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नरेंद्र मोदी ने झाड़ू चलाई+कूड़ाउठाया+वॉकथॉन किया और कहलवाया न तो गंदगी करेंगे और न ही करने देंगे
राजधानी में राजपथ पर स्वच्छ भारत अभियान की औपचारिक शुरुआत करते हुए प्रधानमंत्री ने भारत माता के दो महान सपूतों महात्मा गांधी और पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर उन्हें श्रद्धांजलि दी। उन्होंने याद दिलाया कि कैसे श्री शास्त्री द्वारा ”जय जवान, जय किसान” का नारा दिए जाने के बाद किसानों ने कड़ी मेहनत की और देश को खाद्य सुरक्षा के मामले में आत्मनिर्भर बनाया। उन्होंने कहा कि गांधीजी के दो सपनों (भारत छोड़ो और स्वच्छ भारत) में से एक को हकीकत में बदलने में लोगों ने मदद की। हालांकि, स्वच्छ भारत का दूसरा सपना अब भी पूरा होना बाकी है। उन्होंने कहा कि एक भारतीय नागरिक होने की खातिर यह हमारी सामाजिक जिम्मेदारी है कि हम वर्ष 2019 में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती मनाए जाने तक उनके स्वच्छ भारत के सपने को पूरा करें।
प्रधानमंत्री ने देश की सभी पिछली सरकारों और सामाजिक, धार्मिक एवं सांस्कृतिक संगठनों द्वारा सफाई को लेकर किए गए प्रयासों की सराहना की। उन्होंने जोर देते हुए कहा कि भारत को स्वच्छ बनाने का काम किसी एक व्यक्ति या अकेले सरकार का नहीं है, यह काम तो देश के 125 करोड़ लोगों द्वारा किया जाना है जो भारत माता के पुत्र-पुत्रियां हैं। उन्होंने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान को एक जन आंदोलन में तब्दील करना चाहिए। लोगों को ठान लेना चाहिए कि वह न तो गंदगी करेंगे और न ही करने देंगे।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक साफ-सफाई न होने के चलते भारत में प्रति व्यक्ति औसतन 6500 रुपये जाया हो जाते हैं। उन्होंने कहा कि इसके मद्देनजर स्वच्छ भारत जन स्वास्थ्य पर अनुकूल असर डालेगा और इसके साथ ही गरीबों की गाढ़ी कमाई की बचत भी होगी, जिससे अंतत: राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में महत्वपूर्ण योगदान होगा। उन्होंने लोगों से साफ-सफाई के सपने को साकार करने के लिए इसमें हर वर्ष 100 घंटे योगदान करने की अपील की है। प्रधानमंत्री ने शौचालय बनाने की अहमियत को भी रेखांकित किया। उन्होंने कहा कि साफ-सफाई को राजनीतिक चश्मे से नहीं देखा जाना चाहिए, बल्कि इसे देशभक्ति और जन स्वास्थ्य के प्रति कटिबद्धता से जोड़ कर देखा जाना चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा कि स्वच्छ भारत अभियान में योगदान देने और सोशल मीडिया पर इसे साझा करने के लिए उन्होंने नौ हस्तियों को आमंत्रित किया है, जिनमें [१]मृदुला सिन्हा[२]सचिन तेंदुलकर[३]बाबा रामदेव[४]शशि थरूर[५]अनिल अंबानी[६]कमल हसन[७]सलमान खान[८]प्रियंका चोपड़ा [९] ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ की टीम शामिल हैं।
उन्होंने बताया कि इन कार्यों को अंजाम देने के लिए नौ अन्य लोगों को आमंत्रित किया गया है और इस तरह एक श्रृंखला-सी बना दी गई है।
प्रधानमंत्री ने स्वच्छ भारत अभियान के प्रतीक चिन्ह और इसके नारे से जुड़ी प्रतियोगिता के विजेताओं को बधाई दी। ये हैं- महाराष्ट्र से अनंत और गुजरात से भाग्यश्री। नारा है- ‘एक कदम स्वच्छता की ओर’। प्रधानमंत्री जब उपस्थित भीड़ को स्वच्छता की शपथ दिला रहे थे तो उस वक्त जाने-माने फिल्म अभिनेता आमिर खान ने भी मंच साझा किया।
इससे पहले प्रधानमंत्री राजघाट एवं विजयघाट गए और देश के दो महान सपूतों महात्मा गांधी और लाल बहादुर शास्त्री की जयंती पर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित की। इसके बाद वह वाल्मीकि बस्ती गए, जहां महात्मा गांधी एक बार रुके थे। प्रधानमंत्री ने यहीं से स्वच्छता अभियान की शुरुआत की। प्रधानमंत्री ने नई दिल्ली स्थित मंदिर मार्ग पुलिस स्टेशन का औचक निरीक्षण भी किया। प्रधानमंत्री ने स्वयं एक झाडू लेकर धूल की सफाई की। बाद में उन्होंने पुलिस अधिकारियों से स्वच्छता बनाए रखने का आह्वान किया।डी आर डी ओ द्वारा निर्मित टॉयलेट को भी राष्ट्र को समर्पित किया
फोटो कैप्शन
The Prime Minister, Shri Narendra Modi participating into the “Swacch Bharat Walkathon”, at India Gate, in New Delhi on October 02, 2014.
मोदी भापे!तुगलकी”हराकीरी”करने वाले हताश नेताओं की ट्रेनिंग के लिए भी”गेटकीपर”बनवा दो
झल्ले दी झल्लियां गल्लाँ
भाजपाई चीयर लीडर
ओये झल्लेया कभी तो हंस भी लिया कर |ओये यारा ये तो हसाडे मुल्क का दुर्भाग्य ही है कि मेडिकल+मैनेजमेंट+इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले छात्र+नौजवान प्रोफेशनल और यहां तक कि सरकारी पदाधिकारी भी बड़ी संख्या में आत्महत्या कर रहे हैं।इसीलिए अब हसाडे हेल्थ मिनिस्टर डॉ हर्षवर्धन ने हताश युवाओं में आत्महत्या की प्रवृत्ति‘ रोकने के लिए “गेटकीपर’” नामक कार्यक्रम पर जोर देना शुरू कर दिया है | इसके अंतर्गत सभी क्षेत्रों के लोगों को आत्महत्या की प्रवृत्ति के बारे में आवश्यक जानकारी देने के लिए प्रशिक्षित किया जा रहा है|
ओये हुन इस “गेट कीपर” से इस राष्ट्रीय हानि को रोका जा सकेगा
झल्ला
भापा जी मुल्क में अव्यवस्थाओं के चलते आत्महत्या करने वालों में भारत १२ वें स्थान पर आ गया है लेकिन दुर्भाग्य से युवा ज्यादा विषाद के शिकार हो रहे हैं |आप जी के इस प्रयास से हो सकता है कि होने वाली १५-२० लाख आत्म हत्याओं में कुछ कमी हो जाएँ लेकिन झल्लेविचारानुसार १६ वी लोक सभा को हारे हुए हताश कथित केंद्रीय नेता आये दिन अपने तुगलकी अंदाज में सियासी आत्म हत्या करने पे तुले हुए हैं |ऐसे हताश नेताओं के लिए भी कोई “गेटकीपर” बनवा देते तो राष्ट्र का कल्याण ही हो जाता
तम्बाकू पर टैक्स बढ़ाने के बाद अब खेती में इस घातक उत्पाद के विकल्प की तलाश शुरू
केंद्र सरकार खेती में घातक तम्बाकू के बेहतर व्यवहार्य विकल्प पर विचार करने को राजी हो गई है |वैसे आम बजट में तम्बाकू प्रोडक्ट्स पर मोदी सरकार ने टैक्स बढ़ा कर संयुक्त राष्ट्र के आह्वाहन को समर्थन दे दिया था अब यूनियन हेल्थ मिनिस्टर डॉ हर्षवर्धन ने तम्बाकू से मुक्ति के उपायों पर चर्चा करना स्वीकार कर लिया है| डा. हर्षवर्द्धन ने कहा है कि इस विषय में स्वास्थ्य मंत्रालय अनुसंधान के निष्कर्ष साझा करने के लिए तैयार है |
स्वास्थ्य मंत्रालय प्रतिष्ठित संगठनों द्वारा किए गए अनुसंधान के उन निष्कर्षों को सरकार और सभी सम्बद्ध पक्षों के साथ साझा करने को तैयार है जिनके अनुसार यह साफ तौर पर सिद्ध हो चुका है कि किसानों को तम्बाकू की खेती के व्यवहार्य विकल्प प्रदान किए जा सकते हैं।
केन्द्रीय स्वास्थ्य मंत्री डा हर्ष वर्धन ने कहा कि यह धारणा गलत है कि यदि सरकार लोगो की तम्बाकू सेवन की लत छुड़वाने में कामयाब हो गई तो तम्बाकू की खेती करने वाले क्षेत्रों में किसान गरीब हो जाएंगे। उन्होंने कहा कि इसके विपरीत हमारे पास ऐसे साक्ष्य हैं कि यदि उन्हें साहूकारों के चंगुल से छुटकारा दिला दिया जाये तो उनकी आमदनी बढ़ सकती है।
उन्होंने कहा कि तम्बाकू उत्पादों पर शुल्क बढ़ने से सरकारी खजाने में महत्वपूर्ण इजाफा होगा लेकिन तम्बाकू के सेवन से होने वाली कैंसर और टीबी जैसी जान लेवा बीमारियों की लागत उससे कहीं अधिक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुमान के अनुसार भारत में धुंए वाले तम्बाकू से होने वाली बीमारियों के उपचार की प्रत्यक्ष लागत 90.7 करोड़ अमरीकी डालर और बिना धुंए वाले तम्बाकू के उपचार की लागत 28.5 करोड़ अमरीकी डालर आती है।
फोटो कैप्शन
[फाइल]विश्व तम्बाकू निषेध दिवस पर एन सी सी की रैली में डॉ हर्षवर्धन
आयुर्वेदिक,यूनानी औषधियों को बढ़ावा देने के लिए भारत ने डब्लू.एच.ओ.की मकाउ बैठक में आवाज उठाई
आयुर्वेदिक +यूनानी आदि पारंपरिक औषधियों को बढ़ावा देने के लिए भारत ने विश्व स्वास्थ्य संगठन की चीन के मकाउ में आयोजित बैठक में पुरजोर आवाज उठाई|
स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण राज्य मंत्री श्रीमती संतोष चौधरी ने कहा है कि पारंपरिक औषधियों को बढ़ावा देने के लिए नीतियों और रणनीतियों का निर्माण किया जाना चाहिए। वे आज मकाओ एसएआर, चीन में आयोजित विश्व स्वास्थ्य संगठन पारंपरिक औषधि रणनीति : 2014-2023 की उच्चस्तरीय बैठक को संबोधित कर रही थीं। इस अवसर पर उन्होंने भारत में आयुर्वेद के अध्ययन के लिए विदेशी नागरिकों को प्रोत्साहित भी किया |
श्रीमती चौधरी ने कहा कि दुनिया में स्वास्थ्य समस्याएं बढ़ती जा रही हैं, जिनमें रहन-सहन से होने वाली बीमारियां प्रमुख हैं। उन्होंने कहा कि इस प्रकार के रोगों से निपटने के लिए आज पारंपरिक औषधि की उपयोगिता पर चर्चा की जाती है, इसलिए यह आवश्यक है कि विभिन्न सरकारें इस संबंध में बहुआयामी और बहुआधारित नीतियों और रणनीतियों को निर्माण करें।
श्रीमती चौधरी ने कहा कि भारत में आयुर्वेद, योग, प्राकृतिक चिकित्सा, यूनानी सिद्ध, सोवा-रिगपा और होम्योपेथी (आयुष) को पारंपरिक औषधि के रूप में मान्यता प्राप्त है। उन्होंने कहा कि स्वास्थ्य मंत्रालय में आयुष विभाग कायम किया गया है, जो पारंपरिक चिकित्सा प्रणालियों के प्रोत्साहन के लिए राष्ट्रीय तथा अंतरराष्ट्रीय स्तरों पर काम करता है। उन्होंने बताया कि भारत में आयुष सुविधाओं का बहुत बड़ा बुनियादी ढांचा मौजूद है,
जिसके तहत 7,20,937 चिकित्सक पंजीकृत हैं।
देश भर में आयुष के 24,392 दवाखाने और
3,195 अस्पताल तथा
504 कॉलेज, स्नातकोत्तर शिक्षा के लिए 117 केन्द्र तथा 8,785 लाइसेंस प्राप्त दवा निर्माण इकाइयां काम कर रही हैं।
मंत्री महोदया ने बताया कि भारत में आयुर्वेद के अध्ययन के लिए विदेशी नागरिकों को प्रोत्साहित किया जाता है। उन्होंने उम्मीद जाहिर की कि सम्मेलन में पारंपरिक औषधियों के लिए नई रणनीति तैयार की जाएगी।
इस अवसर पर विश्व स्वास्थ्य संगठन की महानिदेशक डॉ. मारग्रेट चैन, मकाओ के मुख्य कार्यकारी अधिकारी श्री फर्नांडो चियु और विभिन्न देशों के स्वास्थ्य मंत्री और विश्व स्वास्थ्य संगठन के पदाधिकारी एवं विशेषज्ञों सहित विभिन्न गणमान्य व्यक्ति मौजूद थे।
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