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Tag: श्री स्वामी सत्यानन्द जी महाराज

सारे संसार के पालनहार के पावन चरणों में नमस्कार स्वीकार हो

करता हूँ मैं वंदना , नत शिर बारम्बार ।
तुझे देव परमात्मन , मंगल शिव शुभकार ।
अंजलि पर मस्तक किये , विनय भक्ति के साथ ।
नमस्कार मेरा तुझे , होवे जग के नाथ ।

Amrit vani

भावार्थ : भक्तजन परमात्मा के दरबार में जाकर कहते हैं , हे मंगलमय , कल्याणकारी तथा सदा हमारा शुभ करने वाले परमात्मा आपको हम सिर झुकाकर बार – बार प्रणाम करते हैं ।हमें ऐसा वरदान दो कि आपके चरणों की वंदना , स्तुति में हम सदा लगे रहें जिससे हमारा मंगल हो और हमें सौभाग्य एवं शांति मिले । दोनों जुड़े हुए हाथों के साथ माथा झुकाकर ,दोनों घुटनों को टेककर नम्रता , प्रेम एवं भक्तिपूर्वक भाव से , हे सारे विश्व के स्वामी , सारे संसार के पालनहार , रक्षक “राम” आपके पावन चरणों में हमारा नमस्कार स्वीकार हो ।
श्री स्वामी सत्यानन्द जी महाराज द्वारा रचित अमृत वाणी का एक अंश
प्रस्तुति राकेश खुराना

ईश्वर को सभी प्राणियों का ध्यान , चिंता रहती है । वो ही सबका पालनहार है: Amrit Vani

माँगूं मैं राम – कृपा दिन रात,
राम – कृपा हरे सब उत्पात ।
राम -कृपा लेवे अन्त सम्भाल ,
राम -प्रभु है जन प्रतिपाल ।
भावार्थ : जिज्ञासु परमात्मा से प्रार्थना करता है कि मैं आपका बालक आपकी शरण में हूँ । मैं आपकी कृपा हर समय चाहता हूँ क्योंकि राम – कृपा से ही मन की उथल – पुथल एवं चंचलता शांत होती है । जब मन की चंचलता शांत होती है , तब ही परमात्मा के नाम में चित्त लगता है और नाम जपने से ही व्यक्ति राम कृपा का पात्र बनता है ।बाकी सारा धन और पूंजियाँ तो इही लोक की हैं और सांसारिक धन अंत समय में हमारे साथ नहीं जाता , केवल राम नाम का धन ही एक ऐसी पूंजी है जो अंत समय में हमारी रक्षा करती है और हमारे साथ जाती है । ईश्वर को सभी प्राणियों का ध्यान , चिंता रहती है । वो ही सबका पालनहार है ।
श्री स्वामी सत्यानन्द जी महाराज द्वारा रचित अमृत वाणी का एक अंश
प्रस्तुति राकेश खुराना