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मुगलों के प्रति नाराजगी प्रकट करने के लिए ही राजस्थान में स के स्थान पर ह का प्रयोग प्रारम्भ हुआ L K Advani’s blog

भजपा के पी एम् इन वेटिंग और वरिष्ठ पत्रकार एल के अडवाणी ने अपने नवीनतम ब्लॉग के पश्च्य लेख [टेल पीस] में बताया कि मुगलों के प्रति नाराजगी प्रकट करने के लिए ही राजस्थान में स के स्थान पर ह का प्रयोग प्रारम्भ हुआ|
प्रस्तुत है सीधे एल के अडवाणी के ब्लॉग से :
मैंने अपने जीवन के प्रारम्भिक बीस वर्ष कराची (सिंध) में बिताए। 1947 में मैंने कराची छोड़ा और अगले दस वर्ष राजस्थान में रहा।
मुझे याद आता है कि जब मैं पहली बार जोधपुर गया तो वहां किसी से मैंने पूछा ”समय क्या है?” उसने जो जवाब दिया वह कुछ ऐसा था जिसे मैं समझ नहीं पाया। जब मैंने दोबारा यह सवाल पूछा तो उसने साफ-साफ जवाब दिया ”साढ़े सात”! मैंने उन्हें कहा कि पहले आपने जो हिन्दी में बताया था वह मेरी समझ में नहीं आया।
बाद में मेरे एक मित्र ने मुझे एक किस्सा दोहराया। उसने बताया कि राजस्थान बीस से ज्यादा रियासतों से बना है। प्रत्येक रियासत के लोग स्वाभाविक रुप से अपनी रियासत पर गर्व करते थे। उसने यह भी कहा कि सामान्य तौर पर महाराणा प्रताप के राज्य मेवाड़ को लोग, वहां के योध्दाओं के शौर्य एवं वीरता के चलते समूचे राजस्थान में गर्व से देखा जाता है।
यह भी समान रुप से दृष्टव्य था कि जयपुर राज्य सदैव दिल्ली के मुगल सुल्तानों के सामने झुकने को तैयार रहता था, जिसके फलस्वरुप उनका सम्मान नहीं था।
उस समय एक दौर ऐसा आया जब दिल्ली के शासकों ने जयसिंह और मान सिंह को बुलाकर कहा कि मुगल सल्तनत जयपुर के महाराजा को सवाई उपाधि से विभूषित करना चाहती है, जिसका अर्थ होता था कि जबकि अन्य राजाओं की हैसियत एक के बराबर होगी परन्तु जयपुर के राजा की सवाई – यानी एक और चौथाईA
मुझे यह किस्सा सुना रहे मेरे मित्र ने बताया कि इस घटना के बाद से सभी अन्य रियासतों के लोगों ने तय किया कि वे स के बजाय ह सम्बोधन बुलाएंगे। वे जयपुर के राजा को सवाई नहीं हवाई बुलाएंगे। अत: उसने निष्कर्ष रुप में कहा कि जब आपने मुझसे समय पूछा तो ”साढ़े सात” कहने के बजाय मैंने ”हाडे हाथ” कहा जिसे आप समझ नहीं पाए।
(स का ह में रुपान्तरण एक सामान्य भाषायी परिवर्तन है। सप्ताह बना हफ्ता ( हिन्दू भी सिन्धु से उत्पन्न हुआ है। लेकिन इस मामले में मुगलों के प्रति नाराजगी इस किस्से में प्रकट होती है।)