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एल के आडवानी के ब्लॉग से:पाठ्यक्रम में योगी श्री नारायण गुरु- के प्रेरणादाई संघर्ष को भी जोड़ें

नव वर्ष के स्वागत में एन डी ऐ के सर्वोच्च नेता एल के आडवानी ने अपने ब्लॉग में मौजूदा शिक्षा पाठ्यक्रम में शामिल इतिहास के पन्नो में केरल के सर्वमान्य योगी तथा सिध्द श्री नारायण गुरु- के अस्पृश्यता और जातिवाद के विरुध्द प्रेरणादाई अथक संघर्ष को भी जोड़ कर पाठ्यक्रम में एम पूंजी के साथ मनुष्यों का निर्माण किये जाने पर जोर दिया है|
प्रस्तुत है एल के अडवाणी के ब्लाग से उद्दत उनके विचार

एल के आडवानी के ब्लॉग से:

नव वर्ष की शुरुआत हो चुकी है। मुझे इसकी प्रसन्नता है कि दिसम्बर, 2012 के अंतिम दिन मैं केरल में था और एक महान योगी तथा सिध्द श्री नारायण गुरु-अस्पृश्यता और जातिवाद के विरुध्द जिनके अथक संघर्ष की महात्मा गांधी ने भी प्रशंसा की-की पुण्य स्मृति से जुड़े तीर्थस्थल शिवगिरी जाने का सौभाग्य मिला।
श्री नारायण गुरु का जन्म ऐसे समय पर हुआ जब अस्पृश्यता का अपने घृणित रुप में चलन था। ऐसी भी गलत धारणा प्रचलित थी कि कुछ लोगों की छाया भी अन्यों को अपवित्र कर देती थी। एक समान आराध्य और धर्म को मानने वाले लाखों श्रध्दालुओं में से कुछ को मंदिर में प्रवेश से वंचित कर दिया गया था।
मुझे स्मरण आता है कि तिरुअनंतपुरम से लगभग 45 किलोमीटर दूर वरकला स्थित शिवगिरी मठ में मुझे 1987 में आमंत्रित किया गया था। सन् 1932 से प्रत्येक वर्ष होने वाले तीन दिवसीय समारोह में मुख्य अतिथि के रुप में मुझे बुलाया गया था। खराब मौसम के चलते तिरुअनंतपुरम जाने वाली विमान सेवा रद्द हो गई थी और मैं नहीं पहुंच सका। शिवगिरी, वरकला पहाड़ियों में स्थित है जहां गुरु (नारायण) के अनुयायी लाखों की संख्या में उनकी समाधि, और उनके द्वारा स्थापित शारदा (सरस्वती) मंदिर के दर्शन करने पहुंचते हैं। शिवगिरी में सरस्वती की प्रतिमा स्थापित करने से पूर्व श्री नारायण गुरु ने अरुविप्पुरम में शिव मंदिर स्थापित किया। अत: अब 1987 में मैं वहां नहीं पहुंच सका तो किसी तरह अगले वर्ष मैं अरुविप्पुरम की यात्रा कर सका। इसलिए इस वर्ष अपने उद्धाटन भाषण की शुरुआत मैंने पीताम्बर वस्त्र धारण किए विशाल संख्या में उपस्थित श्रध्दालुओं से इस क्षमा याचना के साथ की कि मैं इस पवित्र स्थल पर 25 वर्ष बाद पहुंचा हूं।
इस तीन दिवसीय आयोजन की श्री नारायण गुरु ने योजना बनाई थी और 1928 में उनकी मृत्यु से पूर्व इसे घोषित किया गया। यह प्रत्येक वर्ष 30,31 दिसम्बर और 1 जनवरी को आयोजित किया जाता है। 30 दिसम्बर को इस आयोजन की औपचारिक शुरुआत राज्य के मुख्यमंत्री द्वारा की गई। दूसरे दिन के तीर्थदनम सम्मेलन, के इस वर्ष का उद्धाटन मुझे करने को कहा गया था। इसकी अध्यक्षता केंद्रीय मंत्री वायलर रवि ने की। अंतिम दिन अनेक प्रमुख विद्वानों ने श्री नारायण गुरु द्वारा प्रतिपादित आचार संहिता (Code of Ethics) के विभिन्न पहलुओं पर अपने विचार प्रस्तुत किए।
अपने भाषण में मैंने एक दिन पूर्व मुख्यमंत्री ओमन चाण्डी द्वारा की गई घोषणा कि 2013 से श्री नारायण गुरु की शिक्षाओं को केरल राज्य में स्कूली पाठयक्रम में जोड़ा जाएगा, का स्वागत किया।
वस्तुत: यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारतीय विद्यालयों में इतिहास की पढ़ाई अधिकांशतया राजाओं, उनके वंश, उनके युध्दों और शोषण पर ही केंद्रित रहती है। हमारे विध्दानों, साधु-संतो के अविस्मरणीय योगदान से सामान्यतया बच्चों को अक्सर इस आधार पर वंचित रखा जाता है कि एक सेकुलर देश में धर्म वर्जित कर्म है। यह एक बेहूदा दृष्टिकोण है। अत: शिवगिरी में अपने भाषण में मैंने केंद्रीय मंत्री वायलर रवि से अनुरोध किया कि केरल द्वारा की गई पहल को केंद्रीय और अन्य राज्यों में भी अपनाया जाए। यदि स्वामी दयानन्द सरस्वती, श्री रामकृष्ण परमहंस और स्वामी विवेकानन्द जैसे संतों की शिक्षाओं को पाठयक्रमों का सामान्य हिस्सा बना दिया जाए तो स्कूली पढ़ाई का स्तर बढ़ेगा।

प्रवासी भारतीय मंत्री श्री रवि ने कहा कि वे इस विषय को प्रधानमंत्री के ध्यान में लाएंगे।

उस दिन के अपने सम्बोधन में मैंने स्मरण किया कि स्कूल में पढ़ते समय हमें पता चला कि किसी विद्यार्थी की प्रतिभा के स्तर का आधार इस से आंका जाता था कि उसका ‘बौध्दिक स्तर‘ (इन्टेलिजेन्स क्वोशन्ट) कितना उपर या नीचे है। बाद में संयोग से एक पुस्तक ‘इ क्यू‘ यानी ‘भावात्मक स्तर‘ (इमोशनल क्वोशन्ट) पढ़ने पर मुझे लगा कि किसी के निजी व्यक्तित्व को परखने के लिए ‘बौध्दिक स्तर‘ (इन्टेलिजेंस क्वोशन्ट) महत्वपूर्ण होगा परन्तु उसका इ क्यू यानी ‘भावात्मक स्तर‘ पर भी ज्यादा महत्वपूर्ण है। ‘भावात्मक स्तर‘ से तात्पर्य यह है कि कैसे एक व्यक्ति क्रोध, द्वेष इत्यादि जैसे भावों को ग्रहण करता है। उस दिन मैंने कहा कि जो केरल ने किया है और जो मैंने देशभर के शैक्षणिक संस्थानों को करने के लिए अनुरोध किया, कुछ ऐसा है जो हमारे सभी देशवासियों का ‘आध्यात्मिक स्तर‘ (स्पिरिचवल क्वोशन्ट) भी बढ़ाएगा। एस क्यू (स्पिरिचवल क्वोशन्ट) धारणा गढ़ते समय मेरे मन में किसी धर्म या पंथ का विचार नहीं था, मैं तो सिर्फ उन नीतिपरक और नैतिक मूल्यों के बारे में सोच रहा था जो एक विद्यार्थी अपने संस्थान से ग्रहण कर सकता है।

सन् 1902 में अपनी मृत्यु से कुछ समय पूर्व स्वामी विवेकानन्द जी ने टिप्पणी की थी कि देश को एक ऐसी मनुष्य निर्माण मशीन की जरुरत है जो एम पूंजी के साथ मनुष्यों का निर्माण कर सके। उनके दिमाग में ऐसे मनुष्य रहे होंगे जो आइ क्यू, इ क्यू और एस क्यू सम्पन्न हों यानी वे मनुष्य जो अपवाद रुप उच्च चरित्र और असाधारण योग्यता तथा प्रतिभा सम्पन्न हो।
यदि हमारे शैक्षणिक संस्थान स्वामी विवेकानन्द द्वारा विचारित मनुष्य निर्माण मशीनरी को अमल में लाने में सफलता प्राप्त करते हैं तो यह देश के लिए अनुकरणीय सेवा होगी।
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शिवगिरी की यात्रा की पूर्व संध्या पर, तिरुअनंतपुरम में ही, वर्षों से मेरे पार्टी सहयोगी और श्री वाजपेयी की सरकार में मेरे मंत्रिमण्डलीय सहयोगी श्री ओ. राजागोपालजी के सार्वजनिक जीवन में पचास वर्ष पूरे करने के उपलक्ष्य में एक भव्य कार्यक्रम आयोजित किया गया था। केरल यूनिवर्सिटी के खचाखच भरे सीनेट सभागार में सभी वक्ताओं ने केरल के हमारे नेता की योग्यता, प्रामाणिकता और एनडीए सरकार में केंद्रीय मंत्री के रुप में केरल के कल्याण के लिए दिए गए योगदान की भूरि-भूरि प्रशंसा की। लेकिन मैं महत्वपूर्ण समझता हूं उस दिन राजगोपालजी का अभिन्न्दन करने आने वाले नेताओं की उपस्थिति को। मंच पर समूचे राजनीतिक और सामाजिक वर्गों के प्रतिनिधि उपस्थित थे।
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रुप में, मैंने सभी राजनीतिक कार्यकर्ताओं से दलगत दायरों से ऊपर एकजुट होकर तथा ईमानदारीपूर्वक भारत को दुनिया में अग्रणी बनाने के लिए काम करने का अनुरोध किया। विपक्ष के नेता वी.एस. अच्युतानन्दन ने मुख्य भाषण देते हुए कहा कि यद्यपि राजनीति में वह और श्री राजगोपाल एक-दूसरे के विरोधी धु्रव पर हैं, परन्तु तब भी वे गहरे मित्र हैं। हालांकि, माकपा और भाजपा ने आपातकाल के विरुध्द संघर्ष की छोटी अवधि में मिलकर काम किया, और इस अवधि के दौरान वह तथा श्री राजगोपाल कारावास में एक साथ बंदी थे।
कार्यक्रम की अध्यक्षता गांधी स्मारक निधि के चेयरमैन पी. गोपीनाथन नायर ने की। उनके अलावा सम्बोधित करने वालों में थे स्वास्थ्य मंत्री वी. एस. शिवाकुमार, भाकपा के राज्य सचिव पानियन रविन्द्रन, कवि ओ.एन.वी. कुरुप, महापौर के. चंद्रिका, भाजपा के वरिष्ठतम सहयोगी परमेश्वरन, राज्य भाजपा के अध्यक्ष वी. मुरलीधरन, केरल कांग्रेस के नेता वी. सुरेन्द्रन पिल्लई, साइरो-मलानकरा कैथोलिक चर्च ऑक्सिलॅरी बिशप सैम्युल मार इरेनियस, स्वामी तत्वारुपानंदा और एन आई एम एस मेडीसिटी के मैंनेजिंग डायरेक्टर एम.एस. फैजल खान-भी थे।

पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपई का ८८वां जन्म दिन देश भर में मनाया गया:Bharat Ratn For A B Vajpai Demanded

पूर्व प्रधान मंत्री अटल बिहारी वाजपई का ८८ वा जन्म दिन देश भर में मनाया जा रहा है| इस अवसर पर उन्हें भारत रत्न से सम्मानित किये जाने की मांग की गई है| सेन्ट्रल दिल्ली स्थित उनके निवास पर प्रधान मंत्री डाक्टर मन मोहन सिंह,भाजपा नेता एल के अडवानी,सुषमा स्वराज,नितिन गडकरी,और राजनाथ ने अटल बिहारी वाजपई को जन्म दिन की बधाई दी|
भाजपा शासित मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने पूर्व प्रधानमंत्री अटलबिहारी वाजपेयी को भारत रत्न से सम्मानित किये जाने की मांग की है।श्री चौहान ने वाजपेयी के व्यक्तित्व पर आधारित जनसंपर्क विभाग की प्रदर्शनी का उद्घाटन करने के बाद संवाददाताओं से चर्चा करते हुए कहा कि वाजपेयी ऐसे नेता हैं जिनसे सभी प्यार और आदर करते हैं।बताते चलें कि वाजपेयी का जन्म 25 दिसम्बर, 1924 को पूर्व रियासत, ग्वालियर में हुआ था, जो अब मध्य प्रदेश का हिस्सा है।
वाजपेयी, भाजपा के पूर्व संगठन भारतीय जन संघ के संस्थापक नेताओं में से एक हैं। वह जनता पार्टी की सरकार में वर्ष 1977 में देश के विदेश मंत्री रहे।
वर्ष 1996 में वह सिर्फ 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री बने। इसके बाद मार्च 1998 में 13 माह के लिए और फिर अक्टूबर 1999 से मई 2004 के बीच तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री रहे। उन्होंने वर्ष 2009 का चुनाव नहीं लड़ा था।आज कल सक्रिय राजनीती से हट कर घर पर ही स्वास्थ्य लाभ ले रहे हैं|
तालकटोरा स्टेडियम में वाजपई जी का जन्म दिन रक्त दान करके मनाया गया
इस मौके पर बरनाला में कार्यकर्ताओं ने सदर बाजार को जोड़ती दो गलियों टूटे वाटे वाली गली व बांसा वाली गली का नाम बदल कर ‘श्री अटल बिहारी वाजपेयी मार्ग’ रख दिया।
इसकी घोषणा भाजपा जिला अध्यक्ष गुरमीत सिंह हंडियाया ने मंगलवार को बरनाला में हुए समारोह को संबोधित करते हुए कही।।
श्री वाजपेयी के 88 वें जन्मदिवस के अवसर पर बलात्कार पीड़ित लड़की को समर्पित रैली के समक्ष अपने संबोधन में पार्टी के वरिष्ठ नेता एम वेंकैया नायडु ने कहा, ‘‘ देश की राजधानी में जो कुछ हो रहा है, वह कानून व्यवस्था के खिलाफ जनता के संचित गुस्से के कारण है। यह केवल इस बलात्कार की घटना के कारण नहीं है।
मेरठ में बी जे पी कार्यकर्ताओं ने हवं करके अपने नेता की लम्बी आयु की कामना की

भाजपा को विश्वसनीय और भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए एक जुट हो जाना चाहिए:एल के आडवाणी

भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी ने आज शुक्रवार को कहा कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) सरकार 2014 तक नहीं चल पाएगी। उन्होंने कहा कि मध्यावधि चुनाव होना तय है। लोकसभा चुनाव भाजपा के लिए अच्छा अवसर है| कार्यकर्ताओं को पार्टी की छवि को

विश्वसनीय’ और ‘भ्रष्टाचार मुक्त’ बनाने के लिए एक जुट हो जाना चाहिए|


सूरज कुंड में आयोजित राष्ट्रीय परिषद् की तीन दिवसीय सम्मलेन के समापन भाषण में लाल कृष्ण आडवाणी ने कहा कि सरकार में भ्रष्टाचार के बढ़ते मामलों के बावजूद 10-15 दिन पहले उनकी सोच अलग थी लेकिन अब सरकार बीमार हो चुकी है। यह अब वेंटिलेटर /आईसीयू (सघन चिकित्सा कक्ष) में है।
आडवाणी ने कहा, कि कांग्रेस के सहयोगियों को भी अब लगने लगा है कि यदि सरकार गिर जाती है तो यह अच्छा ही होगा। पूर्व उप प्रधानमंत्री ने कहा, ”मुझे बहुत हद तक लगता है कि इस सरकार कि जीवन रक्षक प्रणाली २०१४ से पहले ही अलग हो जाए और वेंटिलेटर न रहे उन्होंने भाजपा अध्यक्ष नितिन गडकरी से कहा कि पार्टी को अगले लोकसभा चुनाव के लिए उम्मीदवारों के नामों को अंतिम रूप देना शुरू कर देना चाहिए। वरिष्ठ भाजपा नेता ने यूं पी ऐ की सरकार पर जम कर प्रहार करते हुए कहा, ”मैंने वर्ष 1947 में देश के आजाद होने के बाद से अब तक सभी सरकारों को करीब से देखा है, पहले एक पत्रकार के रूप में, फिर एक पार्टी कार्यकर्ता और बाद में एक सांसद के रूप में। लेकिन इस तरह की सरकार कभी नहीं देखी।”
उन्होंने सरकार के पतन के कारण गिनाते हुए कहा, [१]मौजूदा सरकार का नेतृत्व कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया के साथ है। [२]प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने अपने अधिकार सोनिया को स्थानांतरित कर दिए हैं।” श्री आडवाणी ने कहा, ”वर्ष 2009 में मैंने मनमोहन सिंह को कमजोर प्रधानमंत्री बताया था। तब कुछ लोगों ने मेरे बयान को अनुचित बताया था, लेकिन आज मेरी बात सही साबित हुई। मैंने जो कुछ भी कहा था, लोग आज उस पर सहमति जता रहे हैं।”
आडवाणी ने एन डी ऐ को एन डी ऐ+ बनाने के लिए अगले लोकसभा चुनाव को पार्टी के लिए बड़ा अवसर करार देते हुए कार्यकर्ताओं से कहा कि वे पार्टी की ‘विश्वसनीय’ और ‘भ्रष्टाचार मुक्त’ छवि बनाएं। कांग्रेस का ‘विश्वसनीय विकल्प’ बनने के लिए प्रयास करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि एन डी ऐ के घटक और अल्प संख्यकों के विशवास को जीतना होगा|

‘यदि मौजूदा परिस्थिति में भी कांग्रेस बच निकलती है तो इससे यही साबित होगा कि सभी राजनीतिक पार्टियां समान व भ्रष्ट हैं।”
”हमारा लक्ष्य साफ होना चाहिए। यदि भाजपा सत्ता में आती है तो भ्रष्टाचार नहीं होगा। हमें इस तरह की विश्वसनीयता पैदा करनी चाहिए।”
आडवाणी ने कहा, ”हमें लोगों को विश्वसनीय ढंग से बताना चाहिए कि जिस परिवर्तन की वे तलाश कर रहे हैं, वह सिर्फ सरकार बदलने से नहीं हो सकता, बल्कि ऐसी सरकार से होगा, जो देश को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने के लिए प्रतिबद्ध हो।”

बैठक में पार्टी नेता मुरली मनोहर जोशी ने कहा, देश दोराहे पर है। कांग्रेस के नेतृत्व वाले संप्रग ने सत्ता में बने रहने का अधिकार खो दिया है। वहीं गडकरी ने कहा,कि यह देश की राजनीति को नई दिशा देने का वक्त है।

अब तक अध्यक्ष केवल तीन वर्षो के कार्यकाल के लिए अपने पद पर रह सकता था। भाजपा के संविधान की धारा 21 के अनुसार, कोई भी योग्य व्यक्ति लगातार दो कार्यकाल के लिए अध्यक्ष के पद पर हो सकता है और प्रत्येक कार्यकाल तीन-तीन वर्षो का होगा। इस प्रस्ताव से दिसंबर में कार्यकाल पूरा करने जा रहे नितिन गडकरी के दुबारा अध्यक्ष बनाने का रास्ता साफ हो गया है|