Ad

Tag: HealthMinister

हरियाणा स्वास्थ्यमंत्री अनिलविज ने बीमार अस्पतालों को अौचक छापों के इंजेक्शन लगाने शुरू किये

[करनाल]हरियाणा के स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने बीमार अस्पतालों की तंदरुस्ती के लिए अौचक छापों के इंजेक्शन लगाने शुरू किये|
मंत्री पद सँभालते ही अम्बाला से विधायक बने स्वास्थ्य मंत्री अनिल विज ने छापे मारने शुरू कर दिए थे अब बीते दिनों उन्होंने करनाल में सरकारी अस्पतालों में छापे मारे और अनियमितताएं पाई जिसके फलस्वरूप मौके पर ही दोषियों को दंडका ऐलान भी कर दिया |
करनाल में स्वास्थ्य मंत्री ने अनियमितताएं पाई जाने पर कल्पना चावला मेडिकल कालेज के स्टाफ को लताड़ लगाई |
सिविल हस्पताल की सीएम्ओ का मौके पर तबादला किया|
पानी की टंकी पर खुद चढ़ कर गंदगी पाने पर मंत्री ने सेनेटरी इंस्पेक्टर को सस्पेंड किया |
11 डाक्टर्स फरलो मारने के केस पकडे गए|
हाजरी के रजिस्टर में अनुपस्थित डॉक्टर्स को न तो एब्सेंट ही दिखाया गया और वे छुट्टी पर भी नही थे |डॉ अंजलि+डॉ घनश्याम+डॉ आरुषि+डॉ अमित शर्मा+डॉ नरेंद्र +डॉ लूथरा+सी एम ओ डॉ वंदना भाटिया+आदि के खिलाफ कार्यवाही की सन्तुति की गई |
दवाइयों में गड़बड़ी की भी जांच ,के आदेश दिए गए हैं गौरतलब है यह अस्पताल अंतराष्ट्रीय ख्याति प्राप्त अंतरिक्ष वैज्ञानिक स्वर्गीय कल्पना चावला की स्मृति में हुड्डा सरकार ने बनवाया था इसमें पहले भी वित्तीय सम्बन्धी शिकायते आती रही हैं|

हरियाणा के कद्दावर स्वास्थय मंत्री अनिल विज सड़कदुर्घटना में बाल बल बचे

[अम्बाला,चंडीगढ़] हरियाणा सरकार के कद्दावर केबिनेट स्वास्थय मंत्री अनिल विज आज सड़क दुर्घटना में बाल बाल बच गए|श्री विज अम्बाला कैंट से भाजपा के वरिष्ठ विधायक भी हैं| उन्होंने रोबर्ट वढेरा और डी एल ऍफ़ में हुई अनियमित लैंड डील को लेकर पूर्व मुख्य मंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा को लगातार निशाने पर लिया हुआ है| इसके आलावा श्री विज आजकल अस्पतालों में निरीक्षण करके अनुशासन का पाठ पढ़ा रहे हैं
अम्बाला कैंट से विधायक अनिल विज आज सड़क दुर्घटना में बाल बाल बच गए।राज्य विधानसभा के सत्र में भाग लेने के लिए निकलने से पूर्व शास्त्री कॉलोनी , अम्बाला कैंट स्थित अपने घर से चाय पीने चले वह स्वयं कार चला रहे थे। जैसे ही उनकी कार पुल के नीचे से मुड़ी तभी तेज गति में पीछे से आ रहे एक ट्रालर ने उनकी कार को जोर से टककर मार दी।
इस दुर्घटना में कार बुरी तरह से क्षतिग्रस्त हो गई लेकिन श्री विज को खरोंच तक नहीं आई वे बाल बच गए।
स्वास्थय मंत्री बाद में सरकारी कार से चंडीगढ़ के लिए रवाना हुए। पुलिस ने ट्रालर चालक के खिलापक मामला दर्ज कर लिया है|

Details Of CGHS Tabled By Health Minister In LS Differs With Facts Of Deptt.

Ministry of Health and Family Welfare mooted proposal For 12 CGHS Dispensaries/Hospitals In Various UT’s & States
This Information Was Tabled By Health Minister In a Reply to a Question in the Lok Sabha .At present there are 377 Wellness/Dispensaries In 25 Different cities.And Four C G H S Hospitals are In Function In The National Capital Delhi Only
Information Uploaded By The Department Differs From The Details Provided By The Minister In Lok Sabha As Per CGHS Website There Are
[ A]254 allopathic dispensaries,
[B]19 polyclinics.
[C]78 Ayush dispensary/ units
[D] 3 Yoga Centres
[E] 65 Laboratories
[F] 17 Dental Units
The criteria fixed for setting up a Central Government Health Scheme (CGHS) dispensary in a particular area,Informed By The Minister are as under:-
(i) In an existing CGHS city:- For opening of a new Allopathic CGHS dispensary in an existing CGHS city, there has to be a minimum of 2000 Card holders (serving employees of Central Government and Central Civil pensioners).
(ii) Extension of CGHS to a new City:- For extension of CGHS to a new city, there has to be a minimum of 6,000 Card holders.
Exception
However, due to financial and other resource constraints it is not always possible to adhere to the above criteria.
State/UT-wise details about number of CGHS allopathic/AYUSH dispensaries and Hospitals in the country is given below:
STATEMENT SHOWING DETAILS OF CGHS HOSPITALS/WELLNESS CENTRES
S.No=================City==========ALLOPATHY=====POLYCLINIC=====AYUSH========CGHS HOSPITALS
[1]============AHMEDABAD==========8==============1==============2==============0
[2.]============ALLAHABAD==========7==============1==============2===============0
[3].===========BANGALORE==========10=============1==============4================0
[4]===========BHOPAL===============2=============0==============0=================0
[5].==========BHUNESHWAR==========3=============0===============1=================0
[6].==========CHENNAI==============14=============2===============4================0
[7].=========CHANDIGARH===========1==============0================0================0
[8].=========DEHRADOON============2==============0===============0=================0
[9]=========GUWAHATI===============5=============0================1=================0
[10].=======HYDERABAD==============13===========2=================6==================0
[11].=======JAMMU===================2============0=================0=================0
[12]=======JAIPUR====================7===========1==================2=================0
[13].=======JABALPUR=================4============0==================0================0
[14].======KANPUR====================9============0===================3===============0
[15],======kolkata=====================18===========1===================4===============0
[16].======LUCKNOW==================9============1====================3===============0
[17].=====MEERUT=====================6============0==================2=================0
[18]=====MUMBAI======================26===========2===================5==================0
[19].=====NAGPUR=====================11===========1=====================3===============0
[20].=====PATNA=======================5============1===================3================0
[21].=====PUNE========================9=============1===================3==============0
[22].=====RANCHI======================3==============0====================o==============0
[23].=====SHILLONG====================2===============0=================0===============0
[24].====TRIVANDRUM==================3===============0=================2================0
[25].====DELHI=========================94=============4=================36=================4
TOTAL==============================273=============19==================85===============4
Keeping in view the financial and other resource constraints, a decision has been taken not to expand CGHS to cover new cities/ areas. There are some States and UTs which do not have the presence of CGHS as yet. Accordingly, the Ministryat least one CGHS dispensary in the capital city of such States/UT’s namely, Himachal Pradesh, Chhattisgarh, Goa, Arunachal Pradesh, Tripura, Manipur, Mizoram, Sikkim, Nagaland, Gujarat and Pudduchery.
In addition, there is also a proposal to open one CGHS dispensary in Indore in compliance of the High Court’s directions.Central Govt. Health Scheme provides comprehensive health care to the CGHS Beneficiaries in India. The medical facilities are provided through Wellness Centres(previously referred to as CGHS Dispensaries) /polyclinics under Allopathic, Ayurveda, Yoga, Unani, Sidha and Homeopathic systems of medicines.
v 254 allopathic dispensaries, 19 polyclinics.78 Ayush dispensary/ units
v 3 Yoga Centres
v 65 Laboratories
v 17 Dental Units

डॉ. हर्षवर्धन ने राजनीती में भी ऑर्थोडॉक्स चिकित्सा पद्धति के अनुसार कंडोम और यौन शिक्षा के नुस्खे बदले

केंद्रीय स्वास्थय मंत्री डॉ हर्षवर्धन राजनीती में भी ऑर्थोडॉक्स चिकित्सा पद्धति का इस्तेमाल करते दिख रहे हैं |इस पुरानी पद्धति के अनुसार इलाज के दौरान दवाइयाँ बदल बदल कर एक्सपेरिमेंट किये जाते हैं कमोबेश इसी आधार पर आज कल डॉ हर्षवर्धन ने कंडोम से लेकर भोग शिक्षा के विरोध में बाबा राम देव और अपनी आर एस एस के सामाजिक मूल्यों वाली योग शिक्षा के नुस्खों को आजमाना शुरू कर दिया है |
कंडोम के इस्तेमाल को बदलने की कवायद में स्वयं डॉ की ही सेहत जब बिगड़ने लग गई तो उन्होंने तत्काल यौन शिक्षा के स्थान पर योग शिक्षा को प्रेस्क्राइब कर दिया |अब इसके रिएक्शन में मीडिया के साथ ही सत्ता गवाँ बैठे कांग्रेस जन भी हाय हल्ला करने लग गए |इस पर स्पष्टीकरण देते हुए स्वास्थ्य मंत्री ने बिना अश्लीलता के यौन शिक्षा की हिमायत की हैं |डॉ हर्षवर्धन के अनुसार यौन शिक्षा जरूरी, लेकिन अश्‍लीलता के बिना ”सभी देशों को सामाजिक मूल्‍यों के साथ यह शिक्षा देनी चाहिए”
केन्‍द्रीय स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री की व्‍यक्तिगत वेबसाइट www.drharshvardhan.com/ drharshvardhan-views-on-education.aspx में ” त‍थाकथित यौन शिक्षा की ” आलोचना को लेकर मीडिया के एक वर्ग ने विवाद खड़ा किया है। इस पोस्ट को वर्ष २००७ की पोस्ट बताया जा रहा हैं |
सामाजिक, राजनीतिक और आर्थिक मामलों पर अलग-अलग राय रखने की मीडिया की परम्‍परा के आगे नतमस्तक होते हुए, डॉ हर्षवर्धन ने विस्‍तृत रूप से इस बात का खंडन किया है कि उन्‍होंने यौन शिक्षा पर रोक लगाने का प्रस्‍ताव किया था जैसा कि एक प्रमुख अख़बार ने आज अपनी बैनर हेडलाइन में कहा है।
डॉ हर्षवर्धन, जो इन दिनों अमरीका की सरकारी यात्रा पर हैं, ने कहा ”मैं एक मेडिकल पेशेवर हूं जिसने हमेशा तर्कों को अपनाया है और मैं तहेदिल से ऐसी शिक्षा का समर्थन करता हूं जो वैज्ञानिक और सांस्‍कृतिक दृष्टि से लोगों को स्‍वीकार्य हो। ऐसी कोई भी बात, जो आम आदमी को चोट पहुंचाती हो और जो चाहे वह किसी भी जिम्‍मेदार व्‍यक्ति द्वारा स्‍पष्‍ट रूप से कही गई हो उसे अस्‍वीकार कर दिया जाना चाहिए और उसके स्‍थान पर ज्ञान की ऐसी प्रक्रिया अपनानी चाहिए जिस पर सभी की आम सहमति हो। उन्‍होंने स्‍पष्‍ट किया कि वेबसाइट पर उन्‍होंने जो विचार व्‍यक्‍त किए थे वो उनके अपने थे। उन्‍होंने किशोर शिक्षा कार्यक्रम शुरू करने के बारे में यूपीए सरकार द्वारा 2007 में किए गए फैसले के संदर्भ में यह बात कही थी। यहां तक कि यूपीए शासित राज्‍यों के मुख्य मंत्रियों ने भी इस पर आपत्ति व्‍यक्‍त की थी और इसमें संशोधन किया गया था।
डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि 2013 के चुनाव में अपनी पार्टी के मुख्‍यमंत्री पद के उम्‍मीदवार के रूप में उन्‍होंने कहा था कि उन्‍हें शासन के अन्‍य विषयों के अलावा शिक्षा के लिए पारदर्शी एजेंडा बनाने का पूरा अधिकार है। मूल्‍य आधारित स्‍कूली ज्ञान की प्रक्रिया सभी देशों में समान है और उन्‍होंने दिल्‍ली के स्‍कूलों में इस तरह का प्रारूप लागू करने के बारे में सोचा था। उन्‍होंने कहा कि सितम्‍बर 2002 में उच्‍चतम न्यायालय की एक खंडपीठ ने सरकार के इस अधिकार को बरकरार रखा था कि स्‍कूली पाठ्यक्रम में मानव मूल्‍य शिक्षा शुरू की जाये। (2002 की बी.जी.वर्गीज, अरुणा रॉय और अन्‍य बनाम एनसीईआरटी रिट याचिका 98)
डॉ हर्षवर्धन ने स्‍पष्‍ट रूप से यूं पी ऐ पर हमला बोलते हुए कहा कि यूपीए के तथाकथित यौन शिक्षा कार्यक्रम में सांस्‍कृतिक दृष्टि से आपत्तिजनक प्रतीकों के अपरिष्‍कृत और लिखित बयानों को यौन शिक्षा नहीं कहा जा सकता। प्रत्‍येक शिक्षा प्रणाली में एक आदर्श पाठ्यक्रम अवश्‍य होना चाहिए और उस सीमा तक मेरी राय वैध है।
स्‍वास्‍थ्‍य मंत्री, जिनके पास 1993 से 1998 के बीच दिल्‍ली सरकार में स्‍वास्‍थ्‍य मंत्रालय के साथ-साथ शिक्षा मंत्रालय का कार्यभार भी था, ने अनेक विशेषज्ञों की सलाह से दिल्‍ली के स्‍कूलों के पाठ्यक्रम में अनेक स्‍थाई सुधार शुरू किए थे। डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि उस समय भी पाठ्यक्रम में यौन शिक्षा को कुछ हद तक शामिल किया गया था लेकिन उस समय किसी के विरोध करने की खबर नहीं आई।
उन्‍होंने कहा कि एईपी में पर्याप्त संशोधन किया गया है। अब इसे नये एचआईवी संक्रमण की रोकथाम और संक्रमण के प्रति सामाजिक संवेदनशीलता को कम करने में प्रमुख हस्‍तक्षेप के रूप में शिक्षा विभाग और राष्‍ट्रीय एडस नियंत्रण संगठन द्वारा उचित स्‍थान मिला है। डॉ हर्षवर्धन ने कहा कि इस कार्यक्रम को राज्‍य एडस नियंत्रण सोसाइटियों के सहयोग से शिक्षा विभाग के जरिए देश भर में लागू किया गया है। उन्‍होंने कहा कि एईपी का उद्देश्‍य देश के सभी सीनियर स्‍कूलों में शत-प्रतिशत गुणवत्‍ता प्रदान करना है ताकि नौंवी और दसवीं कक्षा के छात्रों को एचआईवी के बारे में सही और पर्याप्‍त जानकारी मिल सके।
डॉ हर्षवर्धन ने अंत में संक्षेप में कहा, ”यौन शिक्षा का लक्ष्‍य समाज को लिंग भेदभाव, किशोरियों में गर्भधारण, एचआईवी-एडस के प्रसार, अश्‍लील साहित्‍य की लत से मुक्‍त समाज का निर्माण होना चाहिए।
गौरतलब हैं के डॉ हर्षवर्धन ने दो दिन पहले ही एक विवादित बयान दिया था। उन्होंने कहा था कि एड्स के प्रति जागरूकता अभियान चलाते समय कंडोम के इस्तेमाल को बढ़ावा नहीं दिया जाना चाहिए। उनकी दलील थी कि यदि व्यक्ति अपने जीवनसाथी के प्रति वफादार रहे तो कंडोम की जरूरत ही नहीं है।
एड्स के खिलाफ अभियान में जुटे संगठनों ने उनके इस बयान का विरोध किया था, जिसके बाद स्वास्थ्य मंत्री को सफाई भी देना पड़ी थी।
फोटो कैप्शन
The Union Minister for Health and Family Welfare, Dr. Harsh Vardhan presenting a copy of his book “A tale of two drops” to the United States Secretary for Health and Human Services, Ms. Sylvia Mathews Burwell, during their meeting, in Washington DC on June 25, 2014.