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Category: Crime

कार्टूनिस्ट असीम को २४ सितम्बर तक न्यायिक हिरासत में भेजा

देश द्रोह के आरोप में गिरफ्तार किए गए कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी को आज २४ सितम्बर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया है|उन्होंने जमानत लेने और वकील रखने से इनकार कर दिया है। इसके बाद कोर्ट ने उन्हें 24 सितंबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया।
आज मुंबई पुलिस ने श्री त्रिवेदी को कोर्ट में पेश किया और कहा कि असीम के खिलाफ पुलिस की जांच पूरी हो चुकी है और अब उनकी और रिमांड की जरूरत नहीं है। पुलिस ने रिमांड सरेंडर करने की इच्छा जताई जिसे कोर्ट ने स्वीकार कर लिया। दूसरी ओर असीम ने अपनी जमानत के लिए कोई अर्जी देने से इनकार कर दिया। यहां तक कि अपने लिए कोई वकील रखने से भी उन्होंने इनकार कर दिया। उनका कहना था कि अगर उन्हें अपना पक्ष रखना होगा तो वो खुद रखेंगे।
देश भर में असीम के समर्थन में आवाजें उठ रही है\ईन्डिया अगेंस्ट करप्शन+ जस्टिस मार्कंडेय काटजू और बड़ी संख्या में बुद्धिजीविओं और कार्तूनिस्ट्स ने पोलिस की कार्यवाही का विरोध किया है और लोगों ने इसे विचारों की अभिव्यक्ति की सवतंत्रता पर प्रहार भी बताया है|कानपुर और मुम्बई में विरोध प्रदर्शन शुरू हो गए हैं|कानपुर में तो मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल के निवास पर भी प्रदर्शन कारी पहुंचे| असीम की गिरफ्तारी के बाद उनके होम टाउन कानपुर में भी जमकर विरोध प्रदर्शन हो रहा है। असीम के समर्थन में बीती रात असीम के पिता और कानपुर के दर्जनों लोग कानपुर रेलवे स्टेशन पर केंद्रीय मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल को ज्ञापन देने पहुंचे। कोयला मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल को श्रमशक्ति एक्सप्रेस से दिल्ली जाना था लेकिन वो नहीं पहुंचे जबकि ट्रेन में उनकी सीट रिजर्व थी।
इसके बाद स्टेशन पर कानपुर देहात से कांग्रेस के सांसद राजाराम पाल आए तो असीम के पिता अशोक त्रिवेदी ने सांसद राजाराम पाल को ही ज्ञापन दे दिया। सांसद ने उनको आश्वासन दिया कि उनकी बात महाराष्ट्र सरकार और केंद्र सरकार तक जरूर पहुंचाएंगे। असीम के पिता ने कहा है की अगर उनके पुत्र ने देश द्रोह किया है तो उन्हें भी गिरफ्तार करके जेल म एडल दिया जाना चाहिए क्योंकि वोह पिता है| संभवत इसीलिए असीम पर लगाए गए देशद्रोह के मामले को वापस लेने पर भी पुलिस विचार कर रही है। सूत्रों के मुताबिक पुलिस असीम के बनाए गए कार्टून पर कानूनी सलाह ले रही है। मालूम हो कि असीम को एक आपत्तिजनक कार्टून बनाने को लेकर मुंबई पुलिस ने गिरफ्तार किया था।

विश्व आत्म हत्या विरोधी दिवस पर जागरूकता रेली

सुसाईडल टेंडेंसी को डिसकरेज करने और जीवन के प्रति आशा की किरण जगाने के लिए आज मेरठ के रघु नाथ गर्ल्स कालेज से कमिशनरी चौक तक छात्राओं ने जागरूकता रेली निकाली | छात्राओं ने हाथों में प्ले कार्ड्स +तख्तियां उठाई हुई थी जिन पर जीवन से प्यार करने के लिए प्रेरणादायक सन्देश लिखे थे|
गौरतलब है की वर्तमान में सुसाईडल टेंडेंसी समाज में बढ रही है |पूरे देश में होने वाली आत्महत्याओं का १८% मेरठ में आत्महत्या होती हैं|नेशनल क्राईम रिकार्ड ब्यूरो के अनुसार २०११ में मेरठ में ही कुल ७५ आत्महत्या के केस दर्ज़ किये गए थे इसीलिए इस सामाजिक बुराई के प्रति जागरूकता के लिए आज १० सितम्बर को विश्व आत्महत्या विरोधी दिवस मनाया जाता है|

मध्यप्रदेश सरकार ने १७वे दिन मानी जलसत्याग्राहियों की मांगें

अपनी जमीन के लिए ५१ ग्रामीण १७ दिनों से पानी में खड़े होकर लड़ाई लड़ रहे हैं|आज जाकर उनकी आवाज़ केंद्र और मध्यप्रदेश के कर्णधारों तक पहुंची है|मुख्यमंत्री ने ९० दिनों में सारी समस्याओं को सुलझाने का आश्वासन दे दिया है|
राज्य के मुख्यमंत्री मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने खंडवा और हरदा जिले में जल सत्याग्रह कर रहे किसानों को जमीन के बदले जमीन देने का प्रस्ताव दिया है।लेकिन इसके लिए ग्रामीणों द्वारा लिया गया मुआवजा उन्हें लौटना होगा| आज एक प्रेस कांफ्रेंस में सीएम ने इस बाबत एक कमिटी बनाने का भी ऐलान किया है,| यह कमिटी अगले 3 महीने में रिपोर्ट देगी।
सीएम के इस ऑफर के बाद नर्मदा दूब से प्रभावित लोग जल सत्याग्रह वापस ले सकते हैं।फिलहाल जल स्तर कम होने तक जल सत्याग्रही जल में रहने की बात कह रहे हैं|
सोमवार को मध्य प्रदेश के सीएम शिवराज सिंह चौहान ने जल सत्याग्रह कर रहे किसानों को जमीन के बदले जमीन का प्रस्ताव दिया। उन्होंने कहा कि जो किसान मुआवजे की राशि का 50 फीसदी लौटाएंगे, उन्हें जमीन के बदले जमीन दे दी जायेगी | यही नहीं ओंकारेश्वर बांध की ऊंचाई भी 189 मीटर से अधिक नहीं होगी।गौरतलब है की यह ऊंचाई सुप्रीम कोर्ट के निर्देशों से भी कम है|
खंडवा जिले के घोघलगांव, बड़खलिया और हरदा जिले के खरदाना में नर्मदा के दूब प्रभावितों द्वारा जल सत्याग्रह किया जा रहा है। इनका कहना है कि बाँध कि ऊंचाई से उनके गावं पानी में ड़ूब गए हैं और मुआवजे कि ५ एकड़ जमीन भी नहीं दी गई है| इस बीच उनके पैरों और हाथों पर वाटर बाउंड बीमारियों के अलावा मच्छी और कछुओं के काटे का प्रभाव भी पड़ रहा है| शुक्रवार को सीएम ने राज्य सरकार के दो मंत्रियों को सत्याग्रह स्थल पर जाकर आंदोलनकारियों से बातचीत के निर्देश दिए थे। शनिवार को उद्योग मंत्री कैलाश विजयवर्गीय और कुंवर विजय शाह सत्याग्रह स्थल पर पहुंचे और आंदोलनकारियों से बातचीत की। आज केंद्र सरकार के प्रतिनिधि मंडल के आगमन की सूचना भी दी गई है|
लगता है उसके बाद ही सरकार ने यह कदम उठाया है।
मध्य प्रदेश का यह भी कहना है कि इस कदम से बिजली उत्पादन [१२०म व् ]कम होगा और बड़े हिस्से में जमीन की सिंचाई भी प्रभावित होगी|

कार्टूनिस्ट असीम ने जमानत कराने से इनकार किया

सुप्रसिद्ध कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी को मुंबई पुलिस ने कल देश द्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया है। असीम पर आरोप है कि उन्होंने आपत्तिजनक कार्टून बनाकर राष्ट्रीय प्रतीक का अपमान किया है।
रविवार को उन्हें विशेष अदालत में पेश किया गया। अदालत ने उन्हें 16 तारीख तक के लिए पुलिस हिरासत में भेजने का आदेश दिया।
मामला कई महीने पहले का है, जब अन्ना हजारे मुंबई के एमएमआरडीए ग्राउंड में अनशन पर बैठे थे।
अन्ना के उस आंदोलन के दौरान कार्टूनिस्ट असीम त्रिवेदी ने एक कार्टून बनाया था, जिसमें राष्ट्रीय प्रतीक सम्राट अशोक स्तम्भ के तीन सिंह के सर के बजाय भेडिय़े के सर बनाए गए थे और सत्यमेव जयते की जगह भ्रष्टमेव जयते लिखा था। इसी कार्टून को आधार बना कर असीम त्रिवेदी के खिलाफ मामला दर्ज किया गया था। उन पर राजद्रोह का आरोप है।
अब अभिव्यक्ति की स्वतन्त्रता पर सवाल उठने लगे हैं| कहा जा रहा है कि मौजूदा सरकार सोशल+ वर्कर सोशल साईट्स+वर्चुल सोशल मीडिया से इस कदर घबरा गई है कि अब कार्टूनिस्टों को भी देश द्रोह के आरोप में एरेस्ट किया जा रहा है |इससे पहले केंद्र सरकार ने ट्विट साईट पर प्रतिबंध लगाने कि बात कही थी उसके साथ फेसबुक+ यूं ट्यूब आदि कि तरफ नज़रें टेडी की गई | वैश्विक और राष्ट्रिय दबाब के चलते यह संभव नहीं हुआ तब पूर्वोत्तर राज्यों में अहिंसा की रोकथाम के नाम पर अहिंसा होने के बाद बल्क एस एम् एस पर रोक लगाई गई यह रोक अभी भी २० एस एमएस से ऊपर लागू है|
इस एरेस्ट के समर्थन और विरोध में ब्यान बाज़ी का दौर शुरू हो चुका है|कहा जा रहा है कि चूंकि अब अन्ना टीम के आन्दोलन आन्दोलन कि हवा निकल चुकी है इसीलिए टीम अन्ना के कट्टर समर्थक असीम त्रिवेदी को एरेस्ट करके सरकार द्वारा अपना शासक दम्भ दिखाया जा रहा है|जिस क़ानून के अंतर्गत [१२४]असीम को गिरफ्तार किया गया है वह भी अंग्रेजों द्वारा बनाया गया था इसके पीछे १८५७ की पहली क्रान्ति के बाद देसी क्रांतिकारियों कोकुचलने की मंशा ही थी अब देश की आजादी के ६ दशकों के बाद भी उसी कानून के अंतर्गत आधुनिक कार्तिकारियों को कुचलने की देशी शासकों द्वारा अंग्रेज़ी कौशिश की जा रही है| इसे दमनात्मक कार्यवाही बता कर कार्टूनिस्ट असीम ने इसका विरोध करते हुए इस कानून को नहीं मानने की बात कही है | अदालत में जवाब नहीं देने और उन्होंने जमानत नहीं करवा कर अपना विरोध दर्ज़ करवाने की बात भी कही है|
कार्टूनों पर विवाद कोई नई बात नहीं है| राजनीतिज्ञों पर तो कार्टून बनते और छपते रहे हैं| संविधान निर्माता बाबा भीम राव आंबेडकर पर पाठ्य पुस्तकों में भी कार्टून छपे हैं| छोटे से लेकर बड़े अख़बार में भी एक विशेष कोना कार्टून से ही सजाया जाता रहा है|कार्टून पिक्चर्स आज भी बच्चों में प्रिय हैं| दुर्भाग्य वश मौजूदा दौर में सामाजिक और राजनितिक मानसिकता की संकीर्णता एक अभिशाप के रूप में समाज के ऊपर मंडरा रही है|अपने लाभ के लिए किसी की भी पगड़ी उछालना या किसी पर भी कीचड उछालना आम बात हो चली है|मेरा मानना है कि समस्यायों की अनदेखी या टालने की परवर्ती से यह असंतोष बढ़ता जा रहा है|
यदि देखा जाए तो अशोक स्तंभ बेशक हमारा राष्ट्रीय प्रतीक चिन्ह है और राष्ट्रहित में इसकी मर्यादा का पालन किया ही जाना चाहिए| राष्ट्रीय नेताओं के विकृत कार्टून से बचना चाहिए |साफ़ सुथरा व्यंग जो हंसाने के साथ साथ सोचने पर भी मजबूर करने वाले कार्टूनों कि हमेशा मांग रही है+उपयोगिता रही है|
असीम देश में इंटरनेट सेंसरशिप के खिलाफ चल रहे आंदोलन सेव ऑवर वॉयस के संस्थापक सदस्य हैं और उन्हें अंतर्राष्ट्रीय संस्था कार्टूनिस्ट्स राइट्स नेटवर्क इंटरनेशनल यानी CRNI की तरफ से करेज इन एडिटोरियल कार्टूनिंग अवॉर्ड से भी नवाजा जा चुका है। इसीलिए अव्यवस्थाओं को कार्टून की शक्ल में लोगों तक पहुँचना उनका पेशा भी है|ऐसे में उन्हें भी राष्ट्रीय प्रतीक चिन्हों के प्रति सगजता दिखाना जरुरी है|
इसके साथ ही दुर्भाग्यवश कानून का पालन करने वाले और अशोक स्तंभ को अपने लेटर पैड या वाहनों पर लगाने वाले ही अधिकाँश आज कल भ्रष्टाचार+अपराधों में लिप्त हैं| संसद के मानसून सत्र के स्तर को देश और दुनिया ने देख ही लिया है | लोक तंत्र के सबसे बड़े मंदिरों में ब्लू फिल्म तक देखी जाती है| ऐसे में जागरूक जनता +लेखक+ विचारक के पास अपनी भावनाओं को व्यक्त करने या अव्यवस्थाओं का विरोध करने के लिए वर्चुअल मीडिया+लेख या कार्टून का ही सहारा है |अगर सरकार इस शेयर को ही छीन लेगी तो बेशक थोड़े समय के लिए विचारों का दबा सके मगर क्रांति की ज्वाला ऊपर दिखने के बजाये अन्दर ही अन्दर सुलगने लगती है|

साईबर क्राइम से सुरक्षा का ढांचा तैयार किया जा रहा है= डाक्टर मन मोहन सिंह

भारत के प्रधानमंत्री डाक्टर मनमोहन सिंह ने कहा है कि सरकार एक नया सुरक्षा ढांचा तैयार कर रही है जिससे साइबर सुरक्षा को होनेवाले ख़तरे से निबटा जा सके|
बल्क एसएमएस और सोशल मीडिया के ज़रिए हाल ही में किया गया दुष्प्रचार देश के सामने एक नई चुनौती है और हमें इसका डट कर मुक़ाबला करना होगा.
प्रधानमंत्री ने कहा कि सोशल मीडिया पर फैलाई गई अफ़वाहों की वजह से देश के दक्षिणी और पश्चिमी क्षेत्रों में रहनेवाले उत्तर पूर्व के लोगों में डर का भाव पैदा हुआ और देश में सांप्रदायिक तनाव पैदा हुआ यह चिंता का विषय है.
कांफ्रेंस में देश के राज्य पुलिस प्रमुखों को दिल्ली में संबोधित करते हुए डाक्टर सिंह ने कहा, “हमें ये बात समझनी होगी कि समाज में अव्यवस्था पैदा करनेवाले लोग सोशल मीडिया का कैसे ग़लत इस्तेमाल कर सकते हैं. हमें ऐसी व्यवस्था बनानी होगी जिससे ऐसी अफवाहों को कारगर तरीक़े से नियंत्रित किया जा सके.”
प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई कि जल्दी ही देश की पुलिस एक ऐसा ढांचा तैयार कर लेगी जिससे सोशल मीडिया के दुरूपयोग को कंट्रोल किया जा सकेगा.\उन्होंने बताया कि बीते ३० माह में ३.९ लाख पोलिस कर्मिओं की भर्ती की गई है और ६.३५ लाख को ट्रेनिंग दी जा चुकी है मगर इस दिशा में अभी और बहुत कुछ किया जाना है|
प्रधानमंत्री ने ये भी कहा कि सरकार एक नया सुरक्षा ढांचा तैयार कर रही है जिससे साइबर सुरक्षा को होनेवाले ख़तरे से निबटा जा सके.
उन्होंने पोलिस को आगाह करते हुए कहा कि चरमपंथी गुट मुम्बई की तरह समुद्र के रास्ते भारत की धरती पर प्रवेश कर सकते हैं.
राज्य पुलिस प्रमुखों के साथ देश के सुरक्षा हालात की समीक्षा करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि जम्मू कश्मीर में नियंत्रण रेखा और अंतरराष्ट्रीय सीमा पर घुसपैठ की कोशिशें बढ़ रही हैं.
इसके साथ ही उन्होंने नक्सलवाद के फैलते ढांचे पर भी चिंता जताई|डाक्टर मन मोहन सिंह पोलिस डिपार्टमेंट के वार्षिक सम्मलेन में बोल रहे थे इस अवसर पर उन्होंने पोलिस एक्ट के १५० वर्ष पूरे होने पर प्रसन्नता व्यक्त की और उन्होंने

वर्ष ३/११-२ /१२ में कार्यरत सभी पोलिस कर्मिओं को मेडल देने की भी घोषणा की

उडीसा में हिंसा के लिए कांग्रेस के टाइटलर के खिलाफ रिपोर्ट

१९८४ के दंगों के बाद कांग्रेसी नेता जगदीश एक बार फिर सुर्ख़ियों में हैं|अबकी बार उन्होंने दिल्ली के बजाये भुबनेश्वर [उड़ीसा] में प्रदर्शन कारी कांग्रेसियों का न्रेतत्व किया और अशांति फैलाई | कांग्रेस के उड़ीसा प्रभारी होने के कारण इनके विरुद्ध भीड़ को भड़काने के आरोप में ऍफ़ आई आर दर्ज़ कर ली गई है|
मुख्यमंत्री नवीन पटनायक[बी जे डी ] की सरकार के खिलाफ ७ सितम्बर को कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने राजधानी भुवनेश्वर में प्रदर्शन किया। जिसमें पुलिसकर्मियों और प्रदर्शनकारियों सहित कम से कम 100 लोग घायल हो गए। एक महिला पुलिसकर्मी को भीड़ ने बेरहमी से पीटा।जिसे बाद में अस्पताल में भर्ती कराया गया | इसके विरोध में पोलिस संघ ने तुरंत दोषियों के विरुद्ध कार्यवाही की मांग की है| इस प्रदर्शन का न्रेतत्व कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी जगदीश टाइटलर कर रहे थे। पुलिस ने जगदीश टाइटलर और निरंजन पटनायक के खिलाफ केस दर्ज कर लिया है। इस मामले में पुलिस ने कुछ लोगों को गिरफ्तार भी किया है। साथ ही महिला पुलिस पर हमला करने वाले लोगों की पहचान में जुट गई है।
वहीं जगदीश टाइटलर ने अपने बचाव में कहा है कि उन्होंने भीड़ को उकसाने के लिए कोई साजिश नहीं रची थी। अपने ऊपर लगे आरोपों पर सफाई देते हुए कहा कि उन्हें अकारण ही इस मामले में घसीटा जा रहा है।
प्रदेश पुलिस के मुताबिक इस मामले में 5 एफआईआर दर्ज किए गए हैं। जिसमें महिला पुलिसकर्मी पर हमला करने का भी है।
कुल 34 लोगों को इस केस में गिरफ्तार किया गया है। पुलिस का कहना है कि उन्होंने लोकल मीडिया चैनेल से वीडियो फूटेज मांगे हैं, ताकि महिला पुलिसकर्मी पर हमला करने वालों की पहचान हो सके।
गौरतलब है कि ओडिशा में कोल ब्लॉक आवंटन के मामले में मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की सरकार के खिलाफ ७ सितम्बर को कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने राजधानी भुवनेश्वर में प्रदर्शन किया। मानसून सत्र चलने के दौरान कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने जब बेरिकेड को तोड़ते हुए विधानसभा भवन की ओर कूच किया तो पुलिस ने भीड़ को तितर-बितर करने के लिए पानी की बौछार की, आंसूगैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज भी किया। प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर पत्थरबाजी भी कीऔर एक महिला पोलिस पर हमला भी किया|
उल्लेखनीय है कि श्रीमति इंदिरा गाँधी की शहादत तुरंत के बाद दिल्ली में सिखों का कत्ले आम हुआ था बड़े संख्या में सिख दिल्ली छोड़ कर चले भी गए|उग्र भीड़ का न्रेतत्व करने के लिए जिन नेताओं पर आरोप लगाया गया था उनमे एक जगदीश टाइटलर भी थे जगदीश तब से लगातार अपनी छवि सुधारने में लगे है फरवरी २०१० में उन्होंने एक पीस एल्बम भी लांच की थी
इससे पूर्व यूं पी ऐ अध्यक्षा श्रीमति सोनिया गांधी द्वारा कोयला मुद्दे पर हमलावर रुख अपनाने का आह्वाहन किया जिसके फलस्वरूप प्रवक्ता मनीष तिवारी आदि ने यह भविश्यवाणी कर दी थी की शीघ्र लाखों कांग्रेसी सडकों पर उतर कर मुकाबिला करेंगे|

संसद के मानसून सत्र की बर्बादी नहीं इन्वेस्टमेंट है =भजपा

संसद के मानसून सत्र की बर्बादी के लिए भाजपा ने अपना बचाव करते हुए कहा की यह बर्बादी नहीं वरन इन्वेस्टमेंट है|संसद के बाद भाजपा ने प्रेस कांफ्रेंस करके अपनी स्थिति स्पष्ट की और संसद की लड़ाई को सडकों पर ले जाने की घोषणा की| लोक सभा में एन डी ऐ की नेता सुषमा स्वराज और राज्य सभा के नेता अरुण जेटली ने कहा की बेशक संसद को बाधित करके कुछ करोड़ का नुकसान हुआ है मगर कोयला खंडों के रीसेल से अरबों रुपयों का राजस्व देश को मिलेगा|
उन्होंने संसद की कार्यवाही का खुलासा करते हुए बताया की पहले हफ्ते में कोकराझाड़ में हिंसा और उसके बाद पूर्वोत्तर छेत्रो के लोगों का पलायन जैसे ज्वलंत मुद्दों पर चर्चा हुई और संसद एक जुट दिखाई दी|गृह मंत्री सुशील कुमार शिंदे ने पूर्वोत्तर राज्यों के लोगों के पलायन पर सुओ मोटो पड़ने की बात कह कर इस मामले की गंभीरता को समाप्त कर दिया|इसके पश्चात कैग की रिपोर्ट आ गई|इस पर पार्टी ने पी एम् के इस्तीफे के साथ निष्पक्ष जांच और कोयला खंडों के आवंटन को तत्काल रद्द किये जाने की मांग की |ये तीनो मांगें मानने से सरकार ने इंकार कर दिया तब पार्टी के पास सदन की ओपचारिक कार्यवाही को बाधित करने के अलावा कोई चारा नहीं बचा|
पार्टी न्रेत्त्व को सभा चलने देने के लिए आग्रह किया गया मगर भजपा की मांगें मानने से इनकार किया गया|
चर्चा नहीं किये जाने पर पार्टी का स्टेंड स्पष्ट करते हुए उन्होंने बताया कीधारा १९१+१८४ या कार्यस्थगन प्रस्ताव पर बहस हो सकती थी |[१]१९३ के अंतर्गत केवल वाक् और टाक आउट हो कर बात खत्म कर दी जाती है|[२]१८४ के अंतर्गत मतदान कराया जाता है इसमें सरकार के पास आंकड़ों का संख्याबल है और उनकी जीत निश्चित है|अब बहुमत से लूट का लायसेंस नहीं मिल जाता |स्पीकर मीरा कुमार और यूं पी ऐ अध्यक्षा सोनिया गाँधी द्वारा चर्चा कराने के लिए एप्रोच किया गया था \तब पार्टी ने पी एम् के इस्तीफे की मांग पर दबाब कम करके कोयला खंडों के आवंटन रद्द करने और जाँच कराने की मांग की थी मगर कोई बात नहीं मानी गई|
श्रीमति सुषमा और अरुण जेटली ने कहा कि कभी कभी संसद की कार्यवाही को बाधित करना भी देश हित में होता है|२जी को कोडियों के मौल लुटाया गया था तब भीतीन साल पहले पार्टी ने संसद बाधित करके दबाब बनाया था और उसका नतीज़ा है कि आज इसका मिनिमम प्राईज़ दस गुना अधिक फिक्स किया गया है|
श्री जेटली ने पी एम् पर आरोप लगाया कि भ्रष्टाचार के मुद्दे को प्राथमिकता नहीं दी जा रही है||२००५ में पी एम् ओ द्वारा लिए गए नीलामी सम्बन्धी निर्णय आज २०१२ तक भी लंबित ही हैं|
अरुण जेटली ने तो वाम पन्थिओन की भाषा बोलते हुए कहा कि पूँजीपति वाद को बढावा देने कि नियत से चाँद पूँजीपतिओं में रेवादियों कि तरह कोयला ब्लाक्स बाँट दिए गए|सत्यता अब सामने आ रही है|[१]कांग्रेस के दो एम् पी [२]डीएम के के मंत्री[३]आर जे डी के मंत्री रहे नेताओं के नाम सामने आ चुके है |अभी और खुलासा होना बाकी है|

संसद का मानसून सत्र बिना बिजनेस फुआरों के समाप्त

संसद का मानसून सत्र बिना बिजनेस फुआरों के समाप्तहो गया सरकार और विपक्ष ने इस बर्बादी के लिए एक दूसरे के सर पर ठीकरा फोड़ा है
| संसद के मानसून सत्र को बिना किसी जनहित बिजनेस के अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया गया| ८ अगस्त से प्रारम्भ हुए इस सत्र में ६२ घंटे काम नहीं हुआ | इस सत्र की बर्बादी पर प्रत्येक वर्ग ने अपने तरीके से कमेंट्स किये हैं|
राज्यसभा के चेयर मेन मोहम्मद हामिद अंसारी ने इस

सत्र के बेकार चल जाने पर खेद व्यक्त करते हुए अपने समापन भाषण में कहा कि इस सत्र को काम नहीं करने के लिए याद किया जाएगा|

प्रधान मंत्री डाक्टर मन मोहन सिंह ने बाद में पत्रकारों के सामने दिए सन्देश में इस पर खेद व्यक्त किया और इसके लिए विपक्ष के अड़ियल रवैय्ये को दोषी बताया|इसके साथ ही उन्होंने कैग पर नर्म रुख अपनाते हुए कहा कि कैग गलत नहीं है मगर उसकी रिपोर्ट पर चर्चा जरुरी है
|मुख्य विपक्षी दल भाजपा ने सत्र की बर्बादी को राष्ट्र हित में इन्वेस्टमेंट बताया| श्रीमति सुषमा स्वराज और अरुण जेटली ने एक प्रेस कांफ्रेंस में बताया कि इस सत्र में कुछ करोड़ रुपयों कि बर्बादी हुई है मगर इससे बने दबाब से कोयला खदानों की रीसेल में अरबों रुपयों का राजस्व देश को प्राप्त होगा|इससे पूर्व २ जी में भी ऐसा ही राजस्व मिलाने का मार्ग प्रशस्त हो चुका है|
१५वी लोक सभा के ४थे साल के इस मानसून सत्र में कुल १९ दिनों में से केवल छह कार्यदिवस में ही कार्य बुक किया गया| तीन बिल पास हुए|शेष पीरियड तो सरकार और विपक्ष की जोर आजमाईश में ही चला गया| इससे पूर्व २०१० के विंटर सेशन भी २ जी की भेंट चड़ चुका है| राज्य सभा में ६२ घंटे बर्बाद हो जाने पर श्री अंसारी ने खेद व्यक्त करते हुए बताया कि ३९९ प्रश्नों को राज्य सभा के लिए एनलिस्ट किया गया था जिनमे से केवल ११ प्रश्न ही पूछे गए मगर उत्तर या चर्चा केवल एक प्रश्न पर ही हो सकी|शोर शराबे के कारण लोक सभा कि स्पीकर मीरा कुमार ने पी एम् और लोक सभा के नेता सुशील कुमार शिंदे की मौजूदगी में सत्र को बिना किसी फार्मल स्पीच के ही अनिश्चित काल के लिए स्थगित कर दिया|
लोक सभा में कोकराझाड़ और पूर्वोत्तर नागरिकों के पलायन पर चर्चा अवश्य हुई और इन मुद्दों पर संसद एक दिखाई दी मगर भाजपा ने आरोप लगाया है कि सरकार ने पूर्वोत्तर नागरिकों के पलायन कि समस्या को सुओ मोटो जवाब से टालने का ही प्रयास किया |
इस सत्र में काम तो हुआ नहीं उलटे ५ सितम्बर को राज सभा में बहुजन समाज वादी और समाज वादी पार्टियों के सांसदों में हाथापाई जरुर हुई जिससे संसदीय मर्यादा तार तार हुई|सपा के नरेश अग्रवाल और बसपा के अवतार सिंह करीम पुरिया में हाथा पाई हुई शरीर से पतले दुबले अवतार सिंह ने तो भरी भरकम नरेश अग्रवाल को तीन कदम पीछे धकेल दिया|
नौकरियों में प्रोमोशन पर रिजर्वेशन के बिल भी हंगामे के कारण कानून नहीं बन सका|इस बिल के लिए लाबिंग कर रही बसपा प्रमुख मायावती ने सत्र के कार्यकाल को आगे बढाने और आर जे डी के लालू प्रसाद यादव ने विशेष सत्र बुलाये जाने की मांग उछाली |लेकिन सरकार और विपक्षी जे डी यूं ने विरोध किया |
संसद की लड़ाई को अब सडकों पर लाने की बात कही जा रही है |एन डी ऐ ने आज सुबह संसद परिसर में स्थित महात्मा गाँधी कि प्रीतम के सामने खड़े होकर संकल्प लिया और भ्रष्टाचार की इस लड़ाई को सडकों पर ले जाने की बात दोहराई |कांग्रेस अध्यक्षा श्रीमति सोनिया गाँधी पहले ही अपने कांग्रेसियों से हमलावर होने को कह चुकी हैं इसीके फलस्वरूप कल[गुरुवार]को हज़ारों कांग्रेसियों ने उड़ीसा विधान सभा पर हंगामा किया और एक महिला पोलिस पर अत्याचार भी किया\

कल तक ये सांसद सोश्लाईट्स को सड़क के बजाये संसद में आकर लड़ाई लड़ने की दावत दे रहे थे इस दावत को स्वीकार करके सोश्लाईट्स ने तो सड़क छोड़ कर संसद में प्रवेश के लिए कदम बड़ा दिया है मगर ये दावत देने वाले खुद ही संसद छोड़ कर अब सडकों पर उतर रहे हैं |संसद की लड़ाई लड़ने के लिए सड़कों पर आ रहे हैं|

कोयले ने किया करिश्माई काम सब तरफ कलह और कोहराम

कोयले पर कलह जारी है भाजपा जहां इस मुद्दे पर घिरे प्रधान मंत्री डाक्टर मन मोहन सिंह को छूट देने के लिए तैयार नहीं है संसद में जम कर हंगामा हुआ सो आज १३वे कार्यदिवस में भी दोनों सदन स्थगित कर दिए गए है|
संसद के बाहर एन डी ऐ ने आज धरना भी दिया |भाजपा पी एम् के इस्तीफे और कोयला खंड आवंटन को रद्द किये जाने की मांग पर अड़ी है|
सरकार +विपक्ष और सोशलाईट्स अपने अपने तरीके से मुद्दे को परिभाषित कर रहे हैं |सरकार का दावा है कि सी बी आई[ सेन्ट्रल ब्यूरो आफ ईन्वेस्तिगेशन] द्वारा घोटाले की जांच की जा रही है घोटाले बाजों के आरोपियों के यहाँ छापे मारे जा रहे हैं|कानून अपना काम कर रहा है| सांसद दर्डा और उसके भाई महाराष्ट्रा के मंत्री और जाय्सवाल्स आदि के यहाँ छापे डाले भी जा चुके हैं \सी बी आई ने दर्डा के खिलाफ ऍफ़ आई आर भी दर्ज़ करा दी है|
कांग्रेस की दलील है कि भाजपा शासित प्रदेशों के मुख्य मंत्रियों कि संतुति के पश्चात ही कोयला खंड बांटे गए |इसके लिए झारखण्ड+राजस्थान+मध्यप्रदेश+उड़ीसा+छत्तीसगढ़ के मुख्य मंत्रियों को निशाना बनाया जा रहा है|अब सी बी आई ने इन मुख्य मंत्रियों से पूछताछ करने का मन भी बना लिया है|
सी बी आई की कार्यविधि और नियत पर सवाल उठते रहे हैं|सोश्लाईट से राजनीती में आये अरविन्द केजरीवाल ने यह आरोप लगाया कि सी बी आई के छापों से पहले इसी के अधिकारी ने आरोपियों को छापों के बारे में पहले ही सूचित कर दिया था|जाहिर है अब वहां कुछ भी काम कि जानकारी नहीं मिलने वाली|अन्ना टीम शुरू से ही सी बी आई के स्थान पर जन लोक पाल को वरीयता देती आ रही है|भाजपा भी आये दिन सी बी आई को सरकार की कठपुतली बता रही है|
इस सबके बावजूद हाल ही में केन्द्रीय मंत्री कपिल सिब्बल ने यह कह कर सबको चौंका दिया है कि ऍफ़ आई आर दर्ज़ करने से कोई अपराधी नहीं हो जाता जबकि यह ऍफ़ आई आर उनकी अपनी सरकार की संस्था सी बी आई [जिसकी वोह शुरू से वकालत करते आये हैं ] द्वारा दर्ज़ कराई गई है|जाहिर है केन्द्रीय मंत्री की ऐसी टिपण्णी एक तरफ तो सी बी आई को कटघरे में रख रही है तो दूसरी तरफ आरोपियों को बचाने के लिए सरकार के नज़रिए को भी बयाँ किया जा रहा है|यह सी बी आई और दर्डा जैसे अनेकों दोषियों या आरोपियों के लिए सरकार कि तरफ से आश्वासन का सन्देश माना जा सकता है|
इस दिशा में कांग्रेस ने एक कदम और आगे जाते हुए बीते दिन उड़ीसा में कोयला घोटाले को लेकर मुख्य मंत्री नवीन पटनायक का इस्तीफा माँगा |लगभग ५०००० कांग्रेसियों ने उड़ीसा विधान सभा का घेराव किया विधान सभा में घोसने का प्रयास किया और तैनात पोलिस से फौजदारी भी की\बदले में लाठी चार्ज हुआ आंसू गैस के गोले और पानी कि बौछारें छोड़ी गई|इस अवसर पर एक महिला कर्मी को प्रदर्शन कारियों ने बुरी तरह से मारा और घसीटा|उसकी हालत नाज़ुक है|
किसी भी कांग्रेसी ने अभी तक ना तो इसकी जिम्मेदारी ली है और नाही खेद ही व्यक्त किया है|पोलिस संघ ने महिला साथी को मरने वाले को एरेस्ट करने कि मांग उठा दी है|
सी बी आई और सरकार को घसीटते हुए भजपा ने आज मांग कि है कि सी बी आई द्वारा मुख्य मंत्रियों से पूछ ताछ करने का मन बना रही है ऐसे में प्रधान मंत्री से भी पूछ ताछ की जायेगी क्या क्योंकि डाक्टर मन मोहन सिंह उस समय कोयला मंत्री थे |
कोयला मामले में जहां सी बी आई+सरकार और विपक्ष अपनी औपचारिकताएं निभा रहे हैं वहीं मीडिया सजग प्रहरी के रूप में रोजाना नए खुलासे कर रहा है|एन डी टी वी और ई बी एन ७ चेनलों के आलावा प्रिंट मीडिया भी नए नए रहस्योद्घाटन कर रहा है|बेशक इन्हें पोलितिशियंस द्वारा ही फीड बेक दिया जा रहा है मगर खबरे बाहर आ रही है|दर्डा और जायसवाल परिवारों के बाद मंत्री जगतरक्षण+ बिहार के लालू प्रसाद यादव के नजदीकी गुप्ता के अलावा नवीन जिंदल के नाम भी उजागर किये जा चुके हैं|
कहा जा रहा था कि इसमें कोयला तो मदर अर्थ में है इसीलिए जीरोलास है मगर मदर अर्थ में कोयला के आधार पर ही शेयरों के दाम आंसमां पर पहुंचा कर अनुचित लाभ कमाया गया| एक दिन में एक साहब ने ११० करोड़ बनाये|अब बेरोकटोक ऐसे लोगों को रुपया बनांते देख कर सी बी आई +इन्कम्म टेक्स+ सरकार+सी वी सी की चुप्पी रही इस चुप्पी पर जवाब देही तो बनती ही है\

अन्ना और अरविन्द के अराजनैतिक संबंधों में अब राजनीतिक कडवाहट

अन्ना और अरविन्द के अराजनैतिक संबंधों में अब कडवाहट आने लग गई है|अरविन्द केजरीवाल राजनीतिक पार्टी बनाने के पक्ष को उजागर कर चुके हैं और इस दिशा में एक प्रदर्शन भी कर चुके हैं|अन्ना हजारे अभी तक पक्ष या पार्टी बनाने के विषय में फैंसला फायनल नहीं कर पाए हैं| जंतर-मंतर के मंच से राजनीति विकल्प की बात कहने वाले अन्ना अब पार्टी बनाने के खिलाफ बयान दे रहे हैं।
टीम अरविंद अगर चुनाव लड़ती है तो वो उसके लिए प्रचार भी करेंगे या नहीं यह भी साफ़ नहीं हुआ है| अन्ना आंदोलन के जरिए सिर्फ जनता को जगाने के पक्ष में दिख रहे हैं। जिससे जनता योग्य उम्मीदवारों को चुनकर संसद और विधानसभाओं में भेज सके। इसके लिए अन्ना विकल्प देने की बात जरूर कहते आ रहे हैं|
कोयला आवंटन पर अरविंद के घेराव आंदोलन पर किरण और अरविंद के बीच मतभेद उभर कर सामने भी आ गए। अन्ना ने भी माना कि दोनों में इस बात पर मतभेद है, हालांकि उन्हें उम्मीद है कि इस मतभेद को मिल बैठ कर सुलझा लिया जाएगा। लेकिन इस दिशा में अभी तक कोई पहल होते नहीं दिख रही|
टीम अन्ना दिल्ली का विधानसभा चुनाव लड़ने के संकेत दे रही है|अन्ना ने अभी तक अपना विरोध प्रकट नहीं किया है| आंदोलन के दौरान मैं अन्ना हूं कि टोपी, मैं अरविंद हूं कि टोपी में बदलने लगी है \इससे भी अन्ना के दिल पर चोट लगना स्वाभाविक ही है|
बीते महीने अन्ना हजारे ने ऐलान किया था कि वो जनता को राजनीतिक विकल्प देंगे
गौरतलब है कि जंतर मंतर के आखिरी अनशन से पहले अन्ना लगतार राजनीति में उतरने से इनकार करते रहे हैं। लेकिन जब अरविंद-मनीष और गोपाल राय के अनशन पर सरकार ने कान नहीं दिया तो अन्ना के रुख में बदलाव साफ दिया। आईबीएन नेटवर्क के एडिटर इन चीफ राजदीप सरदेसाई से बात करते हुए अन्ना ने कहा कि अगर भ्रष्टाचार की सुरसा के वध के लिए सियासी पहल की जरूरत हुई और जनता ने आदेश दिया तो वो इनकार नहीं कर सकेंगे।
भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन की शुरुआत से ही सत्ता पक्ष से अन्ना हजारे को इस बात की चुनौती दी जाती रही कि चुनाव मैदान में मुकाबला करके दिखाएं। लेकिन अन्ना कभी इसके हक में नहीं रहे। अन्ना का मानना था कि राजनीतिक दल बनाते ही आंदोलन की धार कमजोर पड़ जाएगी।
जाहिर है अन्ना का ताजा रुख उनके पहले के रुख से अलग दिख रहा है। जो अन्ना समर्थकों और सहयोगियों के पीछे खड़े रहने की बात कर रहे थे वो अब साफ कह रहे हैं कि पार्टी बनाने और चुनाव लड़ने की कोई जरूरत नहीं है। वो राजनीतिक विकल्प की बात तो अब भी कर रहे हैं लेकिन ये विकल्प जन जागरण का है खुद सियासत में उतरने का नहीं। अन्ना ने भ्रष्टाचार विरोधी मुहिम का दायरा बढ़ाने की बात करते हुए यहां तक कह डाला कि अगर आंदोलन का स्वरुप व्यापक नहीं हुआ तो ये शिकायत निवारण केंद्र बन कर रह जाएगा। खैर इसका जो भी नतीजा निकलेगा सो निकलेगा मगर अभी तो जन लोकपाल का मुद्दा इनके हाथों से निकलता दिख रहा है|