण मैदान पानी से भरा था।सफे बिछाना भी संभव नहीं था| तभी स्थानीय गुरुद्वारे के प्रबंधक बूटा सिंह आए और सभी मुस्लिम भाइयों को नमाज के लिए गुरुद्वारे में आमंत्रित किया। मौलवी आसिफ कहते हैं इंसानियत हमें सभी धर्मो का आदर करना सिखाती है|

गुरु नानक ने भी कहा है की नानक नाम चडदी कला तेरे भाणे सरबत दा भला

भक्ति मार्ग के पथिक को प्रेम एवं श्रद्धा अनिवार्य है.

द्वेष , कलह विवाद जहाँ, वहां न भक्ति उमंग
यथा ही मिलकर ना रहे, अग्नि गंग के संग.
भक्ति प्रकाश ग्रन्थ के रचयिता संत शिरोमणि श्री स्वामी सत्यानन्द जी महाराज
जिज्ञासुओं को समझाते हुए कहते हैं कि जहाँ ईर्ष्या, क्लेश, तर्क वितर्क हैं वहां
भक्ति का आगमन नहीं हो सकता जैसे अग्नि एवं पानी मिलकर नहीं रह सकते .
अर्थात भक्ति मार्ग पर अग्रसर होने के लिए प्रेम एवं श्रधा का होना अनिवार्य है.

स्वामी सत्यानन्द जी द्वारा रचित भक्ति प्रकाश ग्रन्थ का एक अंश
श्री रामशरणम् आश्रम, गुरुकुल डोरली, मेरठ

मेरी ईद

मेरे जीवन में ईद के बहुतेरे रंग हैं इनमेसे तीन रन आज साझा करना चाहता हूँ|
[१]बात उस वक्त की है जब मेरा बचपना था|हमारा संयुक्त परिवार था|दादा+दादी+पापा+मम्मी+के साथ दो चाचाओं के परिवार भी साथ ही थे|अल्लाह के फज़ल से अच्छा खासा खाता पीता परिवार था|
जब मुक़द्दस रमजान शुरू होते थे घर में हर तरफ चहल पहल रहते थी | सुबह के वक्त सहरी में चावल की खीर बना करती थी|रोजा आफ्तियारी में फलों +चने की चाट+पकौड़ी बना करती थी|

आज के दौर में खीर की जगह डबल रोटी और फैनी ने ले ली है|

बच्चे होने के नाते हमसे जुम्मा का रोजा रखाया जाता था|
रमजान पूरा होने पर चाँद का बेसब्री से इंतज़ार रहता था अगर चाँद नहीं दिखा तब मायूसी छाने लगती थी|
ईद पर मम्मी पापा मेरे लिए हमेशा नए कपडे ला कर देते थे|
नए कपड़ों में शान के साथ सभी पापा के साथ ईद गाह नमाज़ पड़ने जाते थे|इद्द पर बच्चों को ईदी के रूप में पैसे मिला करते हैं|सो जेबों में ईदी हुआ ही करती थी जिससे ईद की नमाज़ के बाद वहां चाट जरूर खाते थे और कुछ खिलोने भी लेते थे|घर आने के बाद मेहमानों के आने का सिलसिला शुरू हो जाता था शीर से उनका मुह मीठा कराया जाता था| वोह दिन आज भी यादों में समाये हुए हैं|
[२] अब बड़े हुए तो जिम्मेदारियां भी बढ गईं|फौज जाईन कर लीअक्सर घर से बाहर ही रहना होता था|जाहिर है ज्यादा तर ईद घर से बाहर ही होती थी|
एक बार में एक कोर्स करने गोवा गया था जहां शाम को रोज़े की वजह से छुट्टी रहती थी सुबह की पी टी परेड भी माफ़ थी|शाम को सभी मस्जिद में रोज़ा खोलते थे|ईद पर कमांडिंग आफिसर साहब ने ईद की पार्टी का आयोजन कराया जिसमे सभी आफिसर और जवान इकठ्ठा शरीक हुए|शीर के साथ सात्विक[वेज] तामसिक[नॉन वेज]हर तरीके का खाना था|वहां मुझे ईद के विषय में बताने को भी कहा गया सो मैंने ईद के विषय में सबको जानकारी दी सबन तालियाँ बजा कर स्वागत किया|
वोह ईद आज भी जहन में खुसबू की मानिंद बसी हुई है|यह शायद पहली मौका था जब घर की याद नहीं आई|
[३] नागालैंड में पोस्टिंग के मुझे फौज के किसी काम से दिल्ली भेजा गया लंबा सफ़र था ईद ट्रेन में ही आ गई| रात २ बजे घर पहुंचा पता चला की पापा पेशेंट होकर बेड पर हैं|मुझे अचानक देख कर बेहद खुश हुए और शीर भी पी|शायद उन्हें मेरा ही इंतज़ार था उसके बाद पापा अल्लाह को प्यारे हो गए|

शायद ये मेरे रोजों का सदका था जिन्होंने मुझे पापा के अंतिम दर्शन करा दिए और पापा को इत्मीनान से जन्नत जाने का मौका मिला|यह ईद मेरे पापा की मौत से जुडी है सो इसे भी भूलना मेरे लिए मुमकिन नहीं है|

मेरठ में ईद

मेरठ में हर तरफ ईद का महौल है|सत्ता +विपक्ष सभी साथ हैं|प्रशासन जनता के बीच है|बच्चे भी बूढों के संग हैं |सभी मिल कर ईद की खुशियाँ बटौर रहे हैं|
इस खुशनुमा खालिस भारतीय माहौल को शब्दों में ब्यान नहीं किया जा सकता इसीलिए शहर की कुछ तस्वीरे प्रस्तुत हैं|

सत्ता रूड सपा +कांग्रेस+बसपा के स्थानीय नेता अपने समर्थकों के साथ हैं तो जिलाधिकारी और एस एस पी भी लावलश्कर लिए हैं|

ईद पर फितरा का विशेष महत्त्व है

ईद पर फितरा का विशेष महत्त्व है
आज ईद है सब तरफ त्यौहार की खुशियाँ बटौरी और लुटाई जा रही हैं|
इस त्यौहार को भाई चारे और ख़ुलूस से मनाने के किये फितरा और जकात[दान] को भी फर्ज़ बताया गया है|
२९ से ३० रोजों की तपस्या के बाद चाँद के दीदार एक रूहानी सुकून देता है\इसके बाद शुरू हो जाती है
त्यौहार की मौज मस्ती |मगर ईद की इस मौज से पड़ोस का कोई गरीब महरूम न रह जाए कोई मायूस न हो जाये
इसीलिए जकात +फितरा जैसी व्यवस्था भी की गई है|
फितरा में घर के प्रत्येक सदस्य द्वारा पौने दो किलो अनाज या इसकी कीमत का जरुरत मंद को दान करना जरुरी है|
जकात में बताया गया है कि मिलकियत [जेवर+जायदाद+जमा पूँजी]का १% दान किया जाना जरुरी है|इसके अलावा
ईद कि नमाज़ पड़ने के लिए आने वाले नामाज़िओं द्वारा ईद गाह के बाहर बैठे फकीरों को दान देकर सवाब कमाया जाता है|साउदी अरब में जबकि भीख मांगना अपराध है मगर त्यौहार के समय बड़ी संख्या में भारत+पाकिस्तान+बंगलादेश से लोग केवल खैरात के लिए वहां जाते हैं |कुछ लोग बेशक पकडे भी जाते हैं कैद भुगतते हैं लेकिन लेने और देने वालों के धार्मिक मान्यता पर प्रभाव नहीं पड़ता|

परमात्मा का प्रेम पाने के लिए निरभिमानी होना आवश्यक है

श्री रामशरणम् आश्रम, गुरुकुल डोरली, मेरठ के परमाध्यक्ष पूज्यश्री भगत नीरज मणि ऋषि जी ने इश्वर प्राप्ति के लिए अभिमान त्याग कर विनम्रता से प्रभु के प्रति प्रेम भाव से भक्ति किये जाने का उपदेश दिया |प्रस्तुत है उनके प्रवचन के कुछ अंश
.संतजन प्रेम और भक्ति के बारे में समझाते हुए कहते हैं –
आध्यात्म के मार्ग पर परमात्मा का भजन करते-करते यदि आपके मन में प्रेम उत्पन्न नहीं हुआ
तो इसका मतलब आपके मन में नीरसता, ईर्ष्या और शुष्कपन है. तुम अभी भक्ति से बहुत
दूर हो. बिना प्रेम के किसी ने परमात्मा को नहीं पाया. बेल चाहे कितनी भी हरी हो, अगर उसकी
जड़ में कोई अग्नि जला दे तो वह बेल सूख जाती हैं, झुलस जाती है इसी प्रकार जिसके
मन में ईर्ष्या, द्वेष एवं संताप भरा है उसके मन में भगवान् के प्रेम और भक्ति के बेल परवान
नहीं चढ़ती.
परमात्मा से प्रेम तभी पैदा होगा जब हम अपने मान एवं अहम् भाव को मिटा देंगे.
किया अभिमान तो मान नहीं पायेगा.
जब तक आप अभिमान करते रहोगे तब तक प्रभु के घर मान नहीं पा सकोगे. मान तथा
प्रेम परमात्मा के घर से मांगे नहीं जाते. जब आप निमानी और निरभिमानी होंगे तो परमात्मा
का प्रेम अपने आप ही मिल जाता है.

ईद मुबारक+ हैप्पी ईद+ईद दी वधाईयां

ईद मुबारक

ईद भाई चारे और साम्प्रदाईक सौहार्द का त्यौहार है |बरकतों से झोलियाँ भरने और खुशियाँ लुटाने का त्यौहार है|
हिन्दू और मुस्लिम दोनों सगे भाईयों की तरह एक दूसरे के त्यौहारों में साथ निभाते हैं|
ईद मुस्लिमों का मुख्य त्यौहार है ईद गाह पर जब ईमान वाले नमाजियों के लिए दरियां|चादरें बिछा रहे होते हैं तब
हिन्दू व्यापारी नमाजियों की ईद की ख़ुशी को बढाने के लिए ईद गाह के बाहर ठेले +दुकाने+झूले आदि लगा कर मेले का
स्वरुप प्रदान कर देते हैं|
ऐसे ही द्रश्य हमें दशहरा+और कावण के समय में भी दिखाई देता है|
दशहरा में फूंकने के लिए रावण और गंगा जल लाने के लिए कावण बनाने का काम मुस्लिम ही करता है|
शायद यही हमारे लोकतंत्र की ख़ूबसूरती भी है|
इसीलिए फिर से ईद मुबारक+बधाईयाँ+कंग्रेचुलेश्नास

मिशेल ओबामा ओक क्रीक गुरुद्वारा गोलीकांड के पीड़ित परिवारों से मिलेंगी

अमेरिका में होने वाले चुनावों के मद्देनज़र लगता है कि बराक ओबामा की पार्टी कोई मौका खोना नहीं चाहती इसलिए अब प्रथम महिला मिशेल भी अगले सप्ताह विस्कॉन्सिन गुरुद्वारा गोलीकांड के पीड़ित परिवारों से मुलाकात करेंगी।
सिख परिषद ने मिशेल के इससहानुभूतिपूर्वक कदम स्वागत किया है| यह सुनना सुखद है कि प्रथम महिला मिशेल गुरुद्वारे में हुई हिंसा से उजड़े परिवारों से मुलाकात करेंगी।
सिख परिषद् के अध्यक्ष राजवंत सिंह के अनुसार यह वाकई महत्वपूर्ण है कि शीर्ष नेतृत्व पीड़ित परिवारों व पूरे सिख समुदाय के ताजा जख्मों को सम्मानजनक तरीके से भरता है।
उन्होंने कहा है कि प्रथम महिला का दौरा सिखों को फिर से भरोसा दिलाने व उनका दिल छूने वाला कदम होगा और यह इस गम्भीर मोड़ पर राष्ट्रपति ओबामा द्वारा सिख समुदाय को गले लगाने का सशक्त प्रतीक होगा। यह न केवल सिख त्रासदी है, बल्कि अमेरिका की त्रासदी है।
गौरतलब है कि कि पांच अगस्त के रविवार को विस्कॉन्सिन के ओक क्रीक स्थित गुरुद्वारे में कथित श्वेत नस्ल कट्टरपंथी, वेड माइकल पेज द्वारा की गई गोलीबारी में छह श्रद्धालुओं की मौत हो गई थी और चार अन्य घायल हो गए थे। घायलों में एक पुलिसकर्मी भी शामिल था|इस घटना में मारे गए लोगों के सम्मान में राष्ट्रीय ध्वज आधे झुका दिए थे|

चाँद रात आज है कल होगी ईद


ईद मुबारक

आज चाँद रात है ईद कल होगी

ईद मुसलामानों का एक मुख्य त्यौहार है|यह रमजान उल मुबारक के पाक महीने के बाद धूम धाम से मनाई जाती है|इस महीने २९ से ३० रोज़े[व्रत]रखे जाते हैं|
अल्लाहताला ने इसी महीने कुराने पाक को नाजिल किया | इस महीने ईमान वाले बुरे कामो को छोड़ कर अच्छाई और नेकी के रास्ते पर चलते हैं|
हदीसे पाक में हुजूर ने फरमाया है कि रमजान का रोजा[व्रत]जो सबाब [पुन्य]कि उम्मीद से रखेगा अल्लाह उसके सभी पिछले गुनाह भी माफ़ कर देंगे|इस बार बीती रात चाँद के दीदार नहीं होने से ३० रोज़े रखे गए हैं|आज १९ अगस्त को चाँद रात है सो हरतरफ चाँद के दीदार को बेकरारी है|क्योंकि कल २० अगस्त को ईद है|
ईद कल है मगर ईमान वालों के घरों में 15 दिन पहले ही ईद की तैय्यारी शुरू हो जाती है\घरों कि साफ़ सफाई +पुताई और सजावट शुरू हो जाती है|परिवार ख़ासकर बच्चों के लिए हेसियत के अनुसार खरीददारी होती है|बाजारों में व्यापारी भी ग्राहकों को रिझाने का कोई मौका नहीं छोडते |
ईद की नमाज़ कारी द्वारा मुकरर्र समय लगभग साडे आठ से नौ बजे ईद गाहों में अदा की जाती है|
नमाज़ी सुबह से ही नए कपड़ों में खासकर सफ़ेद कमीज +पायजामा सर पर गोल टोपी पहने ईद गाहों कि तरफ जाते दिखाई देने लगते हैं|
नमाज़ के बाद अमन चैन की दुआ की जाती है|सभी अपने गिले शिकवे भुला कर एक दूसरे से गले मिल कर ईद की मुबारक बाद देते हैं|
ईद गाहों के बाहर मेले लगा करते हैं|जहां बच्चों की मौज रहती है|
नमाज़ के बाद ईमान वाले कब्रिस्तानों में अपने बुजुर्गों के लिए फातिया पड़ने जाते हैं|
ईद क्योंकि भाई चारे का त्यौहार है इसीलिए एक दूसरे के घर जा कर ईद की खुशियाँ दोगुनी की जाती है|
कल चूँकि मीठी ईद है इसीलिए विशेष खीर का सेवन ईद के आनंद को कई गुना बड़ा देता है|
इस मौके पर जकात[दान] का भी विशेष महत्त्व है अपनी मिलकियत का १% दान सभी पर फर्ज़ है|

श्रद्धा और विश्वास से भक्ति पथ आसान होता है

श्रद्धा निश्चय हीन मैं, भक्ति न अंकुर लाये ,
केसर कमल कपूर कब, ऊसर में उपजाय.

संतजन मनुष्यों को समझाते हुए कहते हैं कि प्रभु के नाम में जब तक सच्ची श्रधा तथा अटूट निश्चय आपके ह्रदय मैं नहीं होगा तब तक आप भक्ति के पथ पर अग्रसर नहीं हो सकते हैं.
जैसे अगर भूमि उपजाऊ नहीं है तो उस ऊसर भूमि पर केसर, कमल एवं कपूर पैदा नहीं हो सकता है.

स्वामी सत्यानन्द जी द्वारा रचित भक्ति प्रकाश ग्रन्थ का एक अंश

श्री रामशरणम् आश्रम, गुरुकुल डोरली, मेरठ