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काली मिर्च पर न्यूनतम आयात मूल्य रु ५०० प्रति कि ग्रा

[नई दिल्ली]काली मिर्च पर न्यूनतम आयात मूल्य रु ५०० प्रति कि ग्रा
केन्द्रीय वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय ने काली मिर्च के न्यूनतम आयात मूल्य के रूप में प्रति किलो 500 रुपये का सीआईएफ (लागत, बीमा एवं माल भाड़ा) मूल्य तय करने संबंधी मसाला बोर्ड के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है।
पिछले एक साल में काली मिर्च के मूल्यों में लगभग 35 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है और इस वजह से काली मिर्च के उत्पादकों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ रहा है।
चूंकि ज्यादातर काली मिर्च उत्पादक देश आसियान क्षेत्र में अवस्थित हैं, इसलिए साफ्टा और आईएसएलएफटीए के तहत रियायती आयात शुल्क का लाभ उठाने के लिए इन देशों की काली मिर्च को श्रीलंका के जरिए भारत में लाए जाने की भी आशंकाए हैं। किसान संगठनों ने कठोर कदम उठाए जाने की मांग की है, जिसमें काली मिर्च का न्यूनतम आयात मूल्य (एमआईपी) तय करना भी शामिल है, ताकि अन्य देशों से भारत में काली मिर्च के सस्ते आयात पर लगाम लगाई जा सके।
न्यूनतम आयात मूल्य तय करने से खासकर ऐसे समय में घरेलू मूल्य को बेहतर करने में मदद मिलेगी जब काली मिर्च की फसल का कटाई सीजन काफी तेजी से निकट आता जा रहा है

विस्फोट के लिए तैयार किये जाने वाला अमोनियम नाइट्रेट ईंधन तेल लायसेंस से मुक्त

[नई दिल्ली ]खदानों में प्राय विस्फोट के लिए तैयार किये जाने वाला अमोनियम नाइट्रेट ईंधन तेल अब लायसेंस से मुक्त होगा
डीआईपीपी ने अमोनियम नाइट्रेट ईंधन तेल के लिए लाइसेंस नीति समाप्‍त कर दी है |
अमोनियम नाइट्रेट ईंधन तेल (एएनएफओ) विस्‍फोटक अमोनियम और ईंधन तेल के मिश्रण से तैयार किया जाता है। यह मिश्रण एल्‍यू‍मीनियम या काठ के पात्र में हाथों के द्वारा मिलाया जाता है और विस्‍फोट के लिए नजदीकी खदान या खान में बोर छेद में तुरन्‍त डाल दिया जाता है।
एएनएफओ के पारंपरिक मैन्‍यूफेक्चरिंग और प्रयोग प्रकिया में इसकी पैकेजिंग, भंडारण, विक्रय या ढुलाई शामिल नहीं है। धातुओं की खदानों/खानों में विस्‍फोट करने के लिए अपनी फौरी खपत करने के लिए एएनएफओ तैयार करने के लिए लाइसेंस लिए जाते है।
एएनएफओ तैयार करने के लिए विस्‍फोटक सामग्री अर्थात बूस्टर, सुरक्षा फ्यूज, डेटोनेटिंग फ्यूज और डेटोनेटर के लिए विस्‍फोटक नियम, 2008 के तहत लाइसेंस लिया जाता है। इसके तहत जिला अधिकारियों और खदान सुरक्षा महानिदेशक द्वारा अनापत्ति प्रमाणपत्र दिये जाते हैं। लाइसेंस धारक द्वारा विस्‍फोटक नियम, 2008 के अन्‍तर्गत जिला अधिकारियों के साथ ही पेट्रोलियम एवं विस्फोटक सुरक्षा संगठन (पीईएसओ) को भी प्रतिमाह रिटर्न दाखिल किया जाता है। इनके द्वारा अमोनियम नाइट्रेट के इस्‍तेमाल के लिए अमोनियम नाइट्रेट नियम, 2012 के तहत भी इन्‍हें मासिक रिटर्न दाखिल करनी होती है।
नवंबर 2013 में सरकार ने एएनएफओ निर्माताओं को औद्योगिक अधिनियम, 1951 के तहत औद्योगिक लाइसेंस के लिए आवेदन करने की सलाह दी। इस सलाह के जारी होने के बाद औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग को एएनएफओ निर्माण के लिए औद्योगिक लाइसेंस प्राप्‍त करने के लिए लगभग 300 अर्जियां प्राप्‍त हुई थीं, जो औद्योगिक नीति एवं संवर्धन विभाग में विचाराधीन थीं। ये अर्जियां हितधारकों को औद्योगिक (विकास एवं विनियमन) अधिनियम, 1951 के प्रावधानों के तहत लाइसेंस प्राप्‍त करने में आने वाली दिक्‍कतों को बयान कर रही थीं।
इस विचार-विमर्श के बाद केंद्र सरकार ने Lessगवर्नमेंटका निर्णय लेते हुए आईडीआर अधिनियम के तहत खान मालिकों के लिए एएनएफओ विस्‍फोटक के निर्माण के लिए लाइसेंस समाप्त कर दिया । यह निर्णय खनिज उत्‍खनन को जारी रखने के लिए एएनएफओ के इस्‍तेमाल करने के लिए खान मालिकों की मदद करेगा और सीमेंट उद्योग के साथ ही निर्माण क्षेत्र के विकास में मददगार होगा।

मोदी सरकार ने अपने पहले आम बजट में पेट्रोलियम पर राज सहायता [Subsidy ]की मीठी दवाई को कम किया

मोदी सरकार ने अपने पहले आम बजट में राज सहायता [Subsidy ]की मीठी दवाई को कम किया|पेट्रोलियम +उर्वरक+के अलावा अन्य मदों में दी जाने वाली सब्सिडी को घटाया गया है
वाणिज्‍य एवं उद्योग राज्‍यमंत्री (स्‍वतंत्र प्रभार) श्रीमती निर्मला सीतारमन ने आज लोकसभा में एक प्रश्‍न के लिखित उत्‍तर में कहा कि (क) 2014-15 के दौरान प्रमुख सब्सिडियों के लिए अंतरिम बजट में किए गए प्रावधान निम्‍नानुसार है :-
रूपये (करोड़)


2013-14 2014-15
रूपये (करोड़)
(i) उर्वरक सब्सिडी Fertilizer 67971.50 67970.30
(ii) खाद्य सब्सिडी Food – 92000.00= 115000.00
(iii) पैट्रोलियम सब्सिडी Petroleum – 85480.00 63426.95
(iv) ब्‍याज सब्सिडी Interest – 8174.85 8462.88
(v) अन्‍य सब्सिडी Other – 1889.90 847.49
उन्‍होंने यह भी कहा कि केन्‍द्र सरकार का ‘प्रमुख सब्सिडियों’ संबंधी परिव्‍यय व्‍यय (आयोजना-भिन्‍न) की प्रमुख मदों में से एक है।सरकार, आंशिक रूप से गरीब, अनुसूचित जनजातियों की सहायता को ध्‍यान में रखते हुए केन्‍दीय सब्सिडियों संबंधी व्‍यय को कम करने के लिए निरंत प्रयासरत है।
सरकार ने डीजल की कीमतों में थोड़ी-थोड़ी वृद्धि करके इसको नियंत्रण मुक्‍त किया है। इससे पैट्रोलियम सब्सिडी का बोझ कम होने की संभावना है। खाद्य सब्सिडी हेतु परिव्‍य के इष्‍टतम उपयोग एवं उर्वरक सब्सिडी को युक्ति संगत बनाने के लिए प्रशासनिक खर्च को कम करने के उपाय भी शुरू किए गए हैं। इसके अलावा आधार-मंच के प्रयोग से सब्सिडी के सीधे अंतरण की कार्यनीति से सब्सिडी खर्च में काफी अधिक बचत होगी।
photo caption
File]Smt Nirmala Seetharaman Taking Oath Of Minister Of Commerce And Industries

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हनीमून पीरियड में प्याज के आंसू रो रहे केंद्र ने एम ई पी २०० $ प्रति टन और बढ़ाई

सत्ता हनीमून अवधि में महंगाई को काबू करने को उठापठक में लगी केंद्र सरकार ने अब प्याज के निर्यात को हतोत्साहित करने के लिए प्याज की एम ई पी[MEP ] २०० $ और बढ़ाई|प्याज की न्यूनतम निर्यात मूल्यMEP ३०० $ से बढ़ा कर अब ५०० $ प्रति टन किया गया है|
सरकार ने प्याज की घरेलू आपूर्ति बढ़ाने और कीमत वृद्धि को रोकने के लिए इसके न्यूनतम निर्यात मूल्य :एमईपी: को बढ़ाकर 500 डॉलर प्रति टन कर दिया है।
पिछले महीने प्याज का न्यूनतम निर्यात मूल्य :एमईपी: को 300 डॉलर प्रति टन किया गया था, जबकि इससे ठीक तीन महीने पहले पूर्ववर्ती सरकार ने मार्च में इसे हटा दिया था। एमईपी वह दर से है जिस दर से नीचे निर्यात करने की अनुमति नहीं होती।
प्याज के निर्यात तथा बढ़ती कीमत पर अंकुश लगाने के लिये सरकार द्वारा की गई इस बढ़ोतरी का मतलब है कि देश से 30 रुपये प्रति किलो से कम कीमत पर प्याज के निर्यात की अनुमति नहीं दी जाएगी।
गौरतलब है कि घरेलू बाजार में प्याज के दाम को बढ़ने से रोकने के लिए न्यूनतम निर्यात मूल्य [एमईपी] तय किये जाने के बावजूद देश में प्याज के सबसे बड़े थोक बाजार, लासालगांव में पिछले दो सप्ताह में प्याज का भाव 40 % हो गया था।
वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय द्वारा जारी सूचना के अनुसार प्‍याज के न्‍यूनतम निर्यात मूल्‍य लागू करने के लिए अन्‍तर-मंत्रिमंडलीय समिति ने यह निर्णय लिया है
अन्‍तर-मंत्रिमंडलीय समिति ने 30 जून, 2014 को आयोजित अपनी बैठक में यह निष्‍कर्ष निकाला कि प्‍याज के न्‍यूनतम निर्यात मूल्‍य 300 अमरीकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन होने के बावजूद उत्‍पादक और उपभोक्‍ता मंडियों में प्‍याज की थोक और खुदरा कीमतें बढ़ रही हैं। प्‍याज के निर्यात में कोई महत्‍वपूर्ण गिरावट नहीं हुई है। प्‍याज की बढ़ती हुई थोक और खुदरा कीमतों और मानसून में देरी को देखते हुए इसकी बढ़ती कीमतें रोकने और घरेलू आपूर्ति बढ़ाने के दृष्टिकोण से समिति ने सर्वसम्‍मति से प्‍याज के न्‍यूनतम निर्यात मूल्‍य 500 अमरीकी डॉलर प्रति मीट्रिक टन फ्रेट ऑन बोर्ड निर्धारित किए हैं, जो लगभग 30 रुपये प्रति किलो बैठते हैं।

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