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Tag: पूजनीय स्वामी सत्यानन्द जी महाराज

राम नाम का धन ही परलोक में भी मनुष्य के साथ जाता है

राम नाम की पूँजी मुक्ति का आधार

पूँजी राम नाम की पाइए. पाथेय साथ नाम ले जाइये
नशे जन्म मरण का खटका, रहे राम भक्त नहीं अटका.

भाव : संतजन हमें समझाते हुए कहते हैं कि मनुष्य को इस जीवन में राम नाम का धन एकत्र करना चाहिए क्योंकि केवल यही धन ऐसा है जो परलोक में भी मनुष्य के साथ जाता है इसके सिवाय कोई और सांसारिक वस्तु साथ नहीं जाती . जिस मनुष्य के पास राम नाम की पूँजी है उसे जीवन मृत्यु के आवागमन का संशय नहीं रहता . तथा मुक्ति मार्ग में आने वाली विघ्न- बाधाएँ परमात्मा की कृपा से समाप्त हो जाती हैं .
पूजनीय स्वामी सत्यानन्द जी महाराज द्वारा रचित अमृतवाणी का एक अंश
प्रस्तुति राकेश खुराना

नाम का जाप करो और उसके अर्थ की भावना में लीन हो जाओ -यह मन्त्र – योग की विधि है

यथा वृक्ष भी बीज से , जल – रज ऋतु – संयोग ।
पा कर, विकसे क्रम से , त्यों मन्त्र से योग ।

श्री स्वामी सत्यानन्द जी महाराज द्वारा रचित अमृत वाणी का एक अंश
प्रस्तुती राकेश खुराना

भाव : जिस प्रकार बीज- जल , मिट्टी और अनुकूल मौसम के सहयोग (मेल ) से धीरे – धीरे वृक्ष बन जाता है , उसी प्रकार मन्त्र – जाप से निरंतर आध्यात्मिक प्रगति होती रहती है।
मन्त्र योग : ऐसी पद्धति , जो मन्त्र की साधना से भगवद मिलन करा दे ।
धारणा , ध्यान और समाधि तीनों का मन्त्र से योग मन्त्र – योग कहलाता है । नाम का जाप करो और उसके अर्थ की भावना में लीन हो जाओ -यह मन्त्र – योग की विधि है ।
श्री स्वामी सत्यानन्द जी महाराज द्वारा रचित अमृत वाणी का एक अंश
प्रस्तुती राकेश खुराना

स्वामी सत्यानन्द जी महाराज ने राम नाम का दीपक दसों दिशाओं में जलाया

संत शिरोमणि इस युग के युगावतार, वन्दनीय; प्रातः कालीन पूजनीय स्वामी सत्यानन्द जी महाराज के निर्वाण दिवस के अवसर पर श्री शक्तिधाम मंदिर, लाल कुर्ती, मेरठ में विशेष श्रधांजलि सभा का आयोजन किया गया|पूजनीय स्वामी सत्यानन्द जी महाराज को श्रधांजलि देने के लिए भारी संख्या में श्रधालुजन मंदिर में एकत्र हुए।

पूज्य भगत नीरज मणि ऋषि जी


पूज्यश्री भगत नीरज मणि ऋषि जी ने अमृत प्रवचनों की वर्षा करते स्वामी जी के जीवन एवं उनके तप का वर्णन किया। उनहोंने बताया की स्वामी जी का जीवन बहुत ही सरल था। उन्हों कई ग्रन्थ भी लिखे जिन्हें श्रधालुजन बड़ी श्रधा एवं प्रेम से पढ़ते हैं तथा धर्मलाभ उठाते हैं|उन्होंने बताया कि ऐसे बहुत कम संत हैं जिन्हें सीधे ईश्वर दरबार से राम नाम का प्रशाद मिला। स्वामी जी ने इस राम नाम का दीपक दसों दिशाओं में जलाया स्वामी सत्यानन्द जी महाराज द्वारा रचित अमृतवाणी का पावन पाठ पूज्यश्री भगत नीरज मणि ऋषि जी के श्री मुख से हुआ। तथा स्वामी जी द्वारा लिखे गए भजनों का गायन भी किया गया।