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नरेन्द्र मोदी दिल्ली आये पी एम् से शिकायत की छात्रों को सुराज समझाया दिल जीते और चले गए

[नयी दिल्ली ]नरेन्द्र मोदी दिल्ली आये पी एम् से मिले छात्रों को संबोधित किया दिल्ली जीती और चले गए |:छात्रों ने उन्हें स्टैंडिंग ओवेशन (खड़े होकर तालियां बजाईं) दिया। जबकि मोदी के कॉलेज में पहुंचने से पहले वामपंथी विचारधारा के कई छात्रों ने उनकी यात्रा का विरोध भी किया।
एस आर सी सी [डीयू] में छात्रों को संबोधित करते हुये गुजरात के मुख्य मंत्री मोदी ने कहा कि . लोगों को स्वराज तो मिला पर सुराज का अब भी इंतजार है.इसके लिए गुड गवर्नेंस जरूरी है और यह गुड गवर्नेंस प्रो पीपल होनी चाहिए है |अपने तीसरे दृष्टिकोण के अनुसार उन्होंने गिलास आधा पानी और आधा हवा से भरा हुआ देखने की प्रवृति को विकसित किये जाने पर बल दिया
उन्होंने गुजरात के विकास का डंका बजाते हुए बताया कि गुजरात में विकास के मॉडल को तीन स्तंभों पर खड़ा किया है।[१] हिस्सा-कृषि, [२]-उद्योग और [३]सर्विस सेक्टर।
उन्होंने एस आर सी सी में ‘इमर्जिंग बिजनेस मॉडल्स इन द ग्लोबल सिनारियो’ विषय पर बोलते हुए कहा कि गुजरात ने इस मामले में देश के सामने मिसाल पेश की है. देश की हर प्याली में गुजरात का दूध है. केवल दूध ही नहीं आप चाय भी गुजरात की ही पीते हैं. गुजरात में जानवरों के लिए मेडिकल कैंप लगाया. गया है|सिंगापुर में गुजरात का दूध जा रहा है. हमारा देश गरीब है लेकिन इसके बावजूद देश में प्राकृतिक संसाधनों की कोई कमी नहीं है|
हमने गुजरात में प्राकृतिक संसाधनों का उचित इस्तेमाल किया है| युवा शक्ति का उपयोग देश नहीं कर पा रहा हैं. हमारी राजनीति युवा को केवल वोटर नहीं माने बल्कि यह शक्ति है. इस शक्ति को इस्तेमाल करने की जरूरत है. तभी स्वामी विवेकानंद का सपना पूरा होगा. स्वामी विवेकानंद को सपनों को पूरा करने का वक्त आ गया है. हम इन युवाओं को केवल वोटर मानेंगे तो देश के भविष्य के लिए ठीक नहीं है.
उन्होंने बताया कि गुजरात में देश का पहला रक्षा विश्वविद्यालय खुलने जा रहा है. गुजरात में सुराज है. मेरे लिए सुराज का मतलब है गुड गवर्नेंस है. आप देश में किसी परिवार से पूछिए तो वह बताता है कि मेरे बच्चे को अच्छी शिक्षा चाहिए. मित्रों हम क्यों नहीं देश में अच्छी शिक्षा की व्यवस्था कर सकते हैं. हम पूरी दुनिया से सब कुछ एक्सपोर्ट करते हैं हम क्यों नहीं टीचर एक्सपोर्ट करें|
.हम भारत को एक विजन के साथ देखते हैं. हमने टेक्नॉलजी अपग्रेडेशन की उपेक्षा की है. इसी वजह से आज भारत कई दशक दुनिया के विकसित देशों से पीछे है.सच यह है कि भारत को लोग बाजार नहीं

डंपिंग ग्राउंड की तरह

इस्तेमाल कर रहे हैं.. हम कब-तक बाजार बने रहेंगे. हम कब-तक मेड इन जापान और चीन सुनते रहेंगे.मेड इन इंडिया का ढोल कब गूंजेगा. नरेंद्र मोदी ने कहा कि हम यही करना चाहते हैं.

मेड इन इंडिया का परचम लहराना होगा.

हम अपनी चीजों की ब्रैंडिंग नहीं तक कर पा रहे हैं. जिस तरह से साउथ कोरिया ने विकास का डंका पीटा उसे पूरी दुनिया ने स्वीकार किया. हम क्यों नहीं कर पा रहे हैं? हम साउथ कोरिया से क्यों नहीं सीख पा रहे हैं. हम वही करने की कोशिश कर रहे हैं. उन्होंने दावा किया कि यूरोप में भिंडी गुजरात से जा रही है.
जब तक हम युवाओं के सपनों को पूरा नहीं कर पाएंगे निराशा कम नहीं होगी. हर युवा को काम और शिक्षा चाहिए. दुर्भाग्य से हम नहीं दे पा रहे हैं. नहीं देने की जिम्मेदारी हम क्यों नहीं ले पा रहे हैं. हम चाहते हैं कि देश विकास की राह पर इस कदर बढ़े की मेड इन इंडिया का परचम बुलंद हो जाए.
.इससे पहले बुधवार की सुबह मोदी ने दिल्‍ली में

प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से मुलाकात की।

मोदी ने इस मुलाकात और इसमें हुई बात को सकारात्मक बताया। पीएम से मिलने के बाद मोदी ने कहा कि नई सरकार बनने के बाद पीएम से मुलाकात अच्छी रही। अनेक विषयों पर बात हुई। पीएम ने गुजरात के विकास और नई सरकार के लिए उन्हें शुभकामनाएं दी हैं और उन्होंने भी गुजरात की ओर से भारत सरकार के जनता के हित में होने वाले कामों में पूरी शक्ति से सहयोग का आश्वासन दिया। मोदी का कहना था कि

नर्मदा पर गेट लगाने

का काम काफी समय से अटका है। उन्होंने इस बारे में पीएम को एक मेमोरेंडम भी दिया। उन्होंने उम्मीद जताई कि जल्दी ही इसकी परमिशन मिल जाएगी। मोदी का कहना था कि गुजरात की भारत सरकार के साथ

कम कीमत में रसोई गैस देने के संबंध में कानूनी जंग चल रही

है। उन्होंने बताया कि गुजरात ने केंद्र सरकार से मुंबई और दिल्ली के हिसाब से ही गैस सिलेंडर देने की मांग की थी और इस पर केंद्र सरकार अदालत में चली गई। उन्होंने बताया कि उन्होंने पीएम के सामने इस पर नाराजगी भी प्रकट की। मोदी का कहना था कि पीएम ने आश्वासन दिया कि वे सारे मामलों को खुद देखेंगे। पीएम ने जनता के हित के काम आगे बढ़ाने का भरोसा भी दिया है।

सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी

ने गुजरात में हुए नरसंहार पर चुप्पी को लेकर मोदी की आलोचना की

महिला सुरक्षा बिल पर सरकार की सफाई:जल्द बाजी में नही गंभीरता से लाया गया यह बिल

देश के वित्त मंत्री और पी एम् के लिए कमल हासन के उम्मीदवार पी चिदंबरम ने अपने सहयोगी मनीष तिवारी के साथ आज महिला सुरक्षा बिल पर सरकार की सफाई दी और कहा है कि केंद्र सरकार महिलाओं की सुरक्षा को लेकर बेहद गंभीर है सरकार इसीलिए जल्द अध्यादेश लेकर आई है|यह जल्द बाज़ी में लाया गया नहीं है वरन गंभीरता से लाया गया है| चिदंबरम ने कहा कि सरकार ने वर्मा कमेटी की सिफारिशों को नकारा नहीं है। विवादित अफ्स्पा पर बहुत चर्चा की जरूरत है। इसके बाद ही इसे अध्यादेश में शामिल किया जा सकता है।उन्होंने बजट सत्र में इस बिल को पास करा लेने का आश्वासन भी दिया | उन्होंने उम्मीद जताई कि मजबूत कानून से अपराध कम होंगे।चिदंबरम ने कहा कि जस्टिस वर्मा की सिफारिशों को नकारा नहीं गया है। आम राय नहीं बनने के चलते कुछ सिफारिशों को अध्यादेश में नहीं रखा गया है। उन सिफारिशों पर फिलहाल बहस की जरूरत है। वैवाहिक बलात्कार और कार्यस्थल पर उत्पीडन, किशोर न्याय कानून ,एएफएसपीए,आदि पर अलग अलग राय होने के कारण इन पर विस्तृत बहस को आवश्यक बताया गया |
महिलाओं के खिलाफ यौन हिंसा संबंधी अध्यादेश को राष्ट्रपति द्वारा मंजूरी मिलने के बाद आज ४ फरवरी सोमवार को वित्त मंत्री ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि मुख्य न्यायमूर्ति जे एस वर्मा समिति की सभी सिफारिशों को हालांकि इस अध्यादेश में शामिल नहीं किया गया है लेकिन समिति के किसी भी सुझाव को नामंजूर नहीं किया गया है।उन्होंने इस बात को मानने से इंकार किया कि सरकार ने अध्यादेश लाकर जल्दबाजी की है। चूंकि किसी आपराधिक कानून को बीती घटना[ Ex Post Facto]पर लागू नहीं किया जा सकता इसलिए तुरंत अध्यादेश लाने की आवश्यकता पडी।
किशोर न्याय कानून में संशोधन कर आयु सीमा कम करने की मांग के बारे में चिदंबरम ने कहा कि इसके लिए आम सहमति बनानी होगी उन्होंने कहा कि एएफएसपीए (बल विशेषाधिकार कानून) में संशोधन की मांग के प्रति भी अभी कोई आम सहमति नहीं है। उन्होंने कहा कि वैवाहिक बलात्कार और कार्यस्थल पर उत्पीडन जैसे मुद्दों पर आम सहमति के अभाव में, ही इन्हें अध्यादेश में शामिल नहीं किया गया है।चिदंबरम ने कहा कि अध्यादेश इसलिए लाया गया क्योंकि महिलाओं के खिलाफ अपराध ऐसा मामला है, जिसमें विलंब नहीं किया जा सकता। केवल अध्यादेश के जरिए ही कानून तत्काल बनाया जा सकता है जबकि विधेयक पारित कराने में समय लगेगा।अध्यादेश को केवल ‘ शुरूआती बिन्दु ’ बताते हुए चिदंबरम ने कहा कि राजनीतिक पार्टियों सहित सभी वर्ग के लोगों को इस मुद्दे पर समर्थन देना चाहिए। वित्त मंत्री ने और अधिक त्वरित अदालतों के गठन की आवश्यकता जताते हुए कहा कि इसके लिये और अधिक न्यायाधीशों की भी जरूरत है। उन्होंने कहा कि पुलिस बल विशेषकर सिपाही स्तर के कार्मिकों को अधिक संवेदनशील बनाने की भी आवश्यकता है।

जय ललिता ने तथ्य प्रधान पट कथा,चुटीलेसंवाद,आकर्षक भाव भंगिमाओं के साथ “विश्वरूपम” पर बैन को सही ठहराया


झल्ले दी झल्लियाँ गल्लां

एक दुखी सिने प्रेमी

ओये झल्लेया ये क्या नयी भसूडी डाल दी | दुनिया भर से तमाम आलोचना होने और केंद्र सरकार के कहने के बावजूद ये साउथ की महारानी तमिल नाडू की मुख्य मंत्री जयललिता ने कमल हासन की सबसे महंगी फिल्म विश्व रूपम पर लगाये गए बैन को सही ठहरा दिया है|और तो और अपने चेन्नई में मीडिया के सामने आकर पूरे मामले को घुमा कर रख दिया | अब उन्हें वहां राज्य में शांति व्यवस्था बनाए रखने की चिंता खाने लगी है|
ओये आंध्र प्रदेश और कर्नाटक आदि पड़ोसी राज्यों के साथ कतर, संयुक्त अरब अमीरात, श्रीलंका, मलेशिया और सिंगापुर आदि देशों में इस पर प्रतिबंध लग चुका है।अब तो लगता है कि भारतीय अर्थ व्यवस्था को भी १०० करोड़ का चूना लगे ही लगे|

“विश्वरूपम” पर बैन

झल्ला

भोले राजा अगर शुरुआत में आपके कमल हासन फिल्म के कुछ आपत्ति जनक दृश्य हटाने और मुस्लिम संगठनों को इसे दिखाने के लिए तैयार हो जाते तो आज हालात यहां तक नहीं पहुंचते।लेकिन तब तो उन्हें फिल्म की पब्लिसिटी मुफ्त में मिल रहे थी|अब जब फिल्म गद्दिगेड में पड़ी है तब इस्लाम याद आ रहा है| अपना उत्पीडन दिख रहा है| लेकिन वोह शायद ये भूल गए कि जयललिता भी पुरानी अभिनेत्री और राजनीतिक हैं मीडिया के सामने उन्होंने कसी हुई+ तथ्य प्रधान पट कथा + चुटीले संवाद+आकर्षक भाव भंगिमाओं के साथ मीडिया के कैमरों का सामना किया है उस के लिए इस पुराने मंझे कलाकार को बधाई देनी तो बनती ही है|अब जयललिता ने कह दिया है कि विश्व रूपम राज्य के 524 थियेटरों में रिलीज होनी थी, लेकिन राज्य के पास जितना पोलिस बल है उससे इतने थियेटरों में सुरक्षा-व्यवस्था बनाए रखना संभव नहीं था उन्होंने कमल हासन के साथ अपने धुर्र विरोधी एम् करूणानिधि वित्त मंत्री पी चिदम्बरम और सूचना एवं प्रसारण मंत्री मनीष तिवारी को ठेंगा दिखाते हुए कह दिया है कि करीब सौ करोड़ की लागत से बनी इस फिल्म पर सरकार को प्रतिबंध लगाने का अधिकार है लेकिन उनकी सरकार ने सिर्फ 15 दिन की पाबंदी लगाई है। ताकि मामला कुछ शांत हो और कमल हासन व मुस्लिम संगठन कोई समझौता कर सकें।अब तो बाल फिर से कमल हासन के पाले में डाल दी गई है |अगर अभी भी राजनीती या पब्लिसिटी लाभ का मोह नहीं छोड़ा गया तो यही कहना पडेगा ना खुदा मिला और न ही विसाले सनम

कैबिनेट ने लोक पाल के संशोधनों को ओ के किया मगर विपक्ष और जन लोक पाल के पुरोधाओं ने कहा “नो “

कैबिनेट ने लोक पाल को ओ के किया

कैबिनेट की बैठक में आज संशोधित लोकपाल बिल को मंजूरी दे दी गई है |अब इसे राज्य सभा में पेश किया जाएगा|विपक्ष और स्वयम सेवी संस्थाओं के साथ ‘आप ‘ने भी इसे नकार दिया है|
इस संशोधित लोकपाल बिल में कई तब्दीलियां हुई हैं| बिल के लिए बनी सेलेक्ट कमिटी ने 16 सुझाव दिए थे इनमें से 14 सुझावों को कैबिनेट ने स्वीकृति दे दी.

सूचना एवं प्रसारण राज्य मंत्री मनीष तिवारी और प्रधानमंत्री कार्यालय में राज्य मंत्री वी नारायणसामी

ने दिल्ली में प्रेस कांफ्रेंस में जानकारी दी कि कैबिनेट ने लोकपाल बिल में 16 में से 14 संशोधनों को मंजूरी दे दी है| लोकपाल में किसी पार्टी के सदस्य नहीं होंगे|सरकारी अनुदान से चलने वाले एनजीओ लोकपाल के दायरे में आएंगे| अब केन्द्र सरकार लोकपाल बनाएगी जबकि राज्य सरकार को लोकायुक्त संशोधित लोकपाल बिल में लोकपाल को खुद संज्ञान लेने का अधिकार होगा.कुछ शर्तों के साथ

प्रधानमंत्री को लोकपाल के दायरे में रखा गया है.

सीबीआई को लोकपाल के दायरे में रखने को लेकर सहमति नहीं बन पाई.

लोकपाल की नियुक्ति प्रधानमंत्री, स्पीकर, नेता प्रतिपक्ष और देश के मुख्य न्यायाधीश मिलकर करेंगे. लोकपाल की नियुक्ति पर

राष्ट्रपति अंतिम मंजूरी देंगे.

राजनीतिक पार्टियां लोकपाल के दायरे में नहीं होंगी. धार्मिक संस्थान भी लोकपाल के दायरे से बाहर रखे गए हैं. सरकारी मदद लेने वाले एनजीओ भी लोकपाल के दायरे में नहीं रहेंगे.बिल पास होने के 1 साल बाद सभी राज्यों में लोकायुक्तों की नियुक्ति की जाएंगी। इन संसोधनों के बाद से सभी धार्मिक संस्थाएं और राजनीतिक दल भी लोकपाल से बाहर होगे मगर श्री सामी ने जोर देकर कहा है कि

बाबा राम देव का ट्रस्ट धार्मिक नहीं है इसलिए वह लोक पल के दायरे में जरूर होगा |इस लोक पाल के स्वरुप का विरोध भी शुरू हो गया है|

रिटायर्ड जनरल वी के सिंह

पहले ही कह चुके हैं कि अगर अन्ना हजारे वाला जन लोक पाल नहीं आया तो देश में एतिहासिक क्रान्ति होगी|

बीजेपी

एक ऐसा लोकपाल चाहती है जो सरकार के प्रभाव से पूरी तरह मुक्त हो। सीबीआई को लोकपाल के दायरे से अलग रखने के फैसले पर बीजेपी ने ऐतराज जताते हुए कहा है कि सीबीआई को एक निष्पक्ष संस्था के तौर पर काम करना चाहिए, उसे लोकपाल के दायरे में लाना चाहिए। जबकि मजबूत लोकपाल बिल के लिए आंदोलन कर रहे

अन्ना बाबू राव हजारे

ने लोकपाल बिल में बदलावों को खारिज करते हुए पटना में कहा कि जनलोकपाल को लेकर सरकार नाटक कर रही है। उन्होंने केन्द्रीय जांच ब्यूरो को स्वयत्ता देने की मांग करते हुए कहा कि वे अपनी जनलोकपाल की लड़ाई तब तक जारी रखेंगे जब तक कि सरकार एक सशक्त जनलोकपाल विधेयक नहीं लाती।

आम आदमी पार्टी (आप) के नेता अरविंद केजरीवाल

ने मजबूत लोकपाल विधेयक नहीं लाने के लिए केंद्र सरकार की आलोचना की और जोर देते हुए कहा कि इस प्रस्तावित कानून से भ्रष्टाचार नहीं रुकेगा। उन्होंने दिल्ली में संवाददाताओं से कहा कि आपको ऐसा लोकपाल क्यों चाहिए? जो एजेंसी भ्रष्टाचार को रोकेगी नहीं, बल्कि बढ़ाएगी और मंत्रियों को बचाएगी, उस पर क्या बात की जाए। सिर्फ लोकपाल शब्द का इस्तेमाल कर देने में हमारी कोई रुचि नहीं है। इस विधेयक के माध्यम से सरकार ने देश के लोगों की राय का समर्थन नहीं किया है। भ्रष्टाचार मुक्त शासन देना सरकार का संवैधानिक दायित्व है।यह कहते हुए कि देश के लोग भ्रष्टाचार और मूल्य वृद्धि से परेशान हैं, उन्होंने कहा कि कुछ लोग कहते हैं कि इस मुद्दे पर जो पहल की गई है उससे वे खुश हैं, लेकिन सरकार ने क्या हमारे विचारों का समर्थन किया है?

केजरीवाल टीम ने नई “आम आदमी पार्टी” बनाई , स्थापित पार्टियों ने मज़ाक उड़ाया

मैं हूं आम आदमी-मैं लूंगा स्वराज, मैं हूं आम आदमी-मैं लूंगा पूर्ण आजादी। मैं हूं आम औरत-मैं दूर करूंगी महंगाई आदि नारों के साथ अरविन्द केजरीवाल ने अपनी राजनीतिक पार्टी की घोषणा कर दी है| पार्टी का नाम ऍम आदमी पार्टी रखा गया है | स्थापित राजनीतिक दलों ने इसका मजाक उड़ाया है| जबकि इंडिया अगेंस्ट करप्शन की किरण बेदी ने कहा कि चुनावों में एक विकल्प के रूप में आम आदमी पार्टी के नाम को सुझाया जा सकता है|अब आई ऐ सी के नाम पर अन्ना टीम का अधिकार होगा|
कांस्टीट्यूशन क्लब में हुई नेशनल काउंसिल की बैठक में पार्टी का संवैधानिक ढांचा तय हो गया है।इसका ढांचा राजधानी दिल्ली से लेकर गांवों तक फैला होगा। पार्टी में आंतरिक लोकपाल भी होगा और एक परिवार का एक ही सदस्य पदाधिकारी होगा। 26 नवंबर को जंतर-मंतर पर पार्टी की पहली रैली होगी। सोमवार को जंतर मंतर पर आने वाले को इस पार्टी का संस्थापक सदस्य माना जाएगा.
अरविंद केजरीवाल ने जोर देकर कहा, “न्याय हमें अधिकार के तौर पर मिलना चाहिए. यदि पैसा हो और अच्छा वकील मिल जाए या फिर कोई वकील दया कर ले तो आपको आज न्याय मिल सकता है…ये बदलना होगा. लोगों को सरकार के कामकाज और कानून बनाने की प्रक्रिया में और अधिकार होने चाहिए. इस पार्टी का लक्ष्य है कि एक परिवार से एक सदस्य कार्यकारिणी या फिर चुनाव में भाग ले सकता है.
पार्टी नेता संजय सिंह ने कहा कि यहां जो लोग आए हैं वो आम आदमी हैं। जो इस देश की पीड़ा को समझ भी रहे हैं और उसके निवारण के लिए काम भी कर रहे हैं। सालों से भुगत रहे हैं भ्रष्टाचार को। ये लोग परिवर्तन कर सकते हैं। हम इस लड़ाई को अंतिम परिणाम तक लेकर जाएंगे। स्वराज के सपने को पूरा करने तक ये लड़ाई जाएगी।आम आदमी पार्टी ने अपना ढांचा राजधानी से गांव तक फैलाया है। दिल्ली में एक सेंट्रल कमेटी होगी जिसमें राष्ट्रीय परिषद और राष्ट्रीय कार्यकारिणी होगी। इसका एक राष्ट्रीय कोऑर्डिनेटर भी होगा। इसी तरह राज्यों में स्टेट कमेटी की परिषद और कार्यकारिणी होगी और उसका भी स्टेट कोऑर्डिनेटर होगा। ये ढांचा जस का तस जिले और गांव तक जाएगा। जिला परिषद का खाका हर ब्लॉक कमेटी से चुन कर आए दो-दो कोऑर्डिनेटरों से तैयार होगा। इसी तरह ब्लॉक परिषद भी ग्राम कमेटी से आए दो-दो कोऑर्डिनेटर की मदद से तैयार होगी। एक सवाल ये कि परिषद और कार्यकारिणी में क्या फर्क होगा, तो परिषद में हर आम और खास सदस्य होगा, लेकिन कार्यकारिणी में कुछ चुने हुए लोग होंगे जो अहम फैसले लेंगे। विजन डोक्युमेंट जरी किया गया जिसमे प्रेसीडेंट और जनरल सेक्रेटरी के पद से परहेज किया गया है|

केजरीवाल टीम की नई “आम आदमी पार्टी” का स्थापित पार्टियों ने मज़ाक उड़ाया

राजनीतिक पार्टियों के परिवारवाद

पर हल्ला बोलती रही टीम केजरीवाल ने खुद को परिवारवाद से पूरी तरह दूर रखने का फैसला किया है। एक परिवार-एक पदाधिकारी के फॉर्मूले पर अमल करते हुए तय किया गया है कि एक परिवार के दो सदस्य पार्टी के पदाधिकारी नहीं होंगे। एक परिवार के दो लोग अलग-अलग कमेटियों में भी नहीं हो सकते। मसलन सेंट्रल कमेटी में प्रशांत भूषण-शांति भूषण साथ नहीं होंगे। सेंट्रल कमेटी में केवल प्रशांत भूषण ही रहेंगे।जनलोकपाल की मांग से अपने आंदोलन की शुरुआत करने वाली टीम केजरीवाल की पार्टी में आंतरिक लोकपाल भी होगा। ये लोकपाल पार्टी के किसी भी सदस्य के खिलाफ शिकायत की जांच कर सकता है। इस लोकपाल से आम आदमी भी कर सकता है पार्टी के सदस्य की शिकायत। आरोप सही होने पर उस सदस्य को पार्टी से निकालने का भी अधिकार लोकपाल को होगा। 1949 में इसी दिन संविधान सभा ने भारत का संविधान स्वीकार किया था। अरविंद इस तरह से अपनी पार्टी को स्वतंत्रता आंदोलन के दौर के अधूरे संकल्पों को पूरा करने वाली पार्टी बताना चाहते हैं। ये एक बड़ा दावा है जिस पर अरविंद और उनकी पार्टी कितनी खरी उतरती है, इस पर इतिहास की भी नजर होगी।

कांग्रेस के प्रवक्ता और मंत्री मनीष तिवारी

मनीष तिवारी ने कहा है कि देश में १४५३ राजनितिक पार्टियाँ पंजीकृत है ऐसे में एक और पार्टी के आ जाने से कोई प्रभाव नहीं पडेगा हाँ[मुस्कुराते हुए] लोक तंत्र जरूर मज़बूत होगा

|जगदम्बिका पाल

ने कहा है कि आम आदमी का नारा कांग्रेस का है और उसी के आधार पर यह नई पार्टी बनाई गई है

भाजपा के बलबीर पुंज

यह नॉन इवेंट है इसका कोई प्रभाव नहीं पडेगा|