[नयी दिल्ली]बसपा सुप्रीमो मायावती को भी सरकार से नजदीकियों का पुरूस्कार मिलना शुरू हो गया है|इसी कड़ी के रूप में अब आय से अधिक संपत्ति मामले की जांच बंद करने के प्रक्रिया शुरू हो गई है|
केंद्रीय जांच ब्यूरो[ CBI ] ने आय से अधिक संपत्ति[DA ] के मामले में उच्चतम न्यायालय के आदेशों पर कानूनी राय हासिल करने के बाद बसपा प्रमुख मायावती के खिलाफ जांच बंद करने का फैसला किया है। गौरतलब है कि सुप्रीम कोर्ट ने बसपा[BSP ] सुप्रीमो के खिलाफ कथित आय से अधिक संपत्ति के संबंध में प्राथमिकी पिछले साल निरस्त कर दी थी लेकिन एक निजी हस्तक्षेप अर्जी दायर कर दी गई थी | इससे पूर्व सपा सुप्रीमो मुलायम सिंह यादव के खिलाफ भी केस वापस लिया जा चुका है ऐसे में सुश्री मायावती को क्लीन चिट मिलने की खबरें आने लग गई थी| इससे पूर्व मायावती को ताज कोरिडोर मामले में भी राहत मिल चुकी है | मुलायम सिंह यादव और मायावती दोनों ही केन्द्र सरकार को बाहर से समर्थन दे रहे हैं।
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बसपा सुप्रीमो मायावती के विरुद्ध आय से अधिक संपत्ति मामले की जांच बंद करने की प्रक्रिया शुरू हो गई
बसपा सुप्रीमो मायावती ने ,मीडिया के माध्यम से ,यूं पी में राष्ट्रपति शासन की मांग की
बसपा सुप्रीमो मायावती ने आज उत्तर प्रदेश में कानून व्यवस्था पर प्रश्न चिन्ह लगाते
हुए प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाए जाने की राष्ट्रपति से संस्तुति किए जाने की मांग की है।मायावती ने आज यहां प्रदेश के संगठन की समीक्षा तथा लोकसभा चुनाव के समय से पूर्व होने की संभावनाओं के साथ-साथ बदल रही राजनीतिक परिस्थितियों पर विचार करने के लिए बुलाई बैठक से पूर्व संवाददाताओं से बातचीत करते हुए प्रदेश की चौतरफा लचर व्यवस्था पर चिंता जताई और राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग की|
उन्होंने कहा कि देश के अन्य राज्यों की तुलना में यूपी में तेजी से बढ़ रहे अपराध+ बलात्कार और भ्रष्टाचार ने प्रदेश की जनता को त्रस्त कर दिया है और राज्यपाल बी.एल.जोशी से मांग की कि इन मामलों को संविधान के परिपेक्ष्य में गंभीरता से खुद जानकारी हासिल करें और उसके बाद राष्ट्रपति से तत्काल प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की सिफारिश करें।मायावती ने कहा कि हालांकि वे खुद भी राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी से मिलकर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर सकती है, लेकिन ऐसा करने पर उनपर और उनकी पार्टी पर राजनीति करने का आरोप लगा दिया जाएगा।
पूर्व मुख्यमंत्री ने आरोप लगाया कि समाजवादी पार्टी की सरकार जब से सत्ता में आई है प्रदेश में हत्या, लूट, अपहरण और बलात्कार की घटनाएं तेजी से बढ़ती जा रही है और नौ महीने के शासनकाल में ही प्रदेश के कई भागों में सौ से अधिक दंगे हो चुके है, जिससे आम जन बुरी तरह त्रस्त है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में आर्थिक भ्रष्टाचार चरम पर पहुँच चुका है| जमीनों पर अवैध कब्जे किये जा रहे हैं| और सपा सरकार बसपा शासनकाल की निष्पक्ष जांच की आड़ में भी भ्रष्टाचार कर रही है।मायावती ने कहा कि मौजूदा सरकार शासन व्यवस्था संभालने में पूरी तरह नाकाम रही है और लचर व्यवस्था से जनता का ध्यान हटाने के लिए ओबीसी को छात्रवत्ति देने की घोषणा कर रही है, जबकि ओबीसी की ही क्रीमीलेयर की सीमा घटाकर दो लाख रुपये कर दी गयी है, जबकि उन्होंने अपने शासन काल में इसे पांच लाख रुपये किया था।दिल्ली के बलात्कार कांड का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि इसके बहाने विभिन्न संगठन और नेता तरह तरह की बयानबाजी कर मामले की गंभीरता को हल्का करने की कोशिश कर रहे हैं।बलात्कार की बढ़ती घटनाओं और महिला उत्पीड़न को रोकने के लिए सख्त कानून बनाये जाने पर जोर देते हुए मायावती ने कहा कि फिल्म और विज्ञापन में बदलाव के साथ साथ समाज की कमियों को भी दूर करने की सख्त जरूरत है।
उत्तर प्रदेश विधानसभा के 125 वर्ष पूरे होने पर यहां चल रहे समारोह में शामिल होने के बारे में पूछे जाने पर मायावती ने कहा, यह आयोजन सरकारी कम राजनैतिक ज्यादा है इसलिए मेरे जैसे लोगों का ऐसे कार्यक्रम में शामिल होना उचित नहीं।
एफडीआई के मामले में पूछे गये एक प्रश्न के उत्तर में उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस नीति को राज्यों पर जबरन नहीं थोप रही है और स्पष्ट किया कि हमारी पार्टी उत्तर प्रदेश में एफडीआई को लागू नहीं होने देगी।
आज बारह का विशेष महत्त्व है शायद इसीलिए मायावती ने राज्यसभा की कार्यवाही को लेकर सरकार के बारह बजाये
अंसारी ने उनसे शांत होने की अपील करते हुए कहा कि सदन सभी दलों के सहयोग से ही सुचारू रूप से चल सकता है और वह अभी प्रश्नकाल चलने दें। नाराज मायावती ने उनकी अपील अनसुनी कर दी और आसन के करीब आ गईं। मायावती के न मानने और बीएसपी सांसदों के हंगामे की वजह से सदन की कार्यवाही पहले कुछ समय के लिए और फिर दिन भर के लिए स्थगित कर दी गई।नियमानुसार, सदस्यों को पीठासीन अधिकारी पर अभद्र टिप्पणी करने की अनुमति नहीं है.मायावती की इस टिपण्णी पर कांग्रेस द्वारा आपत्ति जताई गई है| गौरतलब है कि अनुसूचित जातियों व जनजातियों को प्रोन्नति में आरक्षण मुहैया कराने वाले एक संविधान संशोधन विधेयक को लेकर सदन की कार्यवाही बाधित हो रही है.
सभापति प्रश्नकाल की अध्यक्षता करते हैं, जबकि शून्यकाल और उसके बाद की कार्यवाहियों की अध्यक्षता आमतौर पर उपसभापति द्वारा की जाती है. सभापति हालांकि महत्वपूर्ण अवसरों पर सदन में वापस आते हैं|.
उदाहरण के तौर पर जब प्रधानमंत्री का कोई वक्तव्य हो, या जब किसी सत्र की समाप्ति पर सदन अनिश्चितकाल के लिए स्थगित हो रहा हो.उन्होंने कहा कि आप 12 बजे जाइए लेकिन सदन की कार्यवाही सुनिश्चित कराना आपकी जिम्मेदारी है। 12 बजते ही आप सदन में नहीं दिखेंगे। मायावती की इस टिप्पणी पर प्रतिक्रिया देते हुए संसदीय कार्य मंत्री राजीव शुक्ला ने इस टिपण्णी को दुर्भाग्य पूर्ण बताया है|
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