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Category: Poetry

खाली माला फेरने से भगवत – प्राप्ति नहीं हो सकती Sant Kabir Das Ji Ki Vani

कबीर जपना काठ की , क्या दिखलावे मोय ।
ह्रदय नाम न जपेगा , यह जपनी क्या होय ।

Rakesh Khurana – Sant Kabir Das Ji Ki Vani


भाव : संत कबीर दास जी कहते हैं , हे मनुष्य ! तुम ये अपनी लकड़ी की कंठी क्या दिखला रहे हो , इससे तुम्हारा भला नहीं होने वाला ।अगर तुम्हे कुछ पाना है , कुछ हासिल करना है तो ह्रदय से प्रभु का नाम – भजन करो ,मन पर काबू रखना सीखो । खाली माला फेरने से तुम्हे भगवत – प्राप्ति नहीं हो सकती ।
संत कबीर दास जी
प्रस्तुति राकेश खुराना

प्रभु की रज़ा को अपनी रज़ा बनालो;गुरु नानक

Rakesh Khurana [/कैप्शन
किव सचिआरा होइए किव कूड़े तुटै पालि ।
हुकमि रजाई चलणा नानक लिखिआ नालि ।
प्रार्थना और पाप
प्रार्थना में अपने पापों और कमजोरियों को स्वीकार करना , और यह समझना कि इस तरह से वे सब धुल जाते हैं या दूर हो जाते हैं और आगे करने के लिए हम स्वतन्त्र हो गए हैं , तो यह हमारी भूल है । ऐसा विचार हमारा सहायक होने के बजाय हमें लगातार पापों में ही गिराए रखता है । प्रायश्चित द्वारा पाप से मुक्ति का वरदान केवल परमात्मा या प्रभु रूप हस्ती जो पापियों के उद्धार के लिए विशेष रूप से आती हैं, द्वारा मिल सकता है ।हमारा काम सिर्फ यह है कि हम उसके आदेशों को ग्रहण कर उस पर अक्षरशः अमल करें तथा बाकी सब कुछ उस पर छोड़ दें ।
किस प्रकार कोई उस सच्चाई को जान सकता है और किस प्रकार वह झूठ के ढेर को खंडित कर सकता है ? गुरु नानक जी कहते हैं कि एक रास्ता वह है कि वह की प्रभु की रजा अपना ले , जिसकी रज़ा से ही हम सब इस संसार में भेजे गए हैं ।
(जपुजी साहिब )
प्रस्तुति राकेश खुराना

गुरु के आदेशों को मानने वालों का अनुसरण करो

अन्दरों कुसुद्दा कालियां बाहरों चिटमुहियां ।
रीसां करे तिन्हाडिया जो सेवन दर खाड़ियाँ ।

अर्थात अंतर में तो विषय – विकार की कालिख भरी हुई है और बाहर चिकना – चुपड़ा चेहरा बनाकर हम गुरु को , प्रभु को अपनी और आकर्षित करना चाहते हैं । हम उन लोगों की नक़ल करते हैं , जो गुरु के आदेश पर चलते हैं , उनका हुक्म मानते हैं ।
गुरुवाणी
प्रस्तुति राकेश खुराना

Rakesh Khurana

निष्काम कर्म बांधने वाले नहीं होते:सकाम कर्म मुक्त नहीं करते

युक्त: कर्मफलं त्यक्त्वा शान्तिमाप्नोति नैष्ठिकीम ।
अयुक्त: कामकारेण फले सक्तो निबध्यते ।

Rakesh Khurana

का त्याग करके नैष्ठिकी शांति को प्राप्त होता है । परन्तु सकाम मनुष्य कामना के कारण फल में आसक्त होकर बंध जाता है ।
व्याख्या-कर्म बाँधने वाले नहीं होते , प्रत्युत कर्म फल की इच्छा बाँधने वाली होती है । कर्म न तो बाँधते हैं , न मुक्त ही करते हैं । कर्मों में सकाम भाव बाँधने वाला और निष्काम भाव मुक्त करने वाला होता है ।
श्लोक श्रीमद्भगवद्गीता
श्रीभगवानुवाच
प्रस्तुति राकेश खुराना

प्रभु का प्रेम पाने के लिए मोह -माया को त्याग कर दिव्य प्रेम को चखना होगा

हम प्रभु को इसलिए नहीं देख पाते क्योंकि हमारे दिलों पर मैल चढ़ी हुई है । तुलसी साहिब हमें समझाते हैं :-
दिल का हुजरा साफ़ कर जानाँ के आने के लिए ।
ध्यान गैरों का हटा उसके बिठाने के लिए ।

Rakesh Khurana


अर्थात अगर हम चाहते हैं कि प्रभु हमारे अंतर में प्रकट हों , तो हमें अवश्य ही दुनियावी ख्वाहिशों और मोह -माया से बाहर निकलना होगा , ताकि हमारे अंतर में प्रभु का प्रेम समां सके। दूसरे शब्दों में हमें अवश्य ही अंतर में जाना होगा ,देहाभास से ऊपर आना होगा और इसके सामने सारे सांसारिक सुख और आनंद फीके पड़ जाएंगे ।
संत तुलसी दास जी की वाणी
प्रस्तुति राकेश खुराना

नाम की कमाई से आत्मा का परमात्मा से मिलन

जिन्नी नाम ध्याइया गए मुसक्कत घाल ।
नानक से मुख उझले केती छुट्टी नाल ।

नानक से मुख उझले केती छुट्टी नाल

गुरु नानक देव जी ने आत्मा और परमात्मा के मिलाप की मंज़िल की महिमा जपजी साहब में गाई है |
गुरु नानक देव जी ने कहा है कि जिन लोगों ने नाम की आराधना अथवा नाम की कमाई की , अंतर में ज्योति और श्रुति से जुड़कर प्रभु के धाम पहुंचे , उनकी मुशक्क्तें , उनका परम पुरषार्थ सफल हो गया । वो न सिर्फ स्वयं आवागमन से छूट कर परम पद पा गए , मालिक की दरगाह में न सिर्फ अपना मुख उजला कर गए , वरन अपने साथ अनेकों जीवों का कल्याण कर गए ।
गुरु नानक वाणी
प्रस्तुति राकेश खुराना

ज्योति और श्रुति से जुड़ कर आत्मा , प्रभु के धाम पहुँच कर उसमे समां जाती है

उलटा कुआं गगन में ता में जरे चराग़ ,
ता में जरे चराग़ बिना रोगन बिन बाती ,
छह ऋतु बारह मास जले दिन राती ।

Rakesh khurana


भाव : पलटू साहिब ने आध्यात्म मार्ग की यात्रा का वर्णन इस प्रकार किया है। उन्होंने मानव शरीर को ‘ उलटा कुआं ‘ कहा है , जिसका जल , अर्थात जीवन स्रोत ऊपर है । गगन अथवा शिखर इसका नौ द्वारों से ऊपर सीस में है । नौ द्वारों से ऊपर जाओ तो उस करण – कारण प्रभु सत्ता या नाम के दर्शन होते हैं , जिसकी अभिव्यक्ति के दो स्वरूप हैं -ज्योति और श्रुति । उनसे जुड़ कर आत्मा दिव्य मण्डलों के पार निज धाम , प्रभु के धाम पहुँच कर उसमे समां जाती है ।
श्री पलटू साहिब जी की वाणी
प्रस्तुति राकेश खुराना

गुरु की वाणी से जुड़ने पर परमात्मा से मिलाप हो जाता है

गुरु की वाणी सब मांही समाणी ,
आप कथी ते आप बखाणी ,
जिन जिन जपी तेही सब निस्त्रे ,
पाया नेह्चल थाना है ।

Rakesh Khurana Praising Guru Nanak Dev Ji


अर्थात वो करण – कारण प्रभु – सत्ता या नाम वो परम सत्ता है जो सब को बनाने वाली है और सबको धारण किये हुए है । उसे यहाँ गुरु की वाणी कहा है क्योकि पूर्ण समर्थ संत सतगुरु ही उससे हमें जोड़ सकता है । जो भी उस वाणी से जुड़े वो निजधाम में निवास पा गए ,वो आत्मा का निजधाम है जहाँ परमात्मा से उसका मिलाप हो जाता है ।
वाणी :- श्री गुरु नानक देव जी
प्रस्तुति राकेश खुराना

सांसारिक तुच्छ महत्वाकांक्षाओं की प्राप्ति में ही लिप्त रहने पर दिव्य ज्योति का असीमित खजाना नही मिलता

यह संसार हाट कौ लेखा , सब कोई बणजही आया ।
जिस -जिस लाधा , तिन – तिन पाया , मूरख मूल गँवाया ।

Rakesh Khurana

भाव : यहाँ पर संत नामदेव जी इंसानी जीवन की तुलना बाज़ार से कर रहे हैं । हम अपने जीवन का सौदा करने आये हैं । ईश्वर ने हरेक को स्वांसों की पूँजी दी है । अगर हमने दिव्य ज्योति के असीमित खजाने को हासिल करना है तो हमें अपने जीवन का लक्ष्य ईश्वर की प्राप्ति तथा उसके ध्यान , सिमरन में बिताकर वापस निज घर के लिए ही रखना है । अगर हम इसमें असफल होकर सिर्फ सांसारिक महत्वाकांक्षाओं की प्राप्ति तथा सांसारिक सफलताओं की अभिव्यक्ति में ही लिप्त रहेंगे ,तो हम अपने छोटे से बहुमूल्य खजाने को गवां देंगे , जो हमें मनुष्य जीवन के रूप में शुरुआत करने को मिला है ।
संत नामदेव जी
प्रस्तुति राकेश खुराना

सच्चे प्रभु – प्रेमी की नौ निशानियाँ हैं:हज़रत शम्स तबरेज़

आशिकां रा नौ निशानस्त ऐ पिसर ।
आह सर्द – ओ – रंग ज़र्द – ओ – चश्म तर ।
कम खुर्दन – ओ – कम गुफ्तन – ओ – ख्वाबश हराम ।
बेकरारी – ओ – ज़ारी – ओ – नाला मुदाम ।

Rakesh khurana


अर्थ: हज़रत शम्स तबरेज़ ने प्रभु – प्रेम के संताप के बारे में अपने शिष्य मौलाना रूम को बताया कि प्रभु – प्रेमी को किन अवस्थाओं से गुजरना पड़ता है । वो फरमाते हैं :सच्चे प्रभु – प्रेमी की नौ निशानियाँ हैं – 1) वह हर वक्त ठंडी आहें भरता रहता है। 2)उसका रंग पीला पड़ जाता है । 3) उसकी आँखें भीगी रहती है । 4) वो कम खाता है । 5) कम सोता है । 6) उसे किसी पल चैन नहीं पड़ता । 7) वो बात नहीं कर सकता । 8) उसका दिल रोता है । 9) उसकी आत्मा विलाप करती है
हज़रत शम्स तबरेज़
प्रस्तुतिराकेश खुराना