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मेरी रूह की बहुत बुरी दशा थी , रुलती फिरती थी , गुरु ने अपने चरणों में लगा लिया

संत नामदेव जी के जीवन की एक घटना :-
संत नामदेव जी अधिकांश समय प्रभु भक्ति में ही लीन रहते थे , जहाँ बैठ गए – ध्यान लग गया । एक बार इनके मकान का छज्जा टूट गया । घरवाले कहते रहे , ये भी रोज-रोज वादा करते रहे , परन्तु छज्जा नहीं
बना । एक दिन घरवालों ने अंतिम चेतावनी दे दी , फिर भी भूल गये।
इधर प्रभु ने सोचा कि आज तो भक्त की दुर्दशा होगी । बात है भी सही , जिसको हम याद करते हैं , वह भी हमें याद करता है । आये और तुरंत सारा घर ठीक कर दिया । नामदेव जी घर की ओर आये तो पाहिले सोचने लगे
“आज खैर नहीं ” परन्तु जब घर की ओर आये तो देखा कि छज्जा बना हुआ था । प्रभु ने इनका चोला धारण कर काम कर दिया ।
‘कहत नामदेव बलि -बलि जैहों , हरी भजि और न लेखौ ।’ वे कहते हैं कि मैं अपने गुरु पर न्यौछावर होता हूँ करोड़ – करोड़ बार शुकराना अदा करता हूँ क्योंकि मेरी रूह की बहुत बुरी दशा थी , रुलती फिरती थी , गुरु ने अपने चरणों में लगा लिया । मुझ पर रहमत की ,मुझ पर करम फरमाया ।
प्रस्तुति राकेश खुराना

सुशीला जसवंत राय स्पेशियलिटी अस्पताल में अग्नि शमन के इन्तेजाम नही : भीषण आग लगी

[मेरठ] अस्पतालों में मरीजों के जीवन के साथ किस कदर खिलवाड़ किया जा रहा है वोह आज सुशीला जसवंत राय स्पेशियलिटी अस्पताल में लगी आग से उजागर हो गया|| इस अस्पताल में पहले अनेकों बार स्टाफ +मेनेजमेंट का आपस में फिर मरीजों के साथ झगड़ा तो आम बात है अब सुरक्षा के नाम पर भी केवल खाना पूरी ही की गई है जिसके चलते मरीजों से भरे अस्पताल में आग लग गई| तीसरी मंजिल पर सीओटी [ COT ] में भीषण लगी आग पर फायर कर्मियों ने खिड़कियों के शीशे तोड़कर कड़ी मशक्कत के बाद काबू पाया। अस्पताल कर्मी मरीजों को छोड़कर अपनी ही जान बचाते नजर आए।
प्राप्त जानकारी के अनुसार अस्पताल के इस थियेटर के एसी में शार्ट सर्किट के चलते [बुधवार] सुबह साड़े दस बजे आग लग गई। लपटें देखकर मरीज+ तीमारदार + अस्पताल कर्मियों में अफरातफरी मच गई। लगभग ग्यारह बजे सूचना पाकर दमकल विभाग की गाड़ियां मौके पर पहुंचीं।
फायर कर्मियों ने आकर स्वयम भर्ती हार्ट सर्जरी के मरीजों को दूसरे कमरों में शिफ्ट कराया। बताया गया है की उस समय अस्पताल में १० से अधिक मरीज भर्ती थे| अग्निशमन सेवा विभाग के अनुसार शहर के इस नामी नर्सिंग होम में भी कोई इंतजाम नहीं है। बनावट भी ऐसी है कि आग लगने पर धुआं बाहर नहीं निकल सकता, जिससे मरीजों का दम घुट सकता है इसीलिए फायर कर्मियों को कमरे का शीशा तोड़ना पड़ा।

अप्रवासन नीति पर सहमती हासिल करने के लिए बराक ओबामा दबाब काम आ रहा है: सीनेट बहस के लिए सहमत

अमेरिका में अप्रवासन नीति पर राष्ट्रपति बराक ओबामा की मेहनत रंग लाने लगी है सीनेट ने इस पर बहस के लिए सहमती प्रदान कर दी है यदि ओबामा की रणनीति से दबाब लगातार बनता रहा तो ११ मिलियन अवैद्ध आप्रवासियों के फायदे वाले इस प्रस्ताव से रिपब्लिकन्स को ४ जुलाई तक बचने का कोई रास्ता नही बचेगा|ओबामा का कहना है कि यदि अब इस बिल को मंजूरी नही दी गई तो समझा जाएगा कि विरोधी देश के टूटे[BROKEN ] अप्रवासन कानून के साथ ही जीना चाहते हैं|
राष्ट्रपति ने आज एक कदम आगे जा कर कहा कि अमेरिका स्वयम में अप्रवासियों का राष्ट्र है| अन्य विभागों या संस्थानों के समान व्हाईट हाउस में भी विश्व भर से आया ऐसा ही स्टाफ है | प्रत्येक स्टाफर की प्रग्रती की कहानी है जो प्रेरणा दायक है| अब इनके द्वारा अपने अप्रवासन काल में की गई प्रग्रती कहानी प्रकाशित कराई जा रही है | इटली+भारत+पाकिस्तान+पोलैंड +अर्जेंटीना+मेक्सिको आदि के मूल निवासी अमेरिका में मात्र १०-२० डालर्स लेकर अमेरिका में आये और यहाँ उन्होंने राष्ट्र की प्रग्रती में महत्वपूर्ण योगदान दिया और अपनी पीढ़ियों के लिए सुनहरा भविष्य बनाया|आज ये सभी सच्चे अमेरिकी हैं| यही कारण है कि टूटी अप्रवासन नीति को फिर से आर्किटेक्ट किया जाना जरुरी है|
अप्रवासन कानून में खामियों के मध्य नजर गैर कानूनीअप्रवासियों की मौजूदगी से देश की अर्थ व्यवस्था के साथ सुरक्षा व्यवस्था पर भी प्रश्न चिन्ह बताया जा रहा हैं| इस सबसे बचाव के लिए सामान्य ज्ञान वाला व्यवहारिक कानून बनाना मौजूदा समय की उचित मांग है| इसी परिपेक्ष्य में ओबामा ने देश के नेताओं और लेबर ग्रुपों को एड्रेस करते हुए ४ जुलाई तक व्यवहारिक अप्रवासन कानून बनाने के लिए आगे आने का अहवाह्न किया है|
बेशक रिपब्लिकन्स ने फिलहाल इस पर बहस के लिए हामी भर दी है लेकिन इसे कानून का दर्जा देने की राह इतनी आसान नही है| अनेको रिप्लिकंस इसे लॉन्ग टर्म के लिए क्रिटिकल मान रहे हैं और इसमें अनेकों संशोधन की मांग कर रहे हैं|

I T U has encouraged journalists to accredit to attend annual global Symposium in Warsaw on 3rd july

It has been Informed by the I .T .U form Geneva . that world’s pre-eminent global ICT regulatory and policy-making community.will gather at the Warsaw Hilton . The opening debate will be on Wednesday 3 July.journalists are encouraged to accredit now to attend this historic Symposium
,Accreditation closes on Friday 28 June.
The copy Of Original Letter Is Produced Below
European Commission VP Neelie Kroes, top speakers from government and industry to open ITU’s Global Symposium for Regulators in Warsaw
ACCREDIT NOW
Geneva, 12 June, 2013 – With only one month to go, journalists are encouraged accredit now to attend ITU’s annual Global Symposium for Regulators (GSR-13), the world’s pre-eminent gathering of the global ICT regulatory and policy-making community.
To be held at the Warsaw Hilton at the invitation of Poland’s Office of Electronic Communications (UKE), the opening debate on Wednesday 3 July, Building the Future Digital Society, features top-name speakers including Poland’s Minister of Administration and Digitization, Michal Boni; European Commission Vice-President, Neelie Kroes; Acting Chairwoman of the FCC, Mignon Clyburn; Director-General of the GSMA, Anne Bouverot; Deputy CEO of Orange, Pierre Louette; and other key industry and government leaders.
The debate will be preceded by a message from Polish President Bronislaw Komorowski and keynote speeches from ITU Secretary-General, Dr Hamadoun Touré, and UKE President and GSR-13 Chair, Magdalena Gaj.
This important international event is open to the media on Wednesday, 3 July from 09:00 – 12 noon, followed by a press conference with leading participants at 12:45. The remainder of the event is open to registered delegates only.
With only three weeks to go until the close of accreditation, journalists are urged to confirm their attendance online as soon as possible. Formal accreditation prior to the event is essential to gain access to the venue. Please note that accreditation will close on

Accreditation is essential for media

and industry analysts to participate onsite. Accreditation closes on Friday 28 June. Accredit here.

नरेन्द्र मोदी की ताजपोशी में सपा और रालोद उ. प्र. में अपने फायदे देखने लग गए हैं

भाजपा ने २०१४ में लोक सभा के चुनावों की वैतरणी पर करने के लिए नरेन्द्र मोदी को खिवैय्या बना दिया है | मोदी के हाथों से यह पतवार खींचने की कौशिश में बेशक वरिष्ठ नेता लाल कृषण अडवाणी असफल हो चुके हैं मगर उत्तर प्रदेश में समाज वादी पार्टी और रालोद इसमें अपना अपना फायदा देखने लगे हैं|
नरेन्द्र मोदी के विश्वस्त अमित शाह को उत्तर प्रदेश की कमान सौंपी गई है |अमित शाह ने प्रदेश में अपनी कार्यवाही भी शुरू कर दी है |यहाँ की भाजपा इकाई के उत्साह में कुछ वृद्धि भी दिखने लगी है लेकिन इसके ठीक उलट सपा और रालोद अपना फायदा बता रहे हैं|
सपा के प्रवक्ता और मंत्री राजेंदर चौधरी का कहना है कि मोदी की ताजपोशी भाजपा का अपना अंदरूनी मामला है|इसके असर के विषय में उनका कहना है कि मोदी के आने से भाजपा को उक्सान ही होगा इससे सपा पार्टी पर कोई असर नहीं पड़ने वाला | पार्टी अपना काम कर रही है और यह दिखने भी लगा है|पार्टी अपने काम के बल पर लोक सभा के चुनाव जीतेगी|
केंद्र में यूं पी ऐ के सहयोगी रालोद के प्रदेश अध्यक्ष मुन्ना सिंह चौहान का कहना है कि २००९ में भी मोदी ने उत्तर प्रदेश में प्रचार किया था मगर भाजपा और सिकुड़ गई थी इसका लाभ यूं पी ऐ को मिला था|मोदी के प्रदेश में आने से यूं पी ऐ फिर मजबूत होगा और पहले से अधिक ही सीटें जीतेंगे|
गौरतलब है कि प्रदेश में वोटों का ध्रुवीकरण होता आया है|सपा और रालोद का मुख्य वोट बैंक मुस्लिम वोट रहे हैं |भाजपा के लिए अयोध्या आन्दोलन लाभकारी रहा है|

गुरुद्वारा रकाब गंज साहब परिसर में १९८४ सिख कत्लेआम यादगार की नीव का पत्थर लगा ही दिया

तमाम रुकावटों को धत्ता बताते हुए आज सुबह पांच सिंह साहबान की सरपरस्ती में एतिहासिक गुरुद्वारा रकाब गंज साहब परिसर में १९८४ सिख कत्लेआम यादगार की नीव का पत्थर लगा दिया गया| राजनीतिक+सामाजिक+ धार्मिक नेताओं ने बड़ी संख्या में सिख इतिहास के इस नए अध्याय की रचना के गवाह बनने का गौरव प्राप्त किया| दिल्ली सिख गुरुद्वारा प्रबंधक कमिटी के सौजन्य से आज एतिहासिक गुरुद्वारा रकाब गंज साहब परिसर में १९८४ में हुए जनसंहार के शहीदों की याद में स्मारक की नीव का पत्थर रखा गया |सिख कत्ले आम यादगार का नीव पत्थर ज्ञानी त्रिलोचन सिंह [जत्थे दार तख्त केशगड़साहब]द्वारा अरदास के उपरांत रखा गया|पत्थर का अनावरण ज्ञानी गुरबचन सिंह[जत्थे दार अकाल तख्त साहब]ने किया |इस अवसर पर प्रमुख धार्मिक विद्वान् ज्ञानी बलवंत सिंह [जत्थेदार तख्त श्री दमदमा साहब]+ज्ञानी मल सिंह[ मुख्य ग्रंथी श्री दरबार साहब]ज्ञानी गुरमुख सिंह[श्री अकाल तख्त साहब]बाबा बचन सिंह[कारसेवा वाले]बाबा लखा सिंह [नानक सर वाले]महंत अमृतपाल सिंह[गुरुद्वार टिकाना साहब]+ आदि उपस्थित थे |इस अवसर पर एस ऐ डी [अकाली दल]के अध्यक्ष और पंजाब के उप मुख्य मंत्री सुखबीर सिंह बादल ने कांग्रेस सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि केंद्र और दिल्ली राज्य की सरकारों ने लगातार सिखों को न्याय देने से इंकार किया है|इसीलिए दोषी सज्जन कुमार +जगदीश टायटलर को खुला छोड़ा हुआ है|जब न्याय नही मिला तो पंथ के पास केवल इस मेमोरियल के निर्माण का ही विकल्प बचा है|उन्होंने बताया कि १९८४ के जनसंहार में ४००० निर्दोष सिखों का कत्ल हुआ था| ४००० लोगों की आत्माओं को शांति प्रदान करने और काले अध्याय को जिन्दा रखने के लिए जब इस मेमोरियल को बनाने का निर्णय लिया गया तब दिल्ली सरकर इसगैर कानूनी बता रही है|गुरुद्वारा अध्यक्ष मंजीत सिंह ने कहा कि कौमे वोही जिन्दा रहती हैं जो अपने इतिहास को याद रखती हैं इसीलिए यह मेमोरियल हमें हमारे विरुद्ध अन्याय का याद दिला कर हमें ज़िंदा रखेगा|महा सचिव मनजिंदर सिंह सिरसा ने सपोर्ट के लिए सबको धन्यवाद दिया|

 गुरुद्वारा रकाब गंज साहब परिसर में १९८४ सिख कत्लेआम यादगार की नीव का पत्थर लगा ही दिया

गुरुद्वारा रकाब गंज साहब परिसर में १९८४ सिख कत्लेआम यादगार की नीव का पत्थर लगा ही दिया


इनके अलावा पंजाब के उप मुख्य मंत्री सुखबीर सिंह बादल+अवतार सिंह+ सांसद सुख देव सिंह ढींडसा + हर सिमरन कौर बादल +मंजीत सिंह[दिल्ली कमेटी अध्यक्ष]+मनजिंदर सिंह सिरसा[महासचिव]रविंदर सिंह खुराना+तन्वन्त सिंह+हरमीत सिंह कालका+भाजपा के अध्यक्ष राज नाथ सिंह+ श्री मति सुषमा स्वराज+ सांसद नरेश गुजराल+विजय गोयल+अवतार सिंह हित+ओंकार सिंह थापर+कुलदीप सिंह भोगल+भूपिंदर सिंह आनंद+गुरमिंदर सिंह+जतिंदर सिंह शंठी +जसबीर सिंह जस्सी+कप्तान इन्द्रप्रीत सिंह+अमरजीत सिंह पप्पू+समर दीप सिंह+चमन सिंह+गुरलाड सिंह+ एम् पी एस चड्डा+परम जित सिंह चंडोक+मोंटी+ बलवंत सिंह रामूवालिया+त्रिलोचन सिंह आदि ने भी इस एतिहासिक घटना में हाजरी भरी|
इस अवसर पर गुरुद्वारा परिसर में भाई लखी शाह वंजारा हाल में गुरु अर्जुन देव के शहीदी दिवस पर कीर्तन समागम भी हुआ|इसमें कीर्तनी +ढाडी जत्थों +कवियों ने गुरुवाणी के अमृत की वर्षा करके सबको निहाल किया| अवतार सिंह प्रधान ने कहा कि कौमे वोही ज़िंदा रहती हैं जो अपने इतिहास को याद रखती है|नवम्बर १९८४ में सिखों ने तो अन्याय का संताप झेला है उसकी यादगार का पत्थर रखने पर दिल्ली कमेटी बधाई का पात्र है| ज्ञानी गुर बचन सिंह ने कहा कि १९८४ में जो सिखों कि बर्बादी हुई है उसे कभी भुलाया नहीं जा सकता|सुख देव सिंह ढींढसा ने सिख कौम के योगदान का वर्णन करते हुए बताया कि सिख कौम कि आबादी केवल २% है लेकिन अन्न भण्डार में ७०% का यौग दान है |सभी युद्धों में आगे बढ कर लहू बहाया है|इसके बाव्जोद पवित्र धार्मिक स्थलों को १९८४ में ढहाया गया है|

एल के अडवाणी को क्या राजनीतिक सन्यास देने की तैय्यारी कर ली गई थी

गोवा में नरेन्द्र मोदी को चुनावी समिति का अध्यक्ष बनाये जाने के साथ ही भाजपा के पी एम् इन वेटिंग वरिष्ठ पत्रकार लाल कृषण अडवाणी को राजनीतिक सन्यास देने की तैय्यारी कर ली गई थी और इसकी भनक अडवाणी को लग गई तभी उन्होंने स्वयम ही इस्तीफा दे कर आर एस एस का सारा गेम ही उलटा कर दिया| | अपने ब्लॉग के टेलपीस (पश्च्यलेख) में उन्होंने इसका इशारा भी किया है|

प्रस्तुत है ब्लाग का सीधे टेलपीस (पश्च्यलेख):

फिल्म कलाकार कमल हासन ने जिस पुस्तक [ ग्रे वॉल्फ: दि एस्केप ऑफ एडोल्फ हिटलर ]का वायदा किया था, वह उन्होंने मुझे भेजी। 350 पृष्ठों वाली यह पुस्तक काफी शोधपरक है। दोनों लेखकों[ साइमन डूंस्टान+शोधपरक पत्रकार गेर्राड विलियम्स ]ने मिलकर सत्रह बार अर्जेन्टीना का दौरा किया, जहां माना जाता है कि 1962 तक वह वहां रहा। इस पुस्तक का पिछला आवरण इस रुप में सार प्रस्तुत करता है:
शोधपरक पत्रकार गेर्राड विलियम्स तथा सैन्य इतिहासकार साइमन डूंस्टान ने वर्षों के अपने शोध पर यह निष्कर्ष निकाला कि बर्लिन से एडॉल्फ हिटलर का पलायन-ऑपरेशन फ्यूरलैण्ड-को नाजियों ने 1943 से ही अत्यन्त गोपनीयता से तैयार किया था। इस सम्बन्ध में काफी प्रत्यक्षदर्शियों और साक्ष्यों के अनुसार यह आपरेशन सफल रहा और हिटलर दक्षिण अमेरिका को पलायन कर गया जहां वह 1962 में अपनी वास्तविक मृत्यु तक रहा।

एल के अडवाणी की लिखी +अभिनीत+ निर्देशित और निर्मित राजनीतिक फिल्म “३६ घंटे” हिट हो गई

कभी एक हिंदी फिल्म आई थी ३६ घंटे जिसमे सुनील दत्त और राजकुमार [अब दोनों स्वर्गीय] थे फिल्म पूरी तरह से सस्पेंस +एक्शन=ड्रामा से भरपूर थी |बिना गानों के इस फिल्म की रफ़्तार भी इतनी तेज थी कि दर्शकों को बांधे रखती थी लेकिन एल के अडवाणी द्वारा लिखी गई+अभिनीत+और निर्देशित इस राजनीतिक ३६ घंटे के तेजी से बदलते गए घटना क्रम ने कांग्रेस और उनके समर्थक चैनलों ने समा बांधे रखा |जाहिर है ऐसे में कहा जा सकता है कि अडवाणी की यह फिल्म हिट गई है|भाजपा के पी एम् इन वेटिंग वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने ३६ घंटे पश्चात अपना इस्तीफा वापिस ले लिया इससे पार्टी में आया तात्कालिक भूचाल’ मंगलवार की शाम को थम गया। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह ने कहा कि संघ प्रमुख मोहन भागवत की सलाह और उनके आश्वासन पर आडवाणी राजी हो गए हैं। इससे पूर्व संसदीय बोर्ड द्वारा अडवाणी के इस्तीफे को तत्काल नामंजूर किया जा चुका है|
आडवाणी ने पार्टी का हर फैसला मानते हुए इस्तीफा वापस ले लिया है। हालांकि आडवाणी को मनाने के लिए किए जा रहे प्रयासों में महत्वपूर्ण भूमिका पूर्व भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी व संघ के विचारक एस गुरुमूर्ति की रही। इन दोनों ने ही आडवाणी व भागवत के बीच चर्चा से समाधान का रास्ता निकाला। दोपहर मोहन भागवत ने आडवाणी से लंबी बात भी की।
उन्होंने आडवाणी को आश्वस्त किया कि भविष्य में न तो उनको दरकिनार किया जाएगा। न ही उनकी आपत्तियों को नजरंदाज किया जाएगा। राजनाथ सिंह ने यह आश्वासन दिया है कि ‘आगे से पार्टी के कामकाज व किसी भी फैसले को लेकर आडवाणी को कोई आपत्ति होगी, तो अध्यक्ष होने के नाते वह स्वयं उसका समाधान करेंगे। यह भी तय किया गया है कि भविष्य में फैसले आडवाणी की सहमति व उनकी मौजूदगी में ही लिए जाएंगे।’

बसपा विधायक और उनकी सांसद पत्नि के खिलाफ सुभारती ने तोड़ फोड़ की ऍफ़ आई आर दर्ज़ कराई

[मेरठ ] पूर्व ऊर्जा मंत्री + बसपा विधायक रामवीर उपाध्याय और उनकी सांसद पत्नी के साथ आठ पुलिसकर्मियों समेत कई अज्ञात लोगों के खिलाफ मंगलवार को मुकदमा दर्ज कराया गया है। सुभारती विश्वविद्यालय के सुरक्षा प्रबंधक ने उन पर विश्वविद्यालय में तोड़फोड़ करने+जान से मारने की धमकी देने और ब्लैकमेलिंग करने का आरोप लगाया है।

बसपा विधायक और उनकी सांसद पत्नि के खिलाफ सुभारती ने तोड़ फोड़ की ऍफ़ आई आर दर्ज़ कराई

बसपा विधायक और उनकी सांसद पत्नि के खिलाफ सुभारती ने तोड़ फोड़ की ऍफ़ आई आर दर्ज़ कराई

माननीय चीफ जुडिशियल मजिस्ट्रेट राजेश कुमार राज की अदालत के आदेश पर विवेकानंद सुभारती विश्वविद्यालय के सुरक्षा अधिकारी नरेश कुमार ने जानी थाने में यह रिपोर्ट दर्ज कराई है। बताया गया है कि तीन अप्रैल को प्रदेश के पूर्व ऊर्जा मंत्री रामवीर उपाध्याय और उनकी फ़तेह पुर सीकरी से सांसद पत्नी सीमा उपाध्याय सुभारती विश्वविद्यालय आए थे। उनके साथ आठ-दस पुलिसकर्मी और इतने ही अन्य लोग थे। आरोप लगाया गया है कि इन्होंने अपनी पुत्री को बिना परीक्षा के पीजी गायनीकोलॉजी में प्रवेश देने का दबाव बनाया। कॉलेज स्टाफ ने असमर्थता जताई तो आरोपियों ने आफिस में तोड़फोड़ कर दी। इसकी जानकारी पाकर मौके पर पहुंचे विश्वविद्यालय के प्रबंधक अतुल कृष्ण के निजी सचिव शिवकुमार को आरोपियों ने जान से मारने की धमकी दी। कई बार प्रयास करने पर भी बसपा विधायक से फोन पर संपर्क नही हो सका

नरेन्द्र मोदी ने २०१४ में कांग्रेस से लोहा लेने के लिए लोह पुरुष पटेल के स्टेचू के लिए देश के ५ लाख गावों से लोहा माँगा

भाजपा की प्रचार समिति का सुप्रीमो बनते ही नरेंद्र भाई मोदी ने यूं पी ऐ सरकार से २०१४ के चुनावों में लोहा लेने के लिए देश के ग्रामीणों से लोहा देने का आह्वाहन किया है| यह आह्वाहन देश को भावनात्मक रूप से एकजुट करने के अभियान की ओर एक कदम बताया जा रहा है।
नरेन्द्र मोदी ने

भारत के एकीकरण के भारतीय बिस्मार्क लोह पुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल

की [सबसे ऊंची] 182 मीटर की प्रतिमा स्थापित कराने का ऐलान किया है। यह अमेरिका की स्टेचू आफ लिबर्टी से भी दोगुनी ऊंची होगी|
सरदार सरोवर बांध की धारा के मध्य स्टेच्यू ऑफ यूनिटी के नाम से बनने वाली दुनिया की इस सबसे ऊंची प्रतिमा के निर्माण के लिए मोदी ने देश के पांच लाख गांवों के किसानों से खेती में ओजार के रूप में उपयोग किया गया लोहे का एक टुकड़ा भेजने की मार्मिक अपील की है।
आज की यह भावनात्मक अपील अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए शिलाएं एकत्रित करने के अभियान जैसी ही मानी जा रही है | मंदिर निर्माण के लिए भाजपा, संघ व विहिप ने देश भर से ईट मंगाई थी।
गांधी नगर में [मंगलवार को] वन्यजीव व डेयरी विकास पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए गुजरात के मुख्य मंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा, कि लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल केवल गुजरात का गौरव नहीं बल्कि देश की एकता के ऐसे स्तंभ थे जिनके प्रयास से देश के पांच सौ से अधिक रजवाड़ों को एक देश के रूप में परिवर्तित किया गया। ऐसे महान नेता की याद में नर्मदा नदी पर बने सरदार सरोवर बांध की धारा के बीच 182 मीटर ऊंची प्रतिमा बनाई जा रही है| इस सरकारी सम्मेलन में 20 राज्यों की 200 से अधिक तहसीलों के प्रतिनिधियों के साथ ही भारत में डेनमार्क के राजदूत फ्रेडी स्वेन ने भी शिरकत की।स्थान
,भाजपा को एक बार फिर देश की सत्ता में लाने के लिए मोदी का यह दांव कितना सफल होगा यह कहना मुश्किल है, लेकिन इस अभियान से भाजपा व उसके कार्यकर्ता एकजुट होंगे। साथ ही प्रतिमा निर्माण के लिए लोहा दान कर किसान भी इस एतिहासिक प्रतिमा का हिस्सा बन गौरव महसूस कर सकेंगे।‘

स्टेचू आफ लिबर्टी से दोगुनी ऊंची होगी

स्टैचू ऑफ युनिटी’

लौहपुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल की 182 मीटर ऊंची यह प्रतिमा नर्मदा नदी के बीचों-बीच स्थापित की जाने वाली यह मूर्ति विश्व की सबसे ऊंची मूर्ति होने का गौरव हासिल करेगी। इस पर लगभग दो हज़ार करोड़ रुपए का खर्चा आने का अनुमान है।
नदी के बीचों-बीच स्थित इस मूर्ति के पास जाने के लिए जलमार्ग के लिए भी प्रावधान किया जाना है |
उल्लेखनीय है कि 7 अक्टूबर 2010 को सरकार के दस वर्ष पूर्ण होने के अवसर पर गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी ने सरदार वल्लभभाई पटेल की मूर्ति ‘स्टैचू ऑफ युनिटी’ के निर्माण की घोषणा की थीअब सरदार पटेल की जयंती पर 31 अक्तूबर, 2013 को देशव्यापी आंदोलन शुरू किया जाना है जिसमें पूरे देश के पांच लाख से अधिक गांवों से किसानों के किसी भी उपकरण के छोटे लोहे के टुकड़े इकट्ठे किए जाएंगे जिसका इस्तेमाल प्रतिमा बनाने में किया जाएगा।प्रत्येक गावं से लोहे का केवल एक औजार माँगा गया है| लोहा एकत्रित करने के बाद इसे पिघलाया जाएगा और जरूरत के हिसाब से प्रतिमा के निर्माण में इस्तेमाल किया जाएगा
गौरतलब है कि दक्षिण में कन्या कुमारी में समुद्र में स्थित एक चट्टान पर विवेकान्द रॉक मेमोरियल और फिर अयोध्या में राम मदिर निर्माण के लिए ईंटे इकट्ठा की गई थी तब भी राष्ट्र ने भावनात्मक सहयोग दिया था अब नेहरू और गांधी के मुकाबिले लोह पुरुष सरदार पटेल के मेमोरियल के नाम पर मोदी का यह \कदम कहाँ तक देश के किसानों को भाजपा के साथ जोड़ पायेगा वोह तो लोक सभा में चुनावों में ही उजागर हो पायेगा|