नकली मंदिर मसजिदों में जाए सद अफ़सोस है ।
कुदरती मसजिद का साकिन दुःख उठाने के लिए ।
कुदरती काबे की तू महराब में सुन ग़ौर से ।
आ रही धुर से सदा तेरे बुलाने के लिए ।
परमात्मा का बनाया हुआ जो यह शरीर है उसकी महराब शिव नेत्र है (दसवाँ द्वार अथवा दिव्य चक्षु ) उस पर हम अपना ध्यान टिकाएं और प्रभु के संगीत को सुनें । उस मधुर संगीत , उस धुन के साथ , वह जो धारा परमात्मा की ज्योति और श्रुति की है , जो स्वयं प्रभु से उत्पन्न हुई है , उसके जरिये हम वापस अपने निजधाम सचखंड में पहुँच सकते हैं ।
संत तुलसी साहिब हाथरस वाले
प्रस्तुति राकेश खुराना
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