पिछले दिनों मेने राष्ट्रीय नेताओं द्वारा अपनी पार्टी की वेब साईट के बजाय प्राईवेट सोशल साईट ट्विटर के माध्यम से शाब्दिक युद्ध छेड़ा हुआ है आज में सरकारी वेबसाईट का उदहारण देना चाहता हूँ और यह आशा करता हूँ की सम्बंधित मंत्रालय इसका अवलोकन करके स्थिति को स्पष्ट करेंगे|
पहली खबर कोयला मंत्रालय से सम्बंधित है| उत्तराखंड आपदा राहत के लिए 20 करोड़ रुपए का अंशदान शीर्षक से रिलीज की गई इस राष्ट्रीय सूचना को इस प्रकार तैयार/अपलोड किया गया है|
भारत सरकार के उपक्रम भारत कोकिंग कोल लिमिटेड (बीसीसीएल)[ BCCL ] ने उत्तराखंड के आपदा पीड़ितों की राहत के लिए मुख्यमंत्री के आपदा राहत कोष में 20 करोड़ रुपए का अंशदान किया है।बीसीसीएल के अध्यक्ष एवं प्रबंध निदेशक श्री टी.के.लाहड़ी [ T K Lahiry, ]और सीआईएल के अध्यक्ष श्री एस. नरसिंह राव[ S. Narsing Rao,] ने आज अपने विभाग के मंत्री श्रीयुत श्रीप्रकाश जायसवाल को इस राशिके चैक प्रस्तुत किए और उनसे अनुरोध किया किइन्हें प्रधानमंत्री के राहत कोष में दे दिया जाए, ताकिउत्तराखंड के मुख्यमंत्री की सहायता कोष में इसे भेजा जा सके।
बीसीसीएल के सभी श्रमिक संघों और बीसीसीएल प्रबंधन ने 02 जुलाई, 2013 को सर्वसहमतिसे प्रधानमंत्री राहत कोष में उत्तराखंड पीडितों की सहायता के लिए अपना एक दिन का वेतन देने का फैसला किया था। यह राशिलगभग सात करोड़ रुपए बैठती है।
ऊपरी तौर पर इसे देखने में कोई खराबी या गलती नही दिखती मगर दोबारा गौर से देखने में दिखाई देता है कि उतराखंड के मुख्य मंत्री के राहत कोष के लिए २० करोड़ रुपये का चेक दिया गया हैं| राष्ट्रीय उपक्रम के अधिकारियों ने अपने मंत्री श्री प्रकाश जायसवाल को यह चेक देते हुए कहा कि इसे प्रधान मंत्री के राहत कोष में दे दिया जाए ताकि इसे मुख्य मंत्री राहत कोष में भेजा जा सके|बात यहाँ ही खत्म नही होती अंग्रेजी की रिलीज के अनुसार अधिकारियों द्वारा कहा गया है कि इस चेक को प्रधान मंत्री तथा मुख्य मंत्री के राहत कोष में दे दिया जाए|
उत्तराखंड और केंद्र में एक पार्टी की सरकार है| ऐसे में पी एम् की मार्फ़त सी एम् राहत कोष में राशि भेजने की आवश्यकता समझ से परे हैं|अब राशि चेक में है ऐसे में पहले यह पी एम् के राष्ट्रीय राहत कोष में जमा करवाई जायेगी उसके पश्चात ही इसे उत्तराखंड के सी एम् के फण्ड में ट्रांसफर कराया जाएगा| इसीपूर्व इस मंत्रालय के एक अन्य विभाग सी आई एल ने ५० करोड़ रुपयों की राहत राशि सीधे मुख्य मंत्री राहत कोष में भेजी है| अब चेक को पहले पी एम् के फंड में जमा करवाया जाएगा उसके बाद ही इसे मुख्य मंत्री के राहत कोष में ट्रांसफर किया जाएगा| सरकारी कार्यों की रफ़्तार जग जाहिर हैं| एक राजनीतिक प्रश्न भी उठता है कि क्या कोयला मंत्रालय को सी एम् फंड पर भरोसा नही हैं इस निष्कर्ष पर पहुँचना अभी जल्द बाजी होगी क्योंकि उतर अभी प्रतीक्षित है| पी एम् राहत कोष से पहले हीएक हजार करोड़ रुपयों की राहत की घोषणा की जा चुकी है |
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कुकिंग कोल् इंडिया ने उत्तराखंड सी एम् फंड के लिए २० करोड़ की राहत राशि का चेक पी एम् फंड की मार्फ़त भेजा
एतिहाद के साथ सौदे में आ रही रुकावटों से बेअसर जेट एयर वेज़ ने ग्राहकों को ब्लैक बेर्री मोबाईल से जोड़ा
जेट एतिहाद के सौदे में बेशक तमाम रुकावटें डाली जा रही हैं मगर इन सबसे बेअसर जेट एयर वेज़ ने मार्किट में अपनी पकड़ बनाये रखने के लिए ग्राहकों को मोबाईल से जोड़ने की यौजना लांच की है|[ MOBILE AIRLINE APPLICATION ]
भारत की अग्रणी एयर लाइन जेट एयरवेज ने ब्लैक बेर्री[ BlackBerryIO ]के साथ एक करार किया है जिसके अंतर्गत जेट एयरवेज के यात्रियों को कंपनी से सीधे जोड़ने के लिए मोबाइल एप्लीकेशन एप का प्रयोग किया जा सकेगा|अब इसके माध्यम से कहीं से भी टिकट बुकिंग की जा सकेगी+और +यात्रा के दौरान भी कहीं से भी फ्लाईट के स्टेटस +जेट प्रिविलेज एकाउंट आदि की जानकारी प्राप्त की जा सकेगी |
जेट एयर वेज़ के सी सी ओ सुधीर राघवन का कहना है कि वर्तमान में विशाल विश्व भी एक ग्लोबल विलेज की भांति हो गया है जिसमे तत्काल और सही जानकारी मुहैय्या करवाया जाना बेहद जरुरी है| ऐसे में यह एप्लीकेशन जेट एयरवेज के यात्रियों के लिए बेहद सुविधाजनक साबित होगी|
ब्लैक बेर्री की निदेशक एनी मैथ्यू[ AnnieMathew ] ने बताया कि जेट एयरवेज मोबाईल एप को डाउन लोड करने के लिए निशुल्क सुविधा है|
इस सुविधा के साथ जेट एयरवेज ने अपने खर्चे में भी कटौती के मार्ग में एक कदम और आगे बड़ा दिया है|ट्रेवल अजेंट्स की भूमिका को इस नए एप से कम किया जा सकेगा|
जेट एतिहाद पर एक माह में छह शिकायतों पर अभी विचार किया जा रहा है ,पीछे हटने का सवाल नहीं उठता PMO
प्रधान मंत्री कार्यालय[पी एम् ओ]ने जेट -एतिहाद एयर लाइन्स को लेकर हुए भारत -और यूएई में हवाई सेवाएं समझौते पर देश की स्थिति स्पष्ट की है|इसे मीडिया में आ रही खबरों के जवाब के रूप में भी देखा जा रहा है|
पी एम् ओ कार्यालय द्वारा कहागया है कि इस समझौते के विरोध में मात्र एक माह में छह शिकायतें मिलने के फलस्वरूप इस पर केवल विचार किया जा रहा है| इसलिए इससे पीछे हटने या प्रस्ताव का सम्मान न करने का कोई सवाल ही नहीं उठता|
कहा गया है कि पिछले कुछ दिन से भारत – यूएई (आबू धाबी)द्विपक्षीय हवाई सेवाएं समझौते और जेट एयरवेज-एतिहाद इक्विटी स्टेक प्रस्ताव पर मीडिया में खबर आ रही है। इनमें से कुछ खबर में कहा गया है कि प्राधानमंत्री कार्यालय जेट एयरवेज-एतिहाद प्रस्ताव में भूमिका निभा रहा है।
[2] मीडिया के कुछ समाचारों में लगाए जा रहे आरोप तथ्यात्मक रूप से गलत तथा आधारहीन हैं। सरकार में या मंत्रालयों और प्रधानमंत्री के बीच इस बारे में कोई असहमति नहीं है। प्रधानमंत्री ने द्विपक्षीय हवाई सेवाएं समझौते हाथ नहीं खींचा है और न ही प्रधानमंत्री कार्यालय इस मुद्दे पर पीछे हटने की तैयारी कर रहा है।
[३]मीडिया में दो अलग-अलग मामले उठाए जा रहे हैं। पहला भारत और आबू धाबी के बीच द्विपक्षीय हवाई सेवाएं समझौते के तहत सीट बढ़ाने के हक के बारे में है। यह द्विपक्षीय हवाई यातायात सीटों के हक के बारे में दो सरकारों के बीच समझौता है और दोनों देशों की सरकारों से संबंधित है।
[अ] दूसरा जेट एयरवेज और एतिहाद के बीच इक्विटी की हिस्सेदारी के प्रस्ताव के बारे में है जो निजी क्षेत्र की दो कंपनियों के बीच समझौता है। ऐसे समझौते में विदेशी निवेश होता है तथा इसलिए ये इस संबंध में किसी सरकार की नीति एवं कानून के अनुसार होने चाहिए। अलग-अलग मुद्दे होने और विभिन्न श्रेणी के निकायों के बीच के मुद्दे होने के नाते इन दोनों मामलों को अलग-अलग देखा जाना चाहिए
[४]जहां तक द्विपक्षीय हवाई सेवाएं समझौते की बात है, तथ्य सरल हैं। द्विपक्षीय हवाई सेवाएं समझौतों के तहत सीटों के हक में बदलाव आमतौर पर नागरिक उड्डयन मंत्रालय और दूसरे देश के संबंधित मंत्रालय करते हैं। यह परिवर्तन सहमति ज्ञापन के तहत किए जाते हैं तथा इनके लिए उच्च स्तर पर अनुमोदन की जरूरत नहीं होती।
यह केस प्रधान मंत्री तक क्यूं आया
[५] 22-04-2013 को नागरिक उड्डयन मंत्री ने सीट के हक के बारे में आबू धाबी के साथ सहमति ज्ञापन सम्पन्न करने के लिए प्रधानमंत्री की अनुमति मांगी थी जो अंतर-मंत्रालय समूह की सिफारिश से भिन्न थी। इसलिए यह मामला प्रधानमंत्री के स्तर तक आया। प्रधानमंत्री ने वित्त मंत्री को निर्देश दिया कि मामले पर विस्तार से विचार करने के लिए नागरिक उड्डयन मंत्री, विदेश मंत्री और वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री की बैठक बुलाए। मंत्री मिले और द्विपक्षीय विचार विमर्श के लिए प्रस्ताव पर सहमत हुए। इस बैठक का कार्यवृत्त वित्त मंत्रालय ने जारी कर दिया है।
[६] उसी दिन मंत्री मामले पर चर्चा के लिए प्रधानमंत्री से मिले। इस बैठक में राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार और प्रधानमंत्री के प्रधान सचिव भी शामिल हुए। बैठक में पिछली बैठक के कार्यवृत्त में उल्लेखित फार्मूले के अनुसार वार्ता में आगे बढ़ने पर सैद्धांतिक सहमति बनी।
[७] इसके बाद 26-04-2013 को प्रधानमंत्री ने यह मामला मंत्रिमंडल के समक्ष लाने को कहा। इस संबंध में उन्होंने नागरिक उड्डयन मंत्री से भी बात की। प्रधानमंत्री कार्यालय ने नागरिक उड्डयन मंत्रालय को औपचारिक रूप से यह मामला मंत्रिमंडल के समक्ष लाने को कहा। इस सम्बन्ध में नोट जारी कर दिया गया |
[८] इसके बाद हमारे विमानन क्षेत्र पर मध्य पूर्व की विमानन कंपनी के असर के बारे में प्रधानमंत्री कार्यालय में एक नोट प्राप्त हुआ। इसे विचार के लिए 22-05-2013 को नागरिक उड्डयन मंत्रालय को भेज दिया गया।
[९]मंत्रिमंडल ने जब इस नोट की समीक्षा की तो महसूस किया गया कि इसे सिलसिलेवार ढंग से पुन- तैयार करना चाहिए। इस संदर्भ में प्रधानमंत्री कार्यालय ने 13-6-13 को नागरिक उड्डयन मंत्रालय को कैबिनेट नोट को फिर से तैयार करने के लिए नोट भेजा। प्रधानमंत्री कार्यालय से भेजा गया यह नोट जारी कर दिया गया है।
[१०]यह निजी कंपनियों के बीच का मामला है जिसके लिए वर्तमान नीतियों और कानून के अनुसार संबंधित एजेंट के अनुमोदन की जरूरत है। यह सरकारों के बीच समझौता नहीं है तथा इस मामले में पीछे हटने या प्रस्ताव का सम्मान न करने का सवाल ही नहीं उठता।
समझौते के बारे में शिकायत
इस मामले में प्रधानमंत्री को निम्नलिखित शिकायतें मिलीं –
1- प्रधानमंत्री ने 1-5-2013 को श्री गुरूदास दासगुप्ता का पत्र प्राप्त हुआ ।
2- 2-5-2013 को श्री प्रबोध पांडा का पत्र प्राप्त हुआ ।
3- 3-5-2013 को श्री सुचारू रंजन हलदर, सांसद का पत्र प्राप्त हुआ ।
4- 29-5-2013 को डॉ सुब्रह्मण्यम स्वामी का पत्र प्राप्त हुआ ।
5- 13-6-2013 को श्री अजय संचेती का पत्र प्राप्त हुआ ।
6- 21-6-2013 को श्री अजय संचेती का पत्र प्राप्त हुआ ।
इस मामले पर अभी विचार किया जा रहा है तथा इसलिए पीछे हटने या प्रस्ताव का सम्मान न करने का कोई सवाल ही नहीं उठता।
धान के नए समर्थन मूल्यों से देश के किसानो को ९ हज़ार करोड़ का नुक्सान होगा:भाजपा
भाजपा ने केंद्र द्वारा तय किये गए धान के समर्थन मूल्यों मात्र ६० रुपयों की बढोत्तरी को अपर्याप्त बताते हुए इसकी पुनः समीक्षा की मांग की है| भाजपा के राष्ट्रीय प्रवक्ता कैप्टेन अभिमन्यु ने कहा के वर्तमान मूल्यों पर किसान प्रति क्विंटल १४०० रुपये औसतन खर्च करता है इस नए समर्थन मूल्य पर उन्हें प्रति क्विंटल ९० रुपये का नुक्सान उठाना पडेगा|देश भर के किसानो को कुल ९००० करोड़ का नुक्सान उठाना पडेगा|मुद्रास्फूर्ति के चलते यह बढोत्तरी मात्र ५% के बजाय १४% होनी चाहिए थी|
यह किसानो के साथ धोखा है और खाद्य सुरक्षा कार्यक्रम पर भी प्रश्न चिन्ह है|
भजपा ने कपास के समर्थन मूल्यों में मात्र १०० रुपये के स्थान पर ५०० रुपयों की वृद्धि के साथ ही स्वामी नाथन आयोग को लागू किये जाने की मांग की है|
भारतीय स्टेट बैंक की शाखा की भी सुरक्षा व्यवस्था को तोड़ने का प्रयास
[मेरठ]अपराधियों ने थाना मेडिकल की पोलिस को नई चुनौती देते हुए भारतीय स्टेट बैंक [ एस बी आई ]की शाखा की सुरक्षा व्यवस्था को भी तोड़ने का प्रयास किया| शास्त्री नगर के ई ब्लाक की मैं रोड पर एस बी आई की शाखा को लूटने में बदमाशों ने कोई कसर नही छोड़ी| विंडो ऐ सी को निकाला और दो ऐ टी एम् भी तोड़ डाले |
यधपि पोलिस किसी धन की लूट से इंकार कर रही हैं मगर बैंक द्वारा इस विषय में प्रेस से भी गोपनीयता बरती जा रही है|इससे पूर्व अभी एक माह पूर्व ही इसी थाना छेत्र के कोआपरेटिव बैंक में पड़ी डकैती का खुलासा नही किया जा सका है ऐसे में यह दूसरा प्रयास पोलिस की व्यवस्था पर प्रश्न लगा रहा है|
जेट एयरवेज ने एच डी ऍफ़ सी बैंक के साथ अपने यात्रियों के लिए वर्ल्ड डेबिट कार्ड निकाला
जेट एयरवेज ने एच डी ऍफ़ सी बैंक के साथ अपने यात्रियों के लिए वर्ल्ड डेबिट कार्ड निकाला | भारत की अग्रणी निजी एयर लाइन जेट एयर वेज़ ने , प्राईवेट सेक्टर में ,देश के दूसरे सबसे बड़े एच डी ऍफ़ सी बैंक के साथ पार्टनरशिप करके अपने ग्राहकों के लिए वर्ल्ड डेबिट कार्ड की सुविधा उपलब्ध कराई है|
इसका नाम जेट प्रिविलेज -एच डी ऍफ़ सी बैंक वर्ल्ड डेबिट कार्ड [ JetPrivilegeHDFCBankWorldDebitCard ] बताया गया है|
इस कार्ड के माध्यम से जेट एयरवेज के आलावा स्टोर या ऑन लाइन्स खरीद दारी करने पर जे पी माइल्स[ JPMiles ] का ६०० उड़ानों ने लाभ लिया जा सकेगा|
जेट एयरवेज के सी सी ओ सुधीर राघवन और एच डी ऍफ़ सी के वरिष्ठ अधिकारी पराग राव ने इस समझौते पर गर्व प्रकट करते हुए इसे अपने किस्म का पहला जॉइंट वेंचर बताया है|एक तरफ जेट एयर वेज के एतिहाद के साथ दो हजार करोड़ के समझौते पर सवालिया निशान लगा रहे हैं लेकिन इसके साथ ही पहले के एल एम् आदि एयर लाइन्स के साथ समझोते करने के पश्चात अब एच डी ऍफ़ सी बैंक के साथ इस समझौते से कंपनी अपने शेयर्स के ग्राफ को संभाले रख सकेगी|
जेट, एतिहाद के सौदे में ऍफ़ आई पी बी की अडचनों पर प्रधान मंत्री ने प्रश्न उठाया
प्रधानमंत्री कार्यालय [पीएमओ] ने वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय सहित अन्य संबद्ध विभागों से 2,058 करोड़ रुपये के प्रस्तावित जेट-एतिहाद एयर लाइन्स के सौदे पर स्पष्टीकरण मांगा है।
विमानन क्षेत्र में सबसे बड़े विदेशी निवेश प्रस्ताव के रास्ते कई तरह की नियामकीय अड़चनें आ रही हैं। विभिन्न मंत्रालयों ने मुख्य रूप से सौदे के बाद जेट एयरवेज के नियंत्रण को लेकर चिंता जताई है।
एफआईपीबी ने नियंत्रण और स्वामित्व के मुद्दे पर जेट-एतिहाद सौदे पर फैसला फ़िलहाल टाला हुआ है |
आर्थिक मामलों के सचिव अरविंद मायाराम ने भी कहा था,कि इस प्रस्ताव पर फैसला टाल दिया गया है| प्रभावी नियंत्रण और स्वामित्व पर हमें और जानकारी की जरूरत है समाचार एजेंसी भाषा के अनुसार प्रधानमंत्री कार्यालय ने जेट एयरवेज द्वारा अबुधाबी की एतिहाद एयरवेज को 24 % हिस्सेदारी बेचने के प्रस्ताव पर वाणिज्य एवं उद्योग मंत्रालय, नागर विमानन मंत्रालय और कंपनी मामलों के मंत्रालयों सहित अन्य संबंधित विभागों से स्पष्टीकरण मांगा है लेकिन पी एम् ओ की वेबसाइट पर ऐसी कोई जानकारी नही मिली है| नागरिक उड्डयन छेत्र में ऍफ़ डी आई नीति के अनुसार सितम्बर माह से विदेशी एयर लाइन्स और विदेशी निवेशकों को भारतीय एयर लाइन्स में ४९% शेयर्स खरीदने की इजाजत है जबकि एन आर आई के लिए १००% की सीमा है| इसके आलावा जनता पार्टी के अध्यक्ष सुब्रमनियम स्वामी ने भी पी एम् को पत्र लिख कर जेट एतिहाद और एयर एशिया के सौदों पर ऍफ़ आई पी बी की भूमिका पर आपत्ति जता चुके हैं|
बजट करियर इंडिगो एयर लाइन्स के १०% कमांडर पायलट्स एयर एशिया में स्विच ओवर को तैयार
बजट कैरियर और [कथित] लो कास्ट कैरियर के उपनाम से प्राख्यात निजी इंडिगो एयर लाइन्स के लगभग १०%कमांडर पायलट्स के नई आने वाली प्रतिस्पर्द्धी एयर लाइन्स एयर एशिया में जाने की तैय्यारी चल रही है| सूत्रों के अनुसार इंडिगो के कमांडर के वर्तमान पे स्लैब+ असहज कार्य शर्तों से अधिकांश पायलट कमांडर असंतुष्ट हैं और नई कंपनी एयर एशिया द्वारा आकर्षक वेतन मान देने के साथ ही सुविधा जनक कार्य शर्तें दिए जाने की संभावना है इसीलिए इस बड़े स्विच ओवर की सम्भावना है|यदि यह बदलाव फायनल हो जाता है तो अपने जहाजों के बेड़े को बढ़ाने के लिए प्रयासरत इंडिगो एयर लाइन्स के लिए यह नई चुनौती होगी जबकि एयर एशिया को बैठे बिठाए अनुभवी पायलट कमांडर मिल जायेंगे| इसके आलावा एयर एशिया के वरिष्ठ अधिकारियों द्वारा इंडिगो और स्पाइस जेट आदि एयर लाइन्स के लो कास्ट के दावों को चुनौती दे दी है| इस संभावना की पुष्ठी के लिए एयर एशिया और इंडिगो को मेल किये जाने पर कोई उत्तर प्राप्त नहीं हुआ है|
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