भाजपा के पी एम् इन वेटिंग और वरिष्ठ पत्रकार लाल कृष्ण अडवाणी ने अपने ब्लॉग में ओसामा बिन लादेन सम्बन्धी पाकिस्तान के न्यायिक आयोग की मीडिया में लीक हुई गोपनीय रिपोर्ट के आधार पर सीमा अधिकारियों की अकुशलता +शासन +प्रशासन की मिली भगत,+अमेरिकी और आई एस आई के सहयोग + सबंधों को उजागर किया है| प्रस्तुत है सीधे एल के अडवाणी के ब्लाग से :
वह मई, 2011 की शुरुआत थी जब सील टीम सिक्स (SEAL TEAM SIX) के रेड स्क्वाड्रन के चुनींदा 24 जवानों ने पाकिस्तान के एबटावाद स्थित ठिकाने पर धावा बोला था जहां अनेक वर्षों से ओसामा बिन लादेन छुपा हुआ था।
उपरोक्त घटना को, पाकिस्तान में सन् 1971, जब न केवल पाकिस्तान को प्रमुख युध्द में औपचारिक रुप से पराजय झेलनी पड़ी अपितु पाकिस्तान के विघटन से एक नए स्वतंत्र देश-बंगलादेश का भी जन्म हुआ था-के बाद सर्वाधिक बुरे राष्ट्रीय अपमान के रुप में वर्णित किया गया।
अमेरिकी सैनिकों द्वारा ओबामा को मारे जाने के बाद पाकिस्तान सरकार ने सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठतम जज न्यायमूर्ति जावेद इकबाल की अध्यक्षता में एक चार सदस्यीय जांच आयोग गठित किया। अन्य तीन सदस्यों में अशरफ जहांगीर काजी भी शामिल थे जो कुछ वर्ष पूर्व नई दिल्ली में पाकिस्तानी उच्चायुक्त थे।
आयोग ने 336 पृष्ठों वाली अपनी रिपोर्ट पाकिस्तान के प्रधानमंत्री को 4 जनवरी, 2013 को सौंपी। उन्होंने तुरंत रिपोर्ट को ‘गुप्त‘ करार दे दिया। लेकिन 8 जुलाई को अंग्रेजी टेलीविजन अल जजीरा ने किसी प्रकार इस रिपोर्ट की एक प्रति हासिल कर प्रकाशित कर दिया। स्पष्टतया, अल जजीरा की रिपोर्ट के आधार पर दि न्यूयार्क टाइम्स, दि गार्डियन, और कुछ दूसरे पश्चिमी समाचार पत्रों ने भी रिपोर्ट का एक सारांश प्रकाशित किया। अपने ब्लॉग के नियमित पाठकों के लिए मैं दि न्यूयार्क टाइम्स की रिपोर्ट यहां प्रस्तुत कर रहा हूं। दि सन्डे गार्डियन की रेजिडेंट सम्पादक सीमा मुस्तफा द्वारा, स्टेटस्मैन (भारत) में इस रिपोर्ट को दो किश्तों में जुलाई 20 और 21 में प्रकाशित किया।
न्यूयार्क टाइम्स के लंदन स्थित डेक्लान वाल्स की यह रिपोर्ट निम्न है:
लंदन – सोमवार (8 जुलाई) को मीडिया को ‘लीक‘ की गई एक हानिकारक पाकिस्तानी सरकार की रिपोर्ट के मुताबिक ”सामूहिक अक्षमता और उपेक्षा” के चलते लगभग एक दशक तक ओसामा बिन लादेन निर्बाध रुप से पाकिस्तान में रहा।
सर्वोच्च न्यायालय के एक जज की अध्यक्षता वाले चार सदस्यीय एबटाबाद कमीशन ने देश के शीर्ष गुप्तचर अधिकारियों सहित 201 लोगों से बातचीत की और 2 मई, 2011 को अमेरिकी धावे से जुड़ी घटनाओं को जोड़ने की कोशिश की है, जिसमें अलकायदा का सरगना बिन लादेन मारा गया और पाकिस्तानी सरकार को शर्मिंदगी उठानी पड़ी।
हालांकि कमीशन की रिपोर्ट 6 मास पूर्व पूरी हो गई थी परन्तु पाकिस्तानी सरकार ने इसे दबा दिया था और पहली ‘लीक‘ प्रति सोमवार को अल जजीरा ने सार्वजनिक की।
इस प्रसारण संस्था ने 336 पृष्ठों की रिपोर्ट को अपनी वेबसाइट पर प्रकाशित किया, इसमें यह भी स्वीकारा गया कि पाकिस्तानी गुप्तचर एजेंसी के मुखिया की गवाही वाला एक पृष्ठ इसमें नहीं है जिसमें प्रतीत होता है कि अमेरिका के साथ पाकिस्तान के सुरक्षा सहयोग के तत्वों को समाहित किया गया है।
कुछ घंटे बाद ही पाकिस्तान के टेलीकॉम रेग्यूलेटर ने पाकिस्तान के भीतर अल जजीरा की बेवसाइट को देखने से बचाने हेतु ठप्प कर दिया।
कुछ मामलों में कमीशन अपेक्षाओं के अनुरुप दिखा। अपनी रिपोर्ट में इसने अफगानिस्तान के टोरा बोरा में अमेरिकी हमले के बाद 2002 के मध्य में पाकिस्तान न आए बिन लादेन को पकड़ने में पाकिस्तान की असफलता के लिए षडयंत्र के बजाय अक्षमता का सहारा लिया है।
लेकिन अन्य संदर्भों में रिपोर्ट आश्चर्यजनक रही। इसमें प्रमुख सरकारी अधिकारियों के भावात्मक संशयवाद सम्बन्धी झलक है, जो कुछ सुरक्षा अधिकारियों द्वारा चोरी-छिपे मदद करने की संभावनाओं की बात कहती है।
यह कहती है कि ”कुछ स्तरों पर मिली भगत, सहयोग और संबंध को पूरी तरह से नकारा नहीं जा सकता है”।
रिपोर्ट, बिन लादेन जिसने अमेरिकी सैनिकों के हाथों में पड़ने से पूर्व सन् 2002-2011 के बीच 6 ठिकाने बदले थे, के दौर के उसके जीवन की ललचाने वाले नये खुलासे करती है। बताया जाता है कि अनेक बार अलकायदा के मुखिया ने अपनी दाढ़ी साफ करा रखी थी और पाकिस्तान या अमेरिकी सेना के हाथों में आने से बचने के लिए ‘काऊ ब्याय हैट‘ भी पहनना जारी किया था।
एक बार उस वाहन को तेजी से चलाने के जुर्म में रोका गया था जिसमें वह बैठा था मगर पुलिस अधिकारी उसे पहचानने में असमर्थ रहे और उसे जाने दिया।
रिपोर्ट ने पाकिस्तानी अधिकारियों की खिंचाई की है कि उन्होंने देश में सेंट्रल इंटेलीजेंस एजेंसी के ऑपरेशन्स करना बंद कर दिए हैं और नाना प्रकार से अमेरिकी कार्रवाई को गैर कानूनी या अनैतिक ठहराया है। इसके अनुसार सी.आई.ए. ने प्रमुख सहायक एजेंसियों की कायदा के मुखिया की जासूसी के लिए उपयोग किया, ‘किराए के ठगों‘ को साधा और पाकिस्तानी सरकार में अपने सहयोगियों को पूरी तरह से धोखा दिया।
रिपोर्ट कहती है: ”अमेरिका ने एक अपराधिक ठग की तरह काम किया है।”
अपनी अनियंत्रित भाषा और संस्थागत दवाबों के चलते रिपोर्ट पाकिस्तान में बिन लादेन के इधर-उधर छुपने की अवधि का सर्वाधिक सम्पूर्ण अधिकारिक वर्णन और अमेरिकी नेवी सील के हमले जिसने उसकी जान ली, को प्रस्तुत करती है।
चार सदस्यीय कमीशन में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायमूर्ति जावेद इकबाल, एक सेवानिवृत पुलिस अधिकारी, एक सेवानिवृत कूटनीतिक और एक सेवानिवृत सैन्य जनरल हैं। इसकी पहली बैठक अमेरिकी हमले के दो महीने बाद जुलाई, 2011 में हुई और इसकी 52 सुनवाई हुई तथा सात बार यह इलाके में गए।
अमेरिकी अधिकारियों ने कमीशन के साथ कोई सहयोग नहीं किया और सोमवार को विदेश विभाग के प्रवक्ता जेन पास्की ने इस रिपोर्ट पर टिप्पणी करने से इंकार कर दिया। पाकिस्तान के घटनाक्रम पर नजर रखने वाले एक वरिष्ठ अमेरिकी अधिकारी ने कहा कि यद्यपि कमीशन की भारी भरकम रिपोर्ट पढ़ने को नहीं मिली है परन्तु उन्होंने कहा कि प्रकाशित सारांशों से प्रतीत होता है कि दस्तावेज बताते हैं कि ”पाकिस्तानी कुछ तो जानते हैं कि कैसे बिन लादेन का वहां अंत हुआ।”
कई स्थानों पर पाकिस्तानी रिपोर्ट अमेरिकीयों द्वारा लादेन को पकड़े जाने से पहले पाकिस्तानी अधिकारियों की असफलता पर कुपित होती और हताशा प्रकट करती है।
इसमें उन सीमा अधिकारियों की अकुशलता को रेखांकित किया गया है जिन्होंने उसकी एक पत्नी को ईरान जाने दिया, म्युनिसिपल अधिकारी जो उसके घर पर हो रहे असामान्य निर्माण पहचानने में असफल रहे, वे गुप्तचर अधिकारी जिन्होंने सूचनाओं को अपने पास ही रखा और उन वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों की अकुशलता का उल्लेख किया है जो ‘कर्तव्य पालन करने से वंचित रहने के गंभीर दोषी‘ पाए गए।
कमीशन ने उन सैन्य अधिकरियों से बातचीत की है जो पाकिस्तानी वायुसीमा में अमेरिकी विमानों के घुसने से बेखबर रहे और पाया कि 2 मई की रात को अमेरिकीयों द्वारा बिन लादेन के शव को विमान में ले जाने के 24 मिनट के भीतर पहले पाकिस्तानी लड़ाकू जेट फौरन रवाना हुआ।
रिपोर्ट कहती है यदि इसे विनम्रता से कहा जाए तो यह यदि अविश्वसनीय नहीं अपितु अकुशलता की स्थिति ज्यादा है तो विस्मयकारक है।
रिपोर्ट में उल्लेख है कि सेना की शक्तिशाली इंटर-सर्विस इंटेलीजेंस निदेशालय ”ओबीएल को पकड़ने में पूर्णतया असफल” रहा है और इसमें तत्कालीन खुफिया एजेंसी के मुखिया लेफ्टिनेंट जनरल अहमद शुजा पाशा की विस्तृत गवाही भी है।
osama-compoundकमीशन रेखांकित करता है कि कैसे आई.एस.आई. अधिकांशतया नागरिक नियंत्रण से बाहर ही ऑपरेट करती है। बदले में जनरल पाशा उत्तर देते हैं कि सी.आई.ए. ने सन् 2001 के बाद बिन लादेन के बारे में सिर्फ असंबध्द गुप्तचर सूचनाएं ही सांझा की। रिपोर्ट में लिखा है कि एबटाबाद पर धावा करने से पूर्व अमेरिकीयों ने बिन लादेन के चार शहरों-सरगोधा, लाहौर, सियालकोट और गिलगिट में होने की गलत सूचना दी।
जनरल पाशा को उदृत किया गया है कि ”अमेरिकी अहंकार की कोई सीमा नहीं है”। साथ ही साथ यह कि ”पाकिस्तान एक असफल राष्ट्र था, यहां तक कि हम अभी भी एक असफल राष्ट्र नहीं हैं”। अल जजीरा द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में गायब गवाही सम्बन्धी पृष्ठ जनरल पाशा की गवाही से सम्बन्धित हैं। अपनी बेवसाइट पर अल जजीरा लिखता है कि संदर्भ की जांच से यह लगता है कि गायब सामग्री देश के सैन्य नेता जनरल परवेज मुशर्रफ द्वारा ”सितम्बर 2001 के आतंकवादी हमलों के बाद अमेरिका से की गई सात मांगों की सूची है।
पाकिस्तानी सरकारी अधिकारियों ने अल जजीरा की रिपोर्ट की सत्यता पर कोई टिप्पणी नहीं की है।
सोमवार को भी, दि एसोसिएटिड प्रेस ने प्रकाशित किया है कि अमेरिका के स्टेट्स स्पेशल ऑपरेशन के शीर्ष कमांडर ने आदेश दिए कि बिन लादेन पर हमले सम्बन्धी सैन्य फाईलें रक्षा विभाग के कम्प्यूटरों से साफ कर दी जाएं और सी.आई.ए. को भेज दीं जहां उन्हें ज्यादा आसानी से जनता की नजरों से बचाया जा सकता है।
वाशिंगटन से इरिक सम्मिट ने इस हेतु सहयोग किया
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ओसामा बिन लादेन सम्बन्धी न्यायिक आयोग ने गैर कानूनी संबंधों को उजागर किया :सीधे एल के अडवाणी के ब्लाग से
ऊनों[ Wool] के आयात के लिए सेनिटरी इम्पोर्ट परमिट’ की अनिवार्यता समाप्त
ऊनों[ Wool] के आयात के लिए अनापत्तिप्रमाण पत्र लेने की अनिवार्यता समाप्त होने से ऊन आयातकों की समस्या दूर हुर्इ
केन्द्रीय वस्त्र मंत्री डॉ. के. एस. राव ने केन्द्रीय कृषिमंत्री शरद पवार से मुलाकात करके संगरोध (क्वारेनटाइन) के मुद्दे को लेकर पिछले तीन वर्षों से चली आ रही ऊन आयातकों की समस्या को दूर कर दिया है। इस संबंध में 18 जुलाई को पशुपालन, डेयरी, मत्स्य पालन विभाग ने स्पष्टीकरण जारी करके कुछ खास किस्म की ऊनों के आयात के लिए अनापत्तिप्रमाण पत्र लेने की अनिवार्यता समाप्त कर दी है। इस संबंध में विभिन्न बंदरगाहों के संगरोध एवं प्रामाणीकरण विभागों को भी सूचित कर दिया गया है।
ऊन आयातकों के सामने संगरोध के मुद्दे को लेकर ऊन की कुछ किस्मों के आयात के मामले में पिछले तीन वर्ष से समस्याएं बनी हुई थी, जिस कारण वह ऊन आयात करके न तो वे उस ऊन का मूल्य संवर्द्धन कर पा रहे थे और न ही ऊन का निर्यात। संगरोध का मुद्दा आयातित उत्पादों के साफ-सुथरे और किटाणुविहीन होने से जुड़ा होता है। ऊन की जिन किस्मों को ”सेनिटरी इम्पोर्ट परमिट” (एसआईपी) की आवश्यकता से मुक्त किया गया है उनकी जानकारी कृषिमंत्रालय के पशुपालन, डेयरी और मत्स्य पालन विभाग से ली जा सकती है।
डॉ. राव ने इस समस्या को अतिशीघ्र सुलझा देने के लिए श्री शरद पवार की सराहना की और कहा किइससे वांछित ऊन के आयात के बाद ऊनी परिधानों और ऊन उत्पादों के निर्यात को बढ़ावा मिलेगा।
जेट एयरवेज द्वारा इत्तेहाद को हीथ्रो एयर पोर्ट पर पार्किंग स्लॉट बेचे जाने का चौ. अजित सिंह ने समर्थन किया
जेट एयरवेज द्वारा इत्तेहाद को हीथ्रो एयर पोर्ट के अपने पार्किंग स्लॉट बेचे जाने का चौ. अजित सिंह ने समर्थन किया
केन्द्रीय नागर विमानन मंत्रालय ने लंदन के हीथ्रो हवाई अड्डे पर जेट एयरवेज द्वारा अपने कुछ स्लॉट इत्तेहाद एयरवेज को बेचे जाने के मामले को लेकर उठे विवाद पर स्पष्टीकरण देते हुए कहा है कि इसमें कोई गलती नहीं हुई है।
मंत्रालय ने कहा है कि हीथ्रो हवाई अड्डे पर जेट एयरवेज ने अपने स्लॉट इत्तेहाद को बेचकर किसी तरह के नियमों का उल्लंघन नहीं किया है, क्योंकि इसके लिए उसे भारत सरकार की ओर से किसी तरह की अनुमति लेने की जरूरत नहीं है।
सरकार की ओर से घरेलू एयरलाईंस को स्लॉट आवंटित किया जाना तथा विदेशी एयरपोर्ट पर स्लॉट मिलना दो अलग बाते हैं। मंत्रालय ने कहा है कि जेट ने हीथ्रो एयरपोर्ट पर इत्तेहाद को जो स्लॉट बेचे हैं, वह उसे हीथ्रो एयरपोर्ट को-आर्डिनेशन लिमिटेड की ओर से आवंटित किये गये थे जिन्हें दो वर्षों के बाद किसी अन्य एयरलाइंस को बेचने का अधिकार उसे स्वत: मिल गया था। हीथ्रो की ओर से जो स्लॉट दिये जाते हैं वे किसी भी एयरलाइंस के लिए समय और उपलब्धता के आधार पर सुविधाजनक या असुविधाजनक हो सकते हैं। ऐसे में वह एयरलाइंस इसे किसी और एयरलाइंस को बेचने के लिए स्वतंत्र है, लेकिन इसके लिए उसे हीथ्रो एयरपोर्ट को-आर्डिनेशन लिमिटेड से मंजूरी लेना जरूरी है। जेट एयरवेज ने यह अनुमति लेकर ही इत्तेहाद को अपने स्लॉट बेचे हैं। जेट ने इसके लिए भारतीय रिजर्व बैंक से भी अनुमति ली है, क्योंकि स्लॉटों की बिक्री का सौदा विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम के तहत आता है।
नागर विमानन मंत्रालय ने हीथ्रो हवाई अड्डे पर एयरलाइंस की ओर से पिछले 12 सालों में की गई स्लॉट बिक्री के आंकड़ों का हवाला देते हुए कहा है कि वर्ष 2012 में यहां 42 स्लॉटों की बिक्री हुई थी जो वर्ष 2012 में बढ़कर 526 हो गई। मंत्रालय ने कहा है कि प्राप्त जानकारी के मुताबिक जेट ने इत्तेहाद को हीथ्रो में अपने तीन जोड़े स्लॉट बेचे हैं। हीथ्रो एयरपोर्ट को-आर्डिनेशन लिमिटेड ने इसकी पुष्टि कर दी है ।
कोलम्बस के इंडिया में भी वास्को के इंडिया की तरह ही पैंठ,हाट लगती है
कोलम्बस के इंडिया में भी वास्को के इंडिया की तरह ही पैंठ,हाट लगती है
कोलम्बस के इंडिया [यूं एस ऐ] में आज कल भीषण गर्मी जारी है ।बीते दिनों पारा १०० डिग्री ऍफ़ एच से ऊपर जा चूका है ।जाहिर ऐसे में ठन्डे पानी की तलाश रहती ही है ।लेकिन रोजी रोटी के लिए महनत कशों की यहाँ भी कमी नही है अभी दो तीन दिन से आसमान से बारिश के रूप में पानी बरस रहा है लेकिन गर्मी का तापमान कुछ विशेष राहत देता नही दिख रहा इसके बावजूद भी बड़े बड़े माल के साथ ही इन बाज़ारों की रौनक भी बरकरार है ।
ऐसे बाज़ारों में सस्ता सामान मिल जाता है ।एक अमेरिकी [भारतीय ६० रुपये] डालर में घर की जरुरत पूरी हो सकती है।कुछ लोग नया सा दिखने वाला या फिर यदाकदा नया भी ले आते हैं ।उसकी कीमत उसी हिसाब से तय की जाती है।
जानकारों का कहना है कि बड़े स्टोरों में कोई माल अरसे तक नही बिकता या फिर कोई डिफेक्ट दिखाई देता है तो यहाँ डाल दिया जाता है। बहुतेरे लोग अपने पुराने सामान को अपने गैराज में सेल लगा कर बेच देते हैं जो इन बाज़ारों की शौभा बढाता है । कुछ गिनती के ऐसे भी होते हैं जिन्हें दान में कपडे वगैरह मिलते हैं सो उनके रोजगार भी भी यहाँ व्यवस्था हो जाती |आस पास के इलाकों से सब्जी फ्रूट के रूप में लाये जाने वाले गृह उत्पादों को भी मार्किट मिल ही जाती है |
वैसे यह भी बताता चलूँ कि यहाँ भी मौल भाव करते ग्राहक देखे जा सकते हैं ।इसके आलावा टूरिस्ट लोग भी यहाँ के अनुभवों को कैमरे में कैद करते दिख जाते हैं । हाँ एक अहम् बात तो रह गई अगर आपको एक डालर का कोई सामान लेना है और आप अपने वहां से आये हैं तो आपको पार्किंग के लिए मात्र पांच [भारतीय ३ ० ० रुपये]डालर देने होंगे क्या करें गंदा है पर धंदा है |
डॉ.मनमोहन सिंह ने एसोचेम की बैठक में, चालू खाता घाटे को नियंत्रित करने के लिए, प्रतिबद्धता जताई
प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने एसोचेम की 92वीं वार्षिक आम बैठक को संबोधित किया। उन्होंने समस्या के मांग पक्ष और आपूर्ति पक्ष दोनों का समाधान करके चालू खाता घाटे को नियंत्रित करने के लिए प्रतिबद्धता जताई | विश्व के प्रसिद्द अर्थ शास्त्री डॉ सिंह ने ऐसे मुद्दों को छुआ जिन्हें लेकर औद्योगिक घराने चिंतित है और ऐसे छेत्रों कि चर्चा की जहां कार्रवाई किए जाने की आवश्यकता है|उन्होंने ईमान दारी से समस्याओं को स्वीकार किया लेकिन इसके साथ ही उज्जवल अर्थ व्यवस्था का भरोसा भी दिलाया |
उन्होंने कहा कि वर्तमान में चिंता का सर्वाधिक तात्कालिक कारण विदेशी मुद्रा बाजार में हाल का उतार-चढाव है। इसमें से अधिकांश अमरीका द्वारा फेडरल रिजर्व बैंक द्वारा क्वांटिटेटिव ईजिंग थर्ड (Quantitative Easing III) को वापस लेने की संभावना को देखते हुए विश्व के बाजारों की प्रतिक्रिया के रूप में है। विकासशील बाजारों से बड़ी मात्रा में राशि हटा ली गई और तुर्की, ब्राजील तथा दक्षिण अफ्रीका सहित अनेक विकासशील देशों की मुद्राओं की कीमतों में गिरावट आई । हमने भी रूपये के विनिमय मूल्य में उल्लेखनीय गिरावट देखी है। हमारे मामले में संभवत: यह स्थिति इस कारण बिगड़ गई कि अदायगी संतुलन में हमारा चालू खाता घाटा 2012-13 में सकल घरेलू उत्पाद के 4.7 प्रतिशत के कारण बढ़ा ।
उन्होंने उपाय के रूप में सोने और पैट्रोलियम उत्पादों की मांग को कम करने की आवश्यकता पर बल दिया |
उन्होंने बताया कि सोने की मांग को नियंत्रित करने के उपाय किए गए हैं जिनके सकर्ताअमक नतीजे प्राप्त हुए हैं लेकिन पैट्रोलियम उत्पादों के छेत्रों में किये प्रयास अभी आशाजनक परिणाम नही दे पाए हैं क्योंकि अमेरिकी डॉलर के मुकाबिले भारतीय रुपये की कीमत गिरी है|हमने पिछले साल पैट्रोलियम उत्पादों की कीमतों को सही करने की प्रक्रिया शुरू की थी। डीजल की कीमतों में धीरे-धीरे हो रहे सुधार ने कम वसूलियों के अंतर को लगभग 13 रूपया प्रति लीटर से घटाकर 2 रूपये प्रति लीटर ला दिया है। दुर्भाग्य से इस उपलब्धि के कुछ अंश को रूपये के मूल्य में गिरावट ने निरस्त कर दिया है। तथापि, कम वसूलियों को धीरे-धीरे समाप्त करने के लिए मूल्यों को समायोजित करने की हमारी नीति जारी है। जहां तक आपूर्ति का संबंध है हमें, अपने निर्यात को बढावा देने की आवश्यकता है। रूपये के मूल्य में गिरावट इसमें सहायक होगी। निस्संदेह निर्यात के आकार के रूप में इसका लाभ मिलने में समय लगेगा, लेकिन जो अनुबंध अब से किए जाएंगे, उनका निश्चित रूप से लाभ होगा। हम भी लौह-अयस्क और अन्य अयस्कों के निर्यात में बाधाओं को दूर करने का प्रयास कर रहे हैं। इनके निर्यात में पिछले एक साल के दौरान विशेष गिरावट आई है।
भारतीय रिजर्व बैंक ने रूपये के मूल्य में गिरावट को रोकने के कई उपाय किये हैं। शुरू में उसने डॉलरों को बाजार में फैंका। इससे किसी हद तक सहायता मिली। अभी हाल में उसने अल्पकालिक ब्याज दरें बढ़ाने के अन्य उपाए किए हैं। ये उपाय दीर्घकालिक ब्याज दरों में वृद्धि के संकेतक नहीं हैं। इनका उद्देश्य मुद्रा में वायदे के दबाव को रोकना है। मुझे आशा है कि एक बार इन अल्पकालिक दबावों के नियंत्रण में आने पर रिजर्व बैंक इन उपायों को वापस लेने पर भी विचार कर सकता है।
।उन्होंने नकारात्मक भावनाओं को हावी न होने देने का अनुरोध भी किया ।
Photo Caption
Dr. Man mohan Singh lighting the lamp to inaugurate the 92nd Annual General Meeting of ASSOCHAM, in New Delhi on July 19, 2013.
कच्चे तेल की कीमतों का ग्राफ १०५.७७ से बढ कर 106.46 अमरीकी डॉलर प्रति बैरल पर पहुंचा
कच्चे तेल की कीमतों के ग्राफ ने जो १०५.७७ पर कमी की झलक दिखलाई थी वह यकायक बढ कर 106.46 अमरीकी डॉलर प्रति बैरल पर जा पहुंचा अंतर्राष्ट्रीय बाजार में भारतीय बास्केट के लिए कच्चे तेल की कीमतों का ग्राफ 18.07.2013 को तेजी से बढ़कर 106.46 अमरीकी डॉलर प्रति बैरल पर जा पहुंचा
पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के अंतर्गत पेट्रोलियम नियोजन और विश्लेषण प्रकोष्ठ (पीपीएसी) द्वारा आज प्रगणित/प्रकाशित दरों के अनुसार भारत के लिए कच्चे तेल की अंतर्राष्ट्रीय कीमत, 18 जुलाई, 2013 को बढ़कर 106.46 अमरीकी डॉलर प्रति बैरल हो गई। यह कीमत पिछले कारोबारी दिवस यानी 17.07.2013 को रही कीमत 105.77 अमरीकी डॉलर प्रति बैरल के मुकाबले मामूली रूप से अधिक है।
रूपये के संदर्भ में भी कच्चे तेल की कीमत 18.07.2013 को बढ़कर 6356.73 रुपए प्रति बैरल हो गई, जो 17.07.2013 को 6278.51 रुपए प्रति बैरल थी। ऐसा डॉलर के मूल्य में वृद्धि और रूपये के अवमूल्यन के कारण हुआ। 18.07.2013 को रूपये/डॉलर की विनिमय दर 59.71 रुपए/अमरीकी डॉलर थी, जबकि 17.07.2013 को यह दर 59.36 रुपए/अमरीकी डॉलर थी।
इस संबंध में विस्तृत ब्यौरा नीचे तालिका में दिया गया है :-
विवरण
इकाई
18 जुलाई, 2013
(पिछला कारोबारी दिन अर्थात 17.07.2013)
पिछला पखवाड़ा जुलाई 01-15, 2013
(इससे पहले का पखवाड़ा 16-30, जून 2013)
कच्चा तेल
(भारतीय बास्केट)
डॉलर/बैरल
106.46 (105.77)
103.73 (101.24)
रूपये/बैरल
6356.73 (6278.51)
6222.76 (6009.61)
विनिमय दर
रूपये/डॉलर
59.71 (59.36)
59.99 (59.36)
अफोर्डेबल केयर एक्ट से साड़े आठ मिलियन अमेरिकन्स को स्वास्थ्य बीमा कंपनियों से रिफंड का सुखद अनुभव
अफोर्डेबल केयर एक्ट के लागू होने से मिलियंस अमेरिकन्स को रिफंड का सुखद अनुभव
वहनयोग्य केयर एक्ट [Affordable Care Act,] के लागू होने से अमेरिका में इस वर्ष ८.५ मिलियन उपभोक्ताओं को उनकी हेल्थ इन्शुरन्स कंपनियों[ health insurance companies ] द्वारा रिफंड दिया जाएगा | इस अफोर्डेबल केयर एक्ट के अनुसार अगर स्वास्थ्य बीमा कंपनी अपने उपभोक्ता के स्वास्थ्य पर उनके प्रीमियम का ८०% खर्च नहीं करती तो ऐसे कंपनियों द्वारा अपने उपभोक्ताओं को कुछ रिफंड दिया जाना आवश्यक है|
प्रेजिडेंट बराक ओबामा ने व्हाईट हाउस के ईस्ट रूम में बताया कि बीते वर्ष मिलियंस अमेरिकंस ने जब अपनी बीमे कंपनियों से प्राप्त पत्र को खोला तो उसमे डराने वाले किश्त बिल के बजाय आश्चर्यजनक सुख प्रदान करने वाले रिफंड के चेक मिले | उन्होंने बताया कि २०१२ में ५० राज्यों में १३ मिलियन रिबटेस आई|इस वर्ष भी साड़े आठ मिलियन रिबटेस आ रही हैं| यह रिबटेस लगभग १०० डॉलर्स की होगी|ओबामा ने कहा कि अफोर्डेबल केयर एक्ट का मुख्य उद्देश्य स्वास्थ्य बीमा कंपनियों को उत्तरदाई बनाना और उपभोक्ताओं के लिए बेहतर सेवाए सुनिश्चित कराना है |
व्हाईट हाउस की एक ब्लॉगर मगन स्लैक[ Megan Slack ] ने भी अपने ब्लॉग के माध्यम से रिफंड पाने वाली एक ऎसी ही महिला की प्रतिक्रया व्यक्त की है| मेरीलैंड की मॉर्गन को जब उनकी स्वास्थ्य बीमा कंपनी से पहली बार रिफंड का चेक मिला तो मॉर्गन ने कहा कि अब लग रहा है कि किसी को उनके डॉलर्स के प्रति जिम्मेदार बनाया गया है|
courtsey
WhiteHouse
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