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किंगफिशर एयरलाइंस बचाने के लिए नागर विमानन महानिदेशालय [डीजीसीए] को फिर से पुनरुद्धार योजना सौंपी

किंगफिशर एयरलाइंस बचाने के लिए नागर विमानन महानिदेशालय [डीजीसीए] को फिर से पुनरुद्धार योजना सौंपी

दारू किंग विजय माल्या की कर्ज़ में डूबी किंगफिशर एयरलाइंस ने नागर विमानन महानिदेशालय [डीजीसीए] को फिर से पुनरुद्धार योजना सौंपी है। इससे पहले भी कंपनी ने दोबारा उड़ान भरने की योजना विमानन नियामक के समक्ष पेश की थी जिसे खामियों के चलते डीजीसीए ने खारिज कर दिया था। विजय माल्या की इस एयरलाइंस का परिचालन अक्टूबर से ही ठप है।और इस कम्पनी का लायसेंस ३१ दिसंबर को समाप्त होने जा रहा है|अब लायसेंस के पुनरुद्धार[रिन्यू ]कराये बगैर उड़ान संभव नहीं होगी|इसीलिए अब कंपनी बचाने के लिए वित्तीय व्यवस्था करने के साथ अपना लायसेंस बचाना भी जरुरी है|
पिछले हफ्ते ही कंपनी ने लाइसेंस नवीनीकरण के लिए आवेदन किया है। डीजीसीए ने लाइसेंस नवीनीकरण से पहले कंपनी से पुनरुद्धार योजना मांगी थी। डीजीसीए के एक अधिकारी ने बताया कि किंगफिशर ने उड़ान लाइसेंस दोबारा हासिल करने की पहली शर्त के तहत यह योजना पेश की है। इससे पहले परिचालन ठप्प होने की वजह से डीजीसीए ने 20 अक्टूबर को लाइसेंस अस्थायी तौर पर निलंबित कर दिया था। उस समय भी नियामक ने एयरलाइंस से परिचालन एवं वित्तीय समस्याओं के संदर्भ में विस्तृत योजना जमा कराने को कहा था। मगर वह ऐसा करने में असफल रही थी।
तब नियामक ने लाइसेंस बहाली के लिए कंपनी को सभी हितधारकों का बकाया भुगतान करने को कहा था। मगर कंपनी इसमें भी नाकाम रही है। सूत्रों के मुताबिक किंगफिशर का लाइसेंस खतरे में है। आमतौर पर पांच साल के लिए लाइसेंस का नवीनीकरण होता है। मगर किंगफिशर के मामले में स्थिति बिल्कुल अलग है। ऐसे में इस बात की संभावना बेहद कम है कि डीजीसीए पुनरुद्धार योजना को मंजूरी देगा।
कुछ दिनों पहले विजय माल्या ने 17 बैंकों के कंसोर्टियम को बताया था कि वे एयरलाइंस का सीमित परिचालन शुरू करने के लिए 425 करोड़ रुपये का निवेश करेंगे। इन बैंकों का किंगफिशर पर 7,524 करोड़ रुपये का कर्ज है।किंग फ़िशर अभी तक विदेशी निवेशकों को आकर्षित नहीं का पाई है पहले रियाद की एक कम्पनी द्वारा ३००० करोड़ के निवेश की बात कही जा रही थी मगर अभी तक वह फायनल नहीं हुई है| यूं बी ग्रुप द्वारा सवा छह सो करोड़ का निवेश करने के बात कही जा रही है मगर विदेशी निवेश के अभाव में यह पूंजी भी अपर्याप्त समझी जा रही है|