Ad

संवैधानिक संस्थाओं को दबंगई से नहीं चलने देने वालों को जनविरोधों का सामना करना ही पड़ता है

झल्ले दी झल्लियां गल्लाँ

चिंतित नागरिक

ओये झल्लेया ये क्या हो रहा है?ओये बिहार में जाती गत राजनीती में लिप्त मुख्य मंत्री जीतन राम मांझी के “घरेलू” दरबार में बिहार के ही एक आम युवा ने जूता फैंक मारा |आम आदमी से “चंदावसेलू” खास बने अरविन्द केजरीवाल पर भी कुछ ऐसा ही हो गया |बंगाल के देवाशीष ने “शारदा” सरंक्षक मुख्य मंत्री ममता बनर्जी के भतीजे अभिषेक बनर्जी को थप्पड़ मार दिया|
दिल्ली में तो हद ही हो गई यारा ये पिटे पिटाये कांग्रेसी पोलिस से ही भिंड गए | सत्ता रुड भाजपाई और “आप” वालों में तो आपस में ही लट्ठ चल गए|
ओये अब ऐसे ही चलेगा हसाडे लोकतंत्र

झल्ला

ओ मेरे भोले बादशाहो संवैधानिक संस्थाओं को असंवैधानिक तरीके से नहीं चलने देने वालों को जनविरोधों का सामना करना ही पड़ता है |
अपनी बात कहने के लिए संविधान ने लोक सभा+राज्य सभा +विधान सभाएं दी हैं लेकिन जो लोग असंवैधानिक तरीके से इन सभाओं को चलने नहीं देते उन्हें इस प्रकार के जन विरोधों का सामना करना ही पड़ता है |