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Tag: प्रार्थना

ह्रदय प्रार्थना करने का उच्च स्थान है इसीलिए नम्रता और आदर भाव से इसे साफ और शुद्ध रखा जाना चाहिए

आपे जाणै करे आपि आपे आणै रासि ।
तिसै अगे नानका खलिइ कीचै अरदासि ।

Rakesh khurana

ह्रदय प्रार्थना करने का उच्च स्थान है और इसीलिए इसे प्रार्थना में लगाने से पहले शुद्ध और साफ करना जरूरी है । ह्रदय की शुद्धता में नम्रता और आदरपूर्वक प्रभु का भाव होता है जो दुनिया की तमाम चिंताओं और झंझटों से मुक्त होता है ।
अर्थात वह मालिक सब कुछ जानता है , सब करण – कारणहार है और स्वयं ही कार्य पूर्ण कर देने में समर्थ है । उसके आगे खड़े होकर विनयपूर्वक प्रार्थना करो ।
वाणी : श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी
प्रस्तुति राकेश खुराना

प्रार्थना तो आत्मा की गहराइयों से निकलनी चाहिए

Rakesh Khurana


कबीर मुलां मुरारे किआ चढहि सांई न बहरा होइ ।
जा कारनि तूं बांग देहि दिल ही भीतर जोई ।
भाव: संत कबीर दास जी कहते हैं कि ए इमाम ! आजान के लिए ऊंचे मीनार पर जाकर क्यों बांग देता है , परमात्मा बहरा नहीं है ।जिसके लिए तू बांग दे रहा है वह तो तेरे दिल में विराजमान है अर्थात ईश्वर की प्रार्थना के लिए हमें कहीं बाहर जाने की आवश्यकता नहीं है बल्कि प्रार्थना तो आत्मा की गहराइयों से निकलनी चाहिए । जिस चीज के लिए प्रार्थना करें उस की सच्ची ख्वाहिश होनी चाहिए जो न केवल बुद्धि विचार करके हो बल्कि अंतरात्मा से होनी चाहिए ।
संत कबीर दास जी की वाणी
प्रस्तुति राकेश खुराना