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Tag: सी बी आई

मायावती के खिलाफ ताज कोरिडोर मामले पर नहीं बनता कोई मुकद्दमा: इलाहाबाद उच्च न्यायालय

बसपा सुप्रीमो मायावती को बड़ी राहत प्रदान करते हुए इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सोमवार को ताज कॉरिडोर मामले में उनके खिलाफ याचिकाएं खारिज कर दीं।
अदालत की लखनऊ पीठ ने उनके कैबिनेट सहयोगी नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ भी याचिकाओं को खारिज कर दिया।
अदालत द्वारा 74 पन्नों का फैसला दिए जाने के बाद वरिष्ठ वकील सतीश चन्द्र मिश्र ने कहा कि कोर्ट ने मैरिट पर इस केस को खारिज कर दिया है। उन्होंने कहा कि सुनवाई के दौरान कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट द्वारा पूर्व में दिए गए फैसलों की भी जानकारी ली और इसके बाद यह फैसला सुनाया है। उन्होंने इस फैसले को मायावती के लिए बड़ी राहत बताया।मिश्र ने बताया कि गवर्नर द्वारा पूर्व में ही इस मामले में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के खिलाफ मामला चलाए जाने की अनुमति नहीं दी गई थी यह इस बात का प्रमाण था कि इस मामले में उनका कोई कसूर नहीं है। इस मामले से जुड़ी फाइलों को कभी भी मायावती के सामने स्वीकृति के लिए लाया ही नहीं गया था, क्योंकि यह एक रुटिन मैटर था जिसको मुख्यमंत्री की स्वीकृति की जरुरत महसूस नहीं की गई।

Wah Maya Wah Taj

उन्होंने कहा कि मिशन मैनेजमेंट बोर्ड ने बीजेपी की सरकार में ताज कॉरिडोर के प्रस्ताव को मंजूरी दी थी। उस वक्त प्रदेश में राजनाथ सिंह मुख्यमंत्री थे। लिहाजा इस मामले में यदि कोई आरोपी बनता है तो वह उस वक्त के मुख्यमंत्री बन सकते हैं। गौरतलब है कि इस मामले में सीबीआई की स्थानीय विशेष अदालत ने मायावती तथा नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ तत्कालीन राज्यपाल द्वारा मुकदमा चलाने की स्वीकृति नहीं दिए जाने के कारण अभियोजन की कार्यवाही समाप्त कर दी थी। इसके खिलाफ वर्ष 2009 में छह जनहित याचिकाएं दायर कर इस फैसले को चुनौती दी गई थी। इन सभी छह याचिकाओं पर सुनवाई 12 सितंबर को सुनवाई की गई थी, जिसके बाद आज इस मामले में मायावती को बड़ी राहत प्रदान कर दी गई है । 12 सितम्बर को लखनऊ खंड पीठ ने मायावती एवं नसीमुद्दीन सिद्दीकी पर आपराधिक मामले की कार्यवाही शुरू करने का निर्देश देने हेतु दायर जनहित याचिकाओं पर अपना फैसला सुरक्षित कर लिया था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट की लखनऊ बैंच में न्यायमूर्ति इम्तियाज मुर्तजा और न्यायमूर्ति अनी कुमार सिंह की खंडपीठ के समक्ष मंगलवार 11 सितंबर को इस मामले में याचिकाकर्ताओं की तरफ से उच्चतम न्यायालय की वरिष्ठ अधिवक्ता कामिनी जायसवाल ने बहस की थी वहीं, मायावती तथा अन्य पक्षकारों की तरफ से वरिष्ठ वकील सतीश चन्द्र मिश्र अधिवक्ताओं की टीम के साथ पेश हुए। न्यायाधीश इम्तियाज मुर्तजा और अश्विनी कुमार सिंह की इस पीठ ने आदेश जारी करते हुए कहा कि याचिकाओं में कोई दम नहीं है और इसीलिए उन्हें खारिज किया जाता हैं।

केस हिस्टरी

बताते चलें कि
साल 2002 में तत्कालीन मुख्यमंत्री मायावती ने ताज की खूबसूरती बढ़ाने के नाम पर 175 करोड़ रुपए की परियोजनाएं लॉन्‍च कर दी. आरोप लगा कि पर्यावरण मंत्रालय से हरी झंडी मिले बगैर ही सरकारी खज़ाने से 17 करोड़ रुपए जारी भी कर दिए गए.2003 में सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को पड़ताल करने के आदेश दिए. 2007 में सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल कर दी.सीबीआई की चार्जशीट में मायावती और नसीमुद्दीन सिद्दीकी के खिलाफ फर्जीवाड़े के गंभीर आरोप लगाए गए लेकिन जैसे ही मायावती सत्ता में वापस आईं, तत्कालीन राज्यपाल टीवी राजेश्वर ने इस केस में मुकदमा चलाने की इजाजत देने से मना कर दिया और सीबीआई की विशेष अदालत में चल रही कार्यवाही ठप्प हो गई.|

हमने सी बी आई के अफसरों के खिलाफ इन्क्वायरी सेटअप करा देनी है


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

एक भाजपाई चीयर लीडर

ओये झल्लेया देखा हसाडे अध्यक्ष जी का कमाल उन्होंने सहारनपुर में एलान कर दिया है कि सी बी आई आये दिन नेताओं को ब्लैक मेल करके केंद्र की भ्रष्ट सरकार को बचा रही है | ऐसी सी बी आई का पर्दाफाश किया जाएगा| ओये हसाडी सरकार बनाते ही हमने इस सी बी आई के अफसरों के खिलाफ इन्क्वायरी सेटअप करा देनी है|सब कुछ सेट कर देना है|

हमने सी बी आई के अफसरों के खिलाफ इन्क्वायरी सेटअप करा देनी है

झल्ला

मेरे भोले शाह जी बुजुर्ग फरमा गए हैं कि थुक्कान[थूक] से पकोड़े नहीं तला करते|आप कि सरकार तो जब आयेगी तब आयेगी मगर अभी तो केंद्र का घुस्सन्न [घूँसा]सामने ही है|इसीलिए महाशय जी माया+मुलायम+एम्. करुनानिद्धि+लालू प्रसाद यादव+ बी एस येदुयारप्पा+जगन मोहन रेड्डी आदि आदि में से कोई भी आपके झांसे में नहीं आने वाला |आपने जुबानी धमकी दी और इन सी बी आई पीड़ितों ने भी ज़ुबानी धमकी दे डाली है|इन धमकियों को एक्शन में तब्दील कोई नहीं करने जा रहा

राहुल गांधी पर बलात्कार का आरोप विदेशी साजिश का हिस्सा :सी बी आई

कांग्रेस महासचिव और भावी प्रधान मंत्री के संभावित उम्मीदवार राहुल गांधी ने सोमवार को अपने ऊपर लागाये जी रहे बलात्कार के आरोपों पर चुप्पी तोड़ते हुए सर्वोच्च न्यायालय से कहा कि उन पर लगाया गया यह आरोप कि अपने अमेठी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में उन्होंने एक महिला के साथ बलात्कार किया, उन्हें बदनाम करने की एक कुटिल राजनीतिक साजिश है.
सर्वोच्च न्यायालय में उनकी ओर से पेश वकील पी.पी. राव ने न्यायमूर्ति बी.एस. चौहान और न्यायमूर्ति स्वतंत्र कुमार की खंडपीठ से कहा कि देश के होनहार युवा नेता को बदनाम करने की कुटिल राजनीतिक साजिश का यह मामला है| गौरतलब है कि एसपी के पूर्व विधायक किशोर समरीते ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में राहुल गांधी पर कथित रूप से लड़की को बंधक बनाने में शामिल होने के आरोप लगाते हुए याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने यह याचिका खारिज करने के साथ ही एसपी के इस नेता पर 50 लाख रुपए का जुर्माना भी किया था। इसके बाद समरीते इलाहाबाद हाई कोर्ट के इस फैसले को सुप्रीम कोर्ट में चैलेंज किया था।
समरीते ने एक वेबसाइट की खबर के आधार पर आरोप लगाया कि तीन दिसम्बर, 2006 को उत्तर प्रदेश स्थित अपने निर्वाचन क्षेत्र के दौरे के दौरान राहुल ने अपने छह मित्रों के साथ एक महिला के साथ कथित रूप से बलात्कार किया और उसे अवैध रूप से कमरे में बंद रखा|
हालांकि इलाहाबाद उच्च न्यायालय समरीते की याचिका पहले ही खारिज कर चुकी है और उनके खिलाफ केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से जांच कराने का आदेश दे चुकी है + 50 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है| सीबीआई ने कोर्ट को बताया कि कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी पर एक लड़की को बंधक बनाने के आरोप आधारहीन है और याचिका में दिए गए नाम और पते सही नहीं है।
सीबीआई की ओर से असिस्टेंट सॉलीसिटर जनरल हरेन रावल ने सीलबंद रिपोर्ट जस्टिस बीएस चौहान और जस्टिस स्वतंत्र कुमार की बेंच को सौंपी।
सीबीआई ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि राहुल गांधी को बदनाम करने के मामले में ‘विदेशी हाथ’ हो सकता है। एक लड़की को गैरकानूनी तरीके से बंधक बनाने में राहुल गांधी का नाम लिए जाने के मामले में सीबीआई ने यह बात कही। सीबीआई ने कहा है कि मामला ही फर्जी दावों पर आधारित था।
सीबीआई ने दावा किया है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट में

समाजवादी पार्टी के पूर्व विधायक किशोर समरीते को राहुल गांधी पर अनर्गल आरोप लगाने के धन मुहैया कराया गया था। एजेंसी का दावा है कि उसने कई ऐसी पर्चियां जब्त की हैं जिससे साफ है कि समरीते को वकील का फीस देने के लिए बाहर से पैसे मिले।

समरीते पहले कह चुके हैं कि राहुल पर आरोप लगाने के लिए उन्‍हें अखिलेश यादव ने कहा था। कथित लड़की और उसके माता-पिता को कोर्ट में पेश करने के निर्देश देने की मांग की थी।यूपी सरकार के रिकॉर्ड में पाया गया कि उस लड़की का नाम-पता दर्ज ही नहीं है। हाईकोर्ट ने यह याचिका खारिज कर दी। गलत याचिका दायर करने के लिए समरीते पर 50 लाख रुपए का जुर्माना भी किया था। इसके बाद मामला सुप्रीम कोर्ट पहुंचा था।

एल के आडवानी के ब्लॉग से

एन डी ऐ के सर्वोच्च नेता एल के आडवानी ने अपने ब्लॉग में सी बी आई की गिरती प्रतिष्ठा पर चिंता व्यक्त करते हुए इसकी व्यापक जाँच की मांग की है|
श्री आडवानी ने बाह्य गुप्तचर एजेंसी अनुसन्धान एवं अन्वेषण विंग [रा] के पूर्व मुखिया बी रमण के एक लेख के हावाले से लिखा है कि भारत के इंटेलीजेंस क्षेत्रों में बी. रमन एक अत्यन्त प्रतिष्ठित नाम है। वह देश की बाह्य गुप्तचर एजेंसी अनुसंधान एवं अन्वेषण विंग (RAW) के मुखिया रहे हैं। वह भारत सरकार के मंत्रिमण्डलीय सचिवालय से अतिरिक्त सचिव के पद से निवृत्त हुए।आऊटलुक वेबसाइट पर हाल ही में लिखे गए एक लेख में उन्होंने इस पर खेद प्रकट किया है कि सीबीआई से लोगों को विश्वास तेजी से नीचे गिरा है। उन्होंने अनुरोध किया है कि इस एजेंसी के कामकाज की समीक्षा हेतु एक व्यापक जांच कराई जाए और लोगों की नजरों में इस एजेंसी की प्रतिष्ठा पुन: स्थापित करने हेतु कदम उठाए जाएं।रमन ने अपने लेख में एक दिलचस्प तथ्य का उल्लेख किया है कि सन् 2010 के दिसम्बर के अंतिम सप्ताह में चीन सरकार ने,चीन में भ्रष्टाचार पर एक ‘श्वेत पत्र‘ प्रकाशित किया है, और बताया गया है कि कैसे सरकार उससे निपट रही है।पूर्व रॉ प्रमुख कहते हैं: ”यहां तक कि चीन जैसे अधिनायकवादी देश में, सरकार को यह जरुरत महसूस हुई कि वह जनता को बताए कि भ्रष्टाचार सम्बन्धी उनकी चिंताओं से वह अवगत है।भारत के एक लोकतंत्र होने जिसमें लोगों के प्रति जवाबदेही मानी जाती है, के बावजूद सरकार ने सीबीआई की सार्वजनिक आलोचना के प्रति लापरवाह रवैया अपनाया और एक संस्था का पतन होने दिया जिससे भ्रष्टाचार को फलने-फूलने की अनुमति मिली।”