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एक ‘दर्शन’ ही मिला औरों का ग़मखार हमें अपने ग़म में तो ज़माने को परेशां देखा

[1]बनी नौए – आदम आज़ाए यक दीगरन्द ।
कि दर आफ्रीनश जे यक जौहर अंदं ।

Rakesh Khurana

एक सूफी शायर

अर्थात हम तमाम इंसान एक ही प्रभु की संतान हैं ,एक ही शरीर
के अंग हैं। जब हमारे जिस्म के एक हिस्से में कोई दर्द होता है , कोई पीड़ा होती है , तो बाकी जिस्म के सारे हिस्से उसे महसूस करते हैं इसी प्रकार हमें सबका दर्द अपना दर्द समझना चाहिए ।
[2] संत दर्शन सिंह जी महाराज जी ने अपने एक रूहानी शेअर में कहा है :-
एक ‘दर्शन’ ही मिला औरों का ग़मखार हमें ।
अपने ग़म में तो ज़माने को परेशां देखा

संत दर्शन सिंह जी महाराज जी

प्रस्तुति राकेश खुराना

Comments

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