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पोंगल पर जल्लीकट्टू की अनुमति देने वाली केन्द्र की अधिसूचना की न्यायालय ने बजाई पुंगी

[नयी दिल्ली] दक्षिण में पोंगल पर खेले जाने वाले जल्लीकट्टू की अनुमति देने वाली केन्द्र की अधिसूचना की न्यायालय ने पुंगी बजाई
उच्चतम न्यायालय ने तमिलनाडु में पोंगल पर्व के दौरान सांडों को काबू में करने वाले खेल जल्लीकट्टू के आयोजन से प्रतिबंध हटाने संबंधी केन्द्र सरकार की अधिसूचना पर आज रोक लगा दी।
न्यायमूर्ति दीपक मिश्र और न्यायमूर्ति एन सी रमण की पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘अंतरिम उपाय के रूप में हम निर्देश देते हैं कि पर्यावरण एवं वन मंत्रालय द्वारा सात जनवरी, 2015 को जारी केन्द्र की अधिसूचना पर रोक रहेगी।’’
पीठ ने इसके साथ ही पशु कल्याण बोर्ड सहित विभिन्न संगठनों की याचिकाओं पर पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और तमिलनाडु सरकार को नोटिस जारी किये। इन्हें चार सप्ताह के भीतर नोटिस का जवाब देना है। इन याचिकाओं में केन्द्र की अधिसूचना निरस्त करने का अनुरोध किया गया है।
इससे पहले, आज दिन में प्रधान न्यायाधीश तीरथ सिंह ठाकुर ने इन याचिकाओं को न्यायमूर्ति दीपक मिश्र की अध्यक्षता वाली पीठ को सौंप दिया क्योंकि उनके साथ पीठ में शामिल न्यायमूर्ति भानुमति ने इन याचिकाओं की सुनवाई से खुद को अलग कर लिया था। न्यायमूर्ति भानुमति तमिलनाडु की हैं।
तमिलनाडु में पोंगल पर्व के दौरान जल्लीकट्टू पर लगा प्रतिबंध हटाने की केन्द्र सरकार की अधिसूचना को पशु कल्याण बोर्ड सहित विभिन्न संगठनों ने कल शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी।
इस आयोजन पर लगा चार साल पुराना प्रतिबंध केन्द्र सरकार ने कुछ शर्तो के साथ आठ जनवरी को हटा दिया था।
सरकार ने पशुओं के अधिकारों के हितायती संगठनों के कड़े विरोध के बावजूद देश के अन्य हिस्सों में बैलगाड़ी की दौड़ के साथ जल्लीकट्टू की अनुमति दे दी थी

ऊँटनी का दूध अगर मधु मेह नाशक है तो इसे सांसदों को भी उपलब्ध कराओ:नरेश गुजराल

ऊंटनी के दूध से अगर मधुमेह रोग ठीक हो सकता है तो राज्य सभा में सांसदों को यह दूध उपलब्ध कराना चाहिए क्योंकि अधिकाँश सांसद मधुमेह के रोग से पीड़ित होंगें यह मांग शुक्रवार को हलके फुल्के अंदाज में शिरोमणि अकाली दल के सांसद नरेश गुजराल ने रखी| प्रश्नकाल के दौरान एक सदस्य ने पूछा की क्या ऊंटनी के दूध की बिक्री पर कोई पाबंदी है तो कृषि मंत्री राधा मोहन सिंह ने जवाब दिया कि ऊंटनी के दूध के व्यापार पर कोई पाबन्दी नहीं है |इसपर एक अन्य सदस्य ने पूछ लिया कि क्या इस दूध से मधुमेह+हेपेटाइटिस [ Diabetes and Hepatitis]में लाभ मिलता है तो राज्य सभा का तनाव भरा माहौल कुछ हल्का हो गया |मंत्री द्वारा इस प्रश्न के जवाब में हाँ कहते ही शिरोमणि अकाली दल के सांसद नरेश गुजराल[पूर्व प्रधान मंत्री आई के गुजराल के पुत्र] ने हँसते हुए खड़े हुए और कहा कि अगर ऊँट का दूध इतना गुण कारी है तो सदन के अधिकांश सदस्यों को मधुमेह होगा ,इसीलिए इस लाभकारी दूध को राज्यसभा में उपलब्ध कराया जाना चाहिए ,इस पर स्वाभाविक ठहाके लग गए|मंत्री बेचारे शरमा कर बैठ गए | दरअसल रोजाना की तरह शुक्रवार को भी प्रश्नकाल के दौरान हंगामा हुआ और सदन को १५ मिनट्स के लिए स्थगित कर दिया गया उसके पश्चात प्रारम्भ हुए हाउस में ऊंटनी के दूध पर भी ये रोचक सवाल जवाब हुए

तमिल नाडू में जल्लीकट्टू त्यौहार में बैलों पर अत्याचार बंद हो:पेटा

पशुओं के कल्याण को समर्पित संस्था पेटा [ PETA ] ने तमिल नाडू में मदुरै [ Madurai ]डिस्ट्रिक्ट के तीन विभिन्न स्थानों पर पशुओं [साँड़/बैल BULL[ पर अमानवीय अत्याचार के विरुद्ध आवाज उठाई है| संस्था द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार मदुरै में जल्लीकट्टु [ jallikattu ] नामक प्रतियोगिता के नाम पर बैलों को ठीक सरकार की नाक के नीचे गैर कानूनन यातनाएं दी जाती हैं| पूँछ मरोड़ने से लेकर छुरेऔर नुकीले भाले तक घोंपे जाते हैं|
केंद्र सरकार आदेशों के बावजूद माननीय सुप्रीम ने तमिल नाडू में कुछ प्रतिबंधों के साथ मान्यता दे दी है| लेकिन ऐसे किसी भी गाईड लाइन को फोलो नही किया जा रहा| बैलों के अलावा खिलाड़ियों की मृत्यु तक हो जाती है|
पेटा[ PETA ] ने हाल ही में तमिल नाडू के जल्लीकट्टू एक्ट २००९ के विरुद्ध सुप्रीम कोर्ट में पेटीशन दाखिल की है|,
गौरतलब है कि जल्लीकट्टू अर्थार्त [Eruthazhuvuthal,] तमिल नाडू के विशेष कर मदुरै+पलामेदु[ Palamedu ] अलंगनल्लुर [ Alanganallur, ]में पिछली चार शताब्दियों से पोंगल त्यौहार का मुख्य आकर्षण माना जाता है| जनवरी से जुलाई तक खेला जाने वाला यह त्यौहार कभी महिलाओं कि ख़ास पसंद हुआ करता थासभी जातियों की महिलाओं को अपने वर को तलाश करने में सहायता मिलती थी |जल्लीकट्टू को सिक्कों की थैली भी कहा जाता है|बैल के सींग पर सिक्कों की थैली इनाम स्वरुप बाँधी जाने लगी
लेकिन कालांतर में इस खेल में भी दोष आने लगे दो दशकों में ही दो सौ के मरने के खबर है| २००४ में ही ५ लोगों की मृत्यु और अनेको घायल हुए |पशु प्रेमियों ने इस की रोक थाम के लिए अदालतों की शरण लेनी शुरू की जिसके फलस्वरूप कुछ नियम बनाये गए लेकिन पेटा का आरोप है कि इनका पालन नही किया जा रहा और निरीह पशुओं का वध जारी है|