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तमिल नाडू में जल्लीकट्टू त्यौहार में बैलों पर अत्याचार बंद हो:पेटा

पशुओं के कल्याण को समर्पित संस्था पेटा [ PETA ] ने तमिल नाडू में मदुरै [ Madurai ]डिस्ट्रिक्ट के तीन विभिन्न स्थानों पर पशुओं [साँड़/बैल BULL[ पर अमानवीय अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाई है| संस्था द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार मदुरै में जल्लीकट्टु [ jallikattu ] नामक प्रतियोगिता के नाम पर बैलों को ठीक सरकार की नाक के नीचे गैर कानूनन यातनाएं दी जाती हैं| पूँछ मरोड़ने से लेकर छुरेऔर नुकीले भाले तक घोंपे जाते हैं|
केंद्र सरकार आदेशों के बावजूद माननीय सुप्रीम ने तमिल नाडू में कुछ प्रतिबंधों के साथ मान्यता दे दी है| लेकिन ऐसे किसी भी गाईड लाइन को फोलो नही किया जा रहा| बैलों के अलावा खिलाड़ियों की मृत्यु तक हो जाती है|
पेटा[ PETA ] ने हाल ही में तमिल नाडू के जल्लीकट्टू एक्ट २००९ के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में पेटीशन दाखिल की है|,
गौरतलब है कि जल्लीकट्टू अर्थार्त [Eruthazhuvuthal,] तमिल नाडू के विशेष कर मदुरै+पलामेदु[ Palamedu ] अलंगनल्लुर [ Alanganallur, ]में पिछली चार शताब्दियों से पोंगल त्यौहार का मुख्य आकर्षण माना जाता है| जनवरी से जुलाई तक खेला जाने वाला यह त्यौहार कभी महिलाओं कि ख़ास पसंद हुआ करता थासभी जातियों की महिलाओं को अपने वर को तलाश करने में सहायता मिलती थी |जल्लीकट्टू को सिक्कों की थैली भी कहा जाता है|बैल के सींग पर सिक्कों की थैली इनाम स्वरुप बाँधी जाने लगी
लेकिन कालांतर में इस खेल में भी दोष आने लगे दो दशकों में ही दो सौ के मरने के खबर है| २००४ में ही ५ लोगों की मृत्यु और अनेको घायल हुए |पशु प्रेमियों ने इस की रोक थाम के लिए अदालतों की शरण लेनी शुरू की जिसके फलस्वरूप कुछ नियम बनाये गए लेकिन पेटा का आरोप है कि इनका पालन नही किया जा रहा और निरीह पशुओं का वध जारी है|