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Category: Social Cause

सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा कर रहे सिरीश द्विवेदी (19) ने फांसी लगा कर आत्म हत्या की

सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा कर रहे सिरीश द्विवेदी (19) ने फांसी लगा कर आत्म हत्या की

[लखनऊ ] सिविल इंजीनियरिंग में डिप्लोमा कर रहे इंदिरानगर निवासी सिरीश द्विवेदी (19) ने फांसी लगा कर आत्म हत्या कर ली । सुसाइड नोट में उसने खुद को अपनी मौत का जिम्मेदार ठहराया है। पुलिस ने शव को पोस्टमार्टम के बाद घर वालों के सिपुर्द कर दिया है। सिरीश के पिता दिनेश द्विवेदी रायबरेली के सिंहपुर में एडीओ हैं।
रायबरेली के मिलएरिया स्थित छजलापुर प्रगतिपुरम निवासी दिनेश द्विवेदी सिंहपुर ब्लॉक में एडीओ समाज कल्याण विभाग के पद पर कार्यरत हैं। सिरीश फैजाबाद रोड स्थित पॉलीटेक्निक में सिविल से डिप्लोमा कर रहा था।पुलिस को उसके कमरे से एक सुसाइड नोट मिला है। जिसमें उसने लिखा है कि घर वालों व मित्रों का कोई दोष नहीं है। वह खुद अपनी मौत का जिम्मेदार है। खुदकुशी के पीछे पुलिस प्रेम प्रसंग का मामला माना जा रहा है|इसके आलावा मेरठ में भे एक बी टेक छात्र की संदिग्ध स्थितिओं में मृत्यु हो गई है
ये दोनों अलग शिक्षण संस्थानों से जुड़ी है मगर सवाल एक ही है कि इतने महंगी पढाई कर रहे छात्रों के व्यवहार,व्यक्तित्व विकास और उनकी समय समय पर कौन्सिलिंग कि क्या कोई व्यवस्था है अगर नही तो क्यों नहीं ?

जे पी कालेज के मैकेनिकल इंजीनियरिंग छात्र की संदिग्ध मौत

जे पी कालेज के मैकेनिकल इंजीनियरिंग छात्र की संदिग्ध मौत

मेरठ के मवाना रोड स्थित जेपी इंजीनियरिंग कालेज में इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहे पटना बिहार निवासी छात्र राजदान की तबीयत खराब होने से मंगलवार १६ जनवरी सुबह मौत हो गई। पुलिस कार्रवाई किए बिना परिजन शव साथ ले गए है।
पटना निवासी राजदान पाठक (22) पुत्र विरेन्द्र पाठ मवाना रोड स्थित जेपी कालेज से वह मैकेनिकल इंजीनियरिंग की पढ़ाई कर रहा था और उसका यह फाइनल ईयर था। प्राप्त जानकारी के अनुसार सोमवार को उसे उल्टी, दस्त होने के बाद नज़दीक के नर्सिग होम में भर्ती कराया गया, जहां मंगलवार तड़के साढ़े चार बजे उसने दम तोड़ दिया।

नाम का जाप करो और उसके अर्थ की भावना में लीन हो जाओ -यह मन्त्र – योग की विधि है

यथा वृक्ष भी बीज से , जल – रज ऋतु – संयोग ।
पा कर, विकसे क्रम से , त्यों मन्त्र से योग ।

श्री स्वामी सत्यानन्द जी महाराज द्वारा रचित अमृत वाणी का एक अंश
प्रस्तुती राकेश खुराना

भाव : जिस प्रकार बीज- जल , मिट्टी और अनुकूल मौसम के सहयोग (मेल ) से धीरे – धीरे वृक्ष बन जाता है , उसी प्रकार मन्त्र – जाप से निरंतर आध्यात्मिक प्रगति होती रहती है।
मन्त्र योग : ऐसी पद्धति , जो मन्त्र की साधना से भगवद मिलन करा दे ।
धारणा , ध्यान और समाधि तीनों का मन्त्र से योग मन्त्र – योग कहलाता है । नाम का जाप करो और उसके अर्थ की भावना में लीन हो जाओ -यह मन्त्र – योग की विधि है ।
श्री स्वामी सत्यानन्द जी महाराज द्वारा रचित अमृत वाणी का एक अंश
प्रस्तुती राकेश खुराना

मुसलमानों की हितैषी होने का दावा करने वाली उत्तर प्रदेश सरकार पर उर्दू के डिग्री धारकों की उपेक्षा का आरोप

उर्दू डिग्री धारको का जिलाधिकारी कार्यालय पर धरना

मुसलमानों की हितैषी होने का दावा करने वाली प्रदेश में सत्ता रूड समाज वादी पार्टी पर उर्दू भाषा के डिग्री धारक बेरोजगारों की उपेक्षा किये जाने का का आरोप लगाया गया है|
मोअल्लिम ऐ उर्दू डिग्री धारकों ने आज जिलाधिकारी के माध्यम से मुख्य मंत्री को एक ज्ञापन प्रेषित किया है|इसके माध्यम से अवगत कराया गया है कि बेरोजगार मोल्लिम ऐ उर्दू डिग्री धारकों को सहायक अध्यापक उर्दू के पदों पर नियुक्ती नही दी जा रही है|बरसों से लगातार मांग को झूठे आश्वासनों से टाला जाता आ रहा है|अब यह असहनीय हो गया है|
एसोशिएशन प्रवक्ता मौलाना अब्दुल रहमान के अनुसार इस ज्ञापन में यह भी चेतावनी दी गई है कि यदि बेरोजगारों को शीघ्र रोजगार नहीं दिया गया तो प्रदेश के प्रमुख उलमा ऐ कराम+धर्म निरपेक्ष राजनीतिक दल+सवयम सेवी संगठन के साथ यह एसोशिएशन सडकों पर उतरने को मजबूर होगी|

पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन के लिए इस्लामी विद्वान डॉ. ताहिरुल कादरी ने राजनीतिक अलख जगाई

कनाडा प्रवास के पश्चात पाकिस्तान लौटे इस्लामी विद्वान डॉ. ताहिरुल कादरी ने अब पाकिस्तान ने संसद भंगकरने के लिए सरकार को आज ग्यारह बजे तक का अल्टीमेटम दे दिया है|आश्चर्यजनक रूप से कादरी के साथ लाखों की तादाद में लोग जुड़ने लगे हैं| कादरी के समर्थक संसद, विधानसभाओं को भंग करने और सरकार के इस्तीफे समेत कई मांगों को लेकर संसद के बाहर डी चौक जिन्नाह एवेन्यु पर जमा होने शुरू हो गए हैं। कादरी ने कल इस्लामाबाद से लाहौर के लिए रैली निकाली और लोगों से ‘देश बचाइए, सरकार नहीं’ नारे के साथ इससे जुड़ने का आह्वान किया था। कादरी का कहना है कि वह अब यहां से तभी हटेंगे, जब मुल्क की हुकूमत बदल जाएगी।कादरी के इस आंदोलन की दो वजहें बताई गई हैं- [१], ‘भ्रष्ट’ सरकार से छुटकारा [२]’ईमानदार’ लोगों की अंतरिम सरकार के तहत चुनाव सुधारों का मार्ग प्रशस्त करना
पाकिस्तान में यह सारा घटनाक्रम देश में चुनावों से महज़ चार महीने पूर्व ही हो रहा है| संसद के बाहर जमा अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए कादरी ने सोमवार की रात कहा, ‘ऑफिसों में बैठे ये लोग (प्रधानमंत्री और राष्ट्रपति आवास की ओर इशारा करते हुए) अब भूतपूर्व हो चुके हैं अब संसद और विधानसभा को भंग किया जाए नहीं तो लोग खुद ही फैसला लेने लगेंगे और पीपल्स असेंबली कमान संभाल लेगी। कुछ दिनों पहले कनाडा से पाकिस्तान लौटे कादरी ने कहा कि मैं चाहता हूं कि जुडिशरी भ्रष्ट राजनेताओं को कोई भी पद ग्रहण करने से रोके। उन्होंने यह भी कहा कि इस साल प्रस्तावित चुनाव को तब तक के लिए टाल दिया जाए जब तक कि देश से भ्रष्टाचार की महामारी का खात्मा न हो जाए।
प्रभावशाली धार्मिक नेता ताहिरुल कादरी ने पाकिस्तान में इसी साल होने वाले चुनाव से पहले सुधारों को लागू करने की मांग को लेकर लाहौर से इस्लामाबाद तक की रैली निकाली है। वह इसके माध्यम से सरकार पर दबाव बनाना चाहते हैं। धार्मिक नेता की रैली को भारी जनसमर्थन मिला है। पहले उन्होंने दावा किया था कि उनकी रैली में करीब 10 लाख लोग शामिल होंगे।तहरीक मिनहाज-उल-कुरान नामक संगठन चलाने वाले कादरी पिछले महीने ही कनाडा से पाकिस्तान लौटे हैं। उन्होंने कनाडा में करीब सात साल का वक्त बिताया। । वह वर्तमान चुनाव आयोग को भी भंग करने की मांग कर रहे हैं। लोगों से मार्च में शामिल होने का आह्वान करते हुए कादरी ने कहा है, ‘यदि आप बाहर नहीं निकले, यदि आपने मेरे हाथ मज़बूत नहीं किए तो अगली पीढ़ी इस दिन पर अफसोस करेगी।

डा. कादरी

पाकिस्तान में सत्ता परिवर्तन के लिए इस्लामी विद्वान डॉ. ताहिरुल कादरी ने राजनीतिक अलख जगाई


पाकिस्तान जैसे कंट्टर देश में भी प्रगतिशील मुस्लिम विद्वान के तौर पर जाने जाते हैं। ‘फिरका परस्ती का खात्मा’ किताब लिखने वाले इस विद्वान ने 11 सितंबर, 2001 के आतंकी हमले की सबसे पहले निंदा की थी। आतंकवाद के खिलाफ फतवा देने वाले एक विद्वान हैं। सूफी विचारधारा को मानने वाले कादरी ने सऊदी अरब में शिक्षा ग्रहण की और पंजाब [पाकिस्तान] की यूनिवर्सिटी में ‘अंतरराष्ट्रीय संविधान कानून’ विषय के प्रोफेसर रहे हैं और मिनहाजुल कुरआन इंटरनेशन के संस्थापक हैं।क्यू टी वी से भी जुड़े हैं

इस्लाम से खारिज

बीते साल[मार्च] डा. ताहिरुल कादरी को इस्लाम से खारिज किया जा चुका है यह फतवा बरेली मरकज ने दिया है। मुफ्ती-ए-आजम अख्तर रजा खां उर्फ अजहरी मियां ने उन्हें यहूदियों का एजेंट करार दिया है। पिछले दिनों मुंबई में डा. ताहिर की तकरीर के बाद बरेलवी उलेमा ने यह कदम उठाया।
पाकिस्तान के नामवर इस्लामिक विद्वान डा. कादरी ने पिछले दिनों मुंबई में कई जगह तकरीर की थी। उन्होंने यहूदी औैर नसारा [ईसाई] को अहले ईमान बताया था। यह भी कहा था कि मस्जिद उनके लिए भी इबादत को खुली हैं।
उन्होंने देवबंदी, वहाबी, सुन्नी फिरकों में विरोध को शाब्दिक करार दिया और कहा था कि एक-दूसरे के पीछे नमाज पढ़ी जा सकती है, वह खुद भी ऐसा करते हैं। इस्लाम में चार इमाम हैं, लिहाजा पांचवा मसलक [धार्मिक विचार] नहीं हो सकता।
बदलाव की आवाज़ बुलंद करने वाले कादरी अपने बयानों में पाकिस्तान की आर्मी का गुणगान करने में पीछे नहीं दिख रहे उन्होंने तालिबान के विरुद्ध सेना के अभियान को खुले आम सराहा है| इए में सेना से उनकी नजदीकी क सहक की नज़र से देखना लाजमी हो जाता है इसके अलावा सीमा[एल.ओ.सी] पर युद्ध विराम का उल्लघन और जनरल कयानी की सेवानिवृति से भी कई सवाल उठ रहे हैं [१]क्या पाकिस्तान में जम्हूरियत का दौर समाप्त होने जा रहा है [२]क्या जनरल कयानी किसी नई भूमिका के लिए कमर कस रहे हैं[३]क्या पाकिस्तान में कट्टरपंथी फिर से सत्ता में आने वाले हैंया फिर पश्चिमी ताकतों ने वर्तमान सरकार का विकल्प चुना हैआदि आदि इन सवालों का उत्तर तलाश कर ही भारत को पाकिस्तान के साथ एल ओ सी विवाद को सुलझाने के लिए कदम बढाना होगा

प्रभु की शरण में आते ही भय,दुःख,दर्द दूर हो जाते हैं

प्रभु की सरणि सगल भै लाथे दुःख बिनसे सुखु पाइआ ।
दइआलु होआ पारब्रहमु सुआमी पूरा सतिगुरु धिआइआ ।

Rakesh Khurana And Guru Arjun dev Ji Mahaaraaj

भाव : श्री गुरु अर्जनदेव जी महाराज हमें समझा रहे हैं कि जब हम प्रभु की शरण में आते हैं तो हमारे जितने भय हैं , वे दूर हो जाते हैं , जितने हमारे दुःख – दर्द हैं , सबका नाश हो जाता है और हमें सुख प्राप्त होता है ।जब हम अपना पूरा ध्यान सतगुरु की ओर कर देते हैं तब पारब्रह्म का स्वामी परमात्मा हम पर दयालु हो जाता है । महापुरुष हमें समझाते हैं हम अपना समय व्यर्थ न करें , हमारा हर पल परमात्मा की याद में हो ।
वाणी : श्री गुरु अर्जनदेव जी महाराज , श्री गुरु ग्रन्थ साहिब जी
प्रस्तुति राकेश खुराना

रालोद सांसद जयंत चौधरी का अनुरोध ठुकराया: शहीद हेमराज के परिजनों का अनशन जारी

पाकिस्तान के साथ सीमा पर लगातार बढ़ते जा रहे तनाव के प्रति जनप्रतिनिधियों की ढुल मुल निति से जनाक्रोश में लागातर वृद्धि हो रही है ऐसे आक्रोश का प्रदर्शन मथुरा में शहीद के परिवार वालों ने सांसद जयंत चौधरी के समक्ष किया | छेत्र के सांसद ने अनशन पर बेसुध बैठे शहीद हेमराज के परिवार की महिलाओं को दूध पिला कर उनका अनशन तुड़वाने का प्रयास किया तो वहां के पुरुष भड़क गए और उन्होंने अपने प्रतिनिधि को खूब खरी खोटी सुनाई|
शहीद हेमराज का सिर वापस लाने की मांग के साथ मां मीना और पत्नी धर्मवती का अनशन जारीहै । उनकी तबियत बिगड़ने पर चिकित्सकों के एक दल ने गांव में पहुंचकर उनका स्वास्थ्य परीक्षण किया रविवार को सांसद जयंत चौधरी गांव पहुंचे और अनशन समाप्त करने की अपील करते हुए उनको दूध पिलाया। इसके बाद भी परिवारीजनों ने अनशन तोड़ने से इनकार किया है और उनका कहना है कि मांगे पूरी होने तक अनशन जारी रहेगा।
गौरतलब है कि गांव शेरनगर खैरार में शहीद हेमराज की आहत मां मीना और पत्नी धर्मवती ने पांच दिन से खाना-पीना छोड़ा हुआ है। अन्न ग्रहण न करने से दोनों की सेहत लगातार गिरती जा रही है।१३ जनवरी को भी धर्मवती तो दिनभर बेहोशी की हालत में रहीं। रालोद के सांसद जयंत केअनुरोध के बावजूद परिवारीजनों ने अनशन समाप्त करने से इनकार कर दिया। शहीद के भाई नरेंद्र का कहना है कि अनशन समाप्त नहीं हुआ है, बेहोशी की हालत में उन्हें (धर्मवती) को कुछ पता नहीं लगा। ऐसे में कोई नेता उन्हें पानी पिलाए या दूध, इससे कोई फर्क नहीं पड़ता। हमारी मांगें पूरी न होने तक अनशन जारी रहेगा।
छेत्र वासियों के अनुसार शहीद हेमराज की अंत्येष्टि में शासन, प्रशासन का कोई प्रतिनिधि मौके पर नही पहुंचा और क्षेत्रीय सांसद व विधायक के भी मौजूद न रहने से ग्रामीणों में पहले से ही आक्रोश हैं प्रदेश की सरकार के युवा मुखिया अखिलेश यादव द्वारा

शहीद हेमराज के परिजनों का अनशन जारी

आर्थिक पैकेज की घोषणा नही किया जाना भी चर्चा चर्चा का विषय बनी हुई है|

एल के आडवानी के ब्लाग से : नेहरू का सेकुलरिज्म भी हिन्दू मूल सिध्दांतों पर ही आधारित है:‘इण्डिया:ए सेक्रिड जियोग्राफी‘

एन डी ऐ और भाजपा के सर्वोच्च सक्रीय नेता और वरिष्ठ पत्रकार लाल कृषण अडवानी ने अपने ब्लाग पर एक पुस्तक के माध्यम से यह बताने का प्रयास किया है कि देश के पहले प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू का सेकुलरिज्म भी हिन्दू मूल सिध्दांतों पर ही आधारित है| वर्तमान में नेहरू की कांग्रेस सत्ता में है और कुछ सत्ता रूड नेता और मंत्री सेकुलरिज्म का नारा लगाते हुए हिन्दू मूल सिद्धांतों को निशाना बनाने में जुटे हैं |ऐसे में भुगौलिक इतिहास के पन्ने पलटते हुए इस पुस्तक और ब्लॉग का महत्त्व बढ जाता है |प्रस्तुत है एल के अडवानी का यह ब्लाग
इन दिनों मुझे

एल के आडवानी के ब्लाग से ‘इण्डिया:ए सेक्रिड जियोग्राफी‘


कुछ इतिहासकार कहते हैं कि भारतीयों में इतिहास बोध की कमी है। पुस्तक के अध्याय 2 में ”व्हाट इज इण्डिया?” शीर्षक वाले अध्याय में लेखक, अनेकानेक शोधों पर आधारित पुस्तक में इस टिप्पणी का संदर्भ देते हैं लेकिन यह भी स्वीकारोक्ति करते हैं कि यद्यपि ”यह पाकर अनूठा लगा कि उनके (भारतीयों) पास भूगोल का विस्तृत ज्ञान है।” डायना आगे लिखती हैं:
”उस समय जब इस भूमि की लम्बाई और चौड़ाई में घूमना अवश्य रुप से बहुत कठिन रहा होगा,, तब भी भौगोलिक ज्ञान की परम्पराएं दर्शाती हैं कि ऐसी यात्रा वस्तुत की जाती थीं। और यह भी उल्लेखनीय है कि उस समय जब इस उपमहाद्वीप में कोई राजनीतिक एकता नहीं थी तब भी जो इस क्षेत्र को सिकन्दर के साथ जोड़ते थे और इसे एक एकल भूमि….निरुपित करते थे…. वे भी सत्यापित करते हैं कि पश्चिमी सीमा पर सिंधु नदी, हिमाचल और उत्तर तक फैला हिन्दूकुश, और अन्य दोनों दिशाओं में विस्तारित समुद्र के साथ भारत आकार में चर्तुर्भुजीय था। यहां तक कि उन्होंने इस माप को भी उदृत किया है: सिंधु नदी की लम्बाई; सिंधु से पाटलिपुत्र की दूरी और वहां से गंगा मुख; पूर्वी और पश्चिमी तटों से इसकी दूरी के साथ।
ब्रिटिश शासन के दौरान भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण के निदेशक बने एलेक्झेडर कन्नींघम ने 1871 में लिखा:
”इन आयामों का सुगठित प्रबन्धन जोकि सिकन्दर के गुप्तचरों ने दिया था, विशेषकर देश के वास्तविक आकार के साथ अपने आप में उल्लेखनीय है, यहां तक कि उनके इतिहास के प्रारम्भिक काल में उन्हें अपनी मातृभूमि के रुपों और विस्तार का सही-सही ज्ञान था।”
जब देश पर अंग्रेजों का शासन था तब तथाकथित विद्वानों का एक वर्ग इसे प्रोत्साहित करने का इच्छुक था कि ब्रिटिश शासन इस विचार के प्रति घृणा करता है कि भारत एक देश था और भारतीय एक जन थे।
इस वर्ग का एक प्रमुख प्रतिनिधि था ब्रिटिश सिविल अधिकारी, सर जॉन स्ट्राचे। सन् 1888 में कैंम्ब्रिज यूनिवर्सिटी में बोलते हुए सर स्ट्राचे ने कहा ”भारत नाम का क्या महत्व है? अनेक बार यह उत्तर दिया जाता रहा जोकि असत्य सा है,” मगर यह भी सत्य है, उन्होंने कहा ”ऐसा कोई देश नहीं है, और यह भारत के बारे में पहला तथा सर्वाधिक जरुरी तथ्य समझ लेना चाहिए। भारत एक नाम है जिसे हम ने अनेक विभिन्न देशों सहित एक बड़े क्षेत्र का नाम दिया है।”
सर जॉन स्ट्राचे तर्क देते थे कि भारत की तुलना में यूरोप में ज्यादा समान संस्कृति है। ”स्कॉटलैण्ड स्पेन की तरह ज्यादा है बनिस्पत बंगाल के पंजाब की तरह की तुलना में…. सभ्य यूरोप में ऐसा कोई देश नहीं है जहां लोग भिन्न हों जैसे कि बंगाली सिखों से भिन्न है, और बंगाल की भाषा लाहौर में उतनी ही अबोधगम्य है जितनी कि यह लंदन में होगी।”
इस पुस्तक की लेखक डायना एक्क हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में कम्पैरेटिव रिलीजन एण्ड इण्डियन स्टडीज की प्रोफेसर हैं। उनकी पुस्तक ‘बनारस, सिटी ऑफ लाइट‘ अपने विषय की उत्कृष्ट पुस्तक मानी जाती है, तो 559 पृष्ठों की कड़ी मेहनत से तैयार यह ग्रंथ बताता है कि कैसे हिन्दू पौराणिकता भारत के भूगोल से गुथी है और इस ब्रिटिश शासन के सिध्दांत कि भारत एक देश नहीं है और भारतीय एकजन नहीं हैं, को सशक्त और समाधानपूर्वक ठुकराती है।
पुस्तक में अहमदनगर किले का स्मरण किया गया है जहां पण्डित नेहरु ने अपने कारावास के दौरान अपनी पुस्तक ‘डिस्कवरी ऑफ इण्डिया‘ लिखी थी। अपनी इस पुस्तक में वह लिखते हैं कि स्वतंत्रता संघर्ष के दौरान देश भर की उनकी यात्रा ने उन्हें देश की एकता के बारे में धारणा को पुष्ट किया। नेहरु लिखते हैं:
यद्यपि बाह्य रुप से हमारे लोगों के बीच विभिन्नता और बेहद विविधता थी, तब भी सर्वत्र ‘एकात्मता‘ का प्रबल भाव था जिसने भले ही हमारा राजनीतिक भाग्य हो या दुर्भाग्य रहा हो, युगों से हम सब को बांधे रखा है, भारत की एकता मेरे लिए मात्र एक बौध्दिक धारणा नहीं रही: यह एक भावनात्मक अनुभव था जिसने मुझे पूर्णतया हावी हुआ।”
डायना लिखती हैं: ”नेहरु के भारत के विज़न में निश्चित रुप से सभी जातियों और क्षेत्रीय समुदायों सहित इसकी मजहबी विविधता समाहित थी। सन् 1930 के दशक में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस में अपने नेतृत्व के उदय से लेकर अपनी मृत्यु तक भारत के पहले प्रधानमंत्री के रुप में उन्होंने एक कट्टर सेकुलरिज्म का पक्ष लिया, यह सेकुलरिज्म गहरे, हिन्दूआधारों पर निर्मित था, जिनका वर्णन हम कर रहे हैं।” भाजपा और राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ भारतीय राष्ट्रवाद का आधार हमारी संस्कृति को ही मानते हैं। अक्टूबर 1961 में जब मदुरै में अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी का सम्मेलन हुआ तब पण्डित नेहरु ने टिप्पणी की थी कि भारत ”युगों-युगों से तीर्थ-यात्राओं, तीर्थ स्थानों का देश रहा है। ”उन्होंने आगे लिखा ”समूचे देश में आपको प्राचीन स्थान मिलेंगे। हिमालय की बर्फ से ढकी चोटियों पर बदरीनाथ, केदारनाथ तथा अमरनाथ से दक्षिण में कन्याकुमारी तक आपको तीर्थस्थल मिल जाएंगे। दक्षिण से उत्तर तक तथा उत्तर से दक्षिण तक कौन सी प्रेरणा-शक्ति लोगों को इन महान तीर्थस्थलों की ओर आकर्षित करती आ रही है? यह एक राष्ट्र की भावना तथा एक संस्कृति की भावना है और इस भावना से हम परस्पर बंधे हुए हैं। हमारे प्राचीन ग्रंथों में कहा गया है कि भारत भूमि उत्तर में हिमालय से लेकर दक्षिण में समुद्र तक फैली है। सदियों से भारत की यह संकल्पना चली आ रही है तथा इसने हमें परस्पर बांध रखा है। इस महान धारणा से प्रभावित होकर लोगों ने इसे ‘पुण्यभूमि‘ माना है। जबकि हमारे यहां अनेक सम्राज्य हुए हैं तथा यहां हमारी विभिन्न भाषाएं प्रचलित रही हैं। यह कोमल बंधन ही हमें अनेक तरीकों से बांधे रखता है।
पण्डित नेहरु का मदुरै भाषण भारत की प्राचीनता परन्तु सतत् स्वउर्जित संस्कृति को उस ‘कोमल बंधन‘ वर्णित करता है जो हमारी विविधताओं को ‘एक देश‘ के रुप में जोड़ता है।
****उमाश्री भारती की उनके ‘गंगा समग्र अभियान‘ के पहले चरण के सफलतापूर्वक सम्पन्न होने पर हार्दिक अभिनन्दन, जिसके तत्वाधान में गत् 7 जनवरी, 2013 को कांस्टीटयूशन क्लब में एक औपचारिक कार्यक्रम सम्पन्न हुआ।
इस अभियान के दो हिस्से थे: एक, 20 सितम्बर, 2012 से 28 अक्टूबर, 2012 तक गंगासागर से गंगोत्री तक की पांच सप्ताह की यात्रा और दूसरा, 2 दिसम्बर, 2012 को गंगा के सभी किनारों पर एक मानव श्रृंखला बनाना।
साध्वी उमा भारती के अभियान के दो उद्देश्य थे। (1) शुध्द गंगा, (2) अविरल गंगा। श्रोताओं से खचाखच भरे इस कार्यक्रम में भारतीजी ने इस अभियान में समाज के सभी समुदायों और वर्गों के उत्साह भरे समर्थन का प्रभावी ब्यौरा प्रस्तुत किया।
विट्ठलभाई पटेल हाउस में सम्पन्न इस कार्यक्रम में, मेरी सुपुत्री प्रतिभा द्वारा तैयार की गई तीस मिनट की अत्यन्त दिलचस्प और शिाक्षाप्रद फिल्म ‘गंगा‘ दिखाई गई।
****सेक्रिड जियोग्राफी पुस्तक में ”दि गंगा एण्ड दि रिवर्स ऑफ इण्डिया‘ शीर्षक से एक अलग अध्याय है।
इस अध्याय में डायना कहती हैं: हिन्दू भारत अपनी विविधताओं के बावजूद कुछ चीजों पर एक स्वर से बोलता है जैसाकि गंगा माता के बारे में। यह नदी हिन्दुओं, चाहे वे उपमहाद्वीप के किसी भी भाग को अपना घर कहते हों, या चाहे उनका अपना कोई सम्प्रदाय हो, के लिए विशाल सांस्कृतिक और धार्मिक महत्व रखती है। जैसाकि एक हिन्दी लेखक ने लिखा है, ”यहां तक कि कट्टर नास्तिक हिन्दू भी जब गंगा के तट पर पहली बार पहुंचेगें तो उसके मन में ऐसे भाव उमड़ेगे जो पहले कभी नहीं उमड़े थे; ”या, हम इसमें जोड़ सकते हैं, ‘जब गंगा उनके पास पहुंची।‘ विभिन्न क्षेत्रों और बहुविध हिन्दू परम्पराओं के लोगों में एकता भाव लाने के लिए गंगाजल का उपयोग पूर्णतया अनुकुल होना चाहिए। आखिरकार, यह प्रतीक है सिर्फ उपकार, सिर्फ भरे हुए जल कलश और कमल का।
उमाश्री के अभियान के स्वयंसेवक गंगाजल के कलशों को लेकर सभी सांसदों, विधायकों और हजारों जनप्रतिनिधियों को देने गए थे, स्वयं उमाजी राष्ट्रपति, सम्मानीय लोकसभाध्यक्ष और अनेक अन्य गणमान्य महत्वपूर्ण व्यक्तियों को गंगाजल देने गई।
इस गंगाजल भेंट कार्यक्रम में हिस्सा ले चुके सभी इस पर एकमत थे कि जिस श्रध्दा से यह कलश ग्रहण किए गए वह न केवल हिन्दुओं तक सीमित भी अपितु हिन्दुओं, मुस्लिमों, ईसाइयों, सिखों में भी देखने को मिली।

लोहड़ी के साथ साथ मकर सक्रांति की सब को वधाईयां

लोहड़ी के साथ साथ मकर सक्रांति की सब को वधाईयां

सूर्य देवाय नमः
भास्कराय नमः
रवि देवाय नमः
ऊर्जा देवाय नमः जय सूर्य देव जय गंगा मईया ।Donate Khichadi To The Needy
लोहड़ी के साथ साथ मकर सक्रांति की सब नू वधाईयां ।रब्ब करे मकर सक्रांति की पूजा से सूर्य देव प्रसन्न हो जाएँ +अच्छी धूप सेंकने को मिले और ठण्ड का प्रकोप कम हो।
इस पर्व पर सूर्य देव और गंगा मईया की पूजा का प्रावधान है इस के साथ अपने पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए चावल और उड़द की खिचडी को दान करने को भी शुभ माना जाता है |एक अनुमान के अनुसार अलाहाबाद के संगम पर आयोजित कुम्भ में लग भग साडे छह से सात करोड़ श्र्धालू और मेला प्रेमी जुड़ सकते हैं |इतनी बड़ी भीड़ के लिए व्यवस्था तो क्या हो पायेगी उलटे गंगा मईया भी श्रधालुओं के पाप धोते धोते अपनी सफाई के लिए आंसू बहाने लगी है|ठण्ड के इस रिकार्ड तोड़ प्रकोप के मध्य नज़र कहा जा सकता है कि मन चंगा तो कठौती में गंगा अर्थार्त घर में ही गंगा स्नान करना श्रेष्ठ है|जहाँ तक दान की बात है तो झल्लेविचारानुसार खिचडी के दान की परम्परा का निर्वाह किया जाना जरुरी है लेकिन यह अन्न दान केवल जरुरत मंद को ही देना उचित होगा|इसमें परेशां होने की जरुरत नहीं है अपने आस पास ही गौर से देखने पर ऐसे जरुरत मंद अनेकों मिल जायेंगे |

सांसारिक सुख मृगतृष्णा है और परम आनंद और सुख परमात्मा के नाम में ही है

श्री रामशरणम आश्रम , गुरुकुल डोरली , मेरठ में दिनांक 13 जनवरी 2013 को प्रात:कालीन सत्संग के अवसर पर पूज्यश्री भगत नीरज मणि ऋषि जी ने अमृतमयी प्रवचनों की वर्षा करते हुए कहा :-
ये जन्म तुझे अनमोल मिला चाहे जो इससे कमा बाबा ।
कुछ दीं कमा, कुछ दुनिया कमा, कुछ हरि के हेतु लगा बाबा ।
भाव : हमें

Poojy Niraj Mani Rishi Ji

मिला , संत भी मिले , संतों से नाम भी मिला , संतों के द्वारा बनाए गए आश्रम अर्थात नाम जपने का स्थान भी मिला परन्तु हमारे अंत:करण में परमात्मा के नाम को जपने का शौक पैदा नहीं होता । हम पूरी आयु सांसारिक सुखों के पीछे ही भागते रहते हैं जो स्थायी नहीं है । जगत के सुख तो ऐसे हैं जैसे मृगतृष्णा ।जैसे रेगिस्तान में हिरन , रेत की चमक को पानी समझकर अपनी प्यास बुझाने के लिए उसके पीछे भागता है , उसकी प्यास तो नहीं बुझती परन्तु भागते – भागते अचेत होकर गिर पड़ता है और अपने प्राण दे देता है , इसी तरह से हम मोह , ममय और कामनाओं के जाल में फंस जाते हैं , कामनाओं की पूर्ति तो नहीं होती परंतु हमारा जीवन इसी में व्यतीत हो जाता है।
संत हमें समझाते हैं कि इस अनमोल जीवन को परमात्मा का नाम लेने में लगाओ क्योंकि परम आनंद और सुख परमात्मा के नाम में है इसलिए उसके नाम का भजन का करो और उनके चरणों के अनुरागी बनो
प्रस्तुति राकेश खुराना