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बसपा सुप्रीमो माया वती ने आतंकवाद से लड़ने के लिए संसद में सरकार को तीन सूत्र सुझाये

बहुजन समाजवादी पार्टी[B S P ] सुप्रीमो माया वती[राज्य सभा] ने आज संसद में चल रही बहस में हिस्सा लेते हुए आतंक वाद से लड़ने के लिए केंद्र सरकार को ३ सूत्रीय सुझाव दिए| उन्होंने कहा की आतंक वाद से लड़ाई को केवल राज्यों के भरोसे नही छोड़ा जा सकता |इस छेत्र में राज्यों के पास सीमित जानकारी होती है ऐसे में तत्काल कार्यवाही नहीं हो पाती| अत आतंक वाद से लड़ाई के लिए केंद्र को अधिक जिम्मेदारी लेनी होगी|उन्होंने कहा कि सूचना तंत्र को मजबूत करके आतंक वादियों के ग्रुप +उनके ठिकाने और उनके समर्थकों के खिलाफ यौजना बद्द तरीके से कमर तोड़ने वाली कार्यवाही करने होगी इसके लिए पूरा सदन सरकार के साथ है|

नगर के विकास के बजाये चार विरोधियों पर निशाना साध गए नगर विकास मंत्री आज़म खान

[ मेरठ ] उत्तर प्रदेश के आदमकद नगर विकास मंत्री मो. आजम खां मेरठ में आये तो थे कन्या धन बांटने लेकिन उन्होंने अपनी आदत के अनुसार व्यंग बाण छोड़ कर एक साथ चार चार राजनीतिक विरोधियों को निशाना बना दिया|जाहिर है इससे यह कार्यक्रम सरकारी कम और सत्ता रूड सपा का चुनावी अभियान ज्यादा दिखाई दिया | इस विजिट में केवल सपा पार्टी के नेता और कार्यकर्ताओं का जमावाडा रहा |नगर विकास मंत्री के समक्ष नगर के विकास के लिए कोई यौजना रखने के लिए भाजपा के मेयर हरिकांत अहलुवालिया और सपा के ही आज़म विरोधी शाहीद मंजूर भी नहीं आये|

नगर के विकास के बजाये चार विरोधियों पर निशाना साध गए नगर विकास मंत्री आज़म खान


[१] अपनी आदत के अनुसार और पार्टी लाइन के अंतर्गत मंत्री आज़म खान ने अपने धुर्र राजनीतिक विरोधी रालोद के सुप्रीमो चौधरी अजित सिंह पर चुटकी लेते हुए कहा कि अगर एक जहाज़ के खरीद में कमीशन नही ली जाये तो उसके पैसे से मेरठ में हवाई पट्टी के विस्तार के लिए जमें ली जा सकती है|उन्होंने अपने राजनितिक विरोधी की नियत पर सवाल उठाते हुए पूछा कि केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री बताएं कि जब एयरपोर्ट अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एएआइ) की महायोजना-2021 में मेरठ एयरपोर्ट का प्रस्ताव संशोधित हो चुका है। 427 एकड़ जमीन के बजाय 433 एकड़ जमीन अतिरिक्त रूप से महायोजना में संशोधित की गई है तो ऐसा कौन सा कारण है कि अभी तक केंद्र सरकार से इस जमीन के अधिग्रहण के लिए किसानों को मुआवजा देने के लिए पैसा नही मांगा गया है।
पत्रकार वार्ता में आजम ने यह दावा किया कि वह चाहते हैं कि मेरठ में एयरपोर्ट बने।लेकिन बागपत-सिवालखास के सांसद होने के नाते केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री चौधरी अजित सिंह का दायित्व है कि वह सच्चे अर्थों में पहल करें और 433 एकड़ जमीन के अधिग्रहण के लिए मुआवजे की व्यवस्था हेतु केंद्र सरकार को एक पत्र भेजें पर वह[अजित सिंह] लोस चुनाव को ध्यान में रखकर मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर फ्री में जमीन देने की बात कर रहे हैं। मेरठ की मौजूदा हवाई पट्टी पर 133 एकड़ जमीन का अधिग्रहण हो चुका है। अब अजित कह रहे है कि घरेलू उड़ान के लिए पहले यह जमीन प्रदेश सरकार दे दे और बाद में वह 433 एकड़ जमीन की बात करेंगे। सवाल उठता है कि जब 433 एकड़ जमीन का अधिग्रहण होगा तो किसानों को मुआवजे का भुगतान कौन देगा। ऐसी भी बात अजित सिंह प्रदेश के छह ओर एयरपोर्ट की कर रहे है। मेरठ में तो वह हैदराबाद व तमिलनाडु की तरह 600 करोड़ की लागत से विमान रखरखाव, मरम्मत एवं ओवर हॉल (एमआरओ) सेवा भी मुहैया कराने को आतुर है। ऐसे में सवाल उठता है कि अगर केंद्र उनको जमीन का पैसा नही दे रही है तो क्यों वह अपने मंत्रालय से पैसे की व्यवस्था नही करते हैं। वैसे

भी विमानों में होने वाला घोटाला किसी से छिपा नहीं है

यदि अजित सिंह चाहे तो यह घोटाला बंद करके मेरठ एयरपोर्ट स्थापित कर सकते है। बहरहाल, कुशीनगर व आगरा में प्रदेश सरकार अपने बलबूते प्राइवेट पब्लिक पार्टनरशिप आधार पर एयरपोर्ट की स्थापना करा रही है। मेरठ पर अभी तक कोई निर्णय नही लिया गया है।
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पूर्व मुख्य मंत्री और प्रदेश में दूसरी राजनीतिक प्रतिस्पर्द्धी बसपा सुप्रीमो पूर्व मुख्य मंत्री मायावती

पर बाण चलते हुए उन्होंने लाभार्थी कन्यायों से कह डाला कि कुछ भी बनना मायावती नहीं बनना |
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आज़म खान से विद्रोह कर चुके कमेला चर्चित हाजी याकूब कुरेशी

के विषय में उन्होंने कहा कि मै हाजी नमाजियों से बेहद डरता हूँ लेकिन ये कमेले वाला हाजी कैसे उसे नमाजी कहो
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आज़म खान के पार्टी में ही विरोध का झंडा बुलंद करने वाले सपा के नेता और मंत्री शाहिद मंज़ूर

मंच पर नज़र नहीं आये सूत्रों की माने तो शाहिद को समारोह से बाहर रखा गया था
इसके आलावा भाजपा ,बसपा आदि दलों ने भी दूरी बनाए रखी

मायावती के खिलाफ ताज कोरिडोर मामले पर नहीं बनता कोई मुकद्दमा: इलाहाबाद उच्च न्यायालय

बसपा सुप्रीमो मायावती को बड़ी राहत प्रदान करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को ताज कॉरिडोर मामले में उनके खिलाफ याचिकाएं खारिज कर दीं।
अदालत की लखनऊ पीठ ने उनके कैबिनेट सहयोगी नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ भी याचिकाओं को खारिज कर दिया।
अदालत द्वारा 74 पन्नों का फैसला दिए जाने के बाद वरिष्ठ वकील सतीश चन्द्र मिश्र ने कहा कि कोर्ट ने मैरिट पर इस केस को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व में दिए गए फैसलों की भी जानकारी ली और इसके बाद यह फैसला सुनाया है। उन्होंने इस फैसले को मायावती के लिए बड़ी राहत बताया।मिश्र ने बताया कि गवर्नर द्वारा पूर्व में ही इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ मामला चलाए जाने की अनुमति नहीं दी गई थी यह इस बात का प्रमाण था कि इस मामले में उनका कोई कसूर नहीं है। इस मामले से जुड़ी फाइलों को कभी भी मायावती के सामने स्वीकृति के लिए लाया ही नहीं गया था, क्योंकि यह एक रुटिन मैटर था जिसको मुख्यमंत्री की स्वीकृति की जरुरत महसूस नहीं की गई।

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उन्होंने कहा कि मिशन मैनेजमेंट बोर्ड ने बीजेपी की सरकार में ताज कॉरिडोर के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। उस वक्त प्रदेश में राजनाथ सिंह मुख्यमंत्री थे। लिहाजा इस मामले में यदि कोई आरोपी बनता है तो वह उस वक्त के मुख्यमंत्री बन सकते हैं। गौरतलब है कि इस मामले में सीबीआई की स्थानीय विशेष अदालत ने मायावती तथा नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ तत्कालीन राज्यपाल द्वारा मुकदमा चलाने की स्वीकृति नहीं दिए जाने के कारण अभियोजन की कार्यवाही समाप्त कर दी थी। इसके खिलाफ वर्ष 2009 में छह जनहित याचिकाएं दायर कर इस फैसले को चुनौती दी गई थी। इन सभी छह याचिकाओं पर सुनवाई 12 सितंबर को सुनवाई की गई थी, जिसके बाद आज इस मामले में मायावती को बड़ी राहत प्रदान कर दी गई है । 12 सितम्बर को लखनऊ खंड पीठ ने मायावती एवं नसीमुद्दीन सिद्दीकी पर आपराधिक मामले की कार्यवाही शुरू करने का निर्देश देने हेतु दायर जनहित याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बैंच में न्यायमूर्ति इम्तियाज मुर्तजा और न्यायमूर्ति अनी कुमार सिंह की खंडपीठ के समक्ष मंगलवार 11 सितंबर को इस मामले में याचिकाकर्ताओं की तरफ से उच्चतम न्यायालय की वरिष्ठ अधिवक्ता कामिनी जायसवाल ने बहस की थी वहीं, मायावती तथा अन्य पक्षकारों की तरफ से वरिष्ठ वकील सतीश चन्द्र मिश्र अधिवक्ताओं की टीम के साथ पेश हुए। न्यायाधीश इम्तियाज मुर्तजा और अश्विनी कुमार सिंह की इस पीठ ने आदेश जारी करते हुए कहा कि याचिकाओं में कोई दम नहीं है और इसीलिए उन्हें खारिज किया जाता हैं।

केस हिस्टरी

बताते चलें कि
साल 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने ताज की खूबसूरती बढ़ाने के नाम पर 175 करोड़ रुपए की परियोजनाएं लॉन्‍च कर दी. आरोप लगा कि पर्यावरण मंत्रालय से हरी झंडी मिले बगैर ही सरकारी खज़ाने से 17 करोड़ रुपए जारी भी कर दिए गए.2003 में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को पड़ताल करने के आदेश दिए. 2007 में सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल कर दी.सीबीआई की चार्जशीट में मायावती और नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ फर्जीवाड़े के गंभीर आरोप लगाए गए लेकिन जैसे ही मायावती सत्ता में वापस आईं, तत्कालीन राज्यपाल टीवी राजेश्वर ने इस केस में मुकदमा चलाने की इजाजत देने से मना कर दिया और सीबीआई की विशेष अदालत में चल रही कार्यवाही ठप्प हो गई.|